माल सेवाओं का निर्यात - आरबीआई - Reserve Bank of India
माल सेवाओं का निर्यात
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 5 27 अगस्त 2001 प्रति विदेशी मुद्रा के समस्त प्रिय महोदय, माल सेवाओं का निर्यात समस्त प्राधिकृत व्यापारियों का घ्यान दिनांक 3 मई 2000 की रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. फेमा 23/2000 - आरबी के विनियम 9 के द्वितीय परंतुक की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके जरीयए रिज़र्व बैंक को छ: महीने की अवधि बढाने के लिए अधिकार दिये गये है उस अवधि के भीतर मालों अथवा साफ-टवेअर निर्यात की संपूर्ण निर्यात मूल्य का प्रतिनिधित्व करनेवाली राशी की वसूली होनी चाहिए और भारत को प्रत्यवर्तित होनी चाहिए । 2. यह निर्णय लिया गया है कि, अस्थायी उपाय के रुप में, संलग्न सूची में शामिल देशां को निर्यातित मालों / साफ-टवेअर की संपूर्ण मूल्य की वसूली और र्पत्यावर्तन हेतु पोतलदान की तिथि से 360 दिवसों की अवधि (वर्तमान छ: महीने के स्थान पर) दी जाये । 3. वसूली की अवधि में छूट 1 सितम्बर 2001 से एक वर्ष के लिए उपलब्ध होगी अर्थात उन निर्यातों के लिए जो 1 सितम्बर 2001 को अथवा उसके पश्चात किये जायेंगे । तदनुसार 1 सितम्बर 2002 से नियतिकों का यह दायित्व होगा कि वे निर्यात तिथि से छ: माह की निर्धरित अवधि के भीतर संपूर्ण आगमों की वसूली करें । 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय वस्तु से अपने संबंधित ग्राहाकें को अवगत कराये । 5. इस परिपत्र में अन्नर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किये गये है । इसका किसी भी तरह से उल्लंघन करना या अनुपालन न किया जाना उक्त अधिनियम के अधीन निर्धारित जुर्मानें से दंडनीय है । भवदीय, के. रासुब्रमणियन |