बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति में उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति में उदारीकरण
आरबीआई/2007-08/339
ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.43
29 मई 2008
श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंक
नहोदया/महोदय
बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति में उदारीकरण
श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान , बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति से संबंधित 1अगस्त 2005 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.5, 21 मई 2007 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.60और 7अगस्त 2007 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.4 की ओर आकर्षित किया जाता है ।
2 समीक्षा के आधार पर बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के कुछ पहलुओं को निम्नवत् संशोधित करने का निर्णय लिया गया है ।
(क) मौजूदा समय में, स्वीकार्य अंतिम उपयोग के लिए भारतीय रुपये में व्यय हेतु 20 मिलियन अमरीकी डालर तक के बाह्य वाणिज्यिक उधारों के प्रस्ताव देते समय अनुमोदन मार्ग के तहत भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्व अनुमति प्राप्त करना अपेक्षित है ।यह निर्णय लिया गया है कि , इसके बाद से
(i) संरचनात्मक क्षेत्र में उधारकर्ता अनुमोदन मार्ग के तहत अंतिम उपयोग के लिए स्वीकार्य भारतीय रुपये में व्यय हेतु 100 मिलियन अमरीकी डालर तक के बाह्य वाणिज्यिक उधार ले सकते हैं।
(ii) अन्य उधारकर्ताओं के मामले में अनुमोदन मार्ग के तहत , स्वीकार्य अंतिम उपयोग के लिए भारतीय रुपये में व्यय हेतु बाह्य वाणिज्यिक उधारों की 20 मिलियन अमरीकी डालर की सीमा को बढ़ाकर 50 मिलियन अमरीकी डालर कर दिया गया है ।
(ख)समग्र-लागत से संबंधित सीमायें निम्नवत् संशोधित कर दी गई हैं।
औसतन परिपक्वता अवधि |
6 माह से ऊपर के लिए लंदन-अंतर-बैंक प्रस्तावित दर * |
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वर्तमान |
पुनरीक्षित |
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तीन वर्ष से अधिक और 5 वर्ष तक |
150 आधार अंक |
200 आधार अंक |
5 वर्ष से अधिक |
250 आधार अंक |
350 आधार अंक |
* अपनी-अपनी संबंधित करेंसी ऑफ क्रेडिट अथवा लागू बेंचमार्क के लिए
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बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के उपर्युक्त परिवर्तन स्वत: अनुमोदित और अनुमोदित मार्ग दोनों के लिए लागू होंगे ।
3. बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के दिशा-निर्देशों के संशोधन तत्काल प्रभाव से लागू होंगे । बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति के अन्य पहलू जैसे कि अनुमोदित मार्ग के अंतर्गत प्रति कंपनी के लिए 500 मिलियन अमरीकी डालर की वार्षिक सीमा , पात्र उधारकर्ता , मान्यता प्राप्त उधारदाता, पूँजीगत माल तथा विदेशी निवेशों के लिए विदेशी मुद्रा व्यय का अंतिम उपयोग औसतन परिपक्वता अवधि, पूर्व चुकौती , वर्तमान बाह्य वाणिज्यिक उधार तथा सूचना देने की व्यवस्था आदि अपरिवर्तित रहेंगे।
4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (उधार लेना अथवा विदेशी मुद्रा में उधार देना) विनियमावली , 3 मई 2000 में किये गये आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जा रहे हैं।
5. श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) बैंक , कृपया इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने सभी संघटकों तथा ग्राहकों को अवगत करा दें।
6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए ं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक