विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न/डेरिवेटिव संविदा) (संशोधन) विनियम, 2012 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न/डेरिवेटिव संविदा) (संशोधन) विनियम, 2012
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना संख्या फेमा.226/2012-आरबी 16 मार्च 2012 विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न/डेरिवेटिव संविदा) (संशोधन) विनियम, 2012 विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 के 42) के खंड 47 के उप-खंड (2) की शर्त (एच) द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए, रिज़र्व बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न/डेरिवेटिव संविदा) विनियम, 2000 (अधिसूचना संख्या फेमा 25/आरबी-2000 दिनांकित 3 मई 2000) में निम्नलिखित संशोधन किये जा रहे हैं:- 1. संक्षिप्त नाम तथा प्रारम्भ (i) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न/डेरिवेटिव संविदा) (संशोधन) विनियम, 2012 के नाम से जाना जाएगा। (ii) इन्हें इन विनियमों @ में निर्दिष्ट दिनांकों से प्रभावी माना जाएगा। 2. अनुसूचियों का संशोधन विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न/डेरिवेटिव संविदा) विनियम, 2000 (अधिसूचना संख्या फेमा 25/आरबी-2000-आरबी दिनांकित 3 मई 2000). अनुसूची ।। में, (i) पैराग्राफ ‘1’ के बाद, निम्नलिखित नया पैराग्राफ इसमें शामिल किया जाएगा तथा यह 20 मई 2011 से प्रभावी/लागू हुआ माना जाएगा:- “1ए रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथानिर्धारित निबंधनों तथा शर्तों के अधीन एक पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक अवरुद्ध राशि प्रणाली द्वारा समर्थित आवेदन (एएसबीए) के अंतर्गत प्रारम्भिक सार्वजनिक प्रस्तावों (आईपीओ) से संबन्धित अस्थायी पूंजी प्रवाहों का बचाव करने के लिए विदेशी मुद्रा – रुपए स्वैप करार कर सकते हैं” (ii) पैराग्राफ ‘4’ के बाद, निम्नलिखित नया पैराग्राफ इसमें शामिल किया जाएगा तथा यह 21 जुलाई 2011 से प्रभावी/लागू हुआ माना जाएगा:- “5. रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथानिर्धारित निबंधनों तथा शर्तों के अधीन, एक अनिवासी आयातक/निर्यातक भारतीय रुपयों में बने इन्वॉइस में भारत से आयात तथा उसको निर्यात के संबंध में मुद्रा जोखिम से बचाव करने हेतु भारत में प्राधिकृत डीलर के साथ किसी एक मुद्रा के रूप में रुपए या विदेशी मुद्रा के साथ रुपए ऑप्शन वायदा संविदा करार कर सकते हैं।” (मीना हेमचन्द्र) फुटनोट:- 1. @ यह स्पष्ट किया जाता है कि इन विनियमों को पूर्व व्यापी प्रभाव दिये जाने के कारण किसी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। 2. प्रमुख विनियमों को जी.एस.आर संख्या 411 (ई) दिनांकित 08 मई 2000 के माध्यम से भाग ॥ खंड 3, उपखंड (i) में सरकारी राजपत्र में प्रकाशित किया गया था तथा बाद में निम्न के माध्यम से संशोधित किया गया था – जी.एस.आर. संख्या 756 (ई) दिनांकित 28.09.2000
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