बाह्य वाणिज्यिक उधार - देयता - परिणति - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार - देयता - परिणति
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 41 29 अप्रैल 2002 प्रति विदेशी मुद्रा के समस्त प्राधिकृत व्यापारी प्रिय महोदय, /महोदया बाह्य वाणिज्यिक उधार - देयता - परिणति भारत में कंपनियॉ कभी कभी भारत में बैंकों से किसी गारंटी / दिलासा पत्र (कम्पोर्ट) पर बाह्य वाणिज्यिक उधार जुटाते है। कतिपय मामलों में कंपनियों के ऋण देयता बैंकों के जिम्मे पड़ता है। 2. बैंको को उनके निधि प्रबंधन में और अधिक स्वतंत्रता और लवचिकता मुहैया करने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है कि जहाँ उधारकर्ता, जिन्होने बाह्य वाणिज्यिक उधार जुटाये थे, के खाता का महत्व ध्यान में रखते हुए चुनिन्दा मामलों में बैकों को उनके विदेशी मुद्रा देयेता रुपयों में परिणत करने के लिए अनुमति प्रदान की जाये। 3. अत: प्राधिकृत व्यापारी जो भारत में कंपनियों द्वारा जुटाये गये बाह्य वाणिज्यिक उधारों के लिए मुहैय्या गारंटियों में से उत्पन्न उनके विदेशी मुद्रा देयता को रुपया में करना चाहते है तो वे एक आवेदन पत्र मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग, बाह्य वाणिज्यिक उधार प्रभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केद्रीय कार्यालय, मुंबई को पूर्ण ब्यौरे अर्थात उधारकर्ता का नाम, जुटायी गयी राशि परिपक्वता, गारंटी/दिलासा पत्र के बुलाने के लिए प्रेरित हुअी परिस्थिति, चुक की तिथि, संबंधित प्राधिकृत व्यापारी के विदेश्यी शाखा की देयताओं पर संधात और अन्य संबंधित कारण देते हुए प्रस्तुत कर सकते है। 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराये। 5. इस परिपत्र में अन्तर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन जारी किए गए है। भवदीय ग्रेस कोशी |