प्रकटन के जारिए बैंक के कार्यों में अधिक पारदर्शिता लाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रकटन के जारिए बैंक के कार्यों में अधिक पारदर्शिता लाना
आरबीआई 2008 - 2009/164 12 सितम्बर 2008 अध्यक्ष महोदय, प्रकटन के जारिए बैंक के कार्यों में अधिक पारदर्शिता लाना बेहतरीन प्रथाओं से सामंज़ास्य बनाए रखते हुए प्रकटन के लिए व्यापक अपेक्षाओं के साथ बैंकों की पारदर्शिता को बडाने के लिए समय-समय पर कई उपाय किए ज़ा रहे हैं। प्रकटन की आवश्यकताओं की समीक्षा की ज़ा रही है। उनमें समय-समय पर संशोधन किए गए हैं। इस दिशा में, वित्तीय विवरणों में प्रकटन-नोट्स ऑन अकाउंट्स पर नाबार्ड द्वारा सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को ज़ारी 30 ज़ून 2008 का मास्टर परिपत्र एन.बी.डीओएस.एचओ. पीओएल/ 1270/ज़ो-1/2008-09 एक ऐसा ही उपाय था । 2. वर्तमान में, भारतीय रिज़र्व बैंक को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 47 (ए) के उपबंधों के अंतर्गत उक्त अधिनियम के किसी उपबंध का उल्लंघन करने पर या उसके अंतर्गत किसी अपेक्षा का अनुपालन न करने पर क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक पर दंड लगाने का अधिकार प्राप्त है। किसी बैंक पर दंड का लगाया ज़ाना बैंक को सूचित किए ज़ाने की विधिवत् प्रक्रिया और स्पष्टीकरण मांगने के बाद तय किया ज़ाता है ताकि बैंक को अपनी बात कहने के पर्याप्त अवसर दिए ज़ाएं। उक्त बातों को ध्यान में रखते हुए और विनियामक द्वारा लगाए ज़ाने वाले दंड के प्रकटीकरण की बेस्ट प्रथाओं के अनुरूप यह निश्चय किया गया है कि किसी बैंक पर लगाए गए दंड के ब्योरे का पब्लिक डोमेन पर प्रकटन ज़माकर्ताओं के हित में होगा। 3. रिज़र्व बैंक द्वारा लगाए गए दंड के प्रकटन का तौर-तरीका निम्नानुसार होगा : 4. यह नीति तत्काल प्रभाव से अमल में आएगी। 5. कृपया हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्राप्तिसूचना दें । भवदीय ( जी.श्रीनिवासन) प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |