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विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) (संशोधन) विनियमावली, 2007

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई-400001

अधिसूचना सं.फेमा 154/2007-आरबी

दिनांक: 07 जून 2007

विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता)
(संशोधन) विनियमावली, 2007

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 9 के खण्ड (ख) और 47 की उप-धारा (2) के खण्ड (ङ) द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद् द्वारा समय समय पर संशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा. 10/2000-आरबी) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्,

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

(क) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) (संशोधन) विनियमावली,2007 कहलाएंगे ।

(ख) ये विनियम यहां नीचे विनिर्दिष्ट तारीख (तारीखों) से लागू समझे जाएंगे ।

2. विनियम में संशोधन

विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) विनियमावली, 2000 (अब इसके आगे से ‘मूल विनियमावली’ के रुप में उल्लिखित)

(1) सारणी में, पैराग्राफ (1) के लिए, निम्नलिखित पैराग्राफ प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात् :

‘‘(1) भारत में निवासी किसी व्यक्ति उप पैराग्राफ (1ए) में यथा विनिर्दिष्ट विदेशी मुद्रा अर्जन का 100 प्रतिशत भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते में जमा कर सकता है ।’’

यह 30 नवंबर 2006 से लागू समझा जाएगा ।

(2) विनियम 7 में, उप-विनियम 4ए में, उपबंध में, खण्ड (ख) में.

(क) उप-खण्ड (i) में , अंक ‘‘2’’ के लिए अंक ‘‘10’’ प्रतिस्थापित किया जाएगा,

(ख) उप-खण्ड (ii) में , अंक ‘‘1 ’’ के लिए अंक ‘‘5’’ प्रतिस्थापित किया जाएगा,

यह 21 अप्रैल 2006 से लागू समझा जाएगा ।

(3) विनियम 7 में, उप-विनियम 4ए में, उपबंध में, खण्ड (ख) में, उप-खण्ड (i) और उप-खण्ड (ii) निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात् :

‘‘ i) पिछले दो वित्तीय वर्षों के दौरान भारतीय कंपनी की औसत वार्षिक बिक्री/ आय अथवा टर्न ओवर का 15 प्रतिशत अथवा निवल मालियत का 25 प्रतिशत, जो भी उच्चतर हो, जहाँ धनप्रेषण शाखा अथवा कार्यालय अथवा प्रतिनिधि के प्रारंभिक व्यय मिटाने के लिए किया गया हो

और

पिछले वित्तीय वर्षों के दौरान इस प्रकार की औसत वार्षिक बिक्री/आय अथवा टर्न ओवर का 10 प्रतिशत, जहाँ धनप्रेषण शाखा अथवा कार्यालय अथवा प्रतिनिधि के आवर्ती व्यय मिटाने के लिए किया गया हो ;’’

यह 4 दिसंबर 2006 से लागू समझा जाएगा ।

(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


पाद टिप्पणी :

(i) यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी व्यक्ति पर इन विनियमों के पूर्वव्यापी प्रभाव से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
(ii) मूल विनियमावली 5 मई 2000 को जीएस.आर.सं. 393 (ई) के जरिये सरकारी राजपत्र में भाग ।।, धारा 3, उप-धारा (i)में प्रकाशित की गयी और तत्पश्चात् निम्नलिखित द्वारा संशोधित की गयी :

(क) 25 अगस्त 2000के जी.एस.आर.सं.675(ई)
(ख) 12 फरवरी 2001के जी.एस.आर.सं.89(ई)
(ग) 19 फरवरी 2001 के जी.एस.आर.सं.103(ई)
(घ) 21 मार्च 2001 के जी.एस.आर.सं.200(ई)
(ङ) 2 जनवरी 2002 के जी.एस.आर.सं.5 (ई)
(च) 9 अप्रैल 2002 के जी.एस.आर.सं.261 (ई)
(छ) 2 जुलाई 2002 के जी.एस.आर.सं.465 (ई)
(ज) 8 जुलाई 2002 के जी.एस.आर.सं.474 (ई)
(झ) 8 नवंबर 2002 के जी.एस.आर.सं.755 (ई)
(ञ) 8 नवंबर 2002 के जी.एस.आर.सं.756 (ई)
(ट) 18 मार्च 2003 के जी.एस.आर.सं.224 (ई)
(ठ) 14 मई 2003 के जी.एस.आर.सं.398 (ई)
(ड) 3 जून 2003 के जी.एस.आर.सं.452 (ई)
(ढ) 4 जून 2003 के जी.एस.आर.सं.453 (ई)
(ण) 7 जनवरी 2004 के जी.एस.आर.सं.11 (ई)
(त) 7 जनवरी 2004 के जी.एस.आर.सं.13 (ई)
(थ) 23 मार्च 2004 के जी.एस.आर.सं.209 (ई)

भारत सरकार के सरकारी गज़ट में प्रकाशित-
असाधारण-भाग ।।, खण्ड 3,
उप-खण्ड (i) दिनांक 30.06.2007-जी.एस.आर.सं.455 (ई)

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