राष्ट्रीयकृत बैंकों के निदेशक बोर्डों में निर्वाचित निदेशकों के लिए ‘उपयुक्त और उचित’ मानदंड - आरबीआई - Reserve Bank of India
राष्ट्रीयकृत बैंकों के निदेशक बोर्डों में निर्वाचित निदेशकों के लिए ‘उपयुक्त और उचित’ मानदंड
आरबीआइ/2007-08/178
बैंपविवि. सं. बीसी. 47/29.39.001/2007-08
1 नवंबर 2007
10 कार्तिक 1929 (शक)
सभी राष्ट्रीयकृत बैंक
महोदय/महोदया
राष्ट्रीयकृत बैंकों के निदेशक बोर्डों में निर्वाचित निदेशकों के लिए ‘उपयुक्त और उचित’ मानदंड
यह निर्णय लिया गया है कि बैंकिंग कंपनी ं (उपक्रमों का अभिग्रहण और अंतरण) अधिनियम 1970/80 (2006 में यथासंशोधित) की उप-धारा 9(3) (i) के उपबंधों के अंतर्गत राष्ट्रीयकृत बैंकों के बोर्ड में निदेशक के रूप में निर्वाचित किये जा रहे व्यक्तियों द्वारा पूरे किये जानेवाले ‘उपयुक्त और उचित’ मानदंड निर्धारित किये जाएं । ‘उपयुक्त और उचित’ स्तर आदि का निर्णय करने के लिए प्राधिकारी, पद्धति/क्रियाविधि तथा मानदंड निम्नानुसार होंगे :
(क) प्राधिकारी : सभी राष्ट्रीयकृत बैंक एक "नामन समिति" का गठन करें जिसमें निदेशक बोर्ड में से कम-से-कम तीन निदेशक (सभी स्वतंत्र निदेशक/गैर-कार्यपालक निदेशक) रखे जाएं । निदेशक बोर्ड अपने में से किसी एक निदेशक को नामन समिति के अध्यक्ष के रूप में भी नामित करे । कोरम अध्यक्ष सहित तीन सदस्यों का होगा। पहले से नामित किसी सदस्य की अनुपस्थिति में आगामी बैठक के लिए उसके स्थान पर किसी अन्य स्वतंत्र निदेशक को निदेशक बोर्ड द्वारा नामित किया जाए । नामन समिति का गठन करते समय उसके कार्यकाल का निर्णय बोर्ड कर सकता है ।
(ख) पद्धति और क्रियाविधि : उक्त अधिनियम की धारा 9 (3) (i) के अंतर्गत निदेशक के रूप में निर्वाचित किये जानेवाले विद्यमान निर्वाचित निदेशक/व्यक्ति के ‘उपयुक्त तथा उचित’ स्तर का निर्धारण करते समय नामन समिति को समुचित सावधानी की प्रक्रिया अपनानी चाहिए। इस प्रयोजन के लिए संलग्न फॉर्मेट में ऐसे विद्यमान निर्वाचित निदेशकों/व्यक्तियों से आवश्यक सूचना और घोषणा बैंकों द्वारा प्राप्त की जानी चाहिए जो निर्वाचन के लिए अपना नामन प्रस्तुत करते हैं । यदि उम्मीदवारों का निर्वाचन किया जाना हो तो नामन समिति को नामन स्वीकार करने की अंतिम तारीख से पहले बैठक करनी चाहिए और यह निर्णय लेना चाहिए कि संबंधित व्यक्ति की उम्मीदवारी नीचे दिये गये मानदंडों के अनुसार स्वीकार किये जाने योग्य है अथवा नहीं । इस समिति की बैठकों में हुई चर्चा को औपचारिक कार्यवृत्त के रूप में उचित रूप से रिकार्ड किया जाना चाहिए और यदि कोई मत विभाजन हुआ हो तो विद्यमान और प्रस्तावित दोनों निदेशकों के मामले में उसे भी नोट किया जाना चाहिए। हस्ताक्षरयुक्त घोषणा में उपलब्ध करायी गयी जानकारी के आधार पर नामन समिति को यह निर्णय लेना चाहिए कि उम्मीदवारी स्वीकार की जाए अथवा नहीं और जहां कहीं आवश्यक हो वहां उपयुक्त प्राधिकारी/व्यक्ति/संस्था आदि से यह सुनिश्चित करने के लिए संपर्क किया जाए कि निर्दिष्ट अपेक्षाओं का पालन किया गया है ।
(ग) मानदंड : नामन समिति को यहां नीचे दिये गये मानदंडों के आधार पर विद्यमान निर्वाचित निदेशकों/प्रस्तावित उम्मीदवारों के ‘उपयुक्त तथा उचित’ स्तर का निर्धारण करना चाहिए ।
- शैक्षणिक अर्हता
- अनुभव तथा विशेषज्ञता का क्षेत्र
- पिछला रिकार्ड और ईमानदारी
(उपर्युक्त सूची उदाहरण स्वरूप है, व्यापक नहीं)
