प्रकटन के जरिए बैंक के कार्यों में अधिक पारदर्शिता लाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रकटन के जरिए बैंक के कार्यों में अधिक पारदर्शिता लाना
आरबीआई 2008 / 2009- 131 18 अगस्त 2008 सभी राज्यों/मध्यवर्ती सहकारी बैंकों के अध्यक्ष/कार्यपालक प्रकटन के जरिए बैंक के कार्यों में अधिक पारदर्शिता लाना भारतीय रिज़र्व बैंक बेहतरीन प्रथाओं से सामंजस्य बनाए रखते हुए प्रकटन के लिए व्यापक अपेक्षाओं के साथ बैंकों की पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए समय-समय पर कई उपाय करता रहा है। प्रकटन की आवश्यकताओं की समीक्षा की जा रही है। उनमें समय-समय पर संशोधन किए गए हैं। इस दिशा में, 10 अक्तूबर 2005 को जारी किया गया परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.सं.44/07.38.03/2005-06 एक ऐसा ही उपाय है जिसमें राज्य /मध्यवर्ती सहकारी बैंकों को सूचित किया गया है कि वे अपने तुलन पत्रों के "नोट्स ऑन अकाउंट्स" के रुप में लाभप्रदता, एनपीए आदि के बारे में कतिपय जानकारी प्रस्तुत करें। 2. वर्तमान में, भारतीय रिज़र्व बैंक को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथा लागू) की धारा 47 (ए) के उपबंधों के अंतर्गत उक्त अधिनियम के किसी उपबंध का उल्लंघन करने पर या उसके अंतर्गत किसी अपेक्षा का अनुपालन न करने पर राज्य / मध्यवर्ती सहकारी बैंक पर दंड लगाने का अधिकार प्राप्त है। किसी बैंक पर दंड का लगाया जाना बैंक को सूचित किए जाने की विधिवत प्रक्रिया और स्पष्टीकरण मांगने के बाद तय किया जाता है ताकि बैंक को अपनी बात कहने के पर्याप्त अवसर दिए जाएं। उक्त बातों को ध्यान में रखते हुए और विनियामक द्वारा लगाए जाने वाले दंड के प्रकटीकरण की बेस्ट प्रथाओं के अनुरूप यह निश्चय किया गया है कि किसी बैंक पर लगाए गए दंड के ब्योरे का पब्लिक डोमेन पर प्रकटन जमाकर्ताओं के हित में होगा। 3. रिज़र्व बैंक द्वारा लगाए गए दंड के प्रकटन का तौर-तरीका निम्नानुसार होगा : 4. यह नीति तत्काल प्रभाव से अमल में आएगी। भवदीय (जी.श्रीनिवासन) |