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79052833

पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजनों से बैंकों के पूंजी जुटाने के विकल्पों में वृद्धि

भारिबैं/2005-06/283
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 57/21.01.002/2005-06

25 जनवरी 2006
5 माघ 1927 (शक)

 

समस्त वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय,

पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजनों से बैंकों के पूंजी जुटाने के विकल्पों में वृद्धि

जैसा कि आप जानते हैं, अब तक पूंजी पर्याप्तता अनुपात केवल बैंकों द्वारा उठाए गये ऋण जोखिम पर लागू था। बाद में, एचएफटी संविभाग के लिए बाजार जोखिमों हेतु पूंजी आवश्यकता 2004-05 के दौरान प्रारंभ की गयी। इसके अतिरिक्त, बैंकों को 31 मार्च 2006 तक एएफएस संविभाग के लिए बाज़ार जोखिम हेतु पूंजीगत प्रावधान करना अपेक्षित है। इसके कारण विनियामक न्यूनतम सीआरएआर का निरंतर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए बैंकों को अपनी पूंजीगत निधियों को बढ़ाना होगा। मार्च 2007 में लागू होने वाले नये पूंजी पर्याप्तता ढांचे (बासेल घ्घ्) अपनाने से संशोधित ढांचे के अंतर्गत अपेक्षाओं को पूर्ण करने के लिए बैंकों को अपनी पूंजीगत निधियों को और बढ़ाना होगा। बासेल घ्घ् के अंतर्गत पूंजीगत अपेक्षाएं न केवल जोखिम के स्तर के संबंध में अधिक संवेदनशील हैं, बल्कि परिचालनगत जोखिमों पर भी लागू होती हैं। अत: बाजार जोखिम, बासेल घ्घ् अपेक्षाओं तथा अपने तुलनपत्रों के विस्तार के समर्थन के लिए बैंकों को अतिरिक्त पूंजी जुटानी होगी।

2. बासेल पूंजी समझौता 1988, पूंजी का तीन टियरों के अंतर्गत वर्गीकरण करता है। टियर 1 पूंजी तथा टियर 2 पूंजी में निम्नलिखित शामिल हैं :

टियर 1 पूंजी

टियर 2 पूंजी

क) स्थायी
शेयरधारकों की ईक्विटी;

ख) स्थायी असंचयी अधिमान शेयर;

ग) प्रकट आरक्षित निधियां;

घ) नवीन पूंजी लिखत;

क) अप्रकट आरक्षित निधियां

ख) पूनर्मूल्यांकन आरक्षित निधियां

ग) सामान्य प्रावधान /सामान्य ऋण
हानि आरक्षित निधियां;

घ) संमिश्र ऋण पूंजी लिखत (ऐसे लिखत
जिनमें ईक्विटी पूंजी तथा ऋण की
विशेषताओं को मिलाया गया है); तथा

ङ) अधीनस्थ मीयादी ऋण

 

इसके अतिरिक्त, बैंक अपने राष्ट्रीय प्राधिकारी के विवेकानुसार बाजार जोखिमों के लिए पूंजी आवश्यकताओं के एक भाग की पूर्ति के एकल प्रयोजन हेतु अल्पावधि अधीनस्थ ऋण वाले पूंजी के तीसरे टियर (टियर 3) को लागू कर सकते हैं।

3. वर्तमान में, बैंकों को टियर 3 पूंजी जुटाने की अनुमति नहीं है। पूंजी पर्याप्तता पर वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार भारत में बैंकों को टियर 1 तथा टियर 2 पूंजीगत निधियों को जुटाने के लिए उपलब्ध विकल्प बैंकों को निम्नलिखित के निर्गम से पूंजीगत निधियां जुटाने की अनुमति नहीं देते हैं :

क) अधिमान शेयर - दोनों संचयी तथा असंचयी;

ख) टियर 1 पूंजी में शामिल करने के लिए नये पूंजी लिखत; तथा

ग) टियर 2 पूंजी में शामिल करने के लिए संमिश्र ऋण लिखत ।

बैंकों को उपर्युक्त लिखतों के माध्यम से पूंजीगत निधियां जुटाने के लिए अनुमति देने की संभाव्यता की जांच की गयी है। तथापि, चूंकि टियर 3 पूंजी अल्पावधि स्वरूप की होती है और बैंक के ऋण आदि जोखिमों की तुलना में बाज़ार जोखिमों के एक भाग को पूरा करने के लिए पूंजी की वैकल्पिक मद है, इसलिए वर्तमान में इस विकल्प पर विचार नहीं किया गया है।

4. उपर्युक्त पर विचार करते हुए तथा भारत में कार्यरत बैंकों को विद्यमान विधि ढांचे के भीतर कारोबार की बढ़ती हुई अपेक्षाओं तथा बासेल घ्घ् की अपेक्षाओं दोनों को पूरा करने की दृष्टि से पूंजीगत निधियां जुटाने के लिए अतिरिक्त विकल्प प्रदान करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि बैंक निम्नलिखित अतिरिक्त लिखतों के निर्गम से अपनी पूंजीगत निधियों को बढ़ा सकते हैं :

(क) टियर 1 पूंजी के रूप में शामिल करने के लिए पात्र नवीन स्थायी ऋण लिखत (आइपीडीआइ);

(ख) उच्चतर टियर 2 पूंजी के रूप में शामिल करने के लिए पात्र ऋण पूंजी लिखत;

(ग) समय-समय पर प्रचलित कानूनों के अधीन, टियर 1 पूंजी के रूप में शामिल करने के लिए पात्र स्थायी असंचयी अधिमानित शेयर; तथा

(घ) समय-समय पर प्रचलित कानूनों के अधीन, टियर 2 पूंजी के रूप में शामिल करने के लिए प्रतिदेय संचयी अधिमानित शेयर।

5. उपर्युक्त ‘क’ तथा ‘ख’ पर उल्लिखित लिखतों पर लागू होने वाले दिशानिर्देश, जो न्यूनतम विनियामक अपेक्षाए दर्शाते हैं, क्रमश: अनुबंध 1 तथा अनुबंध 2 में दिये गये हैं। उपर्युक्त मद ‘ग’ तथा ‘घ’ से संबंधित विस्तृत दिशानिर्देश, जैसा उचित होगा, यथासमय अलग से जारी किये जाएंगे। बैंक यह सुनिश्चित करें कि उनके द्वारा निर्गमित लिखत इन दिशानिर्देशों के पूरी तरह अनुरूप हैं।

6. कृपया प्राप्ति-सूचना दें।

 

भवदीय

(प्रशांत सरन)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध 1

टियर 1 पूंजी के रूप में शामिल करने के लिए नवीन स्थायी ऋण लिखतों पर लागू शर्तें

भारतीय बैंकों द्वारा बांडों या डिबेंचरों के रूप में जारी किए जानेवाले नवीन स्थायी ऋण लिखतों (नवीन लिखत) को पूंजी पर्याप्तता प्रयोजनों के लिए टियर 1 पूंजी के रूप पात्र होने के लिए निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना चाहिए।

1. नवीन लिखत जारी करने की शर्तें

i) निर्गम की मुद्रा

बैंक नवीन लिखत भारतीय रुपयों में जारी करेंगे। विदेशी मुद्रा में नवीन लिखत जारी करने के लिए बैंकों को मामला-दर-मामला आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना होगा।

ii) राशि

नवीन लिखतों की जुटायी जाने वाली राशि का निर्णय बैंकों के निदेशक बोर्ड द्वारा किया जाए।

iii) सीमाएं

नवीन लिखत टियर 1 पूंजी के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होंगे। उपर्युक्त सीमा साख और अन्य अमूर्त आस्तियां घटाने के बाद परंतु निवेश घटाने के पहले टियर 1 पूंजी की राशि पर आधारित होगी। उपर्युक्त सीमाओं से अधिक नवीन लिखत टियर 2 के अधीन शामिल करने के लिए पात्र होंगे, परंतु वे टियर 2 पूंजी के लिए निर्धारित सीमाओं के अधीन होंगे। तथापि, निवेशकों के अधिकार और दायित्व अपरिवर्तित रहेंगे।

iv) परिपक्वता अवधि

नवीन लिखत स्थायी होंगे।

v) ब्याज दर

निवेशकों को देय ब्याज एक नियत दर पर या बाज़ार द्वारा निर्धारित रुपया ब्याज आधार (बेंचमार्क) दर के संदर्भ में अस्थिर दर पर होगा।

vi) विकल्प

नवीन लिखत ‘पुट ऑप्शन’ विकल्प के साथ जारी नहीं किये जाएँगे। तथापि बैंक निम्नलिखित प्रत्येक शर्त का कड़ाई से पालन करने के अधीन कॉल विकल्प के साथ उक्त लिखत जारी कर सकते हैं :

