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बाह्य वाणिज्य उधार(इसीबी) नीति -उदारीकरण

–्रज़्ख्र्ड्ढ–ख्र्×न्न्/2008-09/90 22 सितंबर 2008

आरबीआई/2008-09/343
एपी (डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं.46

2 जनवरी 2009

सभी श्रेणी-प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय

बाह्य वाणिज्य उधार(इसीबी) नीति -उदारीकरण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - 1 (ए.डी. श्रेणी - 1) बैंकों का ध्यान बाह्य वाणिज्य उधार (ईसीबी) से संबंधित 22 अक्तूबर 2008 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज)परिपत्र सं. 26 की ओर आकर्षित किया जाता है ।

2 समीक्षा के आधार पर बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के कुछ पहलुओं को निम्नवत् संशोधित करने का निर्णय लिया गया है ।

(i) वर्तमान बाह्य वाणिज्य उधार नीति के अनुसार, बाह्य वाणिज्य उधारों के लिए समग्र लागत सीमा स्वचालित और अनुमत दोनों मार्गों के संबंध में निम्नानुसार है :

औसत परिपक्वता अवधि

6 महीनों से ऊपर समग्र लागत सीमा*

तीन वर्ष और पांच वर्षों तक

300 आधार बिंदु

पांच वर्षों से अधिक

500 आधार बिंदु

* उधार की संबंधित मुद्रा अथवा लागू आधार के लिए

अब यह निर्णय लिया गया है कि 30 जून 2009 तक बाह्य वाणिज्य उधार पर समग्र-लागत सीमा की अपेक्षा को हटा दिया जाए । तदनुसार, उपर्युक्त निर्धारित समग्र- लागत अनुमत सीमा से ऊपर , बाह्य वाणिज्य उधार लेने का प्रस्ताव देने वाले पात्र उधारकर्ता , अनुमत मार्ग के तहत रिज़र्व बैंक से संपर्क कर सकते हैं । जून 2009 में समग्र-लागत सीमा में दी गयी इस रियायत की समीक्षा की जाएगी ।

(ii) मई 2007 में िभारतीय रिज़र्व बैंक ने बाह्य वाणिज्य उधार के अनुमत प्रयोजनपरक उपयोग के रुप में एकीकृत नगरीय विकास के लिए दी गयी छूट समाप्त कर दी थी । अब यह निर्णय लिया गया है कि डीआइपीपी, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 04 जनवरी 2002 को जारी प्रेस नोट 3(2002सिरीज) में यथा परिभाषित एकीकृत नगरीय विकास में लगी कंपनियों को अनुमत मार्ग के तहत बाह्य वाणिज्य उधार लेने के लिए अनुमति प्रदान की जाए ।उपर्युक्त में यथा परिभाषित एकीकृत नगरीय विकास में आवास, वाणिज्य परिसरों, होटलों, रिसॉर्टों, शहरों और क्षेत्रीय स्तर की शहरी बुनियादी सुविधाएं जैसे कि सड़कें पुल व्यापक द्रुतिगामी यातायात प्रणाली तथा भवन-निर्माण सामग्री आदि शामिल हैं । भूमि विकास और सम्बध्द बुनियादी सुविधाएं फॉर्म प्रदान करना नगर -रचना के विकास का समेकित भाग है । विकसित किया जानेवाला क्षेत्र कम से कम 100 एकड़ का होना चाहिए और स्थानीय उप-नियमों /नियमों के अंतर्गत नियत मापदण्डों और मानकों का पालन किया जाना चाहिए । ऐसे उप-नियमों/नियमों के न होने पर लगभग दस हजार जनसंख्या के लिए दो हजार आवास-इकाइयां विकसित करने की आवश्यकता होगी । इस नीति की 2009 में समीक्षा की जाएगी ।

(iii) वर्तमान बाह्य वाणिज्य उधार नीति के अनुसार, गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसीएस) को भारत में बुनियादी सुविधाओं से संबंधित परियोजनाओं को पट्टे पर देने के लिए बुनियादी उपकरणों के आयात के वित्त-पोषण के लिए पांच वर्षों की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि के लिए बाह्य वाणिज्य उधार लेने की अनुमति है ।अब यह निर्णय लिया गया है कि गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, जो केवल संरचना क्षेत्र के वित्त-पोषण में लगी हैं, को अनुमत-मार्ग के तहत संरचना क्षेत्र में उधारकर्ताओं को आगे उधार देने के लिए बहुपक्षीय / क्षेत्रीय वित्तीय संस्थाओं और सरकार के नियंत्रणाधीन विकास वित्तीय संस्थाओं से बाह्य वाणिज्य उधार लेने के लिए अनुमति दी जाए। आवेदनपत्रों पर विचार करते समय, भारतीय रिज़र्व बैंक इन उधारदाताओं की भारत में संरचना क्षेत्र में प्रत्यक्ष समस्त प्रतिबध्दता पर विचार करेगा । उपर्युक्त उधारदाताओं का प्रत्यक्ष उधार पोर्टफोलियो गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को उनके कुल बाह्य वाणिज्य उधार की तुलना में कभी भी 3:1 से कम नहीं होना चाहिए ।प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - 1 बैंकों को पात्र उधारकर्ताओं से इस आशय का प्रमाणपत्र लेना चाहिए । जून 2009 में इस सुविधा की समीक्षा की जाएगी ।

(iv) मौजूदा समय में, सेवा क्षेत्र की संस्थाओं अर्थात् होटलों, अस्पतालों, और सॉफ्टवेयर क्षेत्र को अनुमत मार्ग के तहत पूंजीगत माल की आयात के लिए प्रति वित्तीय वर्ष 100 मिलियन अमरीकी डॉलर तक बाह्य वाणिज्य उधार लेने की अनुमति है । अब यह निर्णय लिया गया है कि होटलों, अस्पतालों, और सॉफ्टवेयर क्षेत्र की कंपनियों को अनुमत प्रयोजनमूलक उपयोग के लिए विदेशी मुद्रा और / अथवा रुपया पूंजी व्यय हेतु स्व-चालित मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष 100 मिलियन अमरीकी डॉलर तक बाह्य वाणिज्य उधार लेने की अनुमति दी जाए ।भूमि अधिग्रहण के लिए,बाह्य वाणिज्य उधार की आय का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

3. बाह्य वाणिज्य उधार दिशा- निर्देशों में संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे । बाह्य वाणिज्य उधार नीति के सभी अन्य पहलू , जैसे स्वचालित मार्ग के तहत प्रति वित्तीय वर्ष प्रति कंपनी 500 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा, पात्र उधारकर्ता, मान्यताप्राप्त उधारदाता, अंतिम उपयोग, समग्र लागत सीमा, औसत परिपक्वता अवधि, पूर्वभुगतान, वर्तमान बाह्य वाणिज्य उधार का पुन:वित्तीयन और रिपोर्टिंग व्यवस्था यथावत् रहेंगी ।

4. 3 मई 2000 के विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा उधार लेना और देना) विनियम 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जाएंगे ।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - 1 बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी ग्राहकों को अवगत करा दें ।

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये है और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है ।

भवदीय

(डी. मिश्रा)
मुख्य महाप्रबंधक

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