नामन समिति को यह देखना चाहिए कि उपर्युक्त मानदंडों में से किसी भी मानदंड का अनुपालन नहीं किये जाने की स्थिति में विद्यमान निर्वाचित निदेशक/प्रस्तावित उम्मीदवार के बैंक के बोर्ड में निदेशक के रूप में कर्तव्य निर्वाह पर असर पड़ेगा अथवा नहीं । साथ ही किसी प्राधिकारी/विनियामक एजेंसी को उम्मीदवार के संबंध में मिली प्रतिकूल जानकारी अथवा दिवालियापन अथवा किसी बैंक अथवा वित्तीय संस्था के ऋण की चुकौती में चूक उम्मीदवार को बैंक के बोर्ड में निदेशक के रूप में काम करने के लिए अनुपयुक्त बना देगी ।
(घ) अन्य मामले : यह वांछनीय है कि जनहित में बोर्ड यह सुनिश्चित करे कि निर्वाचित निदेशक निर्वाचन के बाद तथा प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को हमारे 20 जून 2002 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीसी. 116/ 08.139.001/ 2001-02 द्वारा प्रेषित डॉ. गांगुली दल की सिफारिशों के अनुसार प्रतिज्ञा विलेख (तुरंत संदर्भ के लिए प्रतिलिपि संलग्न - अनुबंध-2) निष्पादित करते हैं ।
2. यह भी अनिवार्य है कि सभी निर्वाचित निदेशक प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को यह साधारण घोषणा प्रस्तुत करें कि उन्होंने जो पहले सूचना दी है उसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है और यदि कोई परिवर्तन हुआ है तो निदेशकों द्वारा उससे संबंधित आवश्यक ब्योरे तत्काल प्रस्तुत किये जाएं। यदि कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हों तो नामन समिति को इस संबंध में समुचित सावधानी की प्रक्रिया अपनाते हुए निदेशक के ‘उपयुक्त और उचित’ स्तर की दोबारा जांच करनी चाहिए ।
3. नामन समिति से यह अपेक्षा की जाती है कि वह बैंक के बोर्ड में विद्यमान निर्वाचित निदेशकों के ‘उपयुक्त और उचित’ स्तर के निर्धारण की प्रक्रिया को शीघ्रातिशीघ्र पूरा करे ।
4. तदनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अभिग्रहण और अंतरण) अधिनियम 1970/1980 की धारा 9 की उप-धारा (3एए) और (3एबी) के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी की गयी 1 नवंबर 2007 की अधिसूचना बैंपविवि. बीसी. सं. 46/ 29.39.001/ 2007-08 संलग्न है ।
5. कृपया प्राप्ति सूचना दें ।
भवदीय
(पी. विजय भास्कर)
मुख्य महाप्रबंधक
बैंपविवि. सं. बीसी. 46/29.39.001/2007-08
1 नवंबर 2007
10 कार्तिक 1929 (शक)
राष्ट्रीयकृत बैंकों के निदेशक बोर्डों में निर्वाचित निदेशकों के लिए ‘उपयुक्त और उचित’ मानदंड
भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अभिग्रहण और अंतरण) अधिनियम 1970/80 (2006 में यथासंशोधित) की धारा 9 की उप-धारा 3 (एए) तथा 3 (एबी) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह अधिसूचित करता है कि तत्काल प्रभाव से
(क) सभी राष्ट्रीयकृत बैंक एक "नामन समिति" का गठन करें जिसमें निदेशक बोर्ड में से कम-से-कम तीन निदेशक (सभी स्वतंत्र निदेशक/गैर-कार्यपालक निदेशक) रखे जाएं । निदेशक बोर्ड अपने में से किसी एक निदेशक को नामन समिति के अध्यक्ष के रूप में भी नामित करे । कोरम अध्यक्ष सहित तीन सदस्यों का होगा । पहले से नामित किसी सदस्य की अनुपस्थिति में आगामी बैठक के लिए उसके स्थान पर किसी अन्य स्वतंत्र निदेशक को निदेशक बोर्ड द्वारा नामित किया जाए । नामन समिति का गठन करते समय उसके कार्यकाल का निर्णय बोर्ड कर सकता है ।
