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बैंकिंग सेवाओं के विस्तार द्वारा वित्तीय समावेशन - व्यवसाय प्रतिनिधियों (बीसी) का उपयोग

आरबीआइ/2009-2010/238
बैंपविवि. सं. बीएल. बीसी. 63 /22.01.009/2009-2010

30 नवंबर 2009
8 अग्रहायण 1931 (शक)

सभी वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा स्थानीय क्षेत्र बैंक सहित)

महोदय

बैंकिंग सेवाओं के विस्तार द्वारा वित्तीय समावेशन -
व्यवसाय प्रतिनिधियों (बीसी) का उपयोग

वर्ष 2009-10 के वार्षिक नीति वक्तव्य में की गयी घोषणा के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक ने व्यवसाय प्रतिनिधि (बीसी) मॉडल के अब तक के अनुभवों की जाँच करने तथा विनियामक और पर्यवेक्षीय ढाँचे और उपभोक्ता सुरक्षा संबंधी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में काम करने वाले व्यक्तियों के संवर्ग को विस्तृत करने के उपाय सुझाने के लिए एक कार्यदल का गठन किया था। कार्यदल ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है जिसे 19 अगस्त 2009 को बैंक के वेबसाइट पर प्रदर्शित किया गया है । भारतीय रिज़र्व बैंक ने उसके बाद कार्यदल की सिफारिशों को थोड़े संशोधनों के साथ स्वीकार कर लिया है । अत:, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अनुबंध में दी गयी कार्यदल की विभिन्न सिफारिशों को कार्यान्वित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें ।

2. बैंकों को यह अनुमति दी जाती है कि वर्तमान में अनुमति प्राप्त हस्तियों (एन्टिटीज) के अलावा निम्नलिखित हस्तियों (एन्टिटीज) को व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त करने की अनुमति दी जाती हैं : (i) ऐसे व्यक्ति जो किराना/मेडिकल/उचित मूल्य दुकानदार हैं (ii) ऐसे व्यक्ति जो पब्लिक का-कॉल आफिस (पीसीओ) ऑपरेटर हैं (iii) भारत सरकार/बीमा कंपनियों की लघु बचत योजनाओं के एजेंट (iv) ऐसे व्यक्ति जो पेट्रोल पम्प के स्वामी हैं (v) सेवानिवृत्त शिक्षक और (vi) बैंकों से संबद्ध सुसंचालित स्वयं-सहायता समूहों के प्राधिकृत कार्यकर्ता ।

3. बीसी मॉडल की अर्थक्षमता सुनिश्चित करने के लिए बैंकों को (बीसी को नहीं) अनुमति दी जाती है कि वे एक बोर्ड अनुमोदित नीति के तहत पारदर्शी तरीके से ग्राहक से तर्कसंगत सेवा प्रभार वसूल कर सकते हैं । बीसी मॉडल के माध्यम से जिन ग्राहकों को बैंकिंग सेवा दी जा रही है उनके प्रोफाइल को देखते हुए बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बीसी मॉडल के माध्यम से बैंकिंग सेवा प्रदान करने के लिए ग्राहक से जो सेवा प्रभार /शुल्क वसूला जाता है, वह न केवल उचित और तर्कसंगत है, बल्कि उचित और तर्कसंगत दिखता भी है । इस संबंध में, बोर्ड अनुमोदित नीति की एक प्रतिलिपि हमें (अनुसूचित वाणिज्य बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों के मामले में प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, केंद्रीय कार्यालय, विश्व व्यापार केंद्र, केंद्र -1, कफ परेड, कोलाबा, मुंबई 400005 को तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के मामले में मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग, केद्रीय कार्यालय, केंद्रीय कार्यालय भवन, 10वीं मंज़िल, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई - 400001 को) भेजें । बैंकों को विशेष रूप से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ग्राहक यह शिकायत नहीं करते हैं कि सेवा प्रभार/शुल्क अपारदर्शी /अतार्किक हैं । बैंक इस संबंध में यदि कोई अनुचित प्रथा अपनाते हैं तो भारतीय रिज़र्व बैंक इसे गम्भीरता से लेगा ।

4. उपर्युक्त हस्तियों (एन्टिटीज) को शामिल करने के साथ ऐसा अनुमान है कि बीसी के वर्तमान समुदाय में काफी वृद्धि होगी । इसमें निहित परिचालनगत जोखिम और अन्य जोखिमों को ध्यान में रखते हुए, बैंक यह सुनिश्चित करें कि बीसी के रूप में नियुक्त किये जाने वाले व्यक्तियों के मामले में उचित सतर्कता बरती जाती है तथा एजेंसी जोखिम को कम-से-कम रखने के लिए समुचित अतिरिक्त सुरक्षा उपाय स्थापित किये जाते हैं । समुचित अधिप्रमाणन सुनिश्चित करने वाले सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आइसीटी) समाधान तथा अन्य सुरक्षा उपाय अपनाये जाने चाहिए ताकि पहले सूचित किये गये मॉडल को उन्नत करने में जोखिम कम-से-कम हो । इसके साथ-साथ, बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उपर्युक्त हस्तियों (एन्टिटीज) को बीसी के रूप में नियुक्त करते समय इस बुनियादी सिद्धांत का अनुपालन होता है कि संबद्ध व्यक्ति उसी क्षेत्र के निवासी हैं जिस क्षेत्र में वे बीसी के रूप में कारोबार करना चाहते हैं ।

5. जहाँ तक पूर्वोत्तर क्षेत्र का संबंध है, यह निर्णय लिया गया है कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में बीसी के रूप में नियुक्त किये जाने वाले हस्तियों (एन्टिटीज) के संबंध में पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए वित्तीय क्षेत्र योजना समिति (सी एफ एस टी) - (अघ्यक्ष : श्रीमती उषा थोरात) द्वारा की गयी सिफारिशों को कार्यान्वित किया जाए । अत:, यदि किसी बैंक द्वारा समुचित छानबीन के बाद ऐसे स्थानीय संगठन/संघ को व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव किया जाता है, जो रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों में सूचीबद्ध किसी भी प्रकार के संगठन के अंतर्गत नहीं आता है, तथा जिसे डीसीसी व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में अनुमोदित करने के लिए सिफारिश करती है तो रिज़र्व बैंक का क्षेत्रीय कार्यालय ऐसे संगठन/संघ को बीसी के रूप में नियुक्त करने के लिए रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों से समुचित छूट प्रदान करने पर विचार कर सकता है । अत:, बैंक इस उद्देश्य से गुवाहाटी में रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक से संपर्क कर सकते हैं ।

6. इसके अलावा, बैंकों को यह भी अनुमति दी गयी है कि वे उपयुक्त और पर्याप्त सुरक्षा उपाय के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र के व्यवसाय प्रतिनिधियों को लेनदेन की तारीख से दूसरे कार्य दिवस के अंत तक बैंक बहियों में उक्त लेनदेन की प्रविष्टि करने की अनुमति दें ।

7. बीसी के कारोबार के स्थान और आधार शाखा के बीच अधिकतम दूरी से संबंधित मानदंड में छूट के लिए डीसीसी के पास जो मामले भेजे गये हैं, उनमें डीसीसी को यथाशीघ्र तथा किसी भी हालत में उनको भेजे गये मामले की तारीख से तीन महीने के भीतर निर्णय देना चाहिए । यदि इस अवधि के भीतर डीसीसी द्वारा किसी निर्णय की सूचना नहीं दी जाती है तो बैंकों को अनुमति दी जाती है कि वे यह मानें कि दूरी मानदंडों में छूट हेतु ‘कोई आपत्ति नहीं’ है ।

भवदीय

(पी. विजय भास्कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

संलग्न : यथोक्त


अनुबंध

व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल की समीक्षा हेतु कार्यदल की सिफारिशों के आधार पर बैंकों द्वारा की जानेवाली कार्रवाई

कंम.सं

कार्यदल की सिफारिशें

बैंकों द्वारा की जानेवाली कार्रवाई

1

व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल की क्षमता को पूरी तरह साकार करना

सही प्रेरणा देने पर, व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल में देश में वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया में तीव्रता लाने और जनसंख्या के बड़े हिस्से को बैंकिंग परिधि में लाने की क्षमता है। कार्यदल ने इस तथ्य को माना है कि वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया के तीन महत्वपूर्ण पहलू हैं (क) बैंकिंग बाजारों तक पहुंच (ख) ऋण बाजारों तक पहुंच और (ग) वित्तीय शिक्षण। अत: वित्तीय समावेशन के मुद्दे पर परिपूर्ण रूप से कार्रवाई करने के लिए व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल के उपर्युक्त तीनों पहलुओं में से प्रत्येक पर ध्यान देना होगा। मॉडल की पूर्ण सार्थकता केवल ’नो-फ्रिल’ खाते खोलना ही नहीं बल्कि उपर्युक्त तीनों पहलुओं को समन्वित करते हुए उन्हें मॉडल का अभिन्न अंग बनाना है। इस उद्देश्य के लिए सभी स्टेक धारकों, विशेषकर बैंकों में व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल की समुचित समझ और सराहना होनी चाहिए। बैंकों को चाहिए कि वे ’शाखा-विहीन’ व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल अपनाने से होने वाले लाभों को सराहें तथा इसे मिशनरी उत्साह के साथ कार्यान्वित करें ताकि वित्तीय समावेशन के चरम लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। (पैराग्राफ 3.20)

बैंक, बैंकिंग सेवाओं को अत्यधिक व्यापक बनाने के लिए व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल को कार्यान्वित करें।

2

नकदी का रख-रखाव

बैंक जहां कहीं आवश्यक हो नकद प्रबंधन को सुचारु बनाने के लिए ’कैश रूट’ (एक दूसरे के नजदीकी विभिन्न व्यवसाय प्रतिनिधियों को एक आधार शाखा से जोड़ना) तथा मार्गस्थ नकदी बीमा, जो बैंकों द्वारा वहन किया जाएगा, अपनाने पर विचार कर सकते हैं।(पैराग्राफ 3.22)

नकद प्रबंधन को सुचारु बनाने के लिए बैंक ’कैश रूट’ (एक दूसरे के नजदीकी विभिन्न व्यवसाय प्रतिनिधियों को एक आधार शाखा से जोड़ना) तथा मार्गस्थ नकदी बीमा अपनाने पर विचार करें।

3

वित्तीय शिक्षण तथा उपभोक्ता सुरक्षा

(i) बैंकों द्वारा, बैंकिंग की आदत से होने वाले लाभों के संबंध में ग्राहकों को उनकी क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा प्रदान करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों में पर्याप्त वृद्धि करने की आवश्यकता है। इस प्रयोजन हेतु नाबार्ड की वित्तीय समावेशन निधि से आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करने पर विचार किया जा सकता है।(पैराग्राफ 3.23)

(i) बैंक, बैंकिंग की आदत से होने वाले लाभों के संबंध में ग्राहकों को उनकी क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा प्रदान करने के अपने प्रयासों में पर्याप्त रूप से वृद्धि कर सकते हैं।

 

(ii) बैंकों द्वारा नियुक्त व्यवसाय प्रतिनिधियों से संबंधित सूचना बैंकों की वेबसाइटों पर डाली जाए। बैंकों की वार्षिक रिपोर्टों में भी व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल के ज़रिए प्रदान की गई सेवाओं में प्रगति और बैंकों द्वारा इस संबंध में किए गए प्रयासों का उल्लेख होना चाहिए। बैंक व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल के कार्यान्वयन के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रिंट तथा इलेक्ट्रानिक मिडिया का (क्षेत्रीय भाषा सहित) उपयोग कर सकते हैं।(पैराग्राफ 3.24)

(ii) बैंकों द्वारा नियुक्त व्यवसाय प्रतिनिधियों से संबंधित सूचना संबंधित बैंक की वेबसाइट पर डाल सकते हैं। बैंकों की वार्षिक रिपोर्टों में भी व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल के ज़रिए प्रदान की गई सेवाओं में प्रगति और बैंकों द्वारा इस संबंध में किए गए प्रयासों का उल्लेख कर सकते हैं। बैंक व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल के कार्यान्वयन के बारे में व्यापक प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रिंट तथा इलेक्ट्रानिक मिडिया का (क्षेत्रीय भाषा सहित) उपयोग कर सकते हैं।

