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विदेशी मुद्रा प्रबंध - (भारत में रहने वाले किसी व्यक्ति के विदेशी मुद्रा खाते ) ( संशोधन) विनियमावली, 2010

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी  मुद्रा  विभाग
केन्द्रीय कार्यालय मुंबई-400001

अधिसूचना सं. फेमा. 204 / 2010-आरबी

दिनांक :   5 अपैल, 2010

विदेशी मुद्रा प्रबंध - (भारत में रहने वाले किसी व्यक्ति के विदेशी मुद्रा खाते )
( संशोधन) विनियमावली, 2010

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का अधिनियम 42) की धारा 9 के परंतुक (ख) के और धारा 47 की उपधारा (2) के परंतुक (ङ) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में रहने वाले किसी व्यक्ति के विदेशी मुद्रा खाते ) विनियमावली 2000 (मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.10/2000-आरबी) में , समय समय पर यथा संशोधित , निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थातः

1.   संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

(i)  ये विनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में रहने वाले किसी व्यक्ति के विदेशी मुद्रा खाते ) (संशोधन) विनियमावली 2010 कहलाएंगे।

(ii)   ये  इसके द्वारा विर्निदिष्टि तारीख (तारीखों )  से लागू होंगे।

2.   विनियमावली में संशोधन

विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में रहने वाले किसी व्यक्ति के विदेशी मुद्रा खाते ) विनियमावली 2000 के विनियम 6 के  उप- विनियम में  (2) में निम्नलिखित उप- नियम जोड़ा जाएगा, अर्थात्

(i) "(3)एक प्राधिकृत व्यापारी भारत में, रिज़र्व बैंक द्वारा समय- समय पर जारी निदेशों के अधीन , विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में किसी संस्थान की शाखा, अथवा कार्यालय अथवा कारोबार के अन्य स्थल की स्थापना) विनियमावली 2000,समय समय पर यथासंशोधित के विनियम 5 के परंतुक (ii) के अनुसार विदेशी कंपनियों द्वारा भारत में संस्थापित परियोजना कार्यालयों  को भारत में निष्पादित की जाने वाली परियोजनाओं के लिए  ब्याज रहित विदेशी मुद्रा खाता खोलने, रखने और बनाए रखने की अनुमति  दे सकते हैं ।"

यह माना जायेगा कि यह  विनियम 17 मई 2005 @ से  लागू  है ।

(ii) विनियम 6 के उप-विनियम (3)में उपर्युक्त परंतुक (i) द्वारा " विदेशी मुद्रा खाता "शब्दों के लिए यथासंशोधित " एक अथवा अधिक विदेशी मुद्रा खाते " शब्दों से प्रतिस्थापित किया जायेगा , जिसे  31 जुलाई 2008 से लागू माना जायेगा ।

(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


पाद टिप्पणी :

(i)  @यह स्पष्ट किया जाता है कि इस विनियम के पूर्वव्यापी प्रभाव से किसी व्यक्ति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

(ii)  मूल विनियम 5 मई  2000 को जी.एस.आर. सं.393(E) द्वारा सरकारी राजपत्र के भाग II, खंड 3, उप-खंड (i) में प्रकाशित किए गए और तत्पश्चात् निम्नलिखित द्वारा संशोधित किए गए -

(क)

25 अगस्त 2000 की जी.एस.आर. 675(E)

(ख)

12 फरवरी 2001 की जी.एस.आर. 89(E)

(ग)

19 फरवरी 2001 की जी.एस.आर. 103 (E)

(घ)

21 मार्च 2001 की जी.एस.आर. 200(E)

(ङ)

02 जनवरी 2002 की जी.एस.आर. 5 (E)

(च)

09 अप्रैल 2002 की जी.एस.आर. 261(E)

(छ)

02 जुलाई 2002 की जी.एस.आर. 465(E)

(ज)

08 जुलाई 2002 की जी.एस.आर. 474(E)

(झ)

08 नवंबर 2002 की जी.एस.आर. 755(E)

(ञ)

08 नवंबर 2002 की जी.एस.आर. 756(E)

(ट)

18 मार्च 2003 की जी.एस.आर. 224(E)

(ठ)

14 मई 2003 की जी.एस.आर. 398(E)

(ड)

03 जून 2003 की जी.एस.आर. 452(E)

(ढ)

04 जून 2003 की जी.एस.आर. 453(E)

(ण)

07 जनवरी 2004 की जी.एस.आर. 11(E)

(त)

07 जनवरी 2004 की जी.एस.आर. 13(E)

(थ)

23 मार्च 2004 की जी.एस.आर. 209(E)

(द)

3 0 जून 2007 की जी.एस.आर. 455(E)

(ध)

19 दिसंबर 2007 की जी.एस.आर. 778(E)

(न)

15 फरवरी 2008 की जी.एस.आर. 92(E)

(य)

23 नवंबर 2009 की जी.एस.आर. 838(E)


भारत सरकार  के  सरकारी  राजपत्र – असाधारण- भाग II,खण्ड 3, उप खण्ड (i) दिनांकित 21.04.2010- जी.एस.आर सं.340 (ई) में प्रकाशित

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