(ख) उक्त अधिनियम की धारा 9 (3) (i) के अंतर्गत निदेशक के रूप में निर्वाचित किये जानेवाले विद्यमान निर्वाचित निदेशक/व्यक्ति के ‘उपयुक्त तथा उचित’ स्तर का निर्धारण करते समय नामन समिति को समुचित सावधानी की प्रक्रिया अपनानी चाहिए। इस प्रयोजन के लिए संलग्न फॉर्मेट (अनुबंध-1) में ऐसे विद्यमान निर्वाचित निदेशकों/व्यक्तियों से आवश्यक सूचना और घोषणा बैंकों द्वारा प्राप्त की जानी चाहिए जो निर्वाचन के लिए अपना नामन प्रस्तुत करते हैं । यदि उम्मीदवारों का निर्वाचन किया जाना हो तो नामन समिति को नामन स्वीकार करने की अंतिम तारीख से पहले बैठक करनी चाहिए और यह निर्णय लेना चाहिए कि संबंधित व्यक्ति की उम्मीदवारी नीचे दिये गये मानदंडों के अनुसार स्वीकार किये जाने योग्य है अथवा नहीं । इस समिति की बैठकों में हुई चर्चा को औपचारिक कार्यवृत्त के रूप में उचित रूप से रिकार्ड किया जाना चाहिए और यदि कोई मत विभाजन हुआ हो तो विद्यमान और प्रस्तावित दोनों निदेशकों के मामले में उसे भी नोट किया जाना चाहिए । हस्ताक्षरयुक्त घोषणा में उपलब्ध करायी गयी जानकारी के आधार पर नामन समिति को यह निर्णय लेना चाहिए कि उम्मीदवारी स्वीकार की जाए अथवा नहीं और जहां कहीं आवश्यक हो वहां उपयुक्त प्राधिकारी/व्यक्ति/संस्था आदि से यह सुनिश्चित करने के लिए संपर्क किया जाए कि निर्दिष्ट अपेक्षाओं का पालन किया गया है ।
(ग) नामन समिति को यहां नीचे दिये गये मानदंडों के आधार पर विद्यमान निर्वाचित निदेशकों/प्रस्तावित उम्मीदवारों के ‘उपयुक्त तथा उचित’ स्तर का निर्धारण करना चाहिए ।
- शैक्षणिक अर्हता
- अनुभव तथा विशेषज्ञता का क्षेत्र
- पिछला रिकार्ड और ईमानदारी
(उपर्युक्त सूची उदाहरण स्वरूप है, व्यापक नहीं)
नामन समिति को यह देखना चाहिए कि उपर्युक्त मानदंडों में से किसी भी मानदंड का अनुपालन नहीं किये जाने की स्थिति में विद्यमान निर्वाचित निदेशक/प्रस्तावित उम्मीदवार के बैंक के बोर्ड में निदेशक के रूप में कर्तव्य निर्वाह पर असर पड़ेगा अथवा नहीं । साथ ही किसी प्राधिकारी/विनियामक एजेंसी को उम्मीदवार के संबंध में मिली प्रतिकूल जानकारी अथवा दिवालियापन अथवा किसी बैंक अथवा वित्तीय संस्था के ऋण की चुकौती में चूक उम्मीदवार को बैंक के बोर्ड में निदेशक के रूप में काम करने के लिए अनुपयुक्त बना देगी ।
(घ) यह वांछनीय है कि जनहित में बोर्ड यह सुनिश्चित करे कि निर्वाचित निदेशक निर्वाचन के बाद तथा प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को हमारे 20 जून 2002 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीसी. 116/ 08.139.001/ 2001-02 द्वारा प्रेषित डॉ. गांगुली दल की सिफारिशों के अनुसार प्रतिज्ञा विलेख (तुरत संदर्भ के लिए प्रतिलिपि संलग्न - अनुबंध-2) निष्पादित करते हैं।
2. नामन समिति से यह अपेक्षा की जाती है कि वह बैंक के बोर्ड में विद्यमान निर्वाचित निदेशकों के ‘उपयुक्त और उचित’ स्तर के निर्धारण की प्रक्रिया को शीघ्रातिशीघ्र पूरा करे ।
3. यह भी अनिवार्य है कि सभी निर्वाचित निदेशक प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को यह साधारण घोषणा प्रस्तुत करें कि उन्होंने जो पहले सूचना दी है उसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है और यदि कोई परिवर्तन हुआ है तो निदेशकों द्वारा उससे संबंधित आवश्यक ब्योरे तत्काल प्रस्तुत किये जाएं। यदि कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हों तो नामन समिति को इस संबंध में समुचित सावधानी की प्रक्रिया अपनाते हुए निदेशक के ‘उपयुक्त और उचित’ स्तर की दोबारा जांच करनी चाहिए ।
(आनंद सिन्हा)
कार्यपालक निदेशक