विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999- अनिवासी भारतीयों/ भारतीयमूल के व्यक्तियों को आवास ऋण उपलब्ध करवाना - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999- अनिवासी भारतीयों/ भारतीयमूल के व्यक्तियों को आवास ऋण उपलब्ध करवाना
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.95 26 अप्रैल 2003 विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदय/महोदया विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999- अनिवासी भारतीयों/ भारतीय प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.4/2000-आरबी की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार किसी प्राधिकृत व्यापारी अथवा राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा अनुमोदित भारत में आवास वित्त संस्था भारत में रिहायसी मकानों के अधिग्रहण हेतु अनिवासी भारतीय अथवा भारतीय मूल के भारत से बाहर रहने वाले किसी व्यक्ति को उसमें उल्लिखित शर्तों पर आवासीय ऋण प्रदान कर सकता है। 2. भारतीय रिजर्व बैंक को कतिपय संस्थाओं से पत्र प्राप्त हो रहे हैं जिनमें अनिवासी भारतीयों को अपने रिहायसी मकानो के नवीकरण/ मरम्मत/ संवर्धन के लिए ऋण प्रदान करने की अनुमति मांगी गयी है। इस मामले पर विचार किया गया और अब यह स्पष्ट किया जाता है कि प्राधिकृत व्यापारी/ ऊपर संदर्भित आवास-वित्त संस्थाएं, किसी अनिवासी भारतीय अथवा भारतीय मूल के व्यक्ति को भारत में अपने रिहायसी मकानों के नवीकरण/ मरम्मत/ संवर्धन के लिए ऋण प्रदान कर सकते हैं। 3. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी संबंधित घटकों को अवगत कराएं । 4. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुदा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 की 42) धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अधीन जारी किए गए हैं। भवदीया (ग्रेस कोसी ) |