प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) तथा संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) का वित्तपोषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) तथा संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) का वित्तपोषण
आरबीआई/2010-11/556 2 जून 2011 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया / महोदय प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) मौद्रिक नीति 2011-12 में घोषित किए गए अनुसार (पैरा 100 - सलंग्न) शहरी सहकारी बैंकों के आउटरीच को बढाने तथा वित्तीय समावेशन को बढावा देने हेतु एक अतिरिक्त चैनल खोलने की दृष्टि से स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह को उधार देने के लिए अनुमति देने का निर्णय लिया गया है । शहरी सहकारी बैंक इस प्रकार की गतिविधि शुरू करने से पहले अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से इस संदर्भ अनुबंध में दिए गए दिशानिर्देशों के आधार पर नीति बनाए । 2. कृपया संबंधित क्षेत्रीय कार्यालया को परिपत्र की प्राप्ति सूचना दें । भवदीया (उमा शंकर) स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) 1. उधार नीति स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह को उधार यह बैंक की सामान्य कारोबार गतिविधि मानी जाएगी। शहरी सहकारी बैंक को स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह को उधार देने पर अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से व्यापक नीति तैयार करना आवश्यक है । ऋण की अधिकतम मात्रा, ऋण पर लगाया जानेवाला ब्याज दर आदि सहित यह नीति बैंक की समग्र ऋण नीति का भाग होनी चाहिए । 2. उधार देने की पद्धति शहरी सहकारी बैंक स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह को सीधे उधार देने की पद्धति अपनाएं । मध्यस्थों के माध्यम से उधार देने की अनुमति नही है । 3. स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह का सदस्य के रूप में नामांकन स्वयं सहायता समूह औपचारिक /अनौपचारिक, व्यक्तियों के छोटे समूह है जो सदस्यों की बचत की आदत को बढावा देते है । यह बचत राशि आय अर्जन करने के लिए फिर सदस्यों को उधार दी जाती है । दूसरी तरफ संयुक्त देयता समूह यह व्यक्तियों का अनौपचारिक समूह है जो एक ही प्रकार की आर्थिक गतिविधियों के लिए बैंक से एकल रूप में या समूह के माध्यम से पारस्परिक गारंटी के बदले मे ऋण लेने के लिए एकत्रित होता है । स्वयं सहायता समूह सामान्यत: 10 से 20 सदस्यों का होता है जब कि संयुक्त देयता समूह में सामान्यत: 4 से 10 सदस्य होते है । सदस्यता संबंधी मामले बैंक द्वारा अपनाए गए उप नियम तथा संबंधित राज्य सहकारी समितियां अधिनियम या बहुराज्यीय सहकारी समितियां अधिनियम 2002 के प्रावधानों के अंतर्गत हैं । अत: इस प्रकार के सदस्यों का नामांकन करते समय तथा स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूहों को ऋण प्रदान करते समय शहरी सहकारी बैंकों को संबंधित अधिनियमों में निहित प्रावधानें का मार्गदर्शन करने तथा जहा आवश्यक हो आरसीएस /सीआरसीएस की पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है। शहरी सहकारी बैंकों को अपने उपनियमे में भी इस प्रकार के उधार के लिए प्रावधान करना चाहिए । 4. शेयर लिंकिंग मानदंड उधार के लिए शेयर लिंकिंग संबंधी वर्तमान अनुदेश स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह को उधार देने पर लागू होगे । 5. ऋण का स्वरूप - जमानती या गैर-जमानती गैर-जमानती ऋण और अग्रिम प्रदान करने पर विद्यमान सीमाएं (व्यक्तिगत और कुल) स्वयं सहायता समूहों को उधार देने पर लागू नहीं हैं । तथापि शहरी सहकारी बैंकों द्वारा संयुक्त देयता समूहों को मूर्त जमानत से समर्थित ऋण की सीमा तक उसे गैर-जमातनी समझा जाएगा तथा गैर-जमानती ऋण और अग्रिमो की सीमा के अधीन होगा । 6. एक्सपोजर का स्वरूप - वैयक्तिक समूह स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूहो को दिए गए ऋण पर वैयक्तिक एक्सपोजर सीमा के दिशा निर्देश लागू होंगे । 7. ऋण की राशि स्वयं सहायता समूह को दिए जानेवाले ऋण की राशि समूह की बचत राशि के चार गुना से अधिक नहीं होनी चाहिए । अच्छी तरह प्रबंधित स्वयं सहायता समूहों के मामले में समूह की बचत के दस गुना सीमा तक यह सीमा बढायी जा सकती है । समूह को वस्तुपरक मापदंड के आधार पर जैसे सिद्ध ट्रेक रिकार्ड, बचत का पैटर्न, वसूली दर, हाउस किपिंग, रेटिंग दिया जाए । संयुक्त देयता समूह के लिए बैंक में जमाराशि रखना बाध्य नहीं है तथा संयुक्त देयता समूहों को उनकी ऋण आवश्यकता और इस संबंध में बैंक के मूल्यांकन के आधार ऋण प्रदान किया जाएगा । 8. ऋण के लिए मार्जिन और जमानत मार्जिन /जमानत से संबंधी आवश्यकता संबंधित शहरी सहकारी बैंक के निदेश मंडल द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार होगी । 9. दस्तावेजीकरण शहरी सहकारी बैंक स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह की दिए जानेवाले ऋण के लिए ऋण का प्रयोजन तथा उधारकर्ता की हैसियत ध्यान में रखते हुए सरल दस्तावेजीकरण निर्धारित करें । 10. प्राथमिकता क्षेत्र स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह को कृषि या उससे संबंधित गतिविधियां के लिए दिए गए ऋण को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम समझा जाएगा । साथ ही स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह को रु.50000/- तक दिए गए अन्य ऋण को माइक्रो क्रेडिट समझा जाएगा तथा वह प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम ही समझा जाएगा । स्वयं सहायता समूहों को उधार जो प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को ऋण के रूप में अर्हक है, कमजोर वर्ग को उधार के रूप में भी समझा जाएगा । 11. बचत खाता खोलना स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह शहरी सहकारी बैंकों में बचत खाता खोलने के लिए पात्र हैं ।12. केवाइसी मानदंड शहरी सहकारी बैंकों को स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह का खाता खोलने /ऋण प्रदान करने से पहले शहरी सहकारी बैंकों को स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह के प्रत्येक सदस्य के संबंध में केवाइसी दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए । मौद्रिक नीति 2011-12 - पैरा 100 का उद्धरण शहरी सहकारी बैंकों द्वारा स्वयं सहायता समूह /संयुक्त देयता समूह को वित्तपोषण 100. शहरी सहकारी बैंकों के आउटरीच को और बढाने तथा वित्तीय समावेशन को बढावा देने हेतु एक अतिरिक्त चैनल, जो कमजोर वर्ग को उधार का लक्ष्य प्राप्त करने में शहरी सहकारी बैंकों की मदद करेगा, खोलने की दृष्टि से, यह प्रस्तावित है कि :
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