लघु औद्योगिक उपक्रमों (SSI) / माइक्रो और लघु उद्यमों (MSE) एवं औद्योगिक उपक्रमों, जो एसएसआई/एमएसई के लिए आरक्षित वस्तुओं (items) का उत्पादन करते हैं, में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
लघु औद्योगिक उपक्रमों (SSI) / माइक्रो और लघु उद्यमों (MSE) एवं औद्योगिक उपक्रमों, जो एसएसआई/एमएसई के लिए आरक्षित वस्तुओं (items) का उत्पादन करते हैं, में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
भारिबैंक/2013-14/498 20 फरवरी 2014 सभी श्रेणी - । प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, लघु औद्योगिक उपक्रमों (SSI) / माइक्रो और लघु उद्यमों (MSE) एवं औद्योगिक उपक्रमों, जो एसएसआई/एमएसई के लिए आरक्षित वस्तुओं (items) का उत्पादन करते हैं, में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 1 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2॰ उक्त अधिसूचना की अधिसूची 1 के अनुसार, कोई भारतीय कंपनी जो लघु उद्योग इकाई है और जो संलग्नक 'ए' में शामिल मदों की गतिविधियों अथवा उत्पादन में संलग्न नहीं है, अपनी प्रदत्त पूंजी के 24 प्रतिशत की सीमा तक भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति को शेयर अथवा परिवर्तनीय डिबेंचर जारी कर सकती है बशर्ते यह कि ऐसी कंपनी अपनी प्रदत्त पूंजी के 24 प्रतिशत से अधिक शेयर निम्नलिखित शर्तों के तहत जारी कर सकती है:- (ए) उसने लघु औद्योगिक हैसियत (status) को छोड़ दिया हो, (बी) वह लघु उद्योग क्षेत्र के लिए आरक्षित उत्पादन में संलग्न न हो अथवा संलग्न होने की इच्छुक न हो, और (सी) वह अधिसूचना की अनुसूची I के संलग्नक 'बी' में विनिर्दिष्ट उच्चतम सीमा का अनुपालन करती हो। 3. व्यष्टि, लघु तथा मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम, 2006 के प्रख्यापित होने पर लघु उद्योग इकाई और ऐसी कंपनी जिसने स्वयं को लघु उद्योग इकाई कि हैसियत से गैर पंजीकृत करा लिया है तथा जो लघु उद्योग क्षेत्र के लिए आरक्षित वस्तुओं के उत्पादन में संलग्न नहीं है अथवा संलग्न होने की इच्छुक नहीं है, में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि ;
4. इसके अलावा, व्यष्टि, लघु तथा मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमइडी) अधिनियम, 2006 के अनुसार (i) उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 की प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी उद्योग से संबन्धित माल के विनिर्माण अथवा उत्पादन में संलग्न उपक्रमों के मामले में, माइक्रो इंटरप्राइज़ का तात्पर्य उस उपक्रम से है जहां संयंत्र और मशीनरी में निवेश 25 लाख रुपये से अधिक नहीं है; लघु उद्योग का तात्पर्य है जहां संयंत्र और मशीनरी में निवेश 25 लाख रुपये से अधिक किन्तु 5 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है; (ii) सेवा प्रदान करने अथवा देने में संलग्न उपक्रमों के मामले में माइक्रो इंटरप्राइज़ का तात्पर्य है जहां उपकरणों में निवेश 10 लाख रुपये से अधिक नहीं है; लघु उद्योग का तात्पर्य है, जहां उपकरणों में निवेश 10 लाख रुपये से अधिक किन्तु 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है। 5. औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा इस संबंध में जारी 4 सितम्बर 2009 के प्रेस नोट नं. 6 (2009) की प्रतिलिपि संलग्न है। 6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराएं। 7. रिजर्व बैंक ने अब विनियमावली को संशोधित कर दिया है और उसे 12 सितम्बर 2013 के जीएसआर संख्या 624 (ई) द्वारा अधिसूचित 10 सितम्बर 2013 के शुद्धिकरण-पत्र के साथ पठित 30 अक्तूबर 2012 के जीएसआर संख्या 797 (ई) द्वारा अधिसूचित 29 मई 2012 की अधिसूचना सं.फेमा. 230/ 2012-आरबी द्वारा अधिसूचित किया गया है। 8. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा),1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं । भवदीय, (रुद्र नारायण कर) |