भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा विभाग केंद्रीय कार्यालय मुंबई 400 001. अधिसूचना सं. फेमा. 142/2005-आरबी दिनांक : 06 दिसंबर, 2005 विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) (दूसरा संशोधन) विनियमावली, 2005 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (3) के खंड (घ) और धारा 47 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और देना) विनियमावली, 2000 (मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आरबी) में संशोधन के लिए निम्नलिखित विनियम बनाता है, अर्थात्, 2. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (क) यह विनियमावली विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) (दूसरा संशोधन) विनियमावली, 2005 कहलाएगी। (ख) ये 25 अप्रैल, 2005@ से लागू समझी जाएगी। 3. अनुसूची I में संशोधन विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 में, अनुसूची I में, I) पैराग्राफ (1) में, उप-पैराग्राफ i) को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात् : "(i) पात्रता क) किसी वित्तीय बिचौलिया (जैसा कि बैंक, वित्तीय संस्था, आवास वित्त पोषण कंपनी और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी) से इतर, कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत कोई कंपनी इस अनुसूची के तहत उधार लेने के लिए पात्र है। ख) व्यष्टि वित्तपोषण क्रियाकलापों में लगे गैर-सरकारी संगठन समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट शर्तों के तहत इस अनुसूची के अंतर्गत विदेशी मुद्रा में उधार ले सकते हैं। ग) रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट कोई अन्य संस्था।" II) पैराग्राफ (1) में, उप-पैराग्राफ (ii) के लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात् :- "ii) राशि क) स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत अनुसूची I के खण्ड I के पैराग्राफ (i)(क) में यथा विनिर्दिष्ट किसी संस्था द्वारा विदेशी मुद्रा में उधार, चाहे वह श्रृंखला में अथवा अन्यथा उगाहा गया हो, किसी एक वित्तीय वर्ष में (अप्रैल-मार्च) 500 मिलियन अमरीकी डॉलर अथवा उसके समकक्ष से अधिक नहीं चाहिए। ख) व्यष्टि वित्तपोषण क्रियाकलापों में लगे किसी गैर-सरकारी संगठन द्वारा अनुसूची I के खण्ड I के पैराग्राफ (i)(ख) में यथाविनिर्दिष्ट के तहत विदेशी मुद्रा में उधार एक वित्तीय वर्ष में (अप्रैल-मार्च) 5 मिलियन अमरीकी डॉलर अथवा उसके समकक्ष से अधिक नहीं होना चाहिए।" III) उक्त खण्ड (ग) के बाद खण्ड अ में उप पैराग्राफ (iv) में पैराग्राफ (1) में निम्नलिखित को जोड़ा जाएगा। "घ) रिज़र्व बैंक द्वारा यथाविनिर्दिष्ट कोई अन्य पात्र प्रयोजन " (विनय बैजल) मुख्य महाप्रबंधक
पाद टिप्पणी : i) विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और देना) विनियमावली, 2000 (मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.3) सरकारी राजपत्र में दिनांक मई 5, 2000 के जी.एस.आर. सं.386(E) में भाग (II), खंड 3, उप-खंड (i) में प्रकाशित किए गए हैं और तत्पश्चात् निम्नलिखित द्वारा संशोधित किए गए हैं : (क) अगस्त 25, 2000 के जी.एस.आर.सं.674(E) (ख) जुलाई 8, 2002 के जी.एस.आर.सं.476(E) (ग) दिसंबर 31, 2002 के जी.एस.आर.सं.854(E) (घ) जुलाई 9, 2003 के जी.एस.आर.सं.531(E) (ङ) जुलाई 9, 2003 के जी.एस.आर.सं.533(E) (च) मार्च 23, 2004 के जी.एस.आर.सं.208(E) (छ) दिसंबर 22, 2004 के जी.एस.आर.सं.825(E) (ज) फरवरी 9, 2005 के जी.एस.आर.सं.60(E) ii)@ यह स्पष्ट किया जाता है कि इन नियमावली को पूर्वव्यापी प्रभाव देने से किसी पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। |