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बाह्य वाणिज्यिक उधार

आरबीआइ/2005-06/197
ए पी(डीआइआर सिरीजॅ)परिपत्र सं.15

नवंबर 4, 2005

सेवा में
विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिकृत सभी बैंक
महोदया/महोदय,

बाह्य वाणिज्यिक उधार

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार से संबंधित पात्र उधारकर्ताओं और गारंटी, तत्काल साखपत्र, वचन पत्र अथवा लेटर ऑफ कंफर्ट जारी करने के बारे में अगस्त 1, 2005 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.5 के संलग्नक में पैराग्राफ 1(अ)(व)(क) और 1(ख)(ख्) की ओर आकर्षित किया जाता है।

2. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति को निम्नानुसार स्पष्ट/ आशोधित करने का निर्णय लिया गया है :

(i) वर्तमान में, भारतीय रिज़र्व बैंक अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत केवल संरचनात्मक अथवा निर्यात वित्त में कारबार करनेवाली वित्तीय संस्थाओं के बाह्य वाणिज्यिक उधार प्रस्तावों पर मामला दर मामला आधार पर विचार करता है। यह प्रथा जारी रहेगी। तथापि, यह स्पष्ट किया जाता है कि केवल संरचनात्मक क्षेत्र के कंपनियों/परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए प्रारंभ किए गए विशेष प्रयोजन माध्यम (स्पेशल परपस वेहिकल) अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित किसी अन्य संस्था को भी वित्तीय संस्था के रूप में माना जाएगा तथा ऐसी संस्थाओं के द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार पर मामला दर मामला आधार पर अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत विचार किया जाएगा।
(ii) मल्टी-फाइबर करार को चरणबद्ध रूप से हटाने (फेसिंग आउट) के बाद भारतीय टेक्सटाईल उद्योग में क्षमता विस्तार और प्रौद्योगिक उन्नयन को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से टेक्सटाईल कंपनियों द्वारा अपने टेक्सटाईल इकाई के आधुनिकीकरण अथवा विस्तारण के लिए उनके द्वारा बाह्य वाणिज्यिक उधार के संबंध में बैंकों को गारंटी, स्टैंड बाइ साखपत्र, वचनपत्र अथवा लेटर ऑफ कंफर्ट जारी करने की अनुमति दी जाएगी। ऐसे आवेदनों पर विवेकपूर्ण मानदण्डों के अधीन अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत विचार किया जाएगा।

3. संशोधित बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति तत्काल प्रभाव से लागू होगी। यह समीक्षा के अधीन है।

4. मई 3, 2000 के विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा उधार देना) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधित अलग से जारी किए जा रहे हैं।

5. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें।

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(विनय बैजल)

मुख्य महा प्रबंधक

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