विदेशी मुद्रा प्रबंध {भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा (करेंसी) खाता} विनियमावली, 2015 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध {भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा (करेंसी) खाता} विनियमावली, 2015
भारिबैंक/2015-16/309 4 फरवरी 2016 सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी और प्राधिकृत बैंक महोदया/महोदय, विदेशी मुद्रा प्रबंध {भारत में निवासी किसी व्यक्ति प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 16 मई 2000 के ए.डी.(एम.ए.सीरीज़) परिपत्र सं. 11 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें प्राधिकृत व्यापारियों को विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (जिसे इसके बाद अधिनियम कहा गया है) के अंतर्गत जारी विभिन्न नियमावलियों, विनियमावलियों, अधिसूचनाओं / निदेशों की सूचना दी गई थी। समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि समय समय पर यथासंशोधित, विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा (करेंसी) खाता) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन किए जाएं। तदनुसार, भारत सरकार के परामर्श से उल्लिखित विनियमावली का निरसन किया गया है और विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा (करेंसी) खाता) विनियमावली, 2015 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है। 2. इन विनियमों के अनुसार किसी "विदेशी मुद्रा खाते’ का तात्पर्य भारत अथवा नेपाल अथवा भूटान की मुद्रा से भिन्न किसी अन्य मुद्रा में रखे खाते से है; 3. इन विनियमों का प्रयोजन भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा भारत में और भारत से बाहर विदेशी मुद्रा खाते खोलने और उन्हें बनाए रखने को विनियमित करना है। 4. विनियम सं. 4 के अनुसार, भारत में निवासी कोई व्यक्ति भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास, उल्लिखित विनियमों में विनिर्दिष्ट शर्तों के अंतर्गत (जहां कहीं आवश्यक है, इस बाबत ब्योरे इस परिपत्र के अनुबंध में दिये गए हैं) निम्नलिखित खाते खोल सकता है, धारण कर सकता है और बनाए रख सकता है: (ए) विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाता योजना (विनियमावली की अनुसूची-I) की शर्तों के अंतर्गत विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (EEFC) खाता; (बी) इन विनियमों के उप-विनियम (बी) में उल्लिखित विदेशी मुद्रा की प्राप्तिगत स्रोतों से निवासी विदेशी मुद्रा खाता; (सी) इन विनियमों के उप-विनियम (सी) में उल्लिखित विदेशी मुद्रा की प्राप्तिगत स्रोतों से भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाता [RFC (D)]; (डी) डायमंड डॉलर खाता (DDA) – भारत साकार की विदेश व्यापार नीति में विनिर्दिष्ट पात्रता मानदंडों का अनुपालन करने वाली फ़र्मे और कंपनियाँ जो डायमंड डॉलर खाते संबंधी शर्तों (विनियमों की अनुसूची–II) को पूरा करती हों। 5. इसके अतिरिक्त, निम्नलिखित व्यक्ति विनियम सं. 4 के अनुसार इन विनियमों में (जहां कहीं आवश्यक है ब्योरा इस परिपत्र के अनुबंध में दिया गया है) दी गई शर्तों के अंतर्गत भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास विदेशी मुद्रा खाता खोल सकता है/खाते खोल सकते हैं: (ए) विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित यूनिट; (बी) कोई निर्यातक जो विदेश में सेवाओं और आस्थगित भुगतान की शर्तों पर इंजीनियरिंग माल की आपूर्ति करता है अथवा किसी तैयार परियोजना अथवा निर्माण संविदा का कार्य करता है; (सी) विदेशी एयरलाइन अथवा शिपिंग कंपनियों के भारतीय एजेंट; (डी) भारत में जहाज-कर्मी दल / क्रू-प्रबंधन एजेंसियां; (ई) 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (शाखा अथवा कार्यालय अथवा अन्य कारोबारी स्थल की भारत में स्थापना) विनियमावली, 2000 के अनुसार भारत में स्थापित परियोजना कार्यालय; (एफ़) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त करने वाली भारतीय कंपनियाँ; (जी) अंतरराष्ट्रीय सेमिनार, सम्मेलन, कन्वेन्शन्स, आदि के आयोजक । 