क) कॉल विकल्प का प्रयोग तभी किया जाए यदि लिखत कम सेकम 10 वर्ष के लिए प्रचलित रहा हो;

ख) कॉल विकल्प का प्रयोग केवल भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग) के पूर्व अनुमोदन से ही किया जाएगा । कॉल विकल्प का प्रयोग करने के लिए बैंकों से प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करते समय भारतीय रिज़र्व बैंक अन्य बातों के साथ-साथ बैंक की सीआरएआर स्थिति को, कॉल विकल्प का प्रयोग करते समय एवं कॉल विकल्प का प्रयोग करने के बाद दोनों ही समय, ध्यान में रखेगा ।

vii) वृद्धि (स्टेप-अप) का विकल्प

निर्गमकर्ता बैंक स्टेप-अप के विकल्प का प्रयोग कर सकता है, जिसका प्रयोग लिखत की पूरी अवधि के दौरान कॉल विकल्प के साथ संयुक्त रूप से निर्गम की तारीख से दस वर्ष व्यतीत होने के बाद किया जा सकता है। यह वृद्धि 100 आधार बिंदुओं (बीपी) से अधिक नहीं होगी। स्टेप-अप संबंधी सीमाएँ निर्गमकर्ता बैेंकों को प्राप्त होनेवाले ऋण की समग्र (ऑल-इन) लागत पर लागू होंगी ।

  1. समयबंदी की शर्त

(क) नवीन लिखत एक समयबंदी की शर्त के अधीन होंगे जिसके अनुसार निर्गमकर्ता बैंक ब्याज अथवा मूलधन परिपक्वता अवधि पूर्ण होने के बाद भी अदा करने के लिए बाध्य नहीं होगा, यदि

1. बैंक का सीआरएआर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामक अपेक्षा से कम हो अथवा;

2. इस प्रकार के भुगतान के परिणामस्वरूप बैंक की जोखम भारित परिसंपत्ति की तुलना में पूँजी का अनुपात (सीआरएआर) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामक अपेक्षा से नीचे आ जाता है अथवा उसके नीचे रह जाता है ;

(ख) तथापि, जब ऐसे भुगतान के प्रभाव के परिणामस्वरूप निवल हानि अथवा निवल हानि में वृद्धि होती है तब बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन से ब्याज की अदायगी कर सकते हैं बशर्ते कि सीआरएआर विनियामक मानदंड से ऊपर रहे ।

(ग) ब्याज संचयी नहीं होगा ।

(घ) अवरुद्धता के खंड को व्यवहार में लाने के सभी मामले निर्गमकर्ता बैंकों द्वारा, रिज़र्व बैंक, मुंबई के बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग तथा बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के प्रभारी मुख्य महाप्रबंधकों को अधिसूचित किये जाने चाहिए।

ix) दावे की वरिष्ठता

नवीन लिखतों में निवेशकों के दावे

क) ईक्विटी शेयरों में निवेशकों के दावों से श्रेष्ठ होंगे तथा;

ख) अन्य सभी उधारकर्ताओं के दावों से कनिष्ठ होंगे।

x) डिस्काउंट

नवीन लिखतों को पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजनों के लिए प्रगामी छूट (डिस्काउंट) में नहीं रखना चाहिए क्योंकि ये लिखत स्थायी हैं।

xi) अन्य शर्तें

क) नवीन लिखत पूर्णतया चुकता, गैर-जमानती और किसी भी प्रकार के प्रतिबंधित खंडों से मुक्त होने चाहिए।

