माल और सेवाओं का निर्यात - आरबीआई - Reserve Bank of India
माल और सेवाओं का निर्यात
भारतीय रिज़र्व बैंक 27 फरवरी 2001 माल और सेवाओं का निर्यात विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 7 की उप-धारा (1) के खण्ड (ए) और धारा 47 बी उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और दिनांक 3 मई 2000 की उसकी अधिसूर्ानिंा सं. फेमा 23/2000-आर बीके आंशिक संशोधन में भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर यथा संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (वस्तु और सेवाओं के निर्यात) विनियमावली 2000 में निम्नलिखित संशोधन करता है, यथा :- (1) (i) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (वस्तु और सेवाओं के निर्यात) (संशोधन) विनियमावली, 2000 कहा जायेगा । (2) विदेशी मुद्रा प्रबंध (वस्तु और सेवाओं के निर्यात) विनियमावली 2000 के (उसके बाद "उक्त विनियमों" के रूप में उल्लिखित ) (1ए) विशेष आर्थिक क्षेत्र के विकास आयुक्त/सीमाशुल्क के संबंधित सहायक आयुक्त अथवा उप आयुक्त को सूचना के अधीन विशेष आर्थिक क्षेत्रों में ईकाइयों द्वारा पुन: निर्यात किये जानेवाले खण्ड (i) के (1), (2) और (3) मदों पर सूची बद्ध वस्तुएं : (ग) खण्ड (छ) के बाद निम्नलिखित खण्डों को जोड़ा जाये, यथा :- (i) मरम्मत और पुन: आयात करने के लिए भारत के बाहर भेाा गयी दोषपूर्ण वस्तुएं बशर्ते वस्तुओं के साथ भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी का इस आशय का प्रमाण पत्र संलग्न है कि निर्यात मरम्मत और पुन: आयात के लिए है और उस निर्यात में विदेशी मुद्रा में कोई लेनदेन शामिल नहीं है ; (एम) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा नियमों और शर्ते, यदि कोई, अनुमति में लगाये गये है, के अधीन उसके लिए दिये गये आवेदन पर निर्यात की अनुमति : (ii) उक्त विनियमों के विनियम 6 में उप-विनियम (3) में खण्ड (i) के लिए निम्नलिखित खण्ड प्रतिस्थापित करें, यथा :- (अ) वर्तमान विनियम "(1)" के रूप में पुन: संख्याकित करें । (2ए) जहाँ वस्तु अथवा साफ्टवेआर का निर्यात विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित किसी ईकाई द्वारा किया गया है, वहाँ उप विनियम (1) में कुछ भी अंतर्विष्ट होते हुए भी, वस्तु अथवा साफ्टवेअर की पूर्ण निर्यात मूल्यवाली राशि की वसूली की जाएं और भारत को निर्यात की तिथि से बारह माह के भीतर प्रत्यावर्तित की जाएं : बशर्ते रिज़र्व बैंक दर्शाये गये पर्याप्त और यथोचित कारण के लिए बारह माह की उक्त अवधि बच सकेगी । आ) रिज़र्व बैंक यथोर्ातिं और पर्याप्त कारण के लिए निदेश देता है कि इकाई का उप विनियम (2) द्वारा शासित होना समाप्त हो जायेगा । बशर्ते इस प्रकार के निदेश तब तक नहीं दिया गया है जब तक ईकाई को इस मामले में अभ्यावेदन करने के लिए यथोर्ातिं अवसर दिया गया है । इ) इस प्रकार के निदेश पर ईकाई निदेश दिये जाने तक अन्यथा रिज़र्व बैंक द्वारा उप विनियम (1) के प्रावधानों से शासित होंगे । "iv) साफ्टवेअर निर्यात घोषणा (साफ्टेक्स) फार्म" के लिए उक्त विनियमों के साथ अनुसूची में अनुबंध में निर्दिष्ट किये गये अनुसार फार्म द्वारा प्रतिस्थापित किया जाये ।
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