विदेशी मुद्रा प्रबंध (बीमा) विनियमावली 2000 - जीवन बीमा ज्ञापन (एलआईएम) - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (बीमा) विनियमावली 2000 - जीवन बीमा ज्ञापन (एलआईएम)
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिक्रम क्र.72 जनवरी 17, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी महोदया/महोदय, विदेशी मुद्रा प्रबंध (बीमा) विनियमावली प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 3 मई, 2000 को अधिसूचना सं. फेमा 12/2000-आरबी अर्थात विदेशी मुद्रा (बीमा) विनियमावली 2000 की ओर आकृष्ट किया जाता है। भारत में जीवन बीमा से संबंधित विदेशी मुद्रा नियंत्रण विनियमावली का प्रकाशित ज्ञापन संलग्न है। ज्ञापन के अनुसार इस प्रक्रिया में प्रमुख परिवर्तनों को परिशिष्ट में दिया गया है। 2. विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमावली 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं। 3. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कर दें। 4. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं। भवदीय, (ग्रेस कोशी) परिशिष्ट संशाधित एलआईएम में प्रस्तावित प्रमुख परिवर्तन
परिशिष्ट एलआईएम भारत में जीवन बीमा से संबंधित 1. प्रस्तावना भारत में जीवन बीमा कारोबार भारतीय रिज़र्व बैंक के मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.1 और 12/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित नियमावली के अनुसार बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) द्वारा पंजीकृत कंपनियों द्वारा किया जा सकता है। 2. ज्ञापन का विस्तार अनिवासियों के लिए रुपए और विदेशी मुद्रा में जारी की जाने वाली जीवन बीमा पॉलिसियों को नियंत्रित करने संबंधी विदेशी मुद्रा नियंत्रण विनियमावली, किश्तों की वसूली, दावों का निपटान, विदेश में विदेशी मुद्रा खातों का अनुरक्षण और उनका परिचालन पुनर्बीमा, अधिशेष निधियों का विदेश में निवेश और आनुषंगिक मामले शामिल किए गए हैं। विदेशी मुद्रा की प्राप्ति और उसका भुगतान मई 3, 2000 की अधिसूचना फेमा.सं.14/2000-आरबी के अनुसार अर्थात् विदेशी मुद्रा प्रबंध (प्राप्ति और भुगतान का स्वरूप) विनियमावली के अनुसार होगा। चालू खाता लेनदेन के लिए बीमाकर्ता भारत सरकार की समय समय पर अधिसूचना फेमा 1999 के अंतर्गत रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विविध अधिसूचनाओं को संदर्भित करें। 3. परिभाषा ज्ञापन के प्रयोजन के लिए "भारत में निवासी व्यक्ति