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बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी)

आर.बी.आइ/2003-04/34
एपी(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 60

31 जनवरी 2004

सेवा में

विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय

बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी)

1. प्रस्तावना

नवंबर 14ए 2003 को घोषित बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित अस्थायी उपायों के स्थान पर अधिक पारदर्शी और सरल नीतियां एवं प्रक्रिया को लागू करने के विचार से बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी दिशानिदेशों की समीक्षा की गई है। यह समीक्षा वर्तमान समष्टि आर्थिक परिस्थिति, बाह्य क्षेत्र के प्रबंध में आने वाली चुनौतियों और बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति को लागू करने में प्राप्त अनुभवों के आधार पर की गई है।

भारत के बाह्य ऋण में बाह्य वाणिज्यिक उधार एक महत्वपूर्ण अवयव है जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ बाह्य सहायता, क्रेता ऋण, आपूर्तिकर्ता ऋण, अनिवासी भारतीय जमा राशियां, अल्पावधि ऋण और रुपया ऋण शामिल हैं। अत: बाह्य वाणिज्यिक उधार दिशानिदेश का विविध बाह्य ऋण की पृष्ठभूमि में उदीयमान अर्थव्यवस्था के अनुरूप बरकरार रखने के सूचकों के परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन करने की आवश्यकता है ताकि अधिक बाह्य ऋण उपलब्ध् कराने की गुजाइश की तलाश की जा सके। बाह्य ऋण के विविध सूचकों (अर्थात् अल्पावधि ऋण, सकल घरेलू उत्पाद आ ऋण का अनुपात, ऋण चुकौती, गैर-ऋण पूंजी के आवक के मुकाबले ऋण का अनुपात) सूचकों के विश्लेषण से ज्ञात होता है कि ऋण की मात्रा विशेष रूप से भूमि भवन संबंधी कार्यकलापों में निवेश की मात्रा बढ़ाने के लिए कुछ गुंजाइश है। बाह्य क्षेत्र के समग्र प्रबंध के एक हिस्से के रूप में उदारीकृत बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति को व्यवस्थित करना जरूरी है बशर्ते कि किसी विशेष वर्ष में बाह्य वाणिज्यिक उधार की अवशिष्ट परिपक्वता एक साथ न हो, यदि आवश्यक हो तो भविष्य में पूंजी प्रवाह को रोकने के विकल्पों को खुला रखना वांछनीय है।

बाह्य वाणिज्यिक उधार का आशय अनिवासी उधारदाताओं से न्यूनतम 3 वर्ष की परिपक्वता वाला वाणिज्यिक ऋण डबैंक ऋण, क्रेता ऋण, आपूर्तिकर्ता ऋण, प्रतिभूतीकृत नि,सत (अर्थात् परिवर्तनीय दर नोट और नियत दर बांड) व्रसव्त कापस है। नवंबर 14, 2003 से पूर्व कोई भी वैधानिक संस्था जैसे कि वित्तीय कंपनी मध्यस्थ पात्र उधारकर्ता होती थी। संभावी प्रणाली संबंधी जोखिमों की जटिलता के मद्देनज़र, वित्तीय मध्यस्थों द्वारा लिए गए बाह्य वाणिज्यिक उधार को कंपनियों द्वारा लिए गए उधार से अलग करने की आवश्यकता है। इसके अलावा बैंकों को (i) भारत से बाहर अपने प्रधान कार्यालय अथवा शाखा अथवा संपर्क शाखा से अपनी अर्जक स्तर-I पूंजी के 25 प्रतिशत तक बथवा 10 मिलियन अमरीकी डॉलर, जो भी अधिक हो, उधार लेने, (ii) अपने रुपए संसाधान के पुन: पूर्ति के लिए अपने प्रधान कार्यालय अथवा अपनी शाखा अथवा भारत से बाहर संपर्क शाखा से बिना किसी सीमा के (मांग मुद्रा अथवा अन्य बाज़ार में निवेश के लिए नहीं), (iii) भारत से बाहर बैंक/ वित्तीय संस्था से अपने ग्राहकों को पोतलदान पूर्व और पोतलदानोत्तर ऋण बिना किसी सीमा के देने के लिए, सुविधा उपलब्ध है।

2. तदनुसार, संशोधित बाह्य वाणिज्यिक उधार दिशानिदेश निम्न प्रकार दिए जा रहे हैं। बाह्य वाणिज्यिक उधार को दो मार्गों, नामत: 2(अ) पैराग्राफ (i) में उल्लिखित स्वत: अनुमोदित मार्ग, और 2(आ)(ii) पैराग्राफ में उल्लिखित अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत प्राप्त किया जा सकता है।

