फेमा 1999 - अनिवासी भारतीयों को रुपया ऋण की मंजूरी - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
फेमा 1999 - अनिवासी भारतीयों को रुपया ऋण की मंजूरी - उदारीकरण
आर.बी.आइ/2004/55 एपी(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 69 12 फरवरी 2004 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय फेमा 1999 - अनिवासी भारतीयों को मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.4/2000 आरबी-द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपया में ऋण लेना और देना) विनियमावली, 2000 के प्रावधानों के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारियों को अनिवासी भारतीयों को रुपये में ऋण (i) भारत में धारित शेयरों अथवा अचल संपत्ति की ज़मानत पर निजी अथवा कारोबार के प्रयोजन (विनियम 7) और (ii) भारत में आवासीय स्थान के रूप में अभिगृहीत किए जाने वाले घरों/ फलैटों की जमानत पर गृह ऋण (विनियम 8), देने की अनुमति है। 2. हमें, अनिवासी भारतीयों को विनिर्दिष्ट रूप से प्रतिबंध प्रयोजनों के सिवाय स्वीकार्य प्रतिभूति पर रुपया ऋण देने के लिए अनुमोदन प्रदान करने हेतु विभिन्न प्राधिकृत व्यापारियों से अभ्यावेदन प्राप्त होते रहे हैं। 3. समीक्षा करने पर निर्णय किया गया है कि प्राधिकृत व्यापारियों को अनिवासी भारतीयों को रुपया ऋण देने के लिए, बैंक के निदेशक मंडल द्वारा बनाई गई नीति के अंतर्गत, नीचे पैरा 4 में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों से भिन्न के लिए अनुमति दी जाए। ऋण की चुकौती अनिवासी उधारकर्ता के एनआरई/ एफसीएनआर/ एनआरओ खाते में नामे द्वारा अथवा उधारकर्ता के आवक प्रेषणों में से किया जाए। ऋण की प्रमात्रा, ब्याज दर, मार्जिन आदि का निर्णय प्राधिकृत व्यापारी इस मामले में बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग द्वारा जारी संगत निदेशों के आधार पर किया जा सकता है। 4. प्राधिकृत व्यापारी सुनिश्चित करें कि प्रस्तावित रुपया ऋण निम्नलिखित में से किसी भी कार्यकलाप के लिए उपयोग में न लाया जाए : 5. मई 3, 2000 की फेमा.4/2000 आरबी-द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपये में उधार लेना और देना) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे है। 7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय ग्रेस कोशी |