 

(iii) बैंक अपने ग्राहकों को व्यवसाय प्रतिनिधि के कार्य तथा ग्राहकों के प्रति उनके दायित्व के बारे में विभिन्न माध्यमों - प्रिंट, इलेक्ट्रानिक माध्यम इत्यादि से क्षेत्रीय भाषा में जानकारी दे सकते हैं।(पैराग्राफ 3.25)

(iii) बैंक अपने ग्राहकों को व्यवसाय प्रतिनिधि के कार्य तथा ग्राहकों के प्रति उनके दायित्व के बारे में विभिन्न माध्यमों - प्रिंट, इलेक्ट्रानिक माध्यम इत्यादि से क्षेत्रीय भाषा में जानकारी दें सकते हैं।

 

(iv) बैंकों को व्यवसाय प्रतिनिधि के पास ग्राहकों से संबंधित सूचना की सुरक्षा तथा गोपनीयता की परिरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए ।(पैराग्राफ 3.26)

(iv) बैंक, व्यवसाय प्रतिनिधियों के पास ग्राहकों से संबंधित सूचना की सुरक्षा तथा गोपनीयता की परिरक्षा सुनिश्चित करें।

 

(v) बैंक एक उचित शिकायत निवारण प्रणाली अपना सकते हैं, जिसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए तथा जिसे पब्लिक डोमेन में भी रखा जाए। शिकायत निवारणकर्ता अधिकारी के ब्यौरे व्यवसाय प्रतिनिधि के परिसर में तथा आधार शाखा में भी प्रदर्शित किए जाएं और ग्राहकों के अनुरोध पर उन्हें शाखा/व्यवसाय प्रतिनिधि द्वारा उपलब्ध कराया जाना चाहिए।(पैराग्राफ 3.27)

(v) बैंक एक उचित शिकायत निवारण प्रणाली अपनाएं, जिसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए तथा जिसे पब्लिक डोमेन में भी रखा जाए। शिकायत निवारणकर्ता अधिकारी के ब्यौरे व्यवसाय प्रतिनिधि के परिसर में तथा आधार शाखा में भी प्रदर्शित किए जाएं और ग्राहकों के अनुरोध पर उन्हें शाखा/व्यवसाय प्रतिनिधि द्वारा उपलब्ध कराया जाए।

4

व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल की अर्थक्षमता सुनिश्चित करना

(i) व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल तभी सफल हो सकता है जब बैंक व्यवसाय प्रतिनिधि को अपने एजेंट की तरह समझें। बैंकों द्वारा व्यवसाय प्रतिनिधि की पारिश्रमिक संरचना पर पुन: ध्यान देने की आवश्यकता है।(पैराग्राफ 3.28)

(i) बैंक व्यवसाय प्रतिनिधि की पारिश्रमिक संरचना पर पुन: ध्यान दें सकते हैं ताकि बैंकिंग को व्यापक बनाने के लिए व्यवसाय प्रतिनिधि योजना का प्रभावी उपयोग किया जा सके।

 

(ii) व्यवसाय प्रतिनिधि द्वारा प्रदान की जानेवाली सेवाओं के दायरे में छोटे बचत, व्यष्टि ऋण, व्यष्टि बीमा, कम मूल्य के विप्रेषण इत्यादि शामिल किये जाने चाहिए।(पैराग्राफ 3.29)

(ii) बैंक, व्यवसाय प्रतिनिधि द्वारा प्रदान की जानेवाली सेवाओं के दायरे में छोटे बचत, व्यष्टि ऋण, व्यष्टि बीमा, कम मूल्य के विप्रेषण इत्यादि शामिल कर सकते हैं।

 

(iii) बैंकों को व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल के ज़रिए प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए ग्राहकों से पारदर्शी रूप से तर्कसंगत सेवा प्रभार प्राप्त करने की अनुमति दी जा सकती है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा, विशेषकर इन सेवाओं का उपयोग करने वाले ग्राहकों के प्रोफाइल को ध्यान में रखकर इस संबंध में उचित दिशानिर्देश जारी किए जाएं ।  (पैराग्राफ 3.30)

कृपया परिपत्र का पैराग्राफ 3 देखें।

 