ख) इन लिखतों में विदेशी संस्थागत निवेशकों और अनिवासी भारतीयों की समग्र सीमा निर्गम के क्रमश: 49% और 24% के भीतर होगी, बशर्तें प्रत्येक विदेशी संस्थागत निवेशक द्वारा किया गया निवेश निर्गम के 10% से अधिक नहीं हो तथा प्रत्येक अनिवासी भारतीय द्वारा किया गया निवेश निर्गम के 5% से अधिक न हो ।

ग) लिखतों को जारी करने के संबंध में सेबी /अन्य विनियामक प्राधिकारियों द्वारा यदि कोई शर्तें निर्दिष्ट की गई हों तो बैंकों को उनका अनुपालन करना चाहिए।

  1. आरक्षित निधि (रिज़र्व) संबंधी अपेक्षाओं का पालन

i) नवीन लिखत जारी करने के लिए बैंक की विभिन्न शाखाओं अथवा अन्य बैंकों द्वारा जुटाई गई और आबंटन को अंतिम रूप देने के लिए अनिर्णीत रूप में धारित निधियों को आरक्षित निधि की अपेक्षाओं की गणना करने के उद्देश्य से हिसाब में लेना होगा ।

ii) किसी बैंक द्वारा नवीन लिखतों के माध्यम से जुटाई गई कुल राशि को आरक्षित निधि की अपेक्षाओं के प्रयोजन से निवल माँग और मीयादी देयताओं की गणना के लिए देयता के रूप में संगणित किया जायेगा और इस स्थिति के होते हुए इनपर आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) /सांविधिक नकदी निधि अनुपात (एसएलआर) की अपेक्षाएँ लागू होंगी ।

3. सूचना देने संबंधी अपेक्षाएं

नवीन लिखत जारी करनेवाले बैंक निर्गम के पूर्ण होते ही, निर्गम के संबंध में उपर्युक्त मद 1 में विनिर्दिष्ट शर्तों सहित, जुटाए गए ऋण का ब्योरा देते हुए, प्रस्ताव के प्रलेख की प्रति के साथ एक रिपोर्ट प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई को प्रस्तुत करेंगे ।

4. अन्य बैंकों / वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी नवीन लिखतों में निवेश

i) अन्य बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी किये गये नवीन लिखतों में किसी बैंक के निवेश की गणना 6 जुलाई 2004 के परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. सं. 3/ 21.01.002/ 2004-05 के अनुसार बैंकों /वित्तीय संस्थाओं के बीच पूँजी की परस्पर धारिता के लिए निर्धारित 10 प्रतिशत की समग्र उच्चतम सीमा के अनुपालन का संगणन करते समय पूँजी की स्थिति के लिए पात्र अन्य लिखतों में निवेश के साथ एवं परस्पर धारिता की सीमाओं के अधीन भी की जाएगी ।

ii) अन्य बैंकों / वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी किये गये नवीन लिखतों में बैंक के निवेश के संबंध में पूँजी पर्याप्तता प्रयोजनों के लिए 100 प्रतिशत जोखिम भार लागू होगा ।

 

5. नवीन लिखतों की जमानत पर अग्रिम प्रदान करना

बैंकों को चाहिए कि वे अपने द्वारा जारी किये गये नवीन लिखतों की जमानत पर अग्रिम प्रदान न करें ।

6. भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों द्वारा टियर 1 पूंजी में शामिल करने के लिए नवीन लिखत जारी करना

भारत में कार्यरत विदेशी बैंक टियर 1 पूंजी में शामिल करने के लिए भारतीय बैंकों के लिए ऊपर मद 1 से 5 तक में उल्लिखित शर्तों के अधीन ही टियर 1 पूंजी के रूप में शामिल करने के लिए विदेशी मुद्रा में प्रधान कार्यालय का उधार जुटा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, निम्नलिखित शर्तें भी लागू होंगी :

i) परिपक्वता अवधि

यदि प्रधान कार्यालय के उधार के रूप में नवीन टियर 1 पूंजी की राशि जुटायी जाती है, तो वह स्थायी आधार पर भारत में रखी जाएगी ।

ii) ब्याज दर

प्रधान कार्यालय के उधार के रूप में जुटाई गई नवीन टियर 1 पूंजी पर ब्याज दर चालू बाजार दर से अधिक नहीं होनी चाहिए । ब्याज का भुगतान छमाही अंतरालों पर किया जाना चाहिए ।