(अ) स्वत: अनुमोदित मार्ग

स्थावर संपदा क्षेत्र में निवेश के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार - औद्योगिक क्षेत्र, विशेष रूप से भारत में संरचनात्मक क्षेत्र, स्वत: अनुमोदित मार्ग के अंतर्गत होगा अर्थात् उसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक/ सरकार का अनुमोदन की अपेक्षा नहीं होगा। स्वत: अनुमोदित मार्ग से प्राप्त रिने की पात्रता के बारे में किसी शंका होने पर आवेदक अनुमोदन मार्ग को अपना सकते हैं।

  • पात्र उधारकर्ता

वित्तीय मध्यस्थों के सिवाय, कंपनी अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत कंपनियों (जैसे, बैंक वित्तीय संस्थाएं (एफआई), आवास वित्त कंपनियां और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) पात्र है।

i) मान्यता पात्र उधारदाता

उधारकर्ता अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त स्त्रोतो, जैसे, (i) अंतरराष्ट्रीय बैंक, अंतरराष्ट्रीय पुजी बाज़ार, बहुपक्षीय वित्तीय संस्थाएं (जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्त कंपनी, एशियाई विकास बैंक, सीडीसी, आदि), (ii) निर्यात ऋण एजेंसियां और (iii) उपकरणों के आपूर्तिकर्ता, विदेशी सहयोगी और विदेशी ईक्विटी धारकों से बाह्य वाणिज्यिक उधार की उगाही कर सकते हैं।

ii) राशि और परिपक्वता

क. 3 वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता वाले 20 मिलियन अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य राशि के बाह्य वाणिज्यिक उधार

ख. 5 वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता वाले 20 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक और 500 मिलियन अमरीकी डॉलर तक अथवा उसके समतुल्य राशि के बाह्य वाणिज्यिक उधार

ग. 20 मिलियन अमरीकी डॉलर तक के बाह्य वाणिज्यिक उधार में क्रय/विक्रय विकल्प हो सकते हैं बशर्ते कि क्रय/विक्रय विकल्प का उपयोग करने से पहले औसत 3 वर्ष की न्यूनतम परिपक्वता अवधि पूरी कर ली गई हो।

  • समग्र लागत सीमा

समग्र लागत सीमा में ब्याज दर, वादा फीस के सिवाय विदेशी मुद्रा में अन्य फीस और खर्चे, समयपूर्व चुकौती फीस और भारतीय रुपये में देय फीस शामिल हैं। परंतु कर भुगतान के लिए भारतीय रुपये में राशि रोक रखने को समग्र लागत की गणना में शामिल नहीं किया गया हैं।

बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए समग्र लागत सीमा समय समय पर सूचित की जाएगी। निम्नलिखित सीमाएं तुरंत प्रभाव से लागू हैं और इसकी समीक्षा तक वैध रहेंगी।

न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि

छह माह तक के लाइबोर* से ऊपर समग्र लागू सीमा

तीन वर्ष और पांच वर्ष तक

200 आधार बिंदु

पांच वर्ष से अधिक

350 आधार बिंदु

* उधार के संबंधित मुद्रा अथवा लागू बेंचमार्क के लिए

  • अंतिम उपयोग
(क) बाह्य वाणिज्यिक उधार की उगाही भारत में स्थावर संपत्ति क्षेत्र (जैसे, पुंजी माल का आयात, नयी परियोजनाएं, मौजूदा उत्पादन इकाइयों का आधुनिकीकरण/विस्तार) के लिए- औद्योगिक क्षेत्र जिसमें लघु और उध्यम दर्जे के उपक्रम और संरचनात्मक क्षेत्र में निवेश के लिए की जा सकती है। संरचनात्मक क्षेत्र की परिभाषा इस प्रकार की गई है - (i) ऊर्जा, (ii) दूरसंचार, (iii) रेलवे, (iv) पुल समेत सड़क, (v) पोर्ट, (vi) आद्योगिक पार्क और (vii) शहरी संरचना (जल आपूर्ति, स्वच्छता एवं जलमल परियोजना) ;

(ख) बाह्य वाणिज्यिक उधार की बाय का उपयोग विनिवेश प्रक्रिया के तहत शेयरों के प्रथम चरण में अभिग्रहण और दूसरे अनिवार्य चरण के अंतर्गत सरकार की विनिवेश कार्यक्रम के अंतर्गत सरकारी क्षेत्र की इकाइयों के शेयरों के सार्वजनिक प्रस्ताव के अंतर्गत खरीद के लिए अनुमत है।

(ग) बाह्य वाणिज्यिक उधार की आय का उपयोग कंपनियों द्वारा उधार देने अथवा पूंजी बाजार में निवेश के लिए अनुमत नहीं है।

(घ) बाह्य वाणिज्यिक उधार की आय का उपयोग स्थावर संपत्ति की खरीद के लिए अनुमत नहीं है। ञ्स्थावर संपत्ति’ अभिव्यक्ति में एकीकृत टाउनशिप विकास जैसा कि वित्त और उद्योग मंत्रालय, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, एसआईए (एफसी प्रभाग), प्रेस नोट 3 (2002 सिरीज़, दिनांक 04.01.2002) में परिभाषित, इसमें शामिल नहीं है।

i. गारंटी

बाह्य वाणिज्यिक उधार के संबंध में बैंक, वित्तीय संस्थाओं और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की गारंटी/ अतिाक्ति साखपत्र अथवा लेटर ऑफ कंफर्ट की अनुमति नहीं हैं।

ii. ज़मानत

उधारदाता/ आपूर्तिकर्ता की दी जाने वाली जमानत का विकल्प उधारकर्ता की ही चुनना है। परंतु अचल परिसंपत्तियों और वित्तीय प्रतिभूतियों, जैसे समुद्रपारीय उधारदाता के पक्ष में शेयर पर प्रभार का सृजन, क्रमश: मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.21/ आरबी-2000 के विनियम 8 और मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/ आरबी-2000 के विनियम 3 के अधीन होगा।

iii. बाह्य वाणिज्यिक उधार की आय को विदेशों में रखना

बाह्य वाणिज्यिक उधार की आय भारत में वास्तविक आवश्यकता न होने तक विदेश में रखी जाएगी।

iv. समयपूर्व भुगतान

100 मिलियन अमरीकी डॉलर तक बाह्य वाणिज्यिक उधार का समयपूर्व भुगतान भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के दिना अनुमत है बशर्ते कि ऋण पर लागू न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि का अनुपालन किया जाए।

v. मौज़ूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्त

कम लागत पर नया ऋण उगाह कर मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार के पुनर्वित्त पोषण की अनुमति है बशर्ते कि मूल ऋण की बकाया परिपक्वता को बनाए रखा जाए।

vi. ऋण चुकौती

सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी बाह्य वाणिज्यिक उधार दिशानिदेशों के अनुसार नामित ङ्राधिकृत व्यापारी (एडी) को मूल धन/ ब्याज तथा अन्य प्रभारों की किस्त भेजने की सामान्य अनुमति है।

i. प्रक्रिया

भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना ही, उधारकर्ता स्वत: अनुमोदित मार्ग के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक ऋण लेने के लिए मान्यता प्राप्त समुद्रपारीय उधारकर्ता के साथ करार कर सकता है। उधारकर्ता पैराग्राफ 2 (इ)(i) के अंतर्गत अपेक्षित रिपोर्ट करने की व्यवस्था का अनुपालन करने के लिए ध्यान रखें। उगाही गई बाह्य वाणिज्यिक उधार/ उसके उपयोग को बाह्य वाणिज्यिक उधार दिशानिदेशों और रिज़र्व विनियमावली/निदेश/ परिपत्रों के अनुसार सुनिश्चित करना संबंधित उधारकर्ता की ज़िम्मेदारी है।

(आ) अनुमोदन मार्ग

अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार के निम्नलिखित किस्म के प्रस्ताव शामिल होंगे।

i. पात्र उधारमर्ता

क. केवल संरचनात्मक अथवा निर्यात वित्त में कार्यरत वित्तीय संस्थाएं जैसे, आईडीएफसी, आईएलएफएस, ऊर्जा वित्त निगम, पॉवर ट्रेडिंग निगम, आईआरसीओएन, और एक्ज़िम बैंक के प्रस्तावों पर मामला दर मामला आधार पर विचार किया जाएगा।

ख. सरकार कं अनुमोदन से टेक्स्टाइल अथवा स्टील क्षेत्र की पुनर्रचना पैकेज के अंतर्गत सहभागी बैंक और वित्तीय संस्थाएं पैकेज में निवेश की सीमा तक और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विवेकपूर्ण मानदंडों के आधार पर निर्धारण के अनुसार अनुमत हैं। इस प्रयोजन के लिए अब तक लिया गया कोई भी बाह्य वाणिज्यिक उधार उनके हकदारी में से घटा दिया जाएगा।

