RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S2

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79140128

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - आप्शनैलिटी उपबंधों वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लिखतों के लिए कीमत निर्धारण संबंधी दिशानिर्देश

भारिबैंक/2013-14/436
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.86

9 जनवरी 2014

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/ महोदय,

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश - आप्शनैलिटी उपबंधों वाले प्रत्यक्ष विदेशी
निवेश लिखतों के लिए कीमत निर्धारण संबंधी दिशानिर्देश

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की ओर आकृष्ट किया जाता है। वर्तमान अनुदेशों के अनुसार, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 के विनियम 5(1) के अनुसार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के अंतर्गत केवल इक्विटी शेयर या अधिमानी शेयर/डिबेंचर भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति को जारी किए जाने के लिए पात्र हैं।

2. समीक्षा करने पर अब यह निर्णय लिया गया है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के अंतर्गत भारत से बाहर के निवासी व्यक्तियों को ईक्विटी शेयर, अनिवार्यत: और अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय अधिमानी शेयर/डिबेंचर, अब से, आप्शनैलिटी उपबंध के साथ जारी किए जा सकते हैं। आप्शनैलिटी उपबंध आप्शनैलिटी के प्रयोग के समय प्रचलित कीमत/निर्धारित मूल्य पर निवेशक से प्रतिभूतियों की वापसी खरीद (buy-back) को सुनिश्चित करेंगे ताकि वे बिना किसी आश्वासित प्रतिफल के निवेश से बाहर जा सकें। आप्शनैलिटी उपबंध हेतु, प्रावधान निम्नलिखित शर्तों के तहत किए जा सकेंगे :

(ए) न्यूनतम अवरुद्धता अवधि (lock-in period) एक वर्ष अथवा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश विनियमावली में यथा विनिर्दिष्ट न्यूनतम अवरुद्धता अवधि, में से जो भी उच्चतर हो, लागू होगी (उदाहरण- रक्षा और विनिर्माण विकास क्षेत्र जहां अवरुद्धता अवधि 3 वर्ष विनिर्दिष्ट की गई है)। अवरुद्धता अवधि ऐसे शेयरों अथवा परिवर्तनीय डिबेंचरों के आबंटित होने की तारीख अथवा रक्षा और विनिर्माण विकास क्षेत्र, आदि के लिए, समय समय पर यथा संशोधित, अधिसूचना सं. फेमा.20 की अनुसूची 1 के संलग्नक "बी" में किये गए विनिर्देशानुसार प्रभावी होगी/लागू होगी;

(बी) उल्लेखानुसार यथा लागू अवरुद्धता अवधि के बाद, अनिवासी निवेशक आप्शन/अधिकार का प्रयोग करके, बिना किसी आश्वासित प्रतिफल के, निवेश से निम्नवत बाहर जाने के लिए पात्र होगा:

(i) सूचीबद्ध कंपनी के मामले में, अनिवासी निवेशक मान्यता प्राप्त एक्स्चेंजों पर प्रचलित बाजार मूल्य पर निवेश से बाहर जाने के लिए पात्र होगा;

(ii) गैर-सूचीबद्ध कंपनी के मामले में, अनिवासी निवेशक निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी के शेयरों में किए गए निवेश को संबंधित कंपनी के अंतिम लेखा परीक्षित तुलनपत्र के अनुसार आकलित ईक्विटी प्रतिफल से अनधिक की कीमत पर निवेश से बाहर जाने के लिए पात्र होगा। उल्लेखानुसार ईक्विटी से संबद्ध प्रतिफल की अनुमति देनेवाले किसी करार को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति/फेमा विनियमावली का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।

नोट: उपर्युक्त प्रयोजन के लिए ईक्विटी पर प्रतिफल का तात्पर्य होगा कर के बाद लाभ। निवल मालियत :  निवल मालियत में सभी मुक्त प्रारक्षित निधियां और प्रदत्त पूंजी शामिल होंगी।

(iii) किसी निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी के अनिवार्यत: परिवर्तनीय डिबेंचरों (CCD) और अनिवार्यत: परिवर्तनीय अधिमानी शेयरों (CCPS) में किए गए निवेश का अंतरण उस कीमत पर किया जाएगा जो, निवेश से बाहर जाने के समय, अंतर्राष्ट्रीय रूप से मान्य कीमत निर्धारण प्रणाली के अनुसार आकलित व सनदी लेखाकर अथवा सेबी के पास पंजीकृत मर्चेंट बैंकर द्वारा विधिवत प्रमाणित की गयी हो। इस संबंध में दिशानिर्देशक सिद्धान्त यह होगा कि अनिवासी निवेशक को ऐसे निवेश/करार करते समय, निवेश छोड़ने पर कोई आश्वाशित कीमत की गारंटी न दी जाए और वह यथा लागू अवरुद्धता अवधि की अपेक्षा के तहत तत्समय प्रचलित कीमत पर निवेश से बाहर जा सकता है/को छोड़ सकता है।

3. रिज़र्व बैंक ने अब विनियमावली में संशोधन कर दिया है और इन परिवर्तनों को 12 नवंबर 2013 की अधिसूचना सं. फेमा.294/2013-आरबी के द्वारा 30 दिसंबर 2013 के जी.एस.आर.सं॰ 805 (ई) के जरिये अधिसूचित किया गया है।

4. सभी मौजूदा संविदाओं को उल्लिखित शर्तों का अनुपालन करना होगा ताकि वे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अर्हता प्राप्त कर सकें।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं।

6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीय,

(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?