iii) प्रतिरोध कर

प्रधान कार्यालय को ब्याज का भुगतान प्रचलित प्रतिरोध कर (विदहोल्डिंग टैक्स) के अधीन होगा ।

iv) प्रलेखन

प्रधान कार्यालय के उधार के रूप में नवीन टियर 1 पूंजी जुटानेवाले विदेशी बैंक को चाहिए कि वह अपने प्रधान कार्यालय से विदेशी बैंक के भारत में परिचालन हेतु पूंजीगत आधार के पूरक के रूप में ऋण देने के लिए सहमति का पत्र प्राप्त करे । ऋण प्रलेखन से इस बात की पुष्टि होनी चाहिए कि प्रधान कार्यालय द्वारा दिया गया ऋण भारतीय बैंकों द्वारा जारी किये गये नवीन लिखत पूंजी लिखतों में निवेशकों के समान ही दावे की वरिष्ठता के उसी स्तर के लिए पात्र होगा । ऋण का करार भारतीय कानून से नियंत्रित होगा और उसी के अनुसार उसकी व्याख्या की जाएगी ।

v) प्रकटीकरण

प्रधान कार्यालय के उधार की कुल पात्र राशि का प्रकटीकरण तुलन-पत्र में ‘विदेशी मुद्रा में प्रधान कार्यालय के उधार के रूप में जुटाई गई नवीन टियर 1 पूंजी’ शीर्ष के अंतर्गत किया जाएगा ।

vi) बचाव

प्रधान कार्यालय के उधार की कुल पात्र राशि हर समय बैंक के पास भारतीय रुपयों में

पूर्णत: विनिमय योग्य रखी जानी चाहिए ।

vii) सूचना-प्रणली और प्रमाणीकरण

प्रधान कार्यालय के उधार के रूप में जुटाई गई नवीन टियर 1पूंजी की कुल राशि के संबंध में ब्योरा, इस आशय के प्रमाणीकरण के साथ कि उक्त ॅउधार इन दिशानिर्देशों के अनुसार है, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग (अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग प्रभाग), बाह्य निवेश एवं परिचालन विभाग तथा विदेशी मुद्रा विभाग (विदेशी मुद्रा प्रभाग), भारतीय रिज़ॅर्व बैंक, मुंबई के प्रभारी मुख्य महाप्रबंधकों को सूचित किया जाना चाहिए ।


अनुबंध 2

उच्चतर टियर 2 पूंजी के रूप में शामिल किये जाने के लिए ऋण पूंजी लिखतों पर लागू शर्तें

भारतीय बैंकों द्वारा बांडों / डिबेंचरों के रूप में जारी किए जा सकनेवाले ऋण पूंजी लिखतों के लिए अपेक्षित है कि वे पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजनों के लिए उच्चतर (अपर) टियर 2 पूंजी के रूप में शामिल किए जाने हेतु अर्हता प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी करें ।

1. उच्चतर टियर 2 पूँजी लिखतों के निर्गम की शर्तें

i) निर्गम की मुद्रा

बैंक उच्चतर टियर 2 लिखत भारतीय रुपयों में जारी करेंगे । विदेशी मुद्रा में उच्चतर टियर 2 लिखत जारी करने के लिए बैंकों को मामला-दर-मामला आधार पर भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना होगा ।

ii) राशि

उच्चतर टियर 2 लिखतों की जुटाई जानेवाली राशि का निर्णय बैंकों के निदेशक बोर्ड द्वारा किया जाए ।

iii) सीमाएँ

उच्चतर टियर 2 लिखत, टियर 2 पूंजी के अन्य घटकों सहित टियर 1 पूंजी के 100 प्रतिशत से अधिक नहीं होंगे । उपर्युक्त सीमा साख और अन्य अमूर्त परिसंपत्तियां घटाने के बाद परंतु निवेश घटाने के पहले टियर 1 पूंजी की राशि पर आधारित होगी ।

iv) परिपक्वता अवधि

उच्चतर टियर 2 लिखतों की परिपक्वता अवधि कम से कम 15 वर्ष की होनी चाहिए ।

v) ब्याज दर

निवेशकों को देय ब्याज या तो एक नियत दर पर या बाजार द्वारा निर्धारित रुपया ब्याज आधार (बेंचमार्क) दर के संदर्भ में अस्थिर दर पर होगा ।

vi) विकल्प

उच्चतर टियर 2 लिखत ‘पुट ऑप्शन’ विकल्प के साथ जारी नहीं किये जाएँगे। तथापि बैंक निम्नलिखित प्रत्येक शर्त का कड़ाई से पालन करने के अधीन ‘कॉल’ विकल्प के साथ उक्त लिखत जारी कर सकते हैं :

