विदेशी मुद्रा - रुपया विकल्प - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा - रुपया विकल्प
ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिक्रम क्र.108 जून 21, 2003 सेवा में महोदया/महोदय, विदेशी मुद्रा - रुपया विकल्प भारत मे व्युत्पन्न बाज़ार विकास के अंग के रूप में और निवासियों और अनिवासियों को अपनी मुद्रा जोखिम की रक्षा के लिए उपलब्ध रक्षा उत्पादों के क्षेत्र में वृद्धि के लिए जुलाई 7, 2003 से विदेशी मुद्रा - रूपया विकल्प की अनुमति देने का निर्णय किया गया है। प्राधिकृत व्यापारियों को निम्नलिखित नियम और शर्तों के आधार पर उत्पाद का प्रस्ताव देने के लिए अनुमति होगी (क) यह उत्पाद न्यूनतम 9 प्रतिशत सीआरएआर वाले प्राधिकृत व्यापारी द्वारा दिए जा सकते हैं, एक के लिए एक आधार पर। (ख) प्राधिकृत व्यापारी पर्याप्त आंतरिक नियंत्रण, जोखिम अनुप्रवर्तन /प्रबंध प्रणाली, बाज़ार मूल्य को बही में अंकित करने की प्रणाली और निम्नलिखित शर्तों को पूरा करनेवाले प्राधिकृत व्यापारी भारतीय रिज़र्व बैंक से एक बारही अनुमोदन प्राप्त करने के बाद विकल्प बहीं मं दर्ज करना प्रारंभ कर सकते हैं (i) कम से कम तीन साल तक लगातार लाभ प्रदता (ii) न्यूनतम सीआरएआर 9 प्रतिशत (iii) निवल गैर-निष्पादक आस्थियां समुचित स्तर तक (निवल अग्रिमों के 5 प्रतिशत से अधिक न हो) (iv) न्यूनतम शुद्ध मालियत रु.200 करोड़ से कम न हो (ग) प्राधिकृत व्यापारी प्रारंभ में केवल साधारण यूरोपियन विकल्प का ही प्रस्ताव दे सकते हैं। (घ) (i) ग्राहक क्रय अथवा विक्रय विकल्पों की खरीद कर सकते हैं (ii) ग्राहक डिब्बाबन्द उत्पादों के लिए भी जा सकते हैं जिनमें लागत कमी का ढांचा शामिल हो, बशर्ते कि ढांचे से जोखिम की वृद्धि न हो उससे ग्राहक को कोई प्रीमियम प्राप्त न हो। (iii) ग्राहकों द्वारा विकल्प लिखने की अनुमति नहीं है। (ङ) प्राधिकृत व्यापारी उत्पाद का उपयोग करने के इच्छुक ग्राहकों से वचनपत्र लेंगे कि वे उत्पाद के स्वरूप और उसमें निहित जोखिमों से भलीभांति परिचित हो गए हैं। (च) प्राधिकृत व्यापारी विकल्प प्रीमियम रुपये में अथवा रुपये के प्रतिशत /विदेशी मुद्रा की काल्पनिक दर में भी दे सकते हैं। (छ) विकल्प संविदाओं का परिपक्वता पर निपटान या तो हाज़िर सुपुर्दगी द्वारा अथवा संविदा में निर्दिष्ट हाज़िर आधार पर निवल नकदी भुगतान द्वारा कर सकते हैं। परिपक्वता से पहले लेनदेन को समाप्त करने के मामले में संविदा समान समायोजन विकल्प के बाज़ार मूल्य के आधार पर नकदी निपटान किया जा सकता है। (ज) वायदा संविदाएं करने, उनके रोलओवर और निरस्तीकरण के लिए लागू सभी शर्तें विकल्प संविदाओं पर भ्ां लागू होंगी। पूर्व निष्पादन के आधार पर, अर्थात् 100 मिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा के भीतर पिछले तीन वर्ष के आयात और निर्यात पण्यावर्त के औसत संविदा बकाया 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए, विकल्प लेनदेन में शामिल होगा। रिज़र्व बैंक मे आवेदन करने पर वायदा संविदाओं के मामले में मामला दर मामला आधार पर उच्चतर सीमा अनुमति दी जाएगी। (झ) एक समय में किसी विशेष जोखिम के लिए/ अथवा उसके किसी अंश के लिए केवल एक ही रक्षा लेनदेन किया जा सकेगा। (ञ) आकस्मिक अथवा व्युत्पन्न जोखिम (विदेशी मुद्रा में बोली प्रस्तुत करने से होनेवाले जोखिम के सिवाय) के लिए विकल्प संविदा का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। 2. उपयोगकर्ता (क) जिन ग्राहकों को मई 3, 2003 अधिसूचना सं.फेमा.25/2000-आरबी की (समय-समय पर यथा संशोधित) अनुसूची I और II के अनुसार जायज़ विदेशी मुद्रा जोखिम है वे विकल्प संविदा करने के पात्र हैं। (ख) प्राधिकृत व्यापारी व्यापारिक बहियों और तुलनपत्र की जोखिमों की रक्षा के प्रयोजन से उत्पाद का उपयोग कर सकते हैं। 