विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999-सेवाओं की आयात के लिए अग्रिम धन-प्रेषण - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999-सेवाओं की आयात के लिए अग्रिम धन-प्रेषण
आरबीआइ 2009-10/175 5 अक्तूबर 2009 सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंक श्रेणी - । महोदय/महोदया विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999-सेवाओं की आयात के लिए अग्रिम धन-प्रेषण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I (प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान 8 सितंबर 2008 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.15 की ओर आकर्षित किया जाता हैं, जिसके अनुसार बैंक गारंटी के बिना सेवाओं के आयात के लिए सभी स्वीकार्य चालू खाता लेनदेनों के लिए अग्रिम विप्रेषण की सीमा 100,000 अमरीकी डॉलर से 500,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य तक बढ़ायी गयी थी । 2. यह स्पष्ट किया जाता है कि बैंक गारंटी के बिना सेवाओं के आयात के लिए सभी स्वीकार्य चालू खाता लेनदेनों के अग्रिम विप्रेषण की सीमा में वृध्दि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी अथवा भारत सरकार/राज्य सरकार के किसी विभाग/उपक्रम के लिए लागू नहीं है । 3. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी अथवा भारत सरकार/राज्य सरकार के किसी विभाग/उपक्रम के मामले में,100,000 अमरीकी डॉलर (एक सौ हजार अमरीकी डॉलर) अथवा उसके समतुल्य से अधिक के लिए बैंक गारंटी के बिना सेवाओं के आयात के लिए अग्रिम प्रेषण हेतु भारत सरकार, वित्त मंत्रालय से अनुमोदन प्राप्त करने की अपेक्षा बनी रहेगी । 4. 8 सितंबर 2008 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.15 में विनिर्दिष्ट अन्य सभी शर्तें यथावत् रहेंगी । 5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक घटकों को और संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें । 6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा अधिनियम,1999 (1999का42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है । भवदीय |