भवन-निर्माण विकास क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
भवन-निर्माण विकास क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश
आरबीआइ/2005-06/127 ए पी(डीआइआर सिरीजॅ)परिपत्र सं.07 अगस्त 17, 2005 सेवा में विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिवफ्त सभी बैंक महोदया/महोदय, भवन-निर्माण विकास क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्राधिवफ्त व्यापारी बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी की अनुसूची घ् की ओर आकर्षित किया जाता है। 2. टाउनशिप आवास, निर्मित ढांचे और भवन निर्माण विकास परियोजनाओं में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से भारत सरकार (वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय) ने मार्च 3, 2005 के अपने प्रेस नोट सं.2 (2005) द्वारा यह निर्णय किया है कि इसमें दिए गए मार्गदर्शी सिद्धांतों के तहत टाउनशिप, आवास, निर्मित ढांचे और भवन निर्माण विकास परियोजनाओं (यह आवास, वाणिज्यिक परिसर, हॉटेल, रिसॉर्ट, अस्पताल, शैक्षणिक संस्थाओं, मनोरंजन की सुविधाओं, शहर और क्षेत्रीय स्तर के ढांचे को शामिल करेगा किन्तु यहीं तक सीमित नहीं रहेगा) में स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत 100 प्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति दी जाए। 3. तदनुसार, मई 3, 2000 के रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000, जुलाई 19, 2005 की अधिसूचना सं. फेमा 136/2005-आरबी डविदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम (तीसरा संशोधन) विनियमावली, 2005 द्वारा संशोधित किया गया है। जुलाई 29, 2005 की सरकारी अधिसूचना जी.एस.आर. सं.513()िं जिसमें संशोधनों को शामिल किया गया है, की प्रतिलिपि संलग्न है। 4. प्राधिवफ्त व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें। 5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है। भवदीय (विनय बैजल) मुख्य मब प्रबंधक संलग्नक डअगस्त 17, 2005 के ए.पी.(डीआइआर) परिपत्र सं.07 अधिसूचना सं.फेमा 136/2005-आरबी दिनांक जुलाई 19, 2005 विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (तीसरा संशोधन) विनियमावली, 2005 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (3) के खंड (ख) और धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग तथा दिनांक 3 मई 2000 की इसकी अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी में आंशिक आशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000, में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्, 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (व) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम)(तीसरा संशोधन) विनियमावली 2005 कहलाएगी। (वव) ये सरकारी राजपत्र में प्रकाशित होने की तारीख से लागू होंगी। 2. विनियमावली में संशोधन विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 में संलग्नक आ में निम्नलिखित जोड़ा जाएगा :
(विनय बैजल) प्रभारी महाप्रबंधक
पाद टिप्पणी : मूल विनियमावली सरकारी राजपत्र में दिनांक मई 8, 2000 के जी.एस.आर. सं.406(E) में भाग घ्घ्, खंड 3, उप-खंड (व) में प्रकाशित किए गए हैं और तत्पश्चात् निम्नानुसार संशोधित किए गए हैं :- दिनांक 02.03.2001 का जीएसआर सं.158(E) दिनांक 13.03/2001 का जीएसआर सं.175(E) दिनांक 14.03.2001 का जीएसआर सं.182(E) दिनांक 02.01.2002 का जीएसआर सं. 4(E) दिनांक 19.08.2002 का जीएसआर सं.574(E) दिनांक 18.03.2003 का जीएसआर सं.223(E) दिनांक 18.03.2003 का जीएसआर सं.225(E) दिनांक 22.07.2003 का जीएसआर सं.558(E) दिनांक 23.10.2003 का जीएसआर सं.835(E) दिनांक 22.11.2003 का जीएसआर सं.899(E) दिनांक 07.01.2004 का जीएसआर सं.12(E) दिनांक 23.04.2004 का जीएसआर सं.278(E) दिनांक 16.07.2004 का जीएसआर सं.454(E) दिनांक 21.09.2004 का जीएसआर सं.625(E) दिनांक 08.12.2004 का जीएसआर सं.799(E) दिनांक 01.04.2005 का जीएसआर सं.201(E) दिनांक 01.04.2005 का जीएसआर सं.202(E)
दिनांक 29.07.2005 का जी.एस.आर.सं.513(E) |