ग. पैराग्राफ 2(अ)(iii)(क) और 2(अ)(iii)(ख) में उल्लिखित स्वत: अनुमोदित मार्ग सीमाओं और परिपक्वता अवधि के दायरे में न आने वाले मामले।

ii. मान्यता प्राप्त उधारदाता

उधारकर्ता अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त ॉााटतों जैसे (i) अंतरराष्ट्रीय बैंक, अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाज़ार, बहुपक्षीय वित्तीय संस्थाएं (जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्त कंपनी, एशियाई विकास बैंक, सीडीसी, आदि), (ii) निर्यात ऋण एजेंसियां और (iii) उपकरणों के आपूर्तिकर्ता, विदेशी सहयोगी और विदेशी इक्विटी धारकों से बाह्य वाणिज्यिक उधार ले सकते है।

iii. समग्र लागत सीमाएं

समग्र लागत सीमा में ब्याज दर, वादा फीस के सिवाय अन्य फीस और विदेशी मुद्रा के खर्चे, समयपूर्व चुकौती फीस और भारतीय रुपये में देय फीस शामिल हैं। परंतु कर भुगतान के लिए भारतीय रुपये में राशि रोक रखने का समग्र लागत की गणना मेंशामिल नहीं किया गया है।

बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए समग्र लागत सीमा समय-समय पर सूचित की जाएगी। निम्नलिखित सीमाएं तुरंत प्रभाव से लागू हैं और समीक्षा तक वैध रहेंगी।

न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि

छह माह तक के लाइबोर* से ऊपर समग्र लागू सीमा

तीन वर्ष और पांच वर्ष तक

200 आधार बिंदु

पांच वर्ष से अधिक

350 आधार बिंदु

* उधार के संबंधित मुद्रा अथवा लागू बेंचमार्क के लिए

iv. अंतिम उपयोग

(क) बाह्य वाणिज्यिक उधार की उगाही भारत में स्थावर संपत्ति क्षेत्र (जैसे, पुंजी माल का आयात, नयी परियोजनाएं, मौजूदा उत्पादन इकाइयों का आधुनिकीकरण/विस्तार) के लिए- औद्योगिक क्षेत्र जिसमें लघु और उध्यम दर्जे के उपक्रम और संरचनात्मक क्षेत्र में निवेश के लिए की जा सकती है। संरचनात्मक क्षेत्र की परिभाषा इस प्रकार की गई है - (i) ऊर्जा, (ii) दूरसंचार, (iii) रेलवे, (iv) पुल समेत सड़क, (v) पोर्ट, (vi) आद्योगिक पार्क और (vii) शहरी संरचना (जल आपूर्ति, स्वच्छता एवं जलमल परियोजना) ;

(ख)बाह्य वाणिज्यिक उधार की बाय का उपयोग विनिवेश प्रक्रिया के तहत शेयरों के प्रथम चरण में अभिग्रहण और दूसरे अनिवार्य चरण के अंतर्गत सरकार की विनिवेश कार्यक्रम के अंतर्गत सरकारी क्षेत्र की इकाइयों के शेयरों के सार्वजनिक प्रस्ताव के अंतर्गत खरीद के लिए अनुमत है।

(ग) पैराग्राफ 2(आ)(i)(क) और 2(आ)(i)(ख) के अंतर्गत पात्र बैंको और वित्तीय संस्थाओं के अलावा बाह्य वाणिज्यिक उधार की आय का उपयोग कंपनियों द्वारा उधार देने अथवा पूंजी बाजार में निवेश के लिए अनुमत नहीं है।

(घ) बाह्य वाणिज्यिक उधार की आय का उपयोग स्थावर संपत्ति की खरीद के लिए अनुमत नहीं है। ञ्स्थावर संपत्ति’अभिव्यक्ति में एकीकृत टाउनशिप विकास जैसा कि वित्त और उद्योग मंत्रालय, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, एसआईए (एफसी प्रभाग), प्रेस नोट 3 (2002 सिरीज़, दिनांक 04.01.2002) में दी गई परिभाषा के अनुसार, इसमें शामिल नहीं है।

iii. गारंटी

बाह्य वाणिज्यिक उधार के संबंध में बैंक, वित्तीय संस्थाओं और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की गारंटी/ अतिाक्ति साखपत्र अथवा लेटर ऑफ कंफर्ट की अनुमति नहीं हैं।

iv. ज़मानत

उधारदाता/ आपूर्तिकर्ता की दी जाने वाली जमानत का विकल्प उधारकर्ता की ही चुनना है। परंतु अचल परिसंपत्तियों और वित्तीय प्रतिभूतियों, जैसे समुद्रपारीय उधारदाता के पक्ष में शेयर पर प्रभार का सृजन, क्रमश: मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.21/ आरबी-2000 के विनियम 8 और मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/ आरबी-2000 के विनियम 3 के अधीन होगा।

v. बाह्य वाणिज्यिक उधार की आय को विदेशों में रखना

बाह्य वाणिज्यिक उधार की आय भारत में वास्तविक आवश्यकता न होने तक विदेश में रखी जाएगी।

vi. समयपूर्व भुगतान

100 मिलियन अमरीकी डॉलर तक बाह्य वाणिज्यिक उधार का समयपूर्व भुगतान भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के दिना अनुमत है बशर्ते कि ऋण पर लागू न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि का अनुपालन किया जाए।

vii. मौज़ूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार का पुनर्वित्त

कम लागत पर नया ऋण उगाह कर मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार के पुनर्वित्त पोषण की अनुमति है बशर्ते कि मूल ऋण की बकाया परिपक्वता को बनाए रखा जाए।

viii. ऋण चुकौती

सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी बाह्य वाणिज्यिक उधार दिशानिदेशों के अनुसार नामित ङ्राधिकृत व्यापारी (एडी) को मूल धन/ ब्याज तथा अन्य प्रभारों की किस्त भेजने की सामान्य अनुमति है।

iii. प्रक्रिया

आवदेक आवश्यक दस्तावेज़ के साथ फार्म ईसीबी (परिशिष्ट I में प्रारूप) में नामित प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से प्रभारी मुख्य महा प्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, बाह्य वाणिज्यिक उधार प्रभाग, मुंबई 400001 को भेजें।

iv. शक्ति प्रदत्त समिति

अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत आने वाले प्रस्तावों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक शक्ति प्रदत्त समिति गठित करेगा।

(इ) रिपोर्ट करने की व्यवस्था और जानकारी का प्रसार

i) रिपोर्ट करने की व्यवस्था

(क) प्रक्रिया को सरल बनाने के विचार से ऋण करार की प्रतिलिपि प्रस्तुत करना बंद कर दिया गया है।

(ख) उधारकर्ताओं से अपेक्षित हैं कि वे फार्म 83 (परिशिष्ट II में प्ररूप) में दो प्रतियां कंपनी सचिव अथवा सनदी लेखाकार द्वारा प्रमाणित कराके नामित प्राधिकृत व्यापारी के पास प्रस्तुत करें। नामित प्राधिकृत व्यापारी एक प्रतिलिपि निदेशक, भुगतान संतुलन सांख्यकीय प्रभाग, सांख्यकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, बांद्रा-कुर्ला संकुल, मुंबई 400051 को ऋण पंजीकरण क्रमांक प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत करे।

(ग) उधारकर्ता सांख्यकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक से ऋण पंजीकरण क्रमांक प्राप्त करने के बाद ही ऋण आहरित कर सकेंगे।

(घ) उधारकर्ता नामित प्राधिकृत व्यापारी द्वारा प्रमाणित ईसीबी-2 विवरणी (परिशिष्ट III में दिए गए प्रारूप) में मासिक आधार पर, विवरणी इस प्राकर भेजें कि वह सांख्यकीय विश्लेषण और कंप्यूटर सेवा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक को संबंधित माह की समाप्ति पर सात दिवस के भीतर मिल जाए।

ii) जानकारी का प्रसार

अधिक पारदर्शिता के लिए ऋणी का नाम, राशि, बाह्य वाणिज्यिक उधार का प्रयोजन और उसकी परिपक्वता के संबंध में जानकारी अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत अनुमोदन के अगले दिन और स्वत: अनुमोदित मार्ग के अंतर्गत मासिक आधार पर एक-एक महीने के अंतराल से, जिससे वह संबंधित है, भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर डाली जाएगी।

3. विदेशी मुद्रा परिवर्तनी बांड (एफसीसीबी)

बाह्य वाणिज्यिक उधार के लिए किए गए उदारीकरण विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों के संबंध में भी सभी प्रकार से लागू किए गए हैं।

4. मई 3, 2000 के विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 और मई 3, 2000 के विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए रहे है।

5. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति में उक्त संशोधन फरवरी 1, 2004 से प्रभावी होंगे। बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित ये अनुदेश पूर्ववर्ती अनुदेशों को अधिक्रमित करते है और उनकी समीक्षा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर की जाएगी।

6. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु की जानकारी अपने सभी ग्राहकों को दे दें।

7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं।

भवदीय

(एफ.आर. जोसेफ)
मुख्य महा प्रबंधक

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