विशेष आर्थिक क्षेत्र में शाखा कार्यालय / इकाइयों की स्थापना - आरबीआई - Reserve Bank of India
विशेष आर्थिक क्षेत्र में शाखा कार्यालय / इकाइयों की स्थापना
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी(डिआई आर सीरिज) परिपत्र सं.58 प्रतिं विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय विशेष आर्थिक क्षेत्र में शाखा कार्यालय / प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 30 मार्च 2001 के परिपत्र क्रं.28, अप्रैल 1, 2003 के 91 और अक्तूबर 18, 2003 के 29 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके द्वारा विशेष आर्थिक क्षेत्र के इकाईयों को विभिन्न संविधाएं दी गई हैं । 2. अब यह निर्णय लिया गया है कि विदेशी कंपनियों को उत्पादन तथा सेवा कार्यकलाप का प्रारंभ करने के लिए, निम्नलिखित शर्तो के विशेष आर्थिक क्षेत्र में शाखा कार्यलयों / इकाइयों को स्थापित करने की सामान्य अनुमति प्रदान की जाए : (i) ऐसी इकाइ उसी क्षेत्र में कार्यरत हो जहॉ 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति है, (ii) ऐसी इकाइयॉ कंपनी अधिनियम के भाग XI (धारा 592 से 602) के अनुसार हो , (iii) ऐसी इकाइ यों का कारोबार स्वाश्रय आधारपर हो , (iv) कारोबार बंद करने और बंद करने की आय का प्रेषण करते समय खाखा / इकाई मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 13/2000-आरबी के विनियम (i)(iii) 6 में निर्धारित दस्तावेजों के साथ प्राधिकृत व्यापारी से संपर्क करें, अर्थात * लेखा परीक्षक का प्रमाणपत्र - i) यह उल्लेख किया जाए कि किस प्रकार से प्रेषण योग्य रकम आयी है और आवेदक के परिसंपत्ती देयता विवरण से उसका समर्थन किया गया । परिसंपत्ती के निपटान की पद्धति का भी उल्लेख किया जाए । ii) इस बात को सुनिश्चित करें कि कार्यालय / शाखा के उपटान और कर्मचारियों की अन्य सुविधाओं सहित भारत में सभी उटयजाऍ या तो पूरी कर दी गई है या उसके लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है ; iii) यह सुनिश्चित करें कि भारत के बाहर के ॉाातों से उपचित आय को (निर्यात आय सहित) भारत में अप्रत्यावर्तित करना बाकी है । * प्रेषण के प्रति आयकर प्राधिकारी से अनापत्ति या कर बे0बाकी का प्रमाणपत्र और * आवेदक से इस बात को सुनिश्चित करें कि भारत के किसी भी न्यायालय में किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई लंबित नही है ओर प्रेषण में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं हैं । " स्वाश्रय आधार" का अर्थ है कि ऐसी शाखा कार्यालय एकांत स्थान पर है और वह केवल विशेष आर्थिक द्वोत्र तक ही सीमित होगा और भारत के बाहर विशेष आर्थिक क्षेत्र के बाहर जिसमें उसके पैतृक कार्यालय की शाखाएं / उपखाखाएं शामिल हैं । उनसे कारोबार कार्यकलाप / लेनदेन करने की अनुमति नही होगी । 3. दिनांक मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 22/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में शाखा या कारोबार के अन्य स्थान स्थापित करना) विनियमावली 2000 में आवश्यक संशोधन किये गये हैं जो अक्तूबर, 2003 (प्रतिलिपि संलग्न) की अधिसूचना सं.फेमा 102/2003-आरबी द्वारा जारी किए गए हैं । 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें । 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए है । भवदीय ग्रेस कोशी अनुलग्नक : यथोक्त |