विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) (संशोधन) विनियमावली, 2005 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) (संशोधन) विनियमावली, 2005
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं.फेमा. 127 /आरबी-2004 दिनांक : 5 जनवरी 2005 विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का अधिनियम 42) की धारा 6 की उपधारा 3 के खंड (घ) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग तथा मई 3, 200 की इसकी अधिसूचना सं.फेमा 3/2000-आरबी, समय-समय पर यथा संशोधित, में आंशिक संशोधन करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और देना) विनियमावली, 2000 में निम्नलिखित संशोधन करता है, नामत:, संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (i) यह विनियमावली विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) (संशोधन) विनियमावली, 2005 कहलाएगी। (एफ.आर. जोसफ)
पाद टिप्पणी :
*1. यह उस तारीख का उल्लेख है जिस तारीख को मार्च 24, 2004 के एपी (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.81 द्वारा प्राधिकृत व्यापारियों को निदेश जारी किए गए थे। यह परिपत्र विदेशी मुद्रा में कारोबार करने के लिए प्राधिकृत बैंकों के बाह्य वाणिज्यिक उधार सहित कुल विदेशी उधार को युक्ति संगत बनाने और निगरानी करने के लिए जारी किया गया है। 2. मूल विनियमावली सरकारी राजपत्र में दिनांक मई 5, 2000 के जी.एस.आर. सं.386( E ) में भाग (II), धारा 3, उप-धारा (i) में प्रकाशित किए गए हैं और तत्पश्चात् अगस्त 5, 2000 के जी.एस.आर.सं.674( E ), जुलाई 8, 2002 के जी.एस.आर.सं.476( E ), दिसंबर 31, 2002 के जी.एस.आर.सं.854( E ), जुलाई 9, 2003 के जी.एस.आर.सं.531( E ), जुलाई 9, 2003 के जी.एस.आर.सं.533( E ), मार्च 23, 2004 के जी.एस.आर.सं.208( E ) तथा दिसंबर 22, 2004 के जी.एस.आर.सं.825( E ) द्वारा संशोधित किया गया है। |