(iv) बैंक व्यवसाय प्रतिनिधियों के प्रारंभिक व्यवसाय को व्यवस्थित करने में आने वाले खर्च को वहन करें तथा कम-से-कम व्यवसाय के प्रारंभिक चरणों में व्यवसाय प्रतिनिधियों को पर्याप्त सहायता प्रदान कर सकते हैं । यह भी आवश्यक है कि बैंक व्यवसाय प्रतिनिधियों द्वारा नकदी ले जाने और ले आने के दौरान मार्गस्थ बीमा से जुड़े खर्च को वहन करें । (पैराग्राफ 3.31)

(v) व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल की अर्थक्षमता में सुधार लाने के लिए बैंक व्यवसाय प्रतिनिधियों को बिना ब्याज प्रभार के समुचित अस्थायी ओवरड्राफ्ट की सुविधा प्रदान करने पर विचार कर सकते हैं । (पैराग्राफ 3.32)

(iv) बैंक व्यवसाय प्रतिनिधियों के प्रारंभिक व्यवसाय को व्यवस्थित करने पर होने वाले खर्च और अन्य खर्चों को वहन करने पर विचार कर सकते हैं तथा कम-से-कम व्यवसाय के प्रारंभिक चरणों में व्यवसाय प्रतिनिधियों को पर्याप्त सहायता प्रदान कर सकते हैं ।

(v) बैंक व्यवसाय प्रतिनिधियों को समुचित अस्थायी ओवरड्राफ्ट सुविधा प्रदान करने पर विचार कर सकते हैं ।

5

जोखिम कम करने के उपाय

व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल के जरिए बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने के साथ जुड़े विभिन्न जोखिमों का निराकरण करने के लिए बैंकों के लिए जरूरी है कि वे जोखिम कम करने के समुचित और पर्याप्त उपाय करें । इसके अतिरिक्त, बैंक व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल को लागू करते समय भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 3 नवंबर 2006 को जारी ‘वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग’ विषयक संबंधित दिशानिर्देशों में निहित अनुदेशों का पालन करें । (पैराग्राफ 3.35)

बैंक व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल के जरिए बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने के साथ जुड़े विभिन्न जोखिमों का निराकरण करने के लिए जोखिम कम करने के समुचित और पर्याप्त उपाय करें । बैंक व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल को लागू करते समय भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 3 नवंबर 2006 को जारी ‘वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग’ विषयक संबंधित दिशानिर्देशों में निहित अनुदेशों का पालन करें ।

6

समुचित प्रौद्योगिकी का वरण

बैंक व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल को लागू करते समय भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ‘समुचित प्रौद्योगिकी अपनाए जाने’ पर जारी दिशानिर्देशों का पालन करें। (पैराग्राफ 3.37)

बैंक व्यवसाय प्रतिनिधि मॉडल को लागू करते समय समुचित प्रौद्योगिकी अपनाए जाने पर भारतीय रिज़र्व बैंक के 7 मई 2007 के परिपत्र डीबीओडी. सं. एलईजी. बीसी./94/09.07.005/2006-07 में निहित दिशानिर्देशों का पालन करें।

7

व्यवसाय प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण

व्यवसाय प्रतिनिधियों को उचित व्यवहारगत दृष्टिकोण तथा कौशल प्रदान करने के लिए बैंक स्थानीय भाषाओं में प्रशिक्षण के माड्युल भी विकसित करें । भारतीय बैंकिंग और वित्त संस्थान (आईआईबीएफ) ने व्यवसाय प्रतिनिधियों के लिए पहले ही उपयुक्त प्रशिक्षण माड्युल विकसित कर लिया है ।

इन माड्युलों का अनुवाद क्षेत्रीय भाषाओं में किया जाए और उनका व्यापक उपयोग किया जाए ताकि उन्हें बड़े जनसमूह तक पहुँचाया जा सकें । (पैराग्राफ 3.38)

व्यवसाय प्रतिनिधियों को उचित व्यवहारगत दृष्टिकोण तथा कौशल प्रदान करने के लिए बैंक स्थानीय भाषाओं में उपयुक्त प्रशिक्षण मॉड्युल विकसित करें ।

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