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विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदा) (संशोधन) विनियमावली, 2007

भ्ाारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई 400 001.

अधिसूचना सं.फेमा.159 /आरबी-2007

दिनांक सितंबर 17, 2007

विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदा) (संशोधन) विनियमावली, 2007

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का अधिनियम 42) की धारा 47 की उप-धारा (2) के खंड (ज) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदा) विनियमावली, 2000 (दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.पेमा 25/2000-आरबी) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात् :-

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

(i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध(विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदा) (संशोधन)विनियमावली,2007 कहलाएंगे।
(ii) ये विनियम , इन विनियमों में निर्दिष्ट तारीखों * से लागू होंगे।

2. विनियम 6 का संशोधन

विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न संविदा) की विनियमावली, 2000 (दिनांक 3 मई, 2000 की अधिसूचना फेमा 25/आरबी-2000) (इसके आगे "मूल विनियमावली" के रूप में उल्लिखित) में विनियम 6 में , उप-विनियम (ii) में " इसके द्वारा आयतित / निर्यातित " शब्दों को हटा दिया जाएगा तथा मई 2007 के 31 वें दिन से हटा दिया गया समझा जाएगा ।

3. नया विनियम 8 जोड़ना - मूल विनियमावली में, विनियम 7 के बाद निम्नलिखित नया विनियम जोड़ा जाएगा तथा जुलाई 2005 के 23 वें दिन से जोड़ा गया समझा जाएगा, अर्थात् :-

"8. पण्य व्युत्पन्न संविदा संबंधी प्रेषण - भारत में प्राधिकृत व्यापारी निम्नलिखित मामलो में, इन विनिमयों के अनुसार किए गए लेनदेनों के संबंध में विदेशी मुद्रा भारत से बाहर प्रेषित कर सकता है , अर्थात् :-

(क) भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति को देय ऑप्शन ;
(ख) विनिमय 6 के अनुसार किए गए पण्य व्युत्पन्न संविदा को प्रासंगिक
राशि का भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा प्रेषण ; (ग) रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमोदित पण्य व्युत्पन्न संविदा संबंधी कोई अन्य संविदा"

4. अनुसूचियों के संशोधन -मूल विनियमावली में,

(i) अनुसूची I में पैराग्राफ " अ " के बाद नया पैराग्राफ जोड़ा जाएगा तथा दिसंबर 2006 के 13 वें दिन से जोड़ा गया समझा जाएगा, अर्थात्:-

" अअ. आर्थिक निवेश के संबंध में वायदा संविदा - भारत में निवासी व्यक्ति, समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा यथानुबद्ध शर्तों के अधीन रिज़र्व बैंक द्वारा समय- समय पर यथानिर्धारित ऐसे लेनदेनों में विनियम जोखिम के आर्थिक जोखिम की रक्षा के लिए भारत में किसीप्राधिकृत व्यापारी के साथ वायदा संविदा कर सकता है।"

(ii) अनुसूची II में, पैराग्राफ 1में, खंड(ख) के लिए निम्नलिखित को प्रस्थापित किया जाएगा तथा फरवरी 2007 के 8 वें दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा, अर्थात्:-

" (ख)रिज़र्व बैंक द्वारा समय- समय पर यथानिर्धारित शर्तों के अधीन वायदा संविदा को रद्द और पुन:बुक किया जाए अथवा परिपक्वता अवधि को अथवा उसके पहले पुनर्निर्धारित किया जाए। "

 

(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक


पाद टिप्पणी:-

1.* प्रमाणित किया जाता है कि इस अधिसूचना के पूर्व प्रभावी होने से किसी भी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

2. मूल विनियमावली मई 8, 2000 के जी.एस.आर. सं. 411(E) द्वारा भारत के राजपत्र, भाग II ,खंड 3,उप-खंड(i) में प्रकाशित की गईद तथा बाद में निम्नलिखित द्वारा संशोधित किए गए-

दिनांक 28.9.2000 का जीएसआर सं. 756 (E)
दिनांक 09.4. 2002 का जीएसआर सं. 264(E)
दिनांक 19.8.2002 का जीएसआर सं. 579 (E)
दिनांक 18.3.2003 का जीएसआर सं. 222 ()िं
दिनांक 09.7.2003 का जीएसआर सं. 532 (E)
दिनांक 11.11. 2003 का जीएसआर सं.880()िं
दिनांक 11.11. 2003 का जीएसआर सं.881(E)
दिनांक 28.12.2005 का जीएसआर सं.750 (E)
दिनांक 19.4.2006 का जीएसआर सं. 222(E)और
दिनांक 19.4. 2006 का जीएसआर सं. 223 (E)

जी.एस.आर.सं. 760(E) / दिसंबर 7, 2007

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