6. विनियम सं. 5 के अनुसार, भारत में निवासी कोई व्यक्ति उल्लिखित विनियमों में विनिर्दिष्ट शर्तों के अंतर्गत (जहां कहीं आवश्यक है, इस बाबत ब्योरे इस परिपत्र के अनुबंध में दिये गए हैं) निम्नलिखित खाते खोल सकता है/खोल सकते हैं; (ए) भारत का कोई प्राधिकृत व्यापारी भारत से बाहर अपनी शाखा / प्रधान कार्यालय / तदनुरूपी बैंक में; (बी) भारत में निगमित अथवा गठित कोई बैंक भारत से बाहर की किसी शाखा में; (सी) कोई भारतीय फ़र्म / कंपनी / कंपनी निकाय अपने विदेशी कार्यालय / शाखा अथवा भारत से बाहर तैनात अपने प्रतिनिधि के लिए; (डी) कोई निर्यातक जो विदेश में सेवाओं और आस्थगित भुगतान की शर्तों पर इंजीनियरिंग माल की आपूर्ति करता है अथवा किसी तैयार परियोजना अथवा निर्माण संविदा का कार्य करता है; (ई) [समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 में यथा परिभाषित] कोई भारतीय पार्टी विदेश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने के लिए खाता खोल सकती है, बशर्ते विदेशी विनियामक ऐसा खाता रखने की अपेक्षा करता हो; (एफ़) ईसीबी अथवा एडीआर / जीडीआर के जरिए धन उगाहने वाला व्यक्ति; (जी) भारतीय शिपिंग अथवा एयरलाइन कंपनियाँ; (एच) जीवन / सामान्य बीमा कारोबार करने के प्रयोजन से भारतीय जीवन बीमा निगम अथवा भारतीय सामान्य बीमा निगम और उनकी सहायक कंपनियाँ; (आई) उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत कोई निवासी व्यक्ति; (जे) समुद्रपारीय प्रदर्शनी अथवा व्यापार मेले में भाग लेने हेतु जाने वाला कोई व्यक्ति; (के) अध्ययन के लिए विदेश जाने वाला कोई व्यक्ति; (एल) विदेश में दौरे पर जाने वाला व्यक्ति, बशर्ते भारत लौटने पर उसके द्वारा इतिशेष प्रत्यावर्तित किया जाए; (एम) भारत में निवासी कोई विदेशी नागरिक जो किसी विदेशी कंपनी का कर्मचारी है, अथवा कोई भारतीय नागरिक, जो विदेशी कंपनी का कर्मचारी है, दोनों ही मामलों में, भारतीय में उसके कार्यालय / शाखा / सहायक कंपनी / संयुक्त उद्यम / समूह कंपनी में प्रतिनियुक्ति पर है; (एन) भारत में निवासी कोई विदेशी नागरिक जो भारतीय कंपनी में कर्मचारी है। 7. विनियम 6 के अनुसार, जब तक कि अन्यथा स्पष्ट रूप से उल्लेख न हो, इन विनियमों के अंतर्गत भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास किसी व्यक्ति द्वारा चालू अथवा बचत अथवा मियादी जमा खाते और सभी अन्य मामलों में चालू खाते अथवा मियादी खाते के रूप में खोले, धारण एवं बनाए रखे जा सकते हैं। ऐसा खाता खोलने, धारण करने और बनाए रखने के लिए पात्र व्यक्ति के नाम में एकल अथवा संयुक्त रूप में यह खाता रखा जा सकता है/ये खाते रखे जा सकते हैं। 8. नए विनियम 21 जनवरी 2016 के जीएसआर सं. 96 के जरिए 21 जनवरी 2016 की अधिसूचना सं. फेमा 10(आर)/2015-आरबी द्वारा अधिसूचित किए गए हैं और 21 जनवरी 2016 से लागू होंगे। उल्लिखित परिवर्तनों को अंतविष्ट करने के लिए 2015-16 के मास्टर निदेश सं. 14 (जमा और खाते) को तदनुसार अद्यतन कर दिया गया है। 9. प्रधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं। 10. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किये गये हैं। भवदीय, (बी.पी.कानूनगो) |