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बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति- अंतिम-उपयोग संबंधी प्रावधानों को तर्कसंगत बनाना

भारिबैंक/2019-20/20
ए.पी. (डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 04

30 जुलाई 2019

सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/ महोदय,

बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति- अंतिम-उपयोग संबंधी प्रावधानों को तर्कसंगत बनाना

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (एडी श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान उपर्युक्त विषय पर दिनांक 26 मार्च 2019 के मास्टर निदेश सं. 5 के पैराग्राफ 2.1.(v) तथा 2.1.(viii) की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार अन्य बातों के साथ-साथ विदेशी इक्विटि धारक से 5 वर्ष की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि हेतु लिए गए बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) को छोड़कर ईसीबी से प्राप्त आय को कार्यशील पूंजी के प्रयोजनों, सामान्य कॉर्पोरेट प्रयोजनों तथा रुपया ऋणों की चुकौती के लिए उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। साथ ही ईसीबी से प्राप्त आय में से इन कार्यकलापों के लिए आगे उधार देना भी प्रतिबंधित है ।

2. हित धारकों से प्राप्त प्रतिक्रिया (फीड-बैक) के आधार पर तथा ईसीबी ढांचे को और अधिक उदारीकृत बनाने की दृष्टि से भारत सरकार के साथ परामर्श करते यह निर्णय लिया गया है कि अंतिम–प्रयोग प्रतिबंधों को शिथिल किया जाए। तदनुसार पात्र उधारकर्ताओं को भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं/ समुद्रपारीय अनुषंगी कंपनियों को छोड़कर पूर्वोक्त निदेश के पैराग्राफ 2.2 के अधीन मान्यताप्राप्त उधारदाताओं से निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए ईसीबी जुटाने की अनुमति दी जाएगी:

  1. कार्यशील पूंजी तथा सामान्य कॉर्पोरेट प्रयोजन से न्यूनतम 10 वर्ष की औसत परिपक्वता अवधि वाले बाह्य वाणिज्यिक उधार। उपर्युक्त प्रयोजनों के लिए आगे उधार देने हेतु एनबीएफ़सी द्वारा लिए गए उपर्युक्त परिपक्वता के उधार भी अनुमत हैं।

  2. पात्र उधारकर्ता उनके द्वारा पूंजीगत व्यय के लिए घरेलू रूप से लिए गए रुपया ऋण की चुकौती के लिए तथा उसी प्रयोजन के लिए आगे उधार देने हेतु एनबीएफ़सी भी 07 वर्ष की न्यूनतम परिपक्वता अवधि वाली ईसीबी ले सकते हैं। पूंजीगत व्यय से अन्य प्रयोजनों तथा उन्हीं प्रयोजनों के लिए आगे उधार देने के लिए एनबीएफ़सी द्वारा घरेलू तौर पर लिए गए रुपया ऋणों की चुकौती के लिए ईसीबी की न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि 10 वर्ष होनी चाहिए।

  3. यह निर्णय लिया गया है कि विनिर्माण तथा इनफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में पूंजीगत व्यय के लिए घरेलू रूप से लिए गए रुपया ऋणों, जिन्हें एसएमए-2 अथवा अनर्जक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है, की चुकौती के लिए पात्र कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं को उधारदाताओं से किसी एकबारगी निपटान के अंतर्गत ईसीबी का लाभ उठाने की अनुमती दी जाए। उधारदाता बैंकों को समनुदेशन के माध्यम से ऐसे ऋण भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं/ समुद्रपारीय अनुषंगी कंपनियों को छोड़कर पात्र ईसीबी उधारदाताओं को बेचने की भी अनुमति है बशर्ते परिणामी बाह्य वाणिज्यिक उधार, समग्र लागत, न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि तथा ईसीबी ढांचे के अन्य संबंधित मानदंडों का अनुपालन करता हो।

3. उपर्युक्त अंतिम-उपयोग के लिए निर्धारित न्यूनतम औसत परिपक्वता संबंधी प्रावधान का सभी परिस्थितियों में कड़ाई से अनुपालन किया जाए।

4. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति से संबंधित अन्य सभी प्रावधान अपरिवर्तित बने रहेंगे। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।

5. इनपरिवर्तनों को दर्शाने के लिए दिनांक 26 मार्च 2019 के मास्टर निदेश सं॰ 5 के संबंधित पैराग्राफ को तदनुसार अद्यतन किया जा रहा है ।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(2) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गये हैं।

भवदीय

(अजय कुमार मिश्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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