अनर्जक आस्तियों तथा पुनर्रचित अग्रिमों के लिए प्रावधानीकरण की दरों में वृद्धि - आरबीआई - Reserve Bank of India
अनर्जक आस्तियों तथा पुनर्रचित अग्रिमों के लिए प्रावधानीकरण की दरों में वृद्धि
आरबीआइ/2010-11/529 18 मई 2011 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय/महोदया अनर्जक आस्तियों तथा पुनर्रचित अग्रिमों के लिए प्रावधानीकरण की दरों में वृद्धि कृपया वर्ष 2011-12 के लिए मौद्रिक नीति वक्तव्य का पैराग्राफ 110 (उद्धरण संलग्न) देखें जिसमें कतिपय श्रेणियों के अनर्जक अग्रिमों तथा पुनर्रचित अग्रिमों पर प्रावधानीकरण अपेक्षाओं में वृद्धि करने का प्रस्ताव किया गया है । तदनुसार, निम्नलिखित श्रेणियों के अनर्जक अग्रिमों तथा पुनर्रचित अग्रिमों के लिए संशोधित प्रावधानीकरण अपेक्षाएं निम्नवत होंगी : (आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा प्रावधानीकरण संबंधी विवेकपूर्ण मानदंडों पर अग्रिमों से संबंधित 01 जुलाई 2010 के मास्टर परिपत्र संदर्भ बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 21/ 21.04.048/ 2010-11 के पैराग्राफ 5 के अंतर्गत प्रावधानीकरण की मौजूदा अपेक्षाएं निर्धारित की गयी हैं)। 1. अवमानक अग्रिम : "अवमानक" के रूप में वर्गीकृत अग्रिमों पर मौजूदा 10 प्रतिशत के बदले 15 प्रतिशत का प्रावधान लागू होगा । अवमानक आस्तियों के रूप में वर्गीकृत "गैर-जमानती एक्सपोज़र" पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त प्रावधान लागू होगा अर्थात् मौजूदा 20 प्रतिशत के बदले कुल 25 प्रतिशत प्रावधान लागू होगा । तथापि, अवमानक के रूप में वर्गीकृत इंफ्रास्ट्रक्चर ऋण खातों के संबंध में ऐसे "गैर-जमानती एक्सपोज़र" पर केवल 5 प्रतिशत अतिरिक्त प्रावधान अर्थात् मौजूदा 15 प्रतिशत के बदले कुल 20 प्रतिशत प्रावधान लागू होगा जिनके मामले में 23 अप्रैल 2010 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 96/08.12.014/2009-10 के अंतर्गत निलंब खातों (एस्क्रो अकाउंट) जैसी कुछ सुरक्षाओं का उल्लेख किया गया है । 2. संदिग्ध अग्रिम : संदिग्ध अग्रिमों का 100 % प्रावधानीकरण उस सीमा तक जारी रहेगा जिस सीमा तक उनके मूल्यह्रास की भरपाई उस जमानत के वसूली योग्य मूल्य से न की जा सकती हो जिसका अवलंब बैंक वैधानिक रूप से ले सकता है और जमानत के वसूली योग्य मूल्य का आकलन वास्तविक आधार पर किया गया हो । तथापि, अग्रिमों के जमानती हिस्से के संबंध में प्रावधानीकरण की निम्नलिखित अपेक्षाएं लागू होंगी :
3. पुनर्रचित अग्रिम :
4. प्रावधानीकरण पर अन्य सभी अनुदेश पूर्ववत् लागू रहेंगे । मौजूदा मानदंडों के सापेक्ष प्रावधानीकरण के संशोधित मानदंडों को संक्षेप में अनुबंध में प्रस्तुत किया गया है । भवदीय (बि. महापात्र)प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक अनुलग्नक : यथोपरि अनर्जक आस्तियों तथा पुनर्रचित अग्रिमों के लिए प्रावधानीकरण की दरें
मौद्रिक नीति वक्तव्य 2011-12 का उद्धरण अनर्जक आस्तियों संबंधी प्रावधानीकरण की दरों में वृद्धि 110. अक्तूबर 2009 की दूसरी तिमाही की समीक्षा में की गयी घोषणा के अनुसरण में बैंकों को दिसंबर 2009 में यह सूचित किया गया कि वे सितंबर 2010 के अंत तक अपने अनर्जक अग्रिमों के लिए 70 प्रतिशत का प्रावधानीकरण कवरेज अनुपात (पीसीआर) प्राप्त करें । इस कवरेज अनुपात का उद्देश्य यह था कि बैंक भविष्य में किसी समष्टि आर्थिक आघात से बचने के लिए पर्याप्त प्रतिरक्षात्मक उपाय सुनिश्चित करते हुए प्रति-चक्रीय उद्देश्य प्राप्त कर लें । अप्रैल 2011 में, बैंकों को यह सूचित किया गया कि वे 30 सितंबर 2010 तक विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार पीसीआर के अंतर्गत प्रावधानों के अधिशेष को "प्रति-चक्रीय बफर" नामक खाते में अलग रखें । हालांकि इस तरह तैयार किया गया "प्रति-चक्रीय बफर" आर्थिक मंदी के दौरान विशिष्ट प्रावधान करने के लिए बैंकों के लिए उपलब्ध होगा लेकिन बैंकों के लिए यह भी जरूरी है कि वे विवेकपूर्ण प्रावधानीकरण ढांचे के एक भाग के रूप में और अधिक विशिष्ट प्रावधान करें । तदनुसार, अनर्जक अग्रिमों तथा कतिपय श्रेणियों के पुनर्रचित अग्रिमों के लिए अपेक्षित प्रावधानीकरण में निम्नानुसार वृद्धि करने का प्रस्ताव है :
111. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे । |