विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 -माल के आयात हेतु अग्रिम विप्रेषण - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 -माल के आयात हेतु अग्रिम विप्रेषण - उदारीकरण
आरबीआई/2008-09/134
एपी (डी आईआर सिरीज़)परिपत्र सं.09
21 अगस्त, 2008
सेवा में
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक
महोदय / महोदया
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 -माल के आयात हेतु अग्रिम विप्रेषण - उदारीकरण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 19 जून 2003 एपी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं.106 और 17 सितंबर 2003 के एपी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं.15 की ओर आकर्षित किया जाता है जिनके अनुसार ;
(i) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को किसी सीमा के बिना अपने आयातक ग्राहको की ओर से माल के आयात हेतु अग्रिम विप्रेषण की अनुमति है [संदर्भ:19 जून 2003 का ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 106 का पैरा ए ]।
(ii) यदि अग्रिम प्रेषण की राशि 100,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य से अधिक हो तो भारत से बाहर की प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बैंक से बिना किसी शर्त अप्रतिसंहरणीय अतिरिक्त साखपत्र अथवा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी बैंक की गारंटी ,यदि ऐसी गारंटी ?ाारत से बाहर की किसी प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बैंक द्वारा काउंटर-गारंटी पर जारी की गयी हो । [संदर्भ एपीडीआईआर सिरीज परिपत्र सं.106 दिनांक 19 जून 2003]
(iii) जहाँ आयातक (सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी अथवा भारत सरकार / राज्य सरकार का विभाग / उपक्रम को छोड़कर ) समुद्रपारीय आपूर्तिकर्ता से बैंक गारंटी प्राप्त करने में असमर्थ है और प्राधिकृत व्यापारी बैंक आयातक के पूर्व वसूली रिकार्ड तथा वास्तविकता से संतुष्ट है वहाँ तो 1,000,000 अमरीकी डॉलर (एक मिलियन अमरीकी डालर) तक के अग्रिम विप्रेषण के लिए बैंक गारंटी/समर्थनकारी साख पत्र प्राप्त करने पर जोर देने की आवश्यकता नहीं है । प्राधिकृत व्यापारी बैंक ऐसे मामलों के निपटान के लिए बैंक के निदेशक बोर्ड द्वारा बनायी गयी उपयुक्त नीति के अनुसार आंतरिक दिशा-निर्देशों निर्धारित कर सकते हैं । (संदर्भ : एपीडीआईआर सिरीज परिपत्र सं.15 दिनांक 17 सितंबर 2003)
2. क्रियाविधि को सरल बनाने के उद्देश्य से उपर्युक्त पैरा ग्राफ (iii) में उल्लिखित 1,000,000 अमरीकी डॉलर की सीमा तत्काल प्रभाव से बढाकर 5,000,000 अमरीकी डॉलर तक करने का निर्णय लिया गया है।
3. आयात के लिए किए जाने वाले अग्रिम विप्रेषण के सभी भुगतान निम्नलिखित शर्तों के अधीन होंगे:-
क) आयातक प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक का ग्राहक हो।
ख) आयातक का खाता , भारतीय रिज़र्व बैंक के वर्तमान ’अपने ग्राहक को जानिए’(केवासी) /धन शोधन निवारण (एएमएल) के दिशा-निर्देशों का सम्यक रूप से पालन करता हो।भारतीय आयातक संस्था तथा समुद्रपारीय निर्माता/आपूर्तिकर्ता की ’अपने ग्राहक को जानिए’(केवासी) और उद्यम की विधिवत् जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिये ।
ग) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को लेनदेनों के वाणिज्यिक निर्णय के आधार पर और लेनदेनों की विश्वसनीयता से संतुष्ट होने के बाद ही लेनदेन करें।
घ) अग्रिम भुगतान केवल बिक्री करार की शर्तों के अनुसार ही करना चाहिए और उसे संबंधित निर्माता/ आपूर्तिकता के खाते में ही किया जाना चाहिए ।
ड) भारत में माल का वास्तविक आयात , विप्रेषण की तारीख से 6 महीनों (पूंजीगत माल के लिए तीन वर्ष) के भीतर किया जाना चाहिए और आयातक को संदर्भीत अवधि समाप्ति से पंद्रह दिनों के भीतर आयात के संबंध में दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने संबंधी एक वचनपत्र देना चाहिए।
च) प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को भारत में आयात करने के लिए दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु अनुवर्ती कार्रवाई करनी चाहिए।
छ) माल का आयात न किए जाने की स्थिति में , प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि अग्रिम विप्रेषण की राशि भारत को प्रत्यावर्तित की जाती है अथवा अधिनियम, नियम अथवा इनके अंतर्गत निर्मित विनियमावली के अधीन अनुमत किसी अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग की जाती है ।
5. 19 जून 2003 के एपीडीआईआर सिरीज परिपत्र सं.106 और 17 सितंबर 2003 के एपीडीआईआर सिरीज परिपत्र सं.15 द्वारा जारी अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे।
6. कच्चे हीरों तथा एयरक्राफ्ट /हेलीकाप्टर /उड्डयन संबंधी अन्य उत्पादों से संबंधित आयात के लिए अग्रिम विप्रेषण 2 मार्च 2007 के एपीडीआईआर सिरीज परिपत्र सं.34 तथा 29 जून 2007 के एपीडीआईआर सिरीज परिपत्र सं.77 और 21 अगस्त 2007 के एपीडीआईआर सिरीज परिपत्र सं.08 द्वारा इस संबंध में जारी अनुदेशों द्वारा नियंत्रित होंगे।
7. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राकों को अवगत करा दें।
8. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक