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79027117

विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000

भारतीय रिज़र्व बेक
(विदेशी मुद्रा विभाग)
केद्रीय कार्यालय
मुंबई -400 001

अधिसूचना सं.फेमा 5/2000-आरबी.

दिनांक 3 मई 2000

विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (3) के खंड (च), धारा 47 की उप धारा (2) के खंड (क), द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में निवास कर रहे किसी व्यक्ति तथा भारत के बाहर निवास कर रहे व्यक्ति के बीच जमाराशियों के संबंध में निम्नलिखित विनियम बनाता है

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

i) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2000 कहा जाएगा।

ii) ये पहली जून 2000 से लागू होंगे।

2. परिभाषा

इन विनियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो -

i) "अधिनियम" से अभिप्रेत विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) है;

ii) "प्राधिकृत बैंक" से अभिप्रेत सहकारी बैंक-सहित ऐसे बैंक (प्राधिकृत व्यापारी को छोड़कर) जिसे भारत से बाहर निवास कर रहे किसी व्यक्ति के खाते रखने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किया गया हो;

iii) "प्राधिकृत व्यापारी" से अभिप्रेत ऐसा व्यक्ति है जिसे इस अधिनियम की धारा 10 की उपधारा (1) के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी के रूप में पास जमा धन शामिल होगा;

iv) "जमाराशियों" में किसी बैंक, कंपनी, स्वामित्ववाली संस्था, भागीदारी फर्म, निगमित निकाय, न्यास अथवा किसी अन्य व्यक्ति के पास जमा धन शामिल होगा;

v) "एफसीएनआर (बी) खाते" से तात्पर्य विनियम 5 के उपनियम (1) के खंड II में संदर्भित विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) खाते से होगा;

vi) "अनिवासी भारतीय" से अभिप्रेत भारत से बाहर रह रहे ऐसा व्यक्ति है जो भारत का नाकरिक हो अथवा भारतीय मूल का व्यक्ति हो;

vii) "एनआरई खाता" से अभिप्रेत विनियम 5 के उपविनियम (1) के खंड़ (i) में संदर्भित अनिवासी बाह्य खाता है;

viii) "एनआरर्ओ खाता" से अभिप्रेत विनियम 5 के उपविनियम (1) के खंड़ (iii) में संदर्भित अनिवासी साधारण खाता है;

ix) "एनआरएनआर खाता" से अभिप्रेत विनियम 5 के उपविनियम (1) के खंड़ (iv) में संदर्भित अनिवासी अप्रत्यावर्तनीय खाता है;

x) "एनआरएसआर खाता" से अभिप्रेत विनियम 5 के उपविनियम (1) के खंड़ (V) में संदर्भित अनिवासी (विशेष) रुपया खाता है;

xi) "विदेशी निगमित निकाय" से अभिप्रेत ऐसी कंपनी, भागीदारी फर्म, समिति तथा अन्य निगमित निकाय जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अनिवासी भारतीयों के कम-से-कम साठ प्रतिशत स्वामित्व में हो तथा इसमें वे विदेश स्थित न्यास भी शामिल होंगे जिनमें अनिवासी भारतीयों का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कम से कम 60 प्रतिशत का लाभकारी हित निहित हो और वह अपरिवर्तनीय हो;

xii) "भारतीय मूल के व्यक्ति" से तात्पर्य बांगला देश और पाकिस्तान को छोड़कर किसी भी अन्य देश के नाकरिक से होगा, यदि -

क) वह कभी भारतीय पासपोर्ट धारक रहा हे;

       अथवा

ख) वह स्वयं या उसके माता-पिता अथवा उसके नाना-नानी/दादा-दादी में से कोई भारतीय संविधान अथवा नागरिकता अधिनियम, 1955 (1955 का 57) के कारण भारत का नागरिक रहा हो;
       अथवा
ग) वह भारतीय नागरिक अथवा उपखंड (क) अथवा (ख) में संदर्भित व्यक्ति का पति/पत्नी हो।

xiii) "अनुसूची" से तात्पर्य इन विनियमों की अनुसूची से होगा

xiv) इन विनियमों में प्रयुक्त किंतु अपरिभाषित शब्दों और अभिव्यक्तियों का क्रमश: वही अर्थ होगा जो उक्त अधिनियम में दिये गये हैं।

3. भारत में रह रहे तथा भारत से बाहर रह रहे व्यक्ति के बीच जमाराशियों पर प्रतिबंध

अधिनियम अथवा विनियमों अथवा अधिनियम के अंतर्गत बनाये गये अथवा जारी किये गये नियमों, निदेशों तथा आदेशों में अन्यथा रूप से किये गये उपबंधों को छोड़कर, भारत में निवास कर रहा कोई भी व्यक्ति भारत से बाहर निवास कर रहे किसी व्यक्ति से द तो कोई जमाराशि स्वीकार करेगा और न ही उसे कोई अमाराशि देगा।

लेकिन, भारतीय रिज़र्वं बैंक आवेदन प्राप्त होने पर और इस बात से संतुष्ट होने पर कि ऐसा करना आवश्यक है, भारत में निवास कर रहे किसी व्यक्ति को भारत से बाहर रह रहे किसी व्यक्ति से जमाराशियाँ स्वीकार करने अथवा उसे जामराशियों देने की अनुमति प्रदान कर सकता है।

4. छूट

इन विनियमों में निहित कोई भी प्रावधान निम्नलिखित जमाराशियों पर लागू नहीं होगा:

1) विदेशी राजनयिक मिशन अथवा राजनयिकों अथवा उनके परिवार के सदस्यों द्वारा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास रुपया खातों में धारित जमाराशियाँ।

2) राजनयिक मिशनों तथा राजनयिकों द्वारा विशेष रुपया खातों अर्थात् डिप्लोमेटिक बांड स्टोर्स अकाउंट में धारित जमाराशियाँ, जो बांड में स्टोर्स के आयात कें लिए सीमाशुल्क प्राधिकारियों द्वारा विशेष सुविधाओं के रूप में उन्हें इसलिए मंजूर की गई है कि वे फर्मों और कंपनियों से बांडेड स्टॉक खरीद सकें, बशर्ते;

क) खाते में जमा सामान्य बैकिंग माध्यमों के जरिये भारत के बाहर से प्राप्त प्रेषणों के रूप में अथवा इस विनियम के खंड 3 के अनुसार किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास खाताधारक द्वारा भारत में खोले गये विदेशी मुद्रा खाते से अंतरण के रूप में हों;

ख) खाता धारक को जारी किये गये प्रत्येक चेक पर "डिप्लोमेटिक बांड स्टोर्स अकाउंट नं. " लिखा हो;

ग) खातों में नामे स्थानीय संवितरणों अथवा बांड में स्टोर्स के आयात के लिए सीमाशुल्क प्राधिकारियों द्वारा विशेष सुविधाएं प्राप्त फर्मो और कंपनियों से बांडेड स्टॉक की खरीद के लिए भुगतानों हेतु होंगे;

घ) खाते में से भारत के बाहर निधियों का प्रत्यावर्तन रिज़र्व बैंक के बिना अनुमोदन के किया जा सकता है।

3) भारत में राजनयिक मिशनों तथा राजनयिकों द्वारा विदेशी मुद्रा में रखे गये खातों में धारित जमाराशियां निम्नलिखित शर्तों के अधीन होंगी:

क) खाते में जमा सामान्य बैकिंग माध्यमों के जरिये भारत के बाहर से प्राप्त प्रेषणों के रूप में ही होगी ;

ख) ऐसे खाते में धारित निधियों को यदि रुपये में परिवर्तित किया जाता है तो उन्हें पुन: विदेशी मुद्रा में परिवर्तित नहीं किया जायेगा;

ग) खातों चालू आविा मीयादी जमा खाते के रूप में रखा जाये, तथा राजनयाकों के मामले में बचत खाते के रमप में भी रखा जा सकता हैं;

घ) बचत अथवा मीयादी जमाराशियों पर ब्याज दर उस प्राधिकृत व्यापारी द्वारा निर्धारित किये गये अनुसार होगी जिसके पास खाता खोला गया हो;

ड.) खाते में से निधियों का भारत से बाहर प्रत्यावर्तन रिज़र्व बैंक के बिना अनुमोदन के किया जा सकता है।

4) नेपाल और भूटान में निवास कर रहे व्यक्तियों क्षरा किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास रुपये में खोले गये खातों में धारित जमाराशियां;

5) संयुक्त राष्ट्र संघ और भारत में इसकी सहायक/संबद्ध संस्थाओं तथा भारत में उसके अथवा उनके कर्मचारियों द्वारा किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास खोले गये खातों में धारित जमाराशियां।

5. भारत से बाहर रह रहे व्यक्तियों से प्राधिकृत
व्यापारी/प्राधिकृत बैंक द्वारा जमाराशियां स्वीकार किया जाना

(1) भारत में कोई प्राधिकृत व्यापारी निम्नानुसार जमाराशियां स्वीकार कर सकता है :

i) अनुसूची 1 में यथाविनिर्दिष्ट अनिवासी (बाह्य) खाता योजना (एनआरई खाता) के अंतर्गत अनिवासी भारतीय अथवा विदेश स्थित निगमित निकाय से ;

ii) अनुसूची 2 में यथाविनिर्दिष्ट विदेशी मुद्रा (अनिवासी) खाता बैंक योजना (एफसीएनआर-बी खाता) के अंतर्गत अनिवासी भारतीय अथवा विदेश स्थित निगमित निकाय से;

iii) अनुसूची 3 में यथाविनिर्दिष्ट अनिवासी (साधारण) खाता योजना (एनआरओ खाता) के अंतर्गत, भारत से बाहर निवास कर रहे किसी भी व्यक्ति से;

iv) अनुसूची 4 में यथाविनिर्दिष्ट अनिवासी (अप्रत्यावर्तनीय) रुपया खाता योजना (एनआरएनआर खाता) के अंतर्गत, भारत से बाहर निवास कर रहे किसी भी व्यक्ति से;

v) अनुसूची 5 में यथाविनिर्दिष्ट अनिवासी (विशेष) रुपया खाता योजना (एनआरएसआर खाता) के अंतर्गत, अनिवासी भारतीय से ट;

(2) उप विनियम (1) के उपबंधो पर बिना कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले, उप विनियम के खंड (i), (iii)  और (v) में संदर्भित एनआरई, एनआरओ तथा एनआरएसआर खाता योजनाओं के अंतर्गत प्राधिकृत बैंक द्वारा संबंधित अनुसूचियों में किय गये उपबंधो के अनुसार जमाराशियां भी स्वीकार की जा सकती है।

6. प्राधिकृत व्यापारी द्वारा धारित अथवा जमा की गई अन्य राशियां

किसी प्राधिकृत व्यापारी द्वारा भारत से बाहर अपनी शाखा, प्रधान कार्यालय अथवा संपर्ककर्ता को प्रेषित जमाराशियां तथा किसी प्राधिकृत व्यापारी के भारत से बाहर के संपर्ककर्ता अथवा शाखा द्वारा की गई ऐसी जमाराशियां जो भारत में उसकी बहियों में धारित हों, रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किये गये निदेशों से शासित होंगी।

7. प्राधिकृत व्यापारी/प्राधिकृत बैंक को छोड़कर अन्य
व्यक्तियों द्वारा जमाराशियां स्वीकार किया जाना

1) कंपनी अधिनियम 1956 के अंतर्गत पंजीकृत कोई कंपनी अथवा कोई निगमित निकाय अथवा संसद या विधान सभा द्वारा पारित किसी अधिनियम के अंतर्गत सूजित कोई निकाय अनुसूची 6 में दी गई शर्तों के अधीन प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी अनिवासी भारतीय से जमाराशियां स्वीकार कर सकता है।

2) कोई भारतीय कंपनी, भारत स्थित कोई स्वामित्ववाली संस्था अथवा कोई फर्म, अनुसूची 7 में दी गई शर्तों के अधीन प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी अनिवासी भारतीय से जमाराशियां स्वीकार कर सकती है।

8. कतिपय अन्य मामलों में जमाराशियां

1) अमेरिकन डिपोजिटरी रिसीट्स अथवा ग्लोबल डिपोजिटरी रिसीटृस के जरिये संसाधन जुटाने अथवा विदेशी वाणिज्यिक उधार लेने के संबंध में निर्धारित शर्तों के अनुपालन के अधीन, इस प्रकार जुटाई गई निधियां, उनके उपयोग अथवा भारत को प्रत्यावर्तित होने तक, भारत से बाहर किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खातों में जमा के तौर पर रखी जा सकती हैं।

2) किसी अनिवासी भारतीय अथवा विदेश स्थित निगमित निकाय को वाणिज्यिक पत्र जारी करके किसी भारतीय कंपनी द्वारा स्वीकार की गई जमाराशियां निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगी

क) ऐसा निर्गम, वाणिज्यिक पत्र जारी करके जमाराशियां स्वीकार करने के संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी गैर-बैंकिंग कंपनियां (वाणिज्यिक पत्र के जरिये जमाराशियों के स्वीकरण) निदेश 1989 के साथ-साथ भारत सरकार अथवा अन्य किसी विनियामक प्राधिकारी द्वारा जारी अन्य किसी कानून, नियम, निर्देश, आदेशों का विधिवत अनुपालन करके किया गया हो;

ख) वाणिज्यिक पत्र के निर्गम के लिए भुगतान की प्राप्ति सामान्य बैंकिंग माध्यमों के जरिये भारत से बाहर से आवक प्रेषण के रूप में जारीकर्ता कंपनी से हुई हो अथवा किसी अनिवासी भारतीय अथवा विदेश स्थित निगमित निकाय द्वारा खोले गये जमा में धारित निधियों में से, इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा बनाये गये विनियमों के अनुसार प्राप्त हुई हो;

ग) वाणिज्यिक पत्र में निवेशित राशि भारत से बाहर प्रत्यावर्तन के लिए पत्र नहीं होगी; तथा

घ) वाणिज्यिक पत्र हस्तांतरणीय नहीं होंगे।

9. रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से प्राधिकृत व्यापारी द्वारा जमाराशियां स्वीकार करना

रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से कोई प्राधिकृत व्यापारी भारत से बाहर निवास कर रहे किसी व्यक्ति के नाम में विदेशी मुद्रा में अभिव्यक्त खाता खोल सकता है जिसका प्रयोजन ऐसे व्यक्ति द्वारा भारत में निवास कर रहे किसी व्यक्ति के साथ स्वैच्छिक रूप से की गई व्यवस्था के अनुसार भारत से निर्यात की गई वस्तुओं के मूल्य पर भारत में आयात की गई वस्तुओं के मूल्य का समायोजन करना हो।

10. नामांकन

प्राधिकृत व्यापारी निम्नलिखित जमा खातों के संबंध में नामांकन की सुविधा उपलब्ध कर सकते हैं :

क) एनआरई, एफसीएनआर(बी), एनआरओ, एनआरएनआर तथा एनआरएसआर खाता योजनाओं के अंतर्गत व्यक्तिगत खाता धारकों के खातों के संबंध में; तथा

ख) विनियम 4 के उपविनियम (1) (2) तथा (3) के अंतर्गत राजनयिकों द्वारा खोले गये खातों के संबंध में।

(पी.आर.गोपाल राव)
कार्यपालक निदेशक


अनुसूची 1
डविनियम 5(1)(1)

अनिवासी (बाह्य) रुपया खाता योजना

1. पात्रता

अनिवासी भारतीयों तथा विदेश स्थित निगमित निकायों को प्राधिकृत व्यापारियों तथा ऐसे खाते खोलने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत बैंकों (सहकारी बैंकों-सहित) के पास खाते खोलने और बनाये रखने के लिए अनुमति दी गई है।

अनिवासी भारतीय द्वारा स्वयं, न कि भारत में उसके अटर्नी अधिकार धारक द्वारा, खाता खोला जाना चाहिए।

टिप्पणी : बांगला देश/पाकिस्तान राष्ट्रिकता वाले नागरिकों/स्वामित्ववाले निकायों के नाम में एनआरई खाता खोलने के लिए रिज़र्व बैंक का अनुमोदन आवश्यक है।

2. खातों के प्रकार

खाते किसी भी रूप में, अर्थात् बचत, चालू, आवर्ती अथवा सावधि जमा खाते आदि के रूप में खोले जा सकते हैं।

3. अनुमत जमा

क) किसी भी अनुमत करेसी मे भारत को विप्रेषण की उपचित राशि ।

ख) अपने विदेशी मुद्रा खाते में खाताधारक द्वारा आहरित व्यक्तिगत चेक तथा यात्री चेकों की राशि भारतीय रुपये में अभिव्यक्त ऐसे लिखतों जिनकी प्रतिपूर्ति विदेशी मुद्रा में की जायेगी सहित अनुमत करेंसी में देय बैंक ड्राफट, भारत में अपने अस्थायी दौरे के दौरान खाताधारक द्वारा जमा की गई राशि, बशर्ते प्राधिकृत व्यापारी/बैंक इस बात से संतुष्ट हो कि खाताधारक अभी भी भारत से बाहर रह रहा है, यात्री चेक/ड्राफट खाताधारक के नाम में/ उसे पृष्ठांकित हैं, तथा यात्री चेक के मामले में इस बात से संतुष्ट हो कि वे भारत के बाहर जारी किये गये थे।

ग) भारत में अस्थाई दौरे के दौरान खाताधारक द्वारा विदेशी मुद्रा/बैंक नोटों की जमा की गई राशि, बशर्ते (i) जहां लागू हो वहां राहश की घोषणा मुद्रा घोषणा फार्म में की गई थी, तथा (ii) खाताधारक ने स्वयं प्राधिकृत व्यापारी को नोट प्रस्तुत किये हों और प्राधिकृत व्यापारी इस बात से संतुष्ट हो कि खाताधारक भारत से बाहर रहने वाला व्यक्ति है।

घ) अन्य एनआरई/एफसीएनआर खातों से अंतरण

ङ) खाते में धारित निधियों पर उपचित ब्याज

च) सरकारी प्रतिभूतियों पर ब्याज तथा पारस्परिक निधियों के यूनिटों पर लांभाश, बशर्ते प्रतिभूतियां/यूनिट खाताधारक के एनआरई/एफसीएनआर खाते में नामें डाल कर अथवा सामान्य बैंकिंग माध्यमों के जरिये आवक प्रेषण से खरीदइ गई हों

छ) राष्ट्रीय योजना/बचत प्रमाणपत्र सहित सरकारी प्रतिभूतियों की परिपक्वता राशि तथा भारत में मान्यताप्राप्त शेयर आजार में सरकारी प्रतिभूतियों एवं पारस्परिक निधियों के यूनिटों की बिक्री से प्राप्त राशि तथा पास्परिक निधियों से प्राप्त यूनिटों की बिक्री से प्राप्त राशि, बशर्ते प्रतिभूंतियों/यूनिटों की मूल रूप से खरीद खाताधारक के एनआरई/एफसीएनआर खाते में नामे डालकर की गई हो अथवा मुक्त विदेशी मुद्रा में भारत के बाहर से प्राप्त प्रेषणों से की गई हो

ज) भारतीय कंपनियों के नयें निर्गमों के शेयरों / डिबेंचरों में अभिदान की वापसी या उसका कोई हिस्सा, यदि अभिदान की राशि की अदायगी खाताधारक के उसी अथवा अन्य एनआरई/ एफसीएनआर खाते में से अथवा सामान्य बैंकिंग माध्यमों के जरिये भारत से बाहर से प्रेषण द्वारा की गई हो

झ) फलैट/प्लॉट का आबंटन न होने पर भवन निर्माता एजेंसियों द्वारा ब्याजसहित आवेदन/अमानती राशि की वापसी (उस पर देय आयकर के बाद शेष राशि), बशर्ते मूल भुगतान खाताधारक के एनआरई/एफसीएनआर खाते में से अथवा सामान्य बैंकिंग माध्यमों के जरिये भारत के बाहर से प्रेषण द्वारा किया गया हो और लेनदेन की वास्तविकता के संबंध में प्राधिकृत व्यापारी संतुष्ट हो

ञ) अन्य कोइश्च् जमा यदि वह रिज़र्व बैंक द्वारा प्रदत्त सामान्य/विशेष अनुमति के अंतर्गत आती हो।

4. अनुमत नामे

क) स्थानीय संवितरण।

ख) भारत से बाहर प्रेषण।

ग) खाताधारक के एनआरई/एफसीएनआर खातों अथवा ऐसे खाते रखने के लिए पात्र किसी अन्य व्यक्ति के खातों में अंतरण।

घ) किसी भारतीय कंपनी के शेयरों/प्रतिभूतियों/वाणिज्यिक पत्रों में निवेश अथवा भारत में अचल सम्पत्ति खरीदने के लिए, बशर्ते इस प्रकार का निवेश/क्रय रिज़र्व बैंक द्वारा बनाये गये विनियमों अथवा सामान्य/विशेष अनुमति के अंतर्गत आता हो।

ङ) अन्य कोई लेनदेन यदि वह रिज़र्व बैंक द्वारा दी गई सामान्य अथवा विशेष अनुमति के अंतर्गत आता हो।

5. ब्याज दर

इन खातों पर प्रयोज्य ब्याज दर रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों/ अनुदेशों के अनुसार होगी।

6. खाते में धारित निधियों की जमानत पर ऋण

(क) खाताधारक को :

ऐसे खाते रखने वाले प्राधिकृत व्यापारियों तथा बैंको को यह अनुमति दी गई है कि वे निम्नलिखित के लिए खाताधारक को भारत में ऋञण दे सकते हैं -

  1. पुन: उधार देने अथवा कृषि/बागवानी कार्य करने अथवा वास्तविक संपदा कारोबार के प्रयोजन को छोड़कर अन्य व्यापारिक गतिविधियों तथा व्यक्तिगत प्रयोजनों के लिए। प्राधिकृत व्यापारी/बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे अग्रिम सावधि जमाराशियों से पूरी तरह सुरक्षित हों तथा सामान्य मार्जिन, ब्याज दर, आदि से संबंधित विनियमों का पूरी तरह से पालन किया गया हो। पुनर्भुगतान या तो जमाराशियों के समायोजन से या फिर सामान्य बैंकिंग माध्यमों से भारत के बाहर से प्राप्त नये आवक प्रेषणों से किया जायेगा। ऋण की अदायगी ऋणकर्ता के एनआरओ खाते में स्थानीय रुपया संसाधनों में से भी की जा सकती है। ऐसे ऋणों पर ब्याज रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के अनुसार लगाया जायेगा;

  2. भारतीय फर्मों/कंपनियों की पूंजी में अंशदान के रूप में प्रत्यावर्तनीय आधार पर भारत में सीधे निवेश करने का प्रयोजन विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर रह रहे किसी व्यक्ति द्वारा भारतीय प्रतिभूति का अंतरण) विनियमावली 2000 तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध (स्वामित्व वाली अथवा भागीदारी फर्म में निवेश) विनियमावली 2000 के अंतर्गत बनाये गये संबंधित उपबंधों के अधीन होगा;

  3. अपने स्वयं के लिए भारत में आवासीय फलैट/मकान प्राप्ति का प्रयोजन अधिनियम के अंतर्गत बनाये गये संबंधित उपबंधों के अधीन होगा।

(ख) अन्य पक्षों को

प्राधिकृत व्यापारी और प्राधिकृत बैंक भारत में निवासी व्यक्तियों/फर्मों/कंपनियों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन एनआरई, खाते में धारित सावधि जमाराशियों की संपार्श्विक जमानत पर किसी भी प्रकार की निधि आधाररित और/अथवा गैर-निधि आधारित सुविधाएं प्रदान कर सकते हैं

  1. अपनी जमारायायों को गिरवी रखने के कलए सहमत होने वाले अनिवासी जामकर्ता के लिए प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से विदेशी मुद्रा का कोई प्रतिफल नहीं होना चाहिए ताकि निवासी व्यक्ति/फर्म/कंपनी ऐसी सुविधाएं ले सके;

  2. मार्जिन, ब्याज दर, ऋण का प्रयोजन आदि से संबंधित उन विनियमों का पालन किया जाना चाहिए जो रिज़र्व बाक द्वारा समय-समय पर निर्धारित किये जाते हैं;

  3. ऋण का उपयोग व्यक्तिगत प्रयोजनों के लिए अथवा कृषि/बागवानल अथवा वास्तविक संपदा कारबार से इतर व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जाना चाहिए। ऋण का उपयोग पुन: ऋण के लिए नहीं किया जाना चाहिए;

  4. व्यापार/उद्योग को दिये जाने वाले अग्रिमों के मामले में लागू सामान्य मानदंड तथा शर्ते इन ऋण सुविधाओं पर भी लागू होंगी।

(ग) भारत से बाहर ऋण

प्राधिकृत व्यापारी भारत से बाहर स्थित अपनी शाखाओं/संपर्ककर्ताओं को इस बात की अनुमति दे सकते है कि वे भारत में एनआरई खातों में धारित निधियों की जमानत पर तथा बकाया राशि की चुकौती के लिए यदि आवश्यक हुआ तो भारत से निधियां भेजने पर सहमति दर्शाने पर वास्तविक प्रयोजनों के लिए जमाकर्ता के अनुरोध पर अनिवासी जमाकर्ता अथवा तीसरे पक्ष को किसी भी प्रकार की निधि आधारित और/अथवा गैर-निधि आध्धरित सुविधाएं प्रदान कर सकते हैं।

7. खाताधारक के निवासी की हैसियत में परिवर्तित होने पर

यदि खाताधारक भारत में रोजगार प्राप्त करने, व्यावसाय या कारबार करने अथवा अनिश्चित काल तक भारत में रहने कं इरादे से आता है तो उसके भारत आते ही उसके विकल्प पद इन खातों की राशि निवासी खातों में आरएफसी खाते (यदि खाताधारक आरएफसी खाता खोलने के लिए पात्र हो) में अंतरित कर दी जानी चाहिए। जब खाताधारक थोड़े समय के लिए ही भारत के दौर पर हो तो भारत में उसके रहने के दौरान भी खाते को एनआरई खाते के रूम में ही जारी रखा जाये।

8. अनिवासी नामांकिती को निधियों का प्रत्यावर्तन

प्राधिकृत व्यापारी/प्राधिकृत बैंक मृत खाताधारक के एनआरई खाते में पड़ी निधियों को उसके अनिवासी नामांकिती को प्रेषित करने की अनुमति दे सकते हैं।

9. विविध

क) संयुक्त खाता : दो अथवा अधिक अनिवासी व्यक्तियों कं नामां में संयुक्त खाता खोला जा सकता है, बशर्ते सभी खाताधारक भारतीय राष्ट्रिकता अथवा मूल के हों। जब कोई एक संयुक्त खाताधारक निवासी बन जाता है तो प्राधिकृत व्यापारी या तो उसका नाम हटा कर खाते को एन आर ई खाता बनाये रख सकता है अथवा खाताधारक के विकल्प पर उसे निवासी खाता बना सकहे है। अनिवासी द्वारा किसी निवासी के साथ इन खातों के खोलने की अनुमति नहीं हैं।

ख) अस्थायी दौरे के दौरान खाता खोलना :भारत में अस्थायी दौरे पर आये पात्र अनिवासी भारतीय के नाम में विदेशी मुद्रा यात्री चेक अथवा विदेशी मुद्रा नोट और सिक्के प्रस्तुत किये जानेपर खाता खोला जा सकता है, बशर्ते, प्राधिकृत व्यापारी इस बात से संतुष्ट हो कि वह व्यक्ति अनिवासी है।

ग) मुख्तारतामा द्वारा परिचालन : प्राधिकृत व्यापारी/प्राधिकृत बैंक एनआरई खाते का परिचालन मुख्तारनामा की शर्तों अथवा अनिवासी खाताधारक द्वारा निवासी के पक्ष में दिये गये अन्य प्राधिकार के अनुसार करने की अनुमति दे सकते हैं, बशर्ते इस प्रकार के परिचालन स्थानीय भुगतानों के लिए राशि आहरण तक सीमित हों। ऐसे मामलों में जहां खाताधारक अथवा उसके द्वारा पदनामित बैंक भारत में निवेश करने के लिए पात्र हो, मुख्तारनामा धारक को ऐसे निवेश के लिए खाते में से राशि निकालने की अनुमति प्राधिकृत व्यापारी द्वारा दी जा सकती है। लेकिन, निवासी मुख्तारनामा धारक को किसी भी परिस्थिति में खाते में धारित राशि को भारत से बाहर भेजने अथवा खाताधारक की ओर से किसी निवासी को उपहार के जरिये भुगतान करने अथवा किसी अन्य एनआई खाते में निधियां अंतरित करने की अनुमति नहींदी जानी चाहिए।

घ) चेकों की विशेष श्रृंखला : एनआरई खातों पर आहरित चेकों की आसानी से पहचान करने और उन पर त्वरित कार्रवाई करने की दृष्टी से प्राधिकृत व्यापारियों/बैंको को एनआरई खाताधारकों को विशेष श्रृंखला वाली चेकबुक जारी करनी चाहिए।

ङ) अस्थायी अधिआहरण : प्राधिकृत व्यापारी/प्राधिकृत बैंक अपने विवेकानुसार/ वाणिज्यिक सुविधा के हनसार एनआरई बचत बैंक खातों में 50000 रुपये तक की राशि के दो सप्ताहों से अनधिक की अवधि के लिए अधिआहरण की अनुमति दे सकते हैं, बशर्ते उन पर ब्याज-सहित अधिआहरण की राशि उक्त दो सप्ताह के भीतर सामान्य बैंकिंग माध्यमों के जरिये आवक प्रेषणों से अथवा अन्य एनआरई/एफसीएनआर खातों में से चुका दी जाती है।

च) निवासी नामांकिती द्वारा विदेश में विप्रेषण : मृत खाताधारक की देयताएं, यदि कोई हों, तो उनकी पूर्ति के लिए अथवा ऐसे ही अन्य प्रयोजनों के लिए भारत से बाहर निधियां भेजने के लिए निवासी नामांकिती से प्राप्त आवेदन को रिज़र्व बैंक को विचारार्थ भेजा जाना चाहिए।

छ) कर छूट : एनआरई खातों में जमा-शेषों पर ब्याज से प्राप्त आय पर आयकर देय नहीं है। इसी प्रकार इन खातों के जमाशेषों पर सम्पत्ति कर से भी छूट प्राप्त है।

ज) रिपोर्ट करना : इन खातों के लेनदेनों की रिपोर्ट रिज़र्व बैंक को उसके द्वारा समय-समय पर जारी किये गये निर्देशों के अनुसार की जायेगी ।


अनुसूची 2
डविनियम 5(1)(ii) देखें

विदेशी करेंसी (अनिवासी) खाता (बैंक) योजना -

1. पात्रता

क) अनिवासी भारतीय और विदेश कंपनी निकाय किसी भी प्राधिकृत व्यापारी के पास इन खातों को खोलने और इन्हें रखने के लिए पात्र हैं।

टिप्पणी : बांगला देश/पाकिस्तान की राष्ट्रियता /स्वामित्व के अनिवासी भारतीयें/ विदेशी कंपनी निकायों के नाम विदेशी करेंसी (अनिवासी) खातों (बैंक) को खालने के लिए रिज़र्व बैंक का अनुमोदन अपेक्षित है।

ख) इन खातों को भारत के बाहर से सामान्य बैंकिंग मार्ग से विप्रेषित निधियों अथवा भारत स्थित किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास रखे अनिवासी बैंक खाते में नामे डालते हुए रुपये में प्राप्त निधियों अथवा रिज्!र्व बैंक द्वारा बनाये गये विनियमों के अनुसार प्रत्यावर्तनीय स्वरूप की निधियों से खोला जा सकता है। मौजूदा अनिवासी बाह्य/विदेशी मुद्रा अनिवासी खातों में से निधियों का अंतरण करते हुए भी इन खातों को खोला जा सकता है।

ग) इन खातों को खोलने अथवा इनमे जमा करने के लिए भारत के बाहर से विप्रेषण उस नामित करेंसी में होने चाहिए जिसमें खाता खोलने/रखने की इच्छा व्यक्त की गयी है। इस बात पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, यदि विप्रेषण नामित करेसी से इतर अन्य किसी करेंसी में प्राप्त होता है (अनिवासी बैंक के खाते में नामे डालते हुए रुपये में प्राप्त निधियों सहित) तो प्राधिकृत व्यापारी को चाहिए कि वह उसे विप्रेषणकर्ता की जोखिम और लागत पर नामित करेंसी में परिवर्तित करे और केवल नामित करेंसी में ही खाता खोला जाना चाहिए/खाते में जमा किया जाना चाहिए।

घ) यदि नामित करेंसी से इतर किसी अन्य परिवर्तनीय करेसी रखनेवाला जमाकर्ता इन खातों में जमा करना चाहता है तो प्राधिकृत व्यापारी जमाकर्ता के साथ उस करेसी में वांछित नामित करेसी पर पूर्णत: रक्षित स्वाप का कार्य कर सकता है। ऐसा स्वाप दो नामित करेंसियों के बीच भी किया जा सकता है।

2. नामित करेसी :

इन खातों में जमा करने के लिए निधियां पाउंड स्टर्लिंग, अमरीकी डालर, डयूश मार्क, जापानी येन, यूरो और रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर नामित की जाने वाली अन्य करेंसियों में स्वीकार की जा सकती है।

3. खाते का प्रकार :

इन खातों को केवल मीयादी जमाराशि के रूप में खोला जा सकता है और ये केवल तीन परिपक्वताओं, अर्थात् एक वर्ष और उससे अधिक बल्कि दो वर्ष से कम, दो वर्ष और उससे अधिक बल्कि तीन वर्ष से कम और तीन वर्ष के लिए ही खोले जा सकते हैं।

4. ब्याज-दर :

इन जमा खातों में रखी निधियों पर ब्याज दर रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निदेशों के अनुसार होगी।

5. अनुमत नामे/जमा राशियां :

अनुसूची 1 में यथाविनिर्दिष्ट अनिवासी विदेशी खातों से संबंधित सभी अनुमत नामे/जमाराशियां दन खातों के लिए भी स्वीकार्य होंगी।

6. रुपये को नामित करेंसियों में और नामित करेंसियों को रुपये में परिवर्तित करने के लिस दर :

  1. इन खातों को खोलने के लिए भारतीय रुपये में प्राप्त विप्रेषणों को प्राधिकृत व्यापारी द्वारा नामित विदेशी करेंसी में परिवर्तन की तारीख को उस करेंसी के लिए प्रचलित निर्बंध टी.टी. बिक्री दर पर परिवर्तित किया जाएगा।

  2. रुपये में भुगतान करने के प्रयोजनार्थ, इन खातों में रखी निधियों को आहरण की तारीख को संबंधित करेसी के लिए प्राधिकृत व्यापारी की निर्बंध टी.टी. क्रय दर पर रुपये में परिवर्तित किया जाएगा।

7. निधियों का अंतर्देशीय चलन :

इन खातों को खोलने के प्रयोजनार्थ एवं इन खातों में रखी शेष राशियों को भारत के बाहर प्रत्यावर्तन के लिए निधियों का कोई भी अंतर्देशीय चलन अनिवासी जमकर्ताओं के लिए अंतर्देशीय विनिमय अथवा कमीशन से मुक्त होगा। दन खातों में विदेशी करेन्सी विप्रेषणों को प्राप्त करने वाला प्राधिकृत व्यापारी उस स्थिति में विप्रेषक को बिना किसी अतिरिक्त लागत के प्राप्त विदेशी करेन्सी को किसी अन्य प्राधिकृत व्यापारी को अंतरित कर सकता है जब उस अन्य प्राधिकृत व्यापारी के पास खाता खोलना आवश्यक होता है।

8. ब्याज के भुगतान का तरीका :

  1. जमाकर्ता की इच्छानुसार इन खातों में धारित शेषराशियों पर ब्याज का भुगतान अर्ध वार्षिक अथवा आधार पर किया जा सकता है।

  2. इस ब्याज को खातेदार के विकल्प पर उसके नाम खोले गये एक नये विदेशी करेन्सी अनिवासी खाते (बैंक) में अथवा विद्यमान/नये अनिवासी विदेशी/अनिवासी अप्रत्यावर्तनीय/अनिवासी विशेष रुपया खाते में जमा किया जा सकता है।

9. खाते में धारित निधियों की जमानत पर ऋण/ओवरड्राफट :

  1. भारत में जमाकर्ताओं एवं तीसरी पार्टियों के लिए लागू ऋणों और ओवरड्राफटों तथा भारत के बाहर जमाराशियों की जमानत पर ऋणों से संबंधित अनिवासी विदेशी जमाराशियों (अनुसूची 1 देखें) पर यथा लागू शर्ते पूर्णत: विदेशी करेन्सी अनिवासी ((बैंक) जमाराशियों पर भी लागू होंगी।

  2. मार्जिन संबंधी आवश्यकता को जमाराशियों की रुपये में समतुलय राशि पर आनुमानिक रूप से परिकलित किया जाएगा।

10. खातेदार की निवासीय हैसियत में परिवर्तन :

जब खातेदार भारत का निवासी बन जाता है, तब उसकी इच्छानुसार जमाराशियों को परिपक्वता अवधि तक संविदागत ब्याज-दर पर जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है। तथापि, विदेशी करेन्सी अनिवासी (बैंक) जमाराशियों पर यथा लागू ब्याज-दर तथा आरक्षित निधि संबंधी आवयश्कताओं से संबंधित प्रावधानों को छोड़कर, अन्य सभी प्रयोजनों के लिए ऐसी जमाराशियों को खातेदा की भारत में वापसी की तारीख से निवासी जमाराशियों के रूप में माना जाएगा। प्राधिकृत व्यापारियों को चाहिए कि वे उक्त विदेशी करेन्सी अनिवासी (बैंक) जमाराशियां परिपक्व होने पर उन्हें खातेदार के विकल्प पर निवासी रुपया जमा खाते में अथवा निवासी विदेशी करेसी खाते में (यदि जमाकर्ता निवासी विदेशी करेसी खाता खोलने के लिए पात्र है तो) परिवर्तित करें। नयी जमाराशि (रुपया खाता अथवा निवासी विदेशी करेसी खाता) पर ब्याज ऐसी जमाराशियों पर यथा लागू संगत दरों पर देय होगा।

11. संयुक्त खाता, शेषराशियों का प्रत्यावर्तन, आदि :

संयुक्त खातों, निधियों के प्रत्यावर्तन, अस्थायी विज़िट के दौरान खाता खोलने, मुख्तारनामा के कार्य, खातों में रखी निधियों की जमानत पर ऋणों/ओवरड्राफटों से संबंधित अनिवासी विदेशी खातो पर यथा लागू शर्ते (अनुसूची 1 देखें) विदेशी करेन्सी अनिवासी (बैंक) खातों पर भी पूर्णत: लागू होंगी।

12. सूचना प्रणाली :

खातों में होने वाले लेनदेनों को रिज़र्व बैंक को उसके द्वारा समय-समय पर जारी किये गये निदेशानुसार सूचित किया जाएगा।

13. अन्य विशेषताएं :

क) रिज़र्व बैंक इन खातों में रखी किसी भी परिपक्वता की जमाराशियों के लिए प्राधिकृत व्यापारियों को विनिमय दर गारंटी प्रदान नहीं करेगा।

ख) इन खातों के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा जुटाये गये संसाधनों का उधार ब्याज-दर संबंधी किसी भी शर्त के अधीन नहीं होगा।

टिप्पणी :

जिस प्राधिकृत व्यापारी पास विदेशी करेन्सी अनिवासी (बैंक) खाता नहीं रखा गया है, उसके पास अनिवासी अप्रत्यावर्तनीय रुपया जमा खाते खोलने के प्रयोजनार्थ विदेशी करेन्सी अनिवासी (बैंक) जमाराशियें की अवधि-समाप्ति के पूर्व आहरण पर रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निदेशानुसार जुर्माना लागू होगा।


अनुसूची 3
डविनियम 5(1)(iii) देखें

अनिवासी सामान्य रुपये खाता योजना

1. पात्रता

क) भारत के बाहर निवास करनेवाला कोई भी व्यक्ति अधिनियम और उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों व विनियमों के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन न करते हुए रुपये में वास्तविक लेनदेन करने के प्रयोजनार्थ किसी प्राधिकृत व्यापारी अथवा प्राधिकृत बैंक के पास अनिवासी सामान्य रुपया खाता खोल सकता है।

ख) इन खातों में होनेवाले परिचालनों के फलस्वरूप खातेदार द्वारा भारत में निवास करने वाले किसी भी व्यक्ति को रुपये में प्रतिपूर्ति अथवा किसी अन्य तरीके से विदेशी करेन्सी उपलब्ध करा देने की स्थिति पैदा नहीं होनी चाहिए।

ग) खाता खोलने के समय खातेदार को चाहिए कि वह उस प्राधिकृत व्यापारी/प्राधिकृत बैंक को, जिसके पास खाता रखा गया है, इस बात का एक वचन प्रस्तुत करे कि भारत में निवेश के प्रयोजनार्थ खाते में डाली गयी नामे राशियों और निवेशों की बिक्री आय से खाते में की गयी जमाराशियों के मामलों में वह यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसे निवेश/विनिवेश रिज़र्व बैंक द्वारा इस बारे में किये गये विनियमनों के अनुसार होंगे।

टिप्पणीयां : अ. बांगलांदेश/पाकिस्तान की राष्ट्रीयता/स्वामित्व वाले व्यक्तियों/संस्थाओं द्वारा खाता खोलने के लिए रिज़र्व बैंक का अनुमोदन आवश्यक है।

. भारत स्थित डाक घर भारत के बाहर निसास करने वाले व्यक्तियों के नाम बचत बैंक खाते रख सकते हैं और इन खातों में उनहीं शर्तों के अधीन परिचालनों की अनुमति दे सकते हैं जो प्राधिकृत व्यापारी/प्राधिकृत बैंक के पास रखे अनिवासी सामान्य रुपया खातों पर लागू होती हैं।

2. खातों के प्रकार :

अनिवासी सामान्य रुपया खातों को चालू, बचत, आवर्ती अथवा सावधि जमा खातों के रूप में खोला/रखा जा सकता है। रिज़र्व बैंक द्वारा निवासी खातों के संबंध में जारी निदेशों में उल्लिखित अपेक्षाएं अनिवासी सामन्य रुपया खातों पर भी लागू होंगीं।

3. अनुमेय जमा/नामे राशियां

(क) जमा राशियां

  1. सामान्य बैंकिंग मार्ग से भारत के बाहर से किसी भी अनुमत करेन्सी में प्राप्त धन-प्रेषणों के अर्थागम अथवा खातेदा द्वारा भारत में अपने अस्थायी विजिट के दौरान प्रस्तुत कोई भी अनुमत करेन्सी अथवा अनिवासी बैंकों के रुपया खातों से अंतरण।

  2. भारत में खातेदार की वैध प्राप्य राशियां।

(ख) नामे राशियां

  1. रिज़र्व बैंक द्वारा बनाये गये संगत विनियमों के अनुपालन के अधीन निवेशों के लिए भुगतानों, सहित रुपये में सभी स्थानीय भुगतान।

  2. भारत में खातेदार की लागू करों को घटाकर वर्तमान आय का भारत से बाहर विप्रेषणं।

4. अनिवासी सामान्य रुपया खाते में रखी निधियों का विप्रेषण :

अनिवासी सामान्य रुपया खातों में धारित शेषराशियां रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना भारत के बाहर विप्रेषित करने के लिए पात्र नहीं हैं। विदेशी मुद्रा में विप्रेषणों के जरिए भारत के बाहर से प्राप्त उन निधियों पर ही भारत के बाहर विप्रेषण के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा विचार किया जाएगा जिनकी विप्रेषणयोग्य निधियों के रूप में पहचान बरकरार हो। जहां भारत की सैर करने वाले किसी विदेशी पर्यटक द्वारा किसी निर्दिष्ट तरीके से भारत के बाहर से विप्रषित निधियों अथवा उसके द्वारा भारत में विदेशी मुद्रा की बिक्री करते हुए खाता (चूल/बचत) खोला जाता है, वहां प्राधिकृत व्यापारी भारत से पर्यटक की वापसी के समय उसके खाते में धारित शेषराशि को खातेदार को भुगतान करने के लिए विदेशी मुद्रा में रुपांतरित कर सकता है बशर्ते उक्त खाते को छह महीने से अनधिक अवधि के लिए रखा गया हो और खाते पर उपचित ब्याज के अतिरक्ति उसके किसी अन्य स्थानीय निधि जमा नहीं की गयी हो।

5. ऋण/ ओवरड्राफट प्रदान करना :

क. खातेदारों को

  1. अनिवासी खातेदों को पुन: उधार देने अथवा कृषि/बागान के कार्यों के प्रयोजन अथवा स्थावर-संपदा के कारोबार में निवेश करने के प्रयोजन को छोड़कर अन्य वैयक्तिक प्रयोजनों के लिए अथवा कारोबार के कार्यों के लिए अनिवासी खातों पर सामान्यत: लागू मानदंडों के अधीन सावधि जमाराशियों की जमानत पर रुपये में ऋण स्वीकृत किये जा सकते हैं।

  2. प्राधिकृत व्यापारी/बैंक अपने वाणिज्यिक निर्णय और ब्याज-दर आदि व्युत्पन्नियों के अधीन खातेदार को उक्त खाते में ओवरड्राफट की अनुमति दे सकता हैं।

ख. तीसरी पार्टियों को

भारत में निवासी व्यक्तियों/फर्मों/कंपनियों को अनिवासी सामान्य रुपया खाते में रखी जमाराशियों की जमानत पर ऋण/ओवरड्राफट निम्नलिखित शर्तों के अधीन दिये जा सकते हैं

  1. ऋणों का उपयोग केवल खातेदार की वैयक्तिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने और/अथवा कारोबार के प्रयोजनार्थ किया जाएगा, न कि कृषि/बागान के कार्यों अथवा स्थावर-संपदा के लिए अथवा पुन: उधार देने के प्रयोजन के लिए।

  2. रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथा निर्धारित मार्जिन और ब्याज-दर से संबंधित विनियमों का अनुपालन किया जाएगा।

  3. व्यापार/उद्योग को प्रदत्त अग्रिमों के मामले में यथा लागू सामान्य मानदंड व प्रतिफल ऐसे ऋणों/सुविधाओं के लिए लागू होंगे।

6. उधारकर्ता की निवासीय हैसियत में परिवर्तन होने पर ऋणों/ओवरड्राफटों का निरूपण

उस व्यक्ति के मामले में, जिसने भारत में रहते समय ऋण अथवा ओवरड्रफट सुविधाओं का लाभ उठाया था और जो बाद में भारत के बाहर का निवासी बन जाता है, प्राधिकृत व्यापारी अपने विवेक और वाणिज्यिक निर्णय के अंतर्गत ऋण/ओवरड्राफट सुविधाओं को जारी रखने की अनुमति प्रदान कर सकता है। ऐसे मामलों में, ब्याज-भुगतान और ऋण की चुकौती आवक विप्रेषण अथवा संबंधित व्यक्ति के भारत में उपलब्ध वैध संसाधनों में से की जा सकती है।

7. निवासियों के पास संयुक्त खाते

ये खाते निवासियों के साथ संयुक्त रूप से रखे जा सकते हैं।

8. खातेदार की निवासीय हैसियत में परिवर्तन

क) निवासी ये अनिवासी

भारत में निवास करनेवाला कोई भी व्यक्ति जब एक अनिश्चित अवधि के लिए भारत से बाहर किसी भी देश में (नेपाल और भूटान को छोड़कर) नौकरी करने अथवा कारोबार करने अथवा व्यवसाय के लिए अथवा किसी अन्य प्रयोजन के लिए जाता है. तब उसकेवर्तमान खाते को अनिवासी (सामान्य) खाते के रूप में नामित किया जाना चाहिए।

ख) अनिवासी स निवासी

खातेदार द्वारा अनिश्चित अवणि के लिए भारत में रहने की इच्छा व्यक्त करते हुए नौकरी करने अथवा कारोबार करने अथवा व्यवसाय या अन्य किसी प्रयोजन के लिए भारत में वापसी पर अनिवासी (सामान्य) खातों को निवासी रुपया खातों के रूप में पुनर्निमित किया जा सकता है। जब खातेदार भारत में केवल अस्थायी दौरे पर होता है, तब ऐसे दौरे के दौरान खाते को अनिवासी खाते के रूप में मानते रहना चाहिए।

9. निवासी नामिती को निधियों का भुगतान

दिवगंत खातेदार के खाते में से अनिवासी नामिती को देय राशि भारत में प्राधिकृत व्यापारी/बैंक के पास रखे नामिती के अनिवासी सामान्य रुपया खाते में जमा की जाएगी।

10. लेनदेनों को सूचित करना

  1. उक्त खाते में किया गया ऐसा लेनदेन, जिसके संबंध में यदि यह प्रतीत हो कि वह प्राधिकृत व्यापारी से इतर भारत में निवास करने वाले किसी व्यक्ति को विदेशी मुद्रा पर रुपये में की गयी प्रतिपूर्ति है, तथा ऐसा लेनदेन जो संदिग्धस्वरूप का हो, रिज़र्व बैंक को सूचित किया जाना चाहिए।

  2. इन खातों में किये गये लेनदेनों को रिज़र्व बैंक को उसके द्वारा समय-समय पर जारी निदेशों के अनुसार सूचित किया जाएगा।


अनुसूची 4
विनियम 5(1)(iv) देखें

अनिवासी (अप्रत्यावर्तनीय) रुपया जमा योजना

1. पात्रता

भारत के बाहर निवास करनेवाला कोई भी व्यक्ति (पाकिस्तान/बांगलादेश की राष्ट्रीयत/स्वमित्व के व्यक्तियों/संस्थाओं को छोड़कर) किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास अनिवासी अप्रत्यावर्तनीय खाते खोल सकता है।

खातों को सामान्य बैंकिंग मार्ग के जरिए भारत के बाहर से विप्रेषित निधियों (मुक्त रूप से नूपांतरणीय करेसी में) में से भारतीय रुपये में खोला जाना चाहिए। अनिवासी भारतीयों/विदेशी कंपनी निकायों के मामले में, ऐसे खाते उनके मौजूदा अनिवासी विदेशी/विदेशी करेंसी अनिवासी जमा खातों से निधियों के अंतरण द्वारा भी खोले जा सकते हैं। किसी ऐसे प्राधिकृत व्यापारी के पास अनिवासी अप्रत्यावर्तनीय जमाराशियों रखने हेतु अनिवासी विदेशी/विदेशी करेंसी अनिवासी जमाराशियों में से अवधि-पूर्व आहरण पर रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निदेशों के अनुसार जुर्माना, यदि कोई हो, लगेगा जिसके पास अनिवासी विदेशी/विदेशी करेंसी अनिवासी खाता नहीं रखा गया हो।

2. जमाराशि की अवधि

जमाराशियाँ 6 माह से 3 वर्ष तक की अवधियों के लिए रखी जा सकती हैं।

3. ब्याज-दर

बैंक इस योजना के अंतर्गत रखी जमाराशियों पर और ऐसी जमाराशियों में रखी निधियों पर प्रदत्त अग्रिमों पर ब्याज-दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं।

4. प्रत्यावर्तनीयता

केवल इन जमाराशियों पर उपचित ब्याज ही प्रत्यावर्तनीय है।

5. नवीकरण/अंतरण

जमाराशि का मूलधन उस पर उपचित ब्याज-सहित 6 माह से 3 वर्ष तक की अतिरिक्त अवधि के लिए नवीकृत किया जा सकता है। यदि इस योजना के अंतर्गत किसी वर्तमान जमाराशि पर उपचित ब्याज का निवेश किया जाता है तो इस प्रकार निवेश की गयी ब्याज की राशि प्रत्यावर्तन के लिए पात्र नहीं होगी। खाते को एक प्राधिकृत व्यापारी से दूसरे प्राधिकृत व्यापारी को अंतरित भी किया जा सकता है।

6. उपहार

व्यक्तिगत जमा धारक के मामले में, जमाराशि किसी निवासी/अनिवासी व्यक्ति को अथवा आयकर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत मान्य भारत स्थित किसी धर्मार्थ न्यास को उपहार के रूप में दी जा सकती है।

7. निवासियों के साथ संयुक्त खाते

खाता निवासियों के साथ संयुक्त रूप से रखा जा सकता है।

8. ऋण/ओवरड्राफट

प्राधिकृत व्यापारी अपने सामान्य वाणिज्यिक निर्णय के अधीन खातेदारों/तीसरी पार्टियों को वैयक्तिक प्रयोजनों अथवा कारोबार के कार्यों के लिए इन जमाराशियों की जमानत पर भारत में ऋण/ओवरड्राफट प्रदान कर सकते हैं, लेकिन ऐसा ऋण/ओवरड्राफट कृषि/बागान संबंधी कार्यों अथवा स्थावर-संपदा अथवा पुन्: उधार देने के प्रयोजनार्थ नही दिया जा सकता है, खातेदार को ऋणों की चुकौती/ओवरडङाफट का परिसमापन भारत के बाहर से सामान्य बैंकिग मार्ग के जरिए आवक विप्रेषण द्वारा अथवा जमाकर्ता के अनिवासी विदेशी/विदेशी करेंसी एऋसीएनआर/अनिवासी सामान्य/अनिवासी अप्रत्यावर्तनीय/अनिवासी विशेष रुपया खाते में नामे डालते हुए अथवा जमाराशि परिपक्वता आय पर समायोजन द्वारा किया जाएगा। तीसरी पार्टियों द्वारा लिये गये ऋणों की चुकौती उहीं के संसाधनों में से की जाए।

9. नामांकन

प्राधिकृत व्यापारी किसी एक निवासी अथवा अनिवासी के पक्ष में नामांकन रजिस्टर कर सकता है। तथापि, अनिवासी के पक्ष में नामांकन इस शर्त के अधीन किया जाए कि जमाकर्ता की मृत्य1 हो जाने पर उसके नाम रखी जमाराशि का भुगतान अनिवासी नामिती को केवल भारतीय रुपये में नामित के अनिवासी सामान्य/अनिवासी एनआरएनआर/अनिवासी विशेष रुपया खाते में जमा करते हुए किया जाएगा और उसको भारत के बाहर विप्रेषित करने की अनुमति प्रदान नहीं की जाएगी।

10. सूचना-प्रणाली

इन खातों कें किये गये परिचालनों के संबंध में रिज़र्व बैंक को उसके द्वारा समय-समय पर जारी किये गये निदेशों के अनुसार सूचित किया जाएगा।


अनुसूची 5
विनियम 5(1)(v) देखें

अनिवासी (विशेष) रुपया खाता (एनआरएसआर) योजना

1. पात्रता

  1. ऐसे अनिवासी भारतीय (बांगलादेश/पाकिस्तान के नागरिकों को छोड़कर) किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास अनिवासी (विशेष) रुपया खाते रखने के लिए पात्र है, जो स्वेच्छया इन खातों में रखी निधियों और इन पर अर्जित ब्याज को विप्रेषित न करने का वचन देते है।

  2. इन खातों पर वहीं सुविधाएं तथा प्रतिबंध लागू होंगे, जो खाते में रखी निधियों और/अथवा उन पर उपचित ब्याज के प्रत्यावर्तन के संबंध में निवासियों के घरेलू खातों पर लागू होते हैं। भारत में शेयरों/प्रतिभूतियों अथवा अचल संपत्ति अथवा कृषि/बागान के कार्यो अथवा स्थावर-संपदा के कारोबार में किया गया निवेश इसका अपवाद है, जिन पर अनिवासियों द्वारा किये गये ऐसे निवेशों के लिए लागू विनियम लागू होंगे।

2. आवेदन-प्रपत्र

इन खातों को खोलने के प्रयोजनार्थ, इस अनुसूची के साथ संलग्नक प्रपत्र एनआरएनआर में एक आवेदन प्राधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत किया जाएगा।

3. खातों का प्रकार

इन खातों को चालू, बचत, आवर्ती अथवा सावधि जमा खाते के रूप में रखा जा सकता है।

4. संयुक्त खाते

ये खाते निवासियों के साथ संयुक्त रूप से रखे जा सकते है।

5. ब्याज-दर

निवासी खातों के लिए यथा लागू ब्याज-दर इन खातों पर लागू होंगी।

6. खातेदार की निवासीय हैसियत में परिवर्तन

जब भारत में निवास करनेवाला कोई व्यक्तिभारत से बाहर स्थायी रूप से अथवा एक अनिश्चित अवधि के लिए रहने की इच्छा व्यक्त करते हुए भारत के बाहर नौकरी करने, अथवा कारोबार करने अथवा व्यवसाय के लिए अथवा किसी अन्य प्रयोजन से भारत के बाहर (नेपाल और भूटान को छोड़कर) का निवासी बन जाता है, उसको अपने वर्तमान घेलू खाते को अनिवासी सामान्य खाते अथवा अनिवासी (विशेष) रुपया खाते के रूप में नामित करने का विकल्प होगा।

7. नामांकन सुविधा

प्राधिकृत व्यापारी या तो किसी निवासी के पक्ष में अथवा अनिवासी के पक्ष में नामांकन दर्ज कर सकता है। तथापि, एक अनिवासी नामिती, दिवंगत खातेदार के अनिवासी विशेष रुपया खाते में धारित निधियों अथवा उन पर उपचित आय/ब्याज में से विप्रेषण की सुविधा के लिए हकदार नहीं होगा।

8. अनिवासी (विशेष) रुपया खाते में ओवरड्राफट

प्राधिकृत व्यापारी/प्राधिकृत बैंक अपने वाणिज्यिक निर्णय के अंतर्गत खातेदार के खाते में ओवरड्राफट की अनुमति दे सकता है।

9. विविध

  1. निवासी व्यक्तियों द्वारा रखे जानेवाले घरेलू खातों के समान उक्त खातों पर मुक्त रूप से परिचालन किये जाने की अनुमति दी जा सकती है।

  2. खातेदार अनिवासी सामान्य/अनिवासी विदेशी/विदेशी करेंसी अनिवासी खातों से निधियाँ मुक्त रूप से अनिवासी (विशेष) रुपया खातों में अंतरित कर सकते है, लेकिन अनिवासी (विशेष) रुपये खातों से उपर्युक्त अन्य खातों में निधियां अंतरित नहीं की जा सकतीं।


