अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों तथा निवासियों को सुविधाएं - आरबीआई - Reserve Bank of India
अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों तथा निवासियों को सुविधाएं
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं. 01 02 जुलाई 2002 { 2001-02 के लिए अंतिम परिपत्र ए.पी.(डीईआर सिरीज़) परिपज्ञ सं.54 है } सेवा में विदेशी मुद्रा के समस्त प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों तथा निवासियों को सुविधाएं जैसा कि सभी प्राधिकृत व्यापारी जानते हैं कि 03 मई 2000 की अधिसूचना स. फेमा 5/2000-आरबी के पैराग्राफ 4 की अनुसूची 3 के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमति बिना निवासी साधारण खाते में स्थित शेषराशि भारत से बाहर विप्रेषित करने के लिए पात्र नहीं है। 2. विदेशी मुद्रा नियंत्रण विनियमावली को और उदारीकृत करने तथा अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों को अतिरिक्त सुविधाएं उपलब्ध कराने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि अब से प्राधिकृत व्यापारी निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए अनिवासी भारतीयों/ भारतीय मूल के व्यक्तियों को उनके निवासी साधारण खाते में स्थित शेषराशि में से निधि प्रत्यावर्तित करने की सुविधा प्रदान करें: (i) उनके बच्चों के शिक्षा से संबंधित व्यय पूरा करने के लिए प्रति शैक्षिक वर्ष 30,000 अमरीकी डालर तक; (ii) खातेधारक अथवा उसके परिवार के सदस्यों का विदेश में चिकित्सा व्यय पूरा करने के लिए 1,00,000 अमरीकी डालर तक; और (iii) 10 वर्हों से कम अवधि के लिए उनके पास धारित अचल सम्पत्ति की विक्री आय प्रति वर्ष 1,00,000 अमरीकी डालर तक, बशर्ते, लागू आयकर का भुगतान किया गया हो। 3. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं। 4. इस परिपत्र में समाहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11 (1) के अधीन जारी किए गए हैं। भवदीया ( ग्रेस कोशी ) |