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विदेशी मुद्रा प्रबंध (ऋण लिखत) विनियमावली, 2019

भारतीय रिज़र्व बैंक
(वित्तीय बाजार विनियमन विभाग)
(केन्द्रीय कार्यालय)
अधिसूचना
मुंबई, 17 अक्टूबर, 2019

सं.  फेमा. 396/2019-आरबी

विदेशी मुद्रा प्रबंध (ऋण लिखत) विनियमावली, 2019

जी. एस. आर. 796(ई) - विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (2) के खंड (ए) और धारा 47  द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्‍यक्ति द्वारा प्रतिभूति निर्गम अंतरण) विनियमावली, 2017 का अधिक्रमण करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक भारत के बाहर रहने वाले निवासी व्‍यक्ति द्वारा भारत में निवेश को नियंत्रित करने के लिए निम्‍नलिखित विनियमों का निर्धारण करता है, यथा :-

अध्याय  I

प्रारम्भिक

1. लघु शीर्षक और प्रवर्तन  :-  (1) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (ऋण लिखत) विनियमावली, 2019 कहा जाएगा।

(2)   ये विनियम शासकीय राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से प्रभावी होंगे।

2.  परिभाषाएं : -  इन विनियमों में, जबतक संदर्भ के अनुसार अन्‍यथा अपेक्षित नहीं हो तो,:-

  1. “अधिनियम” का आशय है विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42);    
  2. “आस्ति पुनर्संरचना कम्‍पनी” का आशय है ऐसी कम्‍पनी जो वित्‍तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (2002 का 54) की धारा 3 के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक में पंजीकृत हो;
  3.  “प्राधिकृत डीलर” में वे व्‍यक्ति शामिल हैं जिन्‍हें इस अधिनियम की धारा 10 की उपधारा (1) प्राधिकृत किया गया है;
  4. “ऋण लिखत” का आशय है ऐसी लिखतें जो इन विनियमों की अनुसूची 1 में शामिल हैं;
  5.  “विदेशी केन्‍द्रीय बैंक” का आशय है ऐसी संस्‍था या संगठन या निगमित निकाय जो भारत से बाहर किसी देश में स्‍थापित हो और जिसे उस देश के वर्तमान कानून के तहत केन्‍द्रीय बैंक के कार्यों को पूरा करने का दायित्‍व सौंपा गया हो;
  6.  “एफसीएनआर(बी) खाते” का आशय है विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) खाता जिसका रखरखाव विदेशी मुद्रा प्रबंधन (डिपॉजिट) विनियम, 2016 के अनुसार किया जाता है;
  7. “एफपीआइ” अथवा “विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक” का आशय है ऐसा व्‍यक्ति जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) विनियम, 2014 के उपबंधों के अनुसार पंजीकृत हो;
  8. “भारतीय कम्‍पनी” का आशय है भारत में निगमित कोई कम्‍पनी;
  9. “भारतीय संस्‍था” का आशय है कोई भारतीय कम्‍पनी या कोई एलएलपी;
  10. “निवेश” का आशय है भारत में निवासी किसी व्‍यक्ति द्वारा निगमित किसी ऋण लिखत या यूनिट के लिए अभिदान करना, अधिक्रय करना, अपने पास रखना या हस्‍तांतरण करना;
  11.  “प्रत्‍यावर्तन के आधार पर निवेश” का आशय है ऐसा निवेश, विक्रय या परिपक्‍वता पर मिलने वाला धन जिसमें से करों की कटौती हो चुकी हो, और भारत से बाहर प्रेषित किए जाने का पात्र हो और “अप्रत्‍यावर्तन आधार पर निवेश” - इस अभिव्‍यक्ति का तदनुसार ही अर्थ लिया जाएगा;  
  12.  “म्‍यूचुअल फन्‍ड” का आशय है ऐसी संस्‍था जिसका नियंत्रण भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड  (म्‍यूचुअल फन्‍ड) विनियम, 1996 द्वारा किया जाता है;
  13.  “एलएलपी” का आशय है सीमित दायित्‍व साझेदारी अधिनियम, 2008 (2009 का 6) के तहत गठित और पंजीकृत सीमित दायित्‍व साझेदारी;
  14.  “सूचीबद्ध भारतीय कम्‍पनी” का आशय है ऐसी भारतीय कम्‍पनी जिसकी कोई भी इक्विटी लिखत या ऋण लिखत भारत में किसी मान्‍यताप्राप्‍त स्‍टॉक एक्‍सचेन्‍ज में सूचीबद्ध हो और  “गैरसूचीबद्ध भारतीय कम्‍पनी” - इस अभिव्‍यक्ति का तदनुसार ही अर्थ लिया जाएगा;
  15. “म्‍यूनिसिपल बॉन्‍ड” का आशय है भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 243क्‍यू के तहत गठित नगरपालिकाओं द्वारा निर्गमित ऋण लिखतें;
  16. “एनआरआई” अथवा “अनिवासी भारतीय” का आशय है कोई व्‍यक्ति जो भारत के बाहर का निवासी भारतीय नागरिक है;
  17.  “ओसीआई” अथवा “भारत का विदेशी नागरिक” का आशय है भारत से बाहर का निवासी कोई व्‍यक्ति जिसका पंजीकरण नागरिकता अधिनियम, 1955 (1955 का 57) की धारा 7(ए) के तहत भारत का कार्डधारी विदेशी नागरिक के तौर पर हुआ हो;
  18. “यूनिट” का आशय है किसी म्‍यूचुअल फन्‍ड में किसी निवेशक का लाभदायी हित;
  19. “वेन्‍चर पूंजी फन्‍ड” का आशय है न्‍यास के रूप में स्‍थापित कोई निधि, कोई कम्‍पनी जिसमें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (वैकल्पिक निवेश निधि) विनियम, 2012 के तहत निगमित निकाय और पंजीकृत कम्‍पनी के रूप में स्‍थापित निध‍ि भी शामिल हैं।

(2) इन विनियमों में प्रयुक्‍त किन्‍तु परिभाषित नहीं किए गए शब्‍दों और अभिव्‍यक्तियों का वही अर्थ रहेगा जो अधिनियम, नियमावली और विनियमावली में क्रमश: निर्धारित कर दिया गया है।

अध्याय II
सभी निवेशकों पर लागू सामान्य शर्तें

3. भारत के बाहर किसी निवासी व्यक्ति द्वारा निवेश पर प्रतिबंध - इस अधिनियम अथवा इसके तहत बनाए गए नियमों अथवा विनियमों में अन्य प्रकार से किए गए प्रावधानों के अलावा, भारत के बाहर का निवासी कोई भी व्यक्ति भारत में निवेश नहीं करेगा।
प्रावधान किया गया है कि इस अधिनियम अथवा इसके तहत बनाए गए नियमों अथवा विनियमों के अनुसार किए गए और इन विनियमों के प्रारम्भ की तिथि पर धारित निवेश को इन विनियमों के अंतर्गत किया हुआ माना जाएगा और उसे तदनुसार इन विनियमों द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।  
आगे यह प्रावधान किया गया है कि, आवश्यक समझी जाने वाली ऐसी शर्तों के अधीन, रिज़र्व बैंक, आवेदन प्राप्त होने पर तथा पर्याप्त कारण होने पर, भारत के बाहर निवासी व्यक्ति को भारत में निवेश करने की अनुमति प्रदान कर सकता है।

4. निवेश प्राप्त करने पर प्रतिबंध - अन्यथा कि अधिनियम में किए गए प्रावधानों अथवा नियमों अथवा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों से रक्षित न हो, कोई भारतीय संस्था अथवा कोई म्यूचुअल फ़ंड, अथवा कोई जोखिम पूंजी फंड (वेंचर कैपिटल फ़ंड) अथवा कोई फ़र्म अथवा व्यक्तियों का संघ अथवा कोई स्वामित्व प्रतिष्ठान भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति से भारत में कोई निवेश प्राप्त नहीं करेंगे अथवा ऐसे निवेश को अपनी बही में दर्ज नहीं करेंगे:
बशर्ते कि, रिज़र्व बैंक, आवेदन प्राप्त होने पर तथा पर्याप्त कारण होने पर, आवश्यक समझी जाने वाली ऐसी शर्तों के अधीन, किसी भारतीय संस्था अथवा किसी म्यूचुअल फ़ंड, अथवा किसी जोखिम पूंजी फंड (वेंचर कैपिटल फ़ंड) अथवा किसी फ़र्म अथवा व्यक्तियों का संघ अथवा किसी स्वामित्व प्रतिष्ठान को भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति से भारत में कोई निवेश प्राप्त करने अथवा दर्ज करने की अनुमति प्रदान किया हो। 

5. भारत के बाहर किसी निवासी व्यक्ति द्वारा निवेश करने संबंधी अनुमति - जबतक कि इन विनियमों अथवा संबंधित अनुसूची में अन्यथा विनिर्दिष्ट न हो भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति द्वारा किया गया कोई निवेश प्रवेश मार्ग, निवेश की सीमा तथा ऐसे निवेशों के लिए इन विनियमों में निर्धारित परिचारी शर्तों के अधीन होंगे।

(1) भारत के बाहर निवासी कोई व्यक्ति, केंद्र सरकार के परामर्श से रिज़र्व बैंक द्वारा निहितार्थ अनुमति प्राप्त होने पर, अनुसूची 1 में विनिर्दिष्ट नियमों और शर्तों के अधीन तथा उस प्रकार से ऋण लिखत (डेब्ट इन्स्ट्रुमेंट) क्रय या विक्रय सकता है।

(2) भारत के बाहर निवासी कोई व्यक्ति समय-समय पर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा निर्धारित सीमा तथा अनुसूची 1 में विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा अनुमोदित एक्सचेंज पर कारोबार योग्य सभी व्युत्पन्नी संविदा में सौदा कर सकता है।       

(3) भारत के बाहर निवासी कोई व्यक्ति भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित शर्तों के अधीन किसी भी व्युत्पन्नी संव्यवहार में संविदा कर सकता है।

6. भारतीय कंपनियों का विलय अथवा अविलय अथवा समामेलन

भारतीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी)/समक्षम प्राधिकारी द्वारा जहां भारतीय कंपनी के लिए योजना की व्यवस्था की गई है, भारतीय कंपनी निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारत के बाहर निवासी हितधारकों को बोनस के रूप में वितरण के माध्यम से अपनी सामान्य आरक्षित निधि में से अपरिवर्तनीय मोचनीय अधिमानी शेयर अथवा अपरिवर्तनीय मोचनीय अधिमनी डिबेंचर जारी कर सकती हैं, यथा:

क. भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति द्वारा भारतीय कंपनी में मूल रूप से किया गया निवेश इन विनियमों तथा संबंधित अनुसूची में विनिर्दिष्ट शर्तों के अनुसार हो;

ख. उक्त निर्गम, कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुरूप है तथा राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी)/सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित योजना की निर्दिष्ट शर्तों, यदि कोई हो, का पालन किया गया है।

ग. भारतीय कंपनी किसी ऐसी गतिविधि/क्षेत्र में कार्य न करे जिसमें भारत के बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा निवेश निषिद्ध हो।

7. कर और बिक्री आगमों का विप्रेषण (रेमिटेन्स)

7.1 कर
इन विनियमों के अंतर्गत सभी संव्यवहार भारत में बैंकिंग व्यवस्था के माध्यम से किए जाएंगे तथा भारत में लागू करों तथा अन्य शुल्कों/आरोपित राशि के भुगतान के अधीन होंगे।

7.2    बिक्री आगमों का विप्रेषण (रेमिटेन्स)

(1) भारत के बाहर निवासी किसी व्यक्ति द्वारा रखे गए किसी ऋण लिखत के बिक्री आगमों का विप्रेषण इन विनियमों तथा संबंधित अनुसूची में विनिर्दिष्ट शर्तों को छोड़कर अन्यथा नहीं किया जाएगा।

(2) कोई प्राधिकृत व्यापारी किसी ऋण लिखत के बिक्री आगमों (लागू कर को घटकर) को भारत के बाहर निवासी विक्रेता व्यक्ति को ऐसे ऋण लिखतों के विप्रेषण की अनुमति प्रदान कर सकता है-

बशर्ते -

(i) उस विक्रेता द्वारा वह लिखत प्रत्यावर्तन के आधार पर रखा गया हो; तथा

(ii) अन्य मामलों में लिखत की बिक्री के लिए तथा उसके बिक्री आगमों के विप्रेषण के लिए रिज़र्व बैंक से अनुमोदन लिया गया हो;

(3) प्राधिकृत व्यापारी - अनुमत व्युत्पन्नी (डेरिवेटिव) संव्यवहार से संबंधित - आवक तथा जावक दोनों प्रकार के - विप्रेषण की अनुमति दे सकता है ।

 

(टी.रबि शंकर)
मुख्य महाप्रबंधक

फ़ुटनोट:

(i) प्रधान विनियम [अधिसूचना सं फेमा 396/2019-आरबी, दिनांक 17 अक्टूबर, 2019]  भारत के राजपत्र [असाधारण, भाग II-धारा 3-उपधारा (i)] में राजपत्र आईडी सं. जीएसआर796(ई), दिनांक 17.10.2019 के माध्यम से प्रकाशित किए गए थे।

 


अनुसूची I
भारत के बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा ऋण लिखतों का क्रय और विक्रय

1. भारत के बाहर के निवासी के लिए अनुमति

. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के लिए अनुमति
कोई विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक(एफपीआई) भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड तथा रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित निबंधन और शर्तों के अधीन निम्नलिखित लिखतों को प्रत्यावर्तनीय आधार पर क्रय कर सकता है:

  1. दिनांकित सरकारी प्रतिभूति/ख़ज़ाना बिल;
  2.  भारतीय कंपनी द्वारा जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचर/बांड;
  3.  भारतीय कंपनी द्वारा जारी वाणिज्यिक पत्र;
  4.  घरेलू म्युचुअल फंड यूनिटों अथवा एक्सचेंज पर व्यापारित फंड(ईटीएफ) जो इक्विटी के 50 प्रतिशत से कम या उसके बराबर की निधि का निवेश करते हैं;
  5.  आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों द्वारा जारी प्रतिभूति रसीदें(एसआर);
  6.  बैंकों द्वारा जारी ऋण लिखत जो विनियामकीय पूंजी में शामिल करने के लिए पात्र हैं;
  7.  ऋण वर्धन बांड;
  8.  इन विनियमों के विनियम 6 के अनुसार जारी सूचीबद्ध अपरिवर्तनीय/ मोचनीय अधिमानी शेयर अथवा डिबेंचर;
  9.  प्रतिभूतिकृत ऋण लिखत, साथ ही (i) बैंकों, वित्तीय संस्थाओं या प्रवर्तक के रूप में एनबीएफसी की आस्तियों के प्रतिभूतिकरण केलिए गठित विशेष प्रयोजन माध्यम(एसपीवी) द्वारा जारी किसी प्रमाणपत्र अथवा लिखत;
  10.  इंफ्रास्ट्रक्चर ऋण फंड द्वारा जारी रुपए मूल्यवर्ग के बांडों/यूनिटों;
  11. बशर्ते इसमें ऐसे लिखत शामिल होंगे जो 22 नवंबर, 2011 को या उसके बाद माने गए      (डीम्ड)एफपीआई द्वारा जारी किए गए हों। म्युनिसिपल बांड

  12. बशर्ते कि एफपीआई ऐसे लिखतों के प्रस्ताव दें जो रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर मान्यताप्राप्त स्टाक एक्सचेंजों पर विनियम 5 के उप-विनियम 2 के अनुसार एक्सचेंज में व्यापारित व्युत्पन्नी संविदा में उनके संव्यवहार के लिए संपार्श्विक के रूप में अनुमत हों।

. अनिवासी भारतीयों(एनआरआई) अथवा भारत के विदेशी नागरिकों(ओसीआईके लिए अनुमतिप्रत्यावर्तन आधार पर

(1) कोई भी अनिवासी भारतीय(एनआरआई) अथवा भारत के विदेशी नागरिक(ओसीआई) बिना किसी सीमा के, निम्नलिखित लिखतों को प्रत्यावर्तनीय आधार पर क्रय कर सकता है:

क. सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियां(वाहक प्रतिभूति को छोड़कर) अथवा ख़ज़ाना बिल अथवा घरेलू म्युचुअल फंड अथवा एक्सचेंज पर व्यापारित फंड(ईटीएफ) की यूनिटों को जो इक्विटी के 50 प्रतिशत से कम या उसके बराबर की निधि का निवेश करते हैं;

ख. सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों(पीएसयू) द्वारा भारत में जारी बांड;

ग. इंफ्रास्ट्रक्चर ऋण फंडों द्वारा जारी बांड;

घ. इन विनियमों के विनियम 6 के अनुसार जारी सूचीबद्ध अपरिवर्तनीय/ मोचनीय अधिमानी शेयर अथवा डिबेंचर;

(2) कोई एनआरआई अथवा ओसीआई बैंकों द्वारा जारी ऐसे ऋण लिखतों को प्रत्यावर्तन आधार पर क्रय कर सकते हैं जो विनियामकीय पूंजी में शामिल करने के लिए पात्र हों;

(3) कोई एनआरआई, पेंशन निधि विनियामकीय और विकास प्राधिकरण(पीएफआरडीए) द्वारा अधिशासित एवं नियंत्रित राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में अभिदान कर सकता है, बशर्ते वह व्यक्ति पीएफआरडीए अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निवेश करने के लिए पात्र हो। वार्षिकी/संचित बचत प्रत्यावर्तनीय होगी।

बशर्तेकि एनआरआई/ओसीआई ऐसे लिखतों के प्रस्ताव दें जो रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर मान्यताप्राप्त स्टाक एक्सचेंजों पर विनियम 5 के उप-विनियम 2 के अनुसार एक्सचेंज में व्यापारित व्युत्पन्नी संविदा में उनके संव्यवहार के लिए संपार्श्विक के रूप में अनुमत हों।

. अनिवासी भारतीयों(एनआरआई) अथवा भारत के विदेशी नागरिकों(ओसीआईके लिए अनुमतिअप्रत्यावर्तन आधार पर

(1) कोई भी अनिवासी भारतीय(एनआरआई) अथवा भारत के विदेशी नागरिक(ओसीआई) बिना किसी सीमा के, अप्रत्यावर्तनीय आधार पर सरकारी दिनांकित प्रतिभूतियों (वाहक प्रतिभूति को छोड़कर) अथवा ख़ज़ाना बिल, घरेलू म्युचुअल फंड अथवा एक्सचेंज पर व्यापारित फंड(ईटीएफ) यूनिटों को क्रय कर सकते हैं जो इक्विटी के 50 प्रतिशत से कम या उसके बराबर की निधि अथवा राष्ट्रीय योजना/बचत प्रमाणपत्र में निवेश करते हैं;

(2) कोई भी एनआरआई अथवा ओसीआई, बिना किसी सीमा के, अप्रत्यावर्तनीय आधार पर इन विनियमों के विनियम 6 के अनुसार जारी सूचीबद्ध अपरिवर्तनीय/ मोचनीय अधिमानी शेयर अथवा डिबेंचर क्रय कर सकते हैं;

(3) कोई भी एनआरआई अथवा ओसीआई, बिना किसी सीमा के, अप्रत्यावर्तनीय आधार पर चिट के रजिस्ट्रार अथवा इसकी ओर से राज्य सरकार द्वा प्राधिकृत किसी अधिकारी द्वारा प्राधिकृत चिट फंड में अभिदान कर सकते हैं।

. सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद के लिए विदेशी केंद्रीय बैंकों अथवा बहुपक्षी विकास बैंक को अनुमति

(1) भारतीय रिज़र्व बैंक ने जिन विदेशी केंद्रीय बैंकों, बहुपक्षी विकास बैंकों अथवा अन्‍य इकाइयों को अनुमति प्रदान की है, वे रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्‍ट निबंधन और शर्तों के अनुसार दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों/खजाना बिलों की खरीद अथवा बिक्री कर सकते हैं।

2. भुगतान का तरीका

(1) एफपीआई द्वारा खरीदे गए लिखतों के लिए अदा की जानेवाली राशि का भुगतान बैंकिंग चैनल के जरिए विदेशों से होनेवाले आवक प्रेषण अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (जमा) अधिनियम 2016 के अनुसार रखे गए किसी विदेशी मुद्रा खाते और/अथवा विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) खाते में धारित निधि में से किया जाए। विदेशी मुद्रा खाता और एसएनआरआर खाते का उपयोग केवल और विशेष रूप से इस अनुसूची के तहत लेन-देन के लिए किया जाए।

(2) अनिवासी भारतीयों अथवा ओसीआई द्वारा प्रत्‍यावर्तन आधार खरीदे गए लिखतों के लिए अदा की जानेवाली राशि का भुगतान बैंकिंग चैनल के जरिए विदेशों से होनेवाले आवक प्रेषण अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (जमा) अधिनियम 2016 के अनुसार रखे गए एनआरई/एफसीएनआर(बी) खाते में धारित निधि में से किया जाए।

(3) (क) अनिवासी भारतीयों अथवा ओसीआई द्वारा गैर-प्रत्‍यावर्तन आधार खरीदे गए लिखतों और (ख) राष्‍ट्रीय पेंशन प्रणाली में अनिवासी भारतीयों के अंशदान के लिए अदा की जानेवाली राशि का भुगतान बैंकिंग चैनल के जरिए विदेशों से होनेवाले आवक प्रेषण अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (जमा) अधिनियम 2016 के अनुसार रखे गए एनआरई/एफसीएनआर(बी)/एनआरओ खाते में धारित निधि में से किया जाए।

(4) किसी विदेशी केंद्रीय बैंक अथवा बहुपक्षी विकास बैंक द्वारा दिनांकित सरकारी प्रतिभूति की खरीद के लिए अदा की जानेवाली राशि का भुगतान बैंकिंग चैनल के जरिए विदेशों से होनेवाले आवक प्रेषण अथवा रिज़र्व बैंक के विशेष अनुमोदन से खोले गए खाते में धारित निधि में से किया जाए।

(5) अन्‍य अनिवासी निवेशकों द्वारा खरीदे गए लिखतों के लिए अदा की जानेवाली राशि का भुगतान बैंकिंग चैनल के जरिए विदेशों से होनेवाले आवक प्रेषण में से किया जाए।

3. लिखतों की बिक्री के लिए अनुमति
इस अनुसूची के अनुसार लिखतों की खरीद करनेवाला भारत के बाहर का कोई निवासी रिज़र्व बैंक और भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड द्वारा निर्दिष्‍ट किए जानेवाले नियमों एवं शर्तों के अधीन ऐसे लिखतों की बिक्री/भुनाई कर सकता है।

4. बिक्री/परिपक्वता लाभ का विप्रेषण/जमा

    (1) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा धारित लिखतों की बिक्री/परिपक्‍वता लाभ (करों को छोड़कर) को भारत के बाहर विप्रेषित किया जा सकता है अथवा विदेशी मुद्रा खाते अथवा एफपीआई के एसएनआरआर खाते में जमा किया जा सकता है।

    (2) एनआरआई अथवा ओसीआई द्वारा धारित लिखतों की निवल बिक्री/परिपक्‍वता लाभ (करों को छोड़कर) को :
    क. संबंधित व्‍यक्ति के उस एनआरओ खाते में जमा किया जाए जहां उक्‍त लिखत गैर-प्रत्‍यावर्तन आधार पर धारित किए गए थे
    ख. संबंधित व्‍यक्ति के उस एनआरओ खाते में जमा किया जाए जहां लिखतों की खरीद के लिए भुगतान एनआरओ खाते में धारित निधि में से किया गया था अथवा
    ग. विदेश विप्रेषित कर दिया जाए अथवा एनआरआई/ओसीआई निवेशक के विकल्‍प पर उसके उस एनआरई/एफसीएनआर(बी)/एनआरओ खाते में जमा कर दिया जाए जहां उक्‍त लिखतों की खरीद प्रत्‍यावर्तन आधार पर की गई थी।

    (3) अन्‍य सभी मामलों में, बिक्री/परिपक्‍वता लाभ (करों को छोड़कर) को विदेशों में विप्रेषित किया जा सकता है अथवा रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति से खोले गए खाते में जमा किया जा सकता है। 

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