बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी)
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 10 सितंबर 5, 2000 प्रति प्रिय महोदय, बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.10/2000-आरबी की ओर आकृष्ट किया जाता है । 2. बाह्य वाणिज्य उधारों के अनुमोदनों में ओर उदारीकरण लाने के उद्देश से सरकार ने दिनांक 1 सितंबर 2000 के प्रेस विज्ञाप्ति एफ सं. 4(32)-2000 ईसीबी द्वारा 50 दशलक्ष अमेरिकी डालर तक नये बाह्य वाणिज्य उधार अनुमोदनों के लिए स्वचलित मार्ग परिचालित करने और वर्तमान बाह्य वाणिज्य उधारों के सभी वित्तपोषण को तत्काल लागू करने का निर्णय लिया है । 3. तद्नुसार स्वचालित मार्ग व्यवस्था के अंतर्गत स्वामित्ववाली / साझेदारी संस्थाओं काट शामिल कंपनी अधिनियम, समितियाँ पंजीकरण अधिनियम, सहकारी समितियाँ अधिनियम के अधीन पंजीकृत कोई कानूनी सत्व अब से 50 दशलक्ष अमेरिकी डालर राशी तक जिसकी औसत परिपक्वता 3 वर्षों से कम नहीं है, के साथ नये बाह्य वाणिज्य उधार जुटाने के लिए विदेशी ऋणदाता (ओ) के साथ ऋण करार करने और वर्तमान किसी बाह्य वाणिज्य उधार पुनर्वित्त हेतु पात्र होंगे बशर्ते कि इस संबंध में वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा बनाये गये दिशानिर्देश का और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विनियमों /निदेशों /परिपत्रों का अनुपालन किया गया हो । कंपनी को यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए वे बाह्य वाणिज्य उधार निर्यात ऋण एजेंसियाँ, उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं, विदेशी सहयोगियों, विदेशी इक्विटी धारकों, अंतर्राष्ट्रीय पूँजी मार्केटों, प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बैंकों और वित्तीय संस्थाओं आदि जैसे अंतर्राष्ट्रीय रुपसे स्वीकार्य और /अथवा मान्यताप्राप्त ऋणदाता से जुटाया गया है । इसके अतिरिक्त ऋण का आयोजन मेजवान देश अर्थात अमेरिका, जापान, अमिरत संघ के देशों, सिंगापुर और भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किये गये अनुसार ऐसे अन्य देशों के नियंत्रकारी प्राधिकारियों के साथ पंजीकृत प्रतिष्ठित मर्चंट बैंकर के जरिए किया जाना चाहिए । ऋणदाताओं की अंतर्राष्ट्रीय वित्त प्रदान करने के प्रयोजन हेतु मेजवान देशों में पहचान और पंजीकरण किया जाना चाहिए । कंपनी को उसके पसंदिदा किसी प्राधिकृत व्यापारी के जरिए ऋण मरारनामा की तीन प्रतियाँ रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को उक्त पर ऋणदाता के साथ हस्ताक्षर करने के पश्चात प्रस्तुत करना होगा । रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा करारनामा के प्रतियों की प्राप्ति सूचना दी जायेगी और ऐसे करारनामा को ऋण पहचान संख्या का आबंटन किया जायेगा । यह सुनिश्चित करने की मुख्य जिम्मेदारी यह होगी कि जुटाये गये बाह्य वाणिज्य उधार दिशानिर्देशों के अनुरूप है ओर रिज़र्व बैंक विनियम / निदेश / परिपत्र संबंधित कंपनी के उनके लिए होंगे । तथापि यदि तद्उपरांत कोई उल्लंघन पाया गया हो तो रिज़र्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अधीन समुचित कार्रवाई की जाएगी । कंपनी को स्वचलित मार्ग क अंतर्गत रिज़र्व बैंक से बिना पुर्वानुमति आवश्यक आहरण द्वारा कमी करने की अनुमति भी दी जायेगी । तथापि प्राधिकृत व्यापारी के जरिए निर्धारित फार्मेट में तिमाही विवरणी प्रस्तुत किया जाना आवश्यक होगा । वित्त मंत्रालय (राजस्व विभाग /आर्थिक कार्य विभाग) भारत सरकार द्वारा प्रदान किये जानेवाले कर छूट को रोक रखना पूर्ववत बना रहेगा । 4. प्राधिकृत व्यापारियों को अब से बकाया बाह्य वाणिज्य उधारों (अर्थात संपूर्ण ऋण अथवा बाह्य वाणिज्य उधार के दौरान एक वर्ष तक अवशिष्ट परिपक्वता के साथ एक बार बकाया राशि का 10 प्रतिशत) के समयपूर्व भुगतान हेतु पुर्वानुमति प्राप्त करने के लिए सभी आवेदन पत्र मुख्य महा प्रबंधक, बाह्य वाणिज्य उधार प्रभाग विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केद्रीय कार्यालय, मुंबई 400 001 को भेजना आवश्यक होगा । 5. अस्थायी रुप से बाह्य वाणिज्य उधार आगमों को रखने, व्यवहार लंबित रखने के लिए विदेशी मुद्रा खाता खोलने के लिए रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय का पुर्वानुमोदन आवश्यक होगा । 6. उक्त संदर्भित फ्टमा अधिसूचनाओं मे संशोधनों को अलग से जारी किये जा रहे हैं । 7. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराएं । 8. इस परिपत्र में अंतर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम , 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गये है और इन निदेशों का किसी भी तरह से उल्लंघन किया जाना अथवा अनुपालन न किया जाना अधिनियम के अधीन निर्धारित जुर्माने से दंडनीय है । भवदीय (बी. महेश्वरन) |