3. जोखिम प्रबंध ओर विनियामक मुद्दे (क) जो प्राधिकृत व्यापारी विकल्प बही चलाना चाहते हैं और र्गैण बाज़ार के प्रमुख बैंक के रूप में इच्छुक हैं वक मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग, विदेशी मुद्रा बाजार प्रभाग, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई 400001 के पास आवेदन प्रस्तुत करें, सक्षम प्राधिकारी (बोर्ड/जोखिम समिति/एएलसीओ) के अनुमोदन ओर इस संबंध में प्रस्तुत विस्तृत ज्ञापन की प्रतिलिपि के साथ। जो प्राधिकृत व्यापारी इस उत्पाद का एक के लिए एक आधार पर उपयोग करना चाहते हैं वे उक्त प्रभाग को इस बारे में सूचित करते रहें। (ख) गौण बाज़ार के सक्रिय बैंको को अपने विकल्प पोर्टफोलियो के ‘डेल्टा’ की रक्षा के लिए अनुमति होगी, हाज़िर बाज़ार के माध्यम से। अन्य ‘‘ग्रीक’’ की रक्षा अंतरबैंक बाज़ार में विकल्प लेनदेन द्वारा रक्षा की जा सकती है। विकल्प संविदा का ‘डेल्टा’ रातपर्यंत कुल स्थिति का भाग होगा। ‘‘एजीएल’’ के प्रयोजन के लिए विकल्प संविदा को शामिल करने का संबंध है, पर्याप्त परिपक्वता के आखिर में ‘‘डेल्टा समकक्ष’’ को हिसाब में लिया जाएगा। पर्याप्त बकाया विकल्प संविदा की परिपक्वता को विभिन्न परिपक्वता ब्रैकेटों में समूह बनाने के लिए पहले से लिया जा सकता है। (विविध ‘‘ग्रीक’’ से संबंधित विकल्प संविदाओं की परिभाषा के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की विदेशी मुद्रा - रुपया विकल्प पर तकनीकी समिति की रिपोर्ट देखें) - संगत उद्धरण परिशिष्ट II में दिए गए हैं। (ग) फिलहाल प्राधिकृत व्यापारियों से अपेक्षित है कि वे रिज़र्व बैंक द्वारा पहले से अनुमोदित जोखिम प्रबंध सीमा के भीतर ही विकल्प पोर्टफोलियो को रखें। (घ) विकल्प बही चलानेवाले प्राधिकृत व्यापारियों को साधारण अंतर मुद्रा विकल्प स्थितियों, विदेशी मुद्रा रुपये विकल्प में बाज़ार में सक्रिय रहने के कारण उत्पन्न जोखिम की रक्षा के लिए अनुमति है। बैंक बहियों में पोर्टफोलियो की प्रविष्टि की प्रणाली दैनिक आधार पर बनाना चाहिए। एफईडीआई रोज़ राय के आधार पर निहित उतार-चढ़ाव अनुमान की मेट्रिक्स प्रकाशित करेगा जिसे बाज़ार के सहभागी अपने पोर्टफोलियो के बाज़ार मूल्य को दर्ज करने के लिए इस्तेमाल में ला सकते हैं। 4. रिपोर्ट करना प्राधिकृत व्यापारी से अपेक्षित है कि वे इस परिपत्र की परिशिष्ट 1 में संलग्न प्ररूप के अनुसार अपने किए गए लेनदेनों की साप्ताहिक रिपोर्ट रिज़र्व बैंक में प्रस्तुत करें। 5. लेखाकरण विकल्प संविदा के लिए लेखाकरण का प्ररूप मई 29, 2003 के एफईडीआई परिपत्र सं. एसपीएल-24/एफसी-रुपया ऑप्शन/2003 होगा। 6. प्रलेखन बाज़ार के सहभागी केवल आईएसडीए प्रलेखन का अनुसरण करें। 7. पूंजी आवश्यकता पूंजी आवश्यकता हमारे बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग द्वारा समय समय पर जारी दिशानिदेशों के अनुसार होगी। 8. विकल्प लेनदेन करने से पहले बैंक अपने स्टाफ को प्रत्येक रूप से प्रशिक्षित करें और आवश्यक जोखिम प्रबंध प्रणाली बनाएं। वे अपने ग्राहकों को उत्पाद से परिचित करवाने के लिए उपाय करें। 9. इस उत्पाद को जारे रखने की आवश्यकता की समीक्षा बाज़ार विकास के आधार पर छी महीने के बाद की जाएगी। 10. विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं। 11. प्राधेकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु की जानकारी अपने सभी ग्राहकों को दे दें। 12. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेश मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42 की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय, ( ग्रेस कोशी ) |