अनुसूची 6
विनियम 7(I) देखें

भारत में निगमित किसी कंपनी (रिज़र्व बैंक में पंजीकृत किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी-सहित) द्वारा अनिवासी भारतीय या भारत से बाहर भारतीय मूल के किसी व्यक्ति से प्रत्यावर्तन आधार पर जमाराशियां स्वीकार करना

 

भारत में निगमित कोई कंपनी (रिज्!र्व बैंक में पंजीकृत किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी सहित) अनिवासी भारतीयों से प्रत्यावर्तन आधार पर निम्नलिखित शर्तों के अधीन जमाराशियां स्वीकार कर सकती है :

  1. जमाराशियां यदि सार्वजनिक जमायोजना के अंतर्गत प्राप्त की जाती हों।

  2. यदि जमाराशियां स्वीकार करनेवाली कंपनी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है तो, वह रिज़र्व बैंक में पंजीकृत हो और उसे इस प्रकार की कंपनियों के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अंतर्गत यथा-निर्धारित अपेक्षित ऋण पात्रता निर्धारण प्राप्त हो।

  3. इस प्रकार की जमाराशियां सामान्य बैंकिंग माध्यमों के जरिये भारत के बाहर से आवक प्रेषण द्वारा अथवा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी/प्राधिकृत बैंक में अनिवासी (बाह्य) खाता या विदेशी मुद्रा (अनिवासी)(बैंक) खाते में नामे डालकर प्राप्त की गयी हो।

  4. यदि जमाराशियां प्राप्त करनेवाली कंपनी कोई गैर-बैंकिंग कंपनी हो तो, इन जमाराशियों पर देय ब्याज की दर ऐसी कंपनियों के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों/निदेशों के अनुरूप होगी। अन्य मामलों में जमाराशियों पर देय ब्याज दर कंपनी (जमाराशियों का स्वीकरण) नियमावली, 1975 के अंतर्गत समय-समय पर निर्धारित उच्चतम ब्याज सीमा से अधिक नहीं होगी।

  5. जमाराशियों की परिपक्वतावधि 3 वर्ष से अधिक नहीं होगी।

  6. जमाराशियां स्वीकार करनेवाली कंपनी भारत सरकार या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किसी अन्य विधि, नियमों, विनियमों, आदेशों के प्रावधानों, जो जमाराशियां स्वीकार करने के संबंध में उस पर लागू हों, का पालन करेगी।

  7. कंपनी द्वारा स्वीकार की गयी कुल जमाराशियां उसकी स्वाधिकृत निधियों के 35- से अधिक नहीं होगी।

  8. जमाकर्ता को कंपनी प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से प्रेषण द्वारा या जमाकर्ता के अनिवासी विदेशी खाता (एनआइ)/विदेशी मुद्रा अनिवासी क्षाता (एफसीएनआर)(बी)/एनआरएनआर/एनआरओ/एनआरएसआर खाते में अपेक्षानुसार जमा करके करों को घटाकर ब्याज का भुगतान कर संकती है।

  9. इस प्रकार वसूली गयी जमाराशियों का उपयोग कोई भी कंपनी (गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं) पुन: उधार देने के लिए अथवा कृषि/बाग लगाने के कियकलापों या स्थावर संपदा कारोबार के लिए अथवा इस प्रकार का कार्य करने वाली या ऐसे कार्य करने का प्रस्ताव करनेवाली किसी अन्स संस्था, फर्म या कंपनी में निवेश के लिए नहीं करेगी।

  10. कंपनी जमाकर्ताओं को जमाराशियों की चुकौती किसी प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से भारत से प्रेषण द्वारा अथवा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के यहां जमाकर्ता के एनआरइ/एफसीएनआर (बी) खाता में जमा करके कर सकती है, बशर्ते जमाकर्ता चुकौती के समय तक अनिवासी बना रहता हो। जमाराशियों की परिपक्वता प्राप्ति के प्रेषण या उसकी जमाराशि को एनआरइ/एफसीएनआर(बी) खाते में जमा करने के प्रयोजनाथ्द प्राधिकृत व्यापारी को आवेदन करते समय कंपनी को यह प्रमाणित करना चाहिए कि वह जमाराशि भारत के बाहर से सामान्य बैंकिंग माध्यमों के जरिये प्राप्त हुई थी अथवा जमाकर्ता के एनआरइ/एफसीएनआर (बी) खाते में जमा राशि के जरिये, यथा स्थिति, प्राप्त हुई थी।

  11. जमाराशि की चुकौती की राशि को भी जमाकर्ता के एनआरएनआर/एनआरओ या एनआरएसआर खाते में जमाकर्ता के विकल्प पर, जमा किया जाना चाहिए।


अनुसूची 7
विनियम 7(2) देखें

भारतीय स्वत्वधारिता वाली संस्था/फर्म या कंपनी (रिज़र्व बैंक में पंजीकृत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी-सहित) द्वारा अनिवासी भारतीय तथा भारत से बाहर भारतीय मूल के किसी व्यक्ति से प्रत्यावर्तन आधार पर जमाराशियां स्वीकार करना

भारत में स्वत्वधारिता वाली कोई भी संस्था या फर्म अनिवासी भारतीयों से अप्रत्यावर्तन आधार पर जमाराशियां स्वीकार कर सकती है, और भारत में निगमित कोई भी कंपनी (रिज़र्व बैंक में पंजीकृत किसी गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी-सहित) अनिवासी भारतीयों/विदेशी कंपनी निकायों से अप्रत्यावर्तन आधार पर निम्नलिखित शर्तों के अधीन जमाराशियां स्वीकार कर सकती है :

  1. किसी कंपी के मामले में, ये जमाराशियां निजी व्यवस्था या सार्वजनिक जमा योजना के अंतर्गत स्वीकार की जा सकती है।

  2. यदि जमाराशियां स्वीकार करनेवाली कंपनी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है तो वह रिज़र्व बैंक में पंजीकृत हो और उसे इस प्रकार की कंपनियों के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों/निदेशों के अंतर्गत यथानिर्धारित अपेक्षित ऋण पात्रता निर्धारण प्राप्त हो।

  3. जमाराशियों की परिवक्वतावधि 3 वर्ष से अधिक नहीं होगी।

  4. यदि जमाराशियां प्राप्त करनेवाली कंपनी कोई गैर-बैंकिंग कंपनी हो तो, इन जमाराशियों पर देय ब्याज की दर ऐसी कंपनियों के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों/निदेशों के अनुरमप होगी। अन्य मामलों में जमाराशियों पर देय ब्याज दर कंपनी (जमाराशियों का स्वीकरण) नियमावली, 1975 के अंतर्गत समय-समय पर यथानिर्धारित उच्चतम ब्याज सीमा से अधिक नहीं होगी।

  5. य जमाराशियां सामान्य बैंकिग माध्यमों के जरिये भारत कें बाहर से आवक प्रेषण द्वारा या एनआरइ/ एफसीएनआ(बी)/ एनआरओ/ एनआरएनआर या एनआरएसआर खाते में नामे डालकर प्राप्त की जाएगी। पंरतु, यदि ये राशियां जमाकर्ता के एनआरएसआर खाते में रखी निधियों से जमा की जाएंगी तो ब्याज का भुगतान तथा जमाराशियों की चुकौती संबंधित जमाकर्ता के एन आर एस आर खाते में जमा करके की जाएगी। अन्य सभी मामलों में, परिपक्वतावधि प्राप्ति/ब्याज को एनआरओ खाते में जमा कर दिया जाएगा।

  6. जमाराशियां स्वीकार करनेवाली स्वत्वाधारितावाली संस्था/फर्म/कंपनी भारत सरकार या किसी अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किसी अन्य विधि, नियमों, विनियमों या आदेशों के प्रावधानों, जो जमाराशियां स्वीका करने के संबंध में उस पर लागू हों, का पालन करेंगी।

  7. जमाराशियां स्वीकार करने वाली स्वत्वधारिता वाली संस्था, फर्म या कंपनी जमाराशियों का उपयोग (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं) पुन: उधार देने के लिए अथवा कृषि/बाग लगाने के क्रियाकलाप या स्थावर संपदा का कारोबार करने के लिए अथवा इस प्रकार का कार्य करनेवाली या ऐसे कार्य करने में लगी या करने का प्रस्ताव करनेवाली किसी अन्य संस्था, फर्म या कंपनी में निवेश के लिए नहीं करेगी।

  8. स्वीकार की गयी जमाराशियों के लिए भारत के बाहर प्रत्यावर्तन की अनुमति नहीं होगी।

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