क) ‘कॉल’ विकल्प का प्रयोग तभी किया जाए यदि लिखत कम से कम 10 वर्ष के लिए प्रचलित रहा हो;

ख) ‘कॉल’ विकल्प का प्रयोग केवर भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग) के पूर्व अनुमोदन से ही किया जाएगा । ‘कॉल’ विकल्प का प्रयोग करने के लिए बैंकों से प्राप्त प्रस्तावों पर विचार करते समय भारतीय रिज़र्व बैंक अन्य बातों के साथ-साथ बैंक की सीआरएआर स्थिति को ‘कॉल’ विकल्प का प्रयोग करते समय एवं ‘कॉल’ विकल्प का प्रयोग करने के बाद दोनों ही समय ध्यान में रखेगा ।

vii) वृद्धि (स्टेप अप) का विकल्प

निर्गमकर्ता बैंक स्टेप-अप के विकल्प का प्रयोग कर सकता है, जिसका प्रयोग लिखत की पूरी अवधि के दौरान काल विकल्प के साथ संयुक्त रूप से निर्गम की तारीख से दस वर्ष व्यतीत होने के बाद किया जा सकता है । यह वृद्धि 100 आधार बिंदुओं (बीपी) से अधिक नहीं होगी । स्टेप-अप संबंधी सीमाएँ निर्गमकर्ता बैेंकों को प्राप्त होनेवाले ऋण की समग्र (ऑल-इन) लागत पर लागू होंगी ।

viii) समयबंदी की शर्त

क) उच्चतर टियर 2 लिखत एक समयबंदी की शर्त के अधीन होंगे जिसके अनुसार निर्गमकर्ता बैंक ब्याज अथवा मूलधन परिपक्वता अवधि पूर्ण होने के बाद भी अदा करने के लिए बाध्य नहीं होगा, यदि

  1. बैंक का सीआरएआर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामक अपेक्षा से कम हो, अथवा
  2. इस प्रकार के भुगतान के परिणामस्वरूप बैंक की जोखम भारित परिसंपत्ति की तुलना में पूँजी का अनुपात (सीआरएआर) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित न्यूनतम विनियामक अपेक्षा से नीचे आ जाता है अथवा उसके नीचे रह जाता है ।

ख) तथापि, बैंक जब ऐसे भुगतान के प्रभाव के परिणामस्वरूप निवल हानि अथवा निवल हानि में वृद्धि होती है तब भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन से ब्याज की अदायगी कर सकते हैं बशर्ते कि सीआरएआर विनियामक मानदंड से ऊपर रहे ।

ग) देय और अदत्त रहे ब्याज की राशि नकद /चेक द्वारा परवर्ती वर्षों में अदा करने की अनुमति दी जा सकती है बशर्ते कि बैंक उपर्युक्त विनियामक अपेक्षा का पालन करता हो ।

घ) समयबंदी की शर्त लागू करने के सभी दृष्टांतों की सूचना निर्गमकर्ता बैंकों द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई के बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग एवं बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के प्रभारी मुख्य महाप्रबंधकों को दी जानी चाहिए ।

ix) दावे की वरिष्ठता


उच्चतर टियर 2 लिखतों में निवेश करनेवाले निवेशकर्ताओं के दावे

क) टियर 1 पूंजी में शामिल करने के लिए पात्र लिखतों के निवेशकर्ताओं के दावों से वरिष्ठ होंगे; तथा
ख) अन्य सभी ऋणदाताओं के दावों से कनिष्ठ होंगे ।

x) छूट (डिस्काउंट)

उच्चतर टियर 2 लिखत पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजनों से दीर्घकालिक गौण ऋण की ही तरह उनकी अवधि के अंतिम पाँच वर्षों के दौरान प्रगामी छूट (डिस्काउंट) के अधीन
होंगे । जैसे ही उनकी परिपक्वता अवधि नजदीक होगी, वे टियर 2 पूंजी में शामिल किये जाने हेतु पात्र बनने के लिए नीचे दी गई सारणी में निर्दिष्ट रूप में प्रगामी छूट के अधीन किये जाने चाहिए ।

लिखतों की शेष परिपक्वता अवधि

छूट की दर (प्रतिशत)

एक वर्ष से कम

100

एक वर्ष और अधिक, परंतु दो वर्ष से कम

80

दो वर्ष और अधिक, परंतु तीन वर्ष से कम

60

तीन वर्ष और अधिक, परंतु चार वर्ष से कम

40

चार वर्ष और अधिक, परंतु पाँच वर्ष से कम

20

xi) प्रतिदान

उच्चतर टियर 2 लिखत धारक की पहल पर प्रतिदेय नहीं होंगे । सभी प्रतिदान केवल भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग) के पूर्व अनुमोदन से ही किये जाएँगे ।

xii) अन्य शर्तें

क) उच्चतर टियर 2 लिखत पूर्णत: प्रदत्त, गैर-जमानती, और किसी भी प्रतिबंधात्मक शर्तों से मुक्त होने चाहिए ।
ख) विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा उच्चतर टियर 2 लिखतों में निवेश, ऋण लिखतों में निवेश के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति में निर्धारित सीमाओं के भीतर होगा। इसके अतिरिक्त, मौजूदा नीति के अनुसार अनिवासी भारतीय (एनआरआई) भी इन लिखतों में निवेश करने के लिए पात्र होंगे ।
ग) बैंकों को उक्त लिखत जारी करने के संबंध में सेबी/अन्य विनियामक प्राधिकारियों द्वारा निर्धारित शर्तों, यदि कोई हों, का पालन करना चाहिए ।

2. आरक्षित निधि संबंधी अपेक्षाओं का पालन

i) उच्चतर टियर 2 पूँजी लिखत जारी करने के लिए बैंक की विभिन्न शाखाओं अथवा अन्य बैंकों द्वारा जुटाई गई और आबंटन को अंतिम रूप देने के लिए अनिर्णीत रूप में धारित निधियों को आरक्षित निधि की अपेक्षाओं की गणना करने के उद्देश्य से हिसाब में लेना होगा ।

ii) किसी बैंक द्वारा उच्चतर टियर 2 लिखतों के माध्यम से जुटाई गई कुल राशि को आरक्षित निधि की अपेक्षाओं के प्रयोजन से निवल माँग और मीयादी देयताओं की गणना के लिए देयता के रूप में संगणित किया जायेगा और इस स्थिति के होते हुए इनपर आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर)/सांविधिक नकदी निधि अनुपात (एसएलआर) की अपेक्षाएँ लागू होंगी ।

3. सूचना देने संबंधी अपेक्षाएं

उच्चतर टियर 2 लिखत जारी करनेवाले बैंक निर्गम के पूर्ण होते ही, निर्गम के संबंध में उपर्युक्त मद 1 में विनिर्दिष्ट शर्तों सहित, जुटाए गए ऋण का ब्योरा देते हुए, प्रस्ताव के प्रलेख की प्रति के साथ एक रिपोर्ट प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई को प्रस्तुत करेंगे ।

4. अन्य बैंकों / वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी उच्चतर टियर 2 लिखतों में निवेश

i) अन्य बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी किये गये उच्चतर (अपर) टियर 2 लिखतों में किसी बैंक के निवेश की गणना 6 जुलाई 2004 के परिपत्र बैंपविवि. बीपी. बीसी. सं. 3 /21.01.002/ 2004-05 के अनुसार बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के बीच पूँजी की परस्पर धारिता के लिए निर्धारित 10 प्रतिशत की समग्र उच्चतम सीमा के अनुपालन का संगणन करते समय पूंजी की स्थिति के लिए पात्र अन्य लिखतों में निवेश के साथ एवं परस्पर धारिता की सीमाओं के अधीन भी की जाएगी ।

ii) अन्य बैंकों / वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी किये गये उच्चतर टियर 2 लिखतों में बैंक के निवेश के संबंध में पूंजी पर्याप्तता प्रयोजनों के लिए 100 प्रतिशत जोखिम भार लागू होगा ।

5. उच्चतर टियर 2 लिखतों की जमानत पर अग्रिम प्रदान करना

बैंकों को चाहिए कि वे अपने द्वारा जारी किये गये उच्चतर टियर 2 लिखतों की जमानत पर अग्रिम प्रदान न करें ।

6. भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों द्वारा उच्चतर टियर 2 लिखत जारी करना

भारत में कार्यरत विदेशी बैंक भारतीय बैंकों के लिए ऊपर मद 1 से 5 तक में उल्लिखित शर्तों के अधीन ही उच्चतर टियर 2 पूंजी के रूप में शामिल करने के लिए विदेशी मुद्रा में प्रधान कार्यालय का उधार जुटा सकते हैं । इसके अतिरिक्त, निम्नलिखित शर्तें भी लागू होंगी :

i) परिपक्वता अवधि

यदि प्रधान कार्यालय के उधार के रूप में जुटायी गयी उच्चतर टियर 2 पूंजी की राशि श्रृंखलाओं में है, तो प्रत्येक श्रृंखला भारत में पंद्रह वर्ष की न्यूनतम अवधि के लिए रखी जाएगी ।

ii) ब्याज दर

प्रधान कार्यालय के उधार के रूप में जुटाई गई उच्चतर टियर 2 पूंजी पर ब्याज दर चालू बाजार दर से अधिक नहीं होनी चाहिए । ब्याज का भुगतान छमाही अंतरालों पर किया जाना चाहिए ।

iii) प्रतिरोध कर

प्रधान कार्यालय को ब्याज का भुगतान प्रचलित प्रतिरोध कर (विदहोल्डिंग टैक्स) के अधीन होगा ।

iv) प्रलेखन

प्रधान कार्यालय के उधार के रूप में उच्चतर टियर 2 पूंजी जुटानेवाले विदेशी बैंक को चाहिए कि वह अपने प्रधान कार्यालय से विदेशी बैंक के भारत में परिचालन हेतु पूंजीगत आधार के पूरक के रूप में ऋण देने के लिए सहमति का पत्र प्राप्त करे । ऋण प्रलेखन से इस बात की पुष्टि होनी चाह्एि कि प्रधान कार्यालय द्वारा दिया गया ऋण भारतीय बैंकों द्वारा जारी किये गये उच्चतर टियर 2 ऋण पूंजी लिखतों में निवेशकों के समान ही दावे की वरिष्ठता के उसी स्तर के लिए पात्र होगा । ऋण का करार भारतीय कानून से नियंत्रित होगा और उसी के अनुसार उसकी व्याख्या की जाएगी ।

v) प्रकटीकरण

प्रधान कार्यालय के उधार की कुल पात्र राशि का प्रकटीकरण तुलन-पत्र में ‘विदेशी मुद्रा में प्रधान कार्यालय के उधार के रूप में जुटाई गई उच्चतर टियर 2 पूंजी’ शीर्ष के अंतर्गत किया जाएगा ।

vi) बचाव

प्रधान कार्यालय के उधार की कुल पात्र राशि हर समय बैंक के पास भारतीय रुपयों में पूर्णत: विनिमय योग्य रखी जानी चाहिए ।

vii) सूचना-प्रणली और प्रमाणीकरण

प्रधान कार्यालय के उधार के रूप में जुटाई गई उच्चतर टियर 2 पूंजी की कुल राशि के संबंध में ब्योरा, इस आशय के प्रमाणीकरण के साथ कि उक्त उधार इन दिशानिर्देशों के अनुसार है, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग (अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग प्रभाग), बाह्य निवेश एवं परिचालन विभाग तथा विदेशी मुद्रा विभाग (विदेशी मुद्रा प्रभाग), भारतीय रिज़ॅर्व बैंक, मुंबई के प्रभारी मुख्य महाप्रबंधकों को सूचित किया जाना चाहिए ।

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