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माल और सेवाओं का निर्यात - विशेष आर्थिक अंचलो (SEZ) की इकाइयों को सुविधाएं

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग
केद्रीय कार्यालय
मुंबई

ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिक्रम क्र.91

अप्रैल 1, 2003

सेवा में
विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय,

माल और सेवाओं का निर्यात - विशेष आर्थिक
अंचलो (SEZ) की इकाइयों को सुविधाएं

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान मार्च 30, 2001 की (डीआईआर.सिरीज) परिपत्र क्र.28 और तत्पश्चात् विशेष अंचलों को दी जानेवाली विविध सुविधाओं के बारे में जारी परिपत्रों की ओर आकृष्ट किया जाता है। विशेष आर्थिक अंचलो (SEZ) में स्थित इकाइयों को निम्नलिखित और सुविधाएं देने का निर्णय किया गया है-

अ. निर्यात आय की वसूली

मार्च 30, 2001 के परिपत्र ए.पी. (डीआईआर.सिरीज) क्र.28 के पैरा 11(ग) के अनुसार विशेष आर्थिक अंचलों में स्थित इकाइयों को माल अथवा साफ्टवेयर के पूर्ण मूल्य की वसूली और भारत में उनका प्रत्यावर्तन निर्यात की तारीख से बारह महीने की अवधि के भीतर करने के लिए अनुमति दी गई थी। अब निर्यात आया की वसूली के लिए नियत बारह ाहीने की अवधि अथवा विस्तारित अवधि की शर्त को हटाने का निर्णय किया गया है। तदनुसार विशेष आर्थिक अंचलो की इकाइयों द्वारा किए गए निर्यात की आय की वसूली के लिए कोई भी समय सीमा निर्धारित नहीं होगी। परंतु विशेष आर्थिक अंचलो की इकाइयों द्वारा सितंबर 9, 2000 के ए.पी. (डीआईआर.सिरीज) परिपत्र क्र.12, समय समय पर यथासंशोधित, की परिशिष्य् के भाग आ में निर्धारित प्रक्रिया का अनुसरण करन्8 जारी रहेगा।

आ. विदेश में दत्त कार्य (जॉब वर्क)

अंतर्राष्ट्रीय परिचालनों के संवर्धन के लिए विशेष आर्थिक अंचलो की इकाइयों को विदेश में दत्त कार्य करने और अपने देश से माल निर्यात करने की अनुमति निम्नलिखित शर्तों के अधीन दी गई है :-

i) प्रसंस्करण / विनिर्माण प्रभार को निर्यात कीमत में उपयुक्त ढंग से शामिल किया जाए और वह अंतिम क्रेता द्वारा वहन किया जाए।

ii) सामान्य जीआर प्रक्रिया के अधीन, निर्यातक द्वारा पूर्ण निर्यात मूल्य की वसूली के लिए संतोषजनक व्यवस्था की गई है।

इ. ईओयू और एसईज़ेड की इकाइयों के लिए
कीमती धातुओं में भुगतान की प्राप्ति

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान सितंबर 9, 2000 के (डीआईआर.सिरीज) परिपत्र क्र. 12 की परिशिष्ट के पैरा अ.4 की की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार निर्यात किए गए माल की पूर्ण आय की रकम मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 14/2000-आरबी (प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली 2000 मे विनिर्दिष्ट तरीके से प्राप्त की जाएगी । निर्णय किया गया है कि विशेष आर्थिक अंचलों और ईओयू की इकाइयों द्वारा निर्यात भुगतान की प्राप्ति अब निर्यात किए गए स्वर्णाभूषणों के मूल्य के समतुल्य मणियों और स्वर्णाभूषणों के रूप में, अर्थात् सोना/चांदी/प्लैटिनिम, बशर्ते कि विक्री संविदा में उसका प्रावधान किया गया हो और कीमती धातुओं के अनुमानित मूल्य का उल्लेख संबंधित जीआर/एसडीएफ/पीपी फार्मों में किया जा सकती है।

ई. निर्यात प्राप्तियों का आयात भुगतान के
साथ समायोजन (नेटिंग ऑफ)

निर्णय किया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी विशेष आर्थिक अंचलों में स्थित इकाइयों के निर्यात प्राप्तियों का आयात भुगतान के साथ समायोजन की अनुमति दे सकते हैं बशर्ते क:-

i) आयात भुगतानों के बदले निर्यात प्राप्तियों के समायोजन उसी भारतीय सत्ता और समुदपारीय क्रेता /आपूर्तिकर्ता (द्विपक्षीय समायोजन) के लिए हो। समायोजन विशेष आर्थिक अंचल की इकाइयों के तुलनपत्र की तारीख को किया जाए।

ii) निर्यात किए गए माल का विवरण जीआर (ओ) फार्मों /डीटीआर में, जैसा भी मामला हो, दिया जाए जबकि आयात किए गए माल / सुविधाओं को फार्म ए1/ए2, जैसा भी मामला हो, में दर्ज किया जाए। संबंधित जीआर/एसडीएफ/पीपी फार्मों को प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा पूर्ण किया गया तभी माना जाएगा जबकि संपूर्ण आय का समायोजन किया गया हो/ सपूंर्ण आय प्राप्त हो गई हो।

iii) विक्री और खरीद दोनों प्रकार के लेनदेन को एफईटी-ईआरएस के अंतर्गत आर-विवरणी में अलग-अलग रिपोर्ट की जाए।

iv) एशियाई समाशोधन संघ र्(ींण्ळ) देशों के साथ किए गए निर्यात / आयात लेनदेनों को इस व्यवस्था में शामिल नहीं किया गया है।

v) सभी संगत दस्तावेज संबंधित प्राधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत किए जाएं जोकि लेनदेन के संबंधित सभी विनियामक अपेक्षाओं का अनुपालन करेंगे।

उ. आयात देय का पूंजीकरण
      
विशेष आर्थिक अंचलों की इकाइयों को पूंजी माल के आयात के बदले अनिवासियों को ईक्विटी शेयर जारी करने की अनुमति दी गई है, बशर्ते कि :-

क) उसका मूल्यांकन विकास कमिशनर और उपयुक्त सीमा शुल्क अधिकारियों की समिति द्वारा सत्यापित किया जाए।

ख) उक्त तरीके से ईक्विटी जारी करने वाली विशेष आर्थिक अंचल की इकाइयां जारी किए गए शेयरों का विवरण मई 3, 2000 की अधिसूचना संख्या फेमा 20/2000-आरबी की अनुसूची (1) के पैरा 9 (विनियम 5(1) द्वारा निर्धारित ‘एफसी-जीपीआर’ फार्म में, मूल्यांकन प्रमाणपत्र की प्रतिलिपि के साथ, उस संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें जिसके कार्यक्षेत्र में वे स्थित हैं। रिपोर्ट की प्रतिलिपि औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार, उद्योग भवन, नई दिल्ली - 110 001 को भेजी जाए।

2. विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमावली में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।

3. यह सुविधा अप्रैल 1, 2003 को या उसके बाद किए गए पोत लदानों के संबंध में उपलब्ध रहेगी।

4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु की जानकारी अपने सभी संबंधित ग्राहकों को दे दें।

5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(ग्रेस कोशी)
मुख्य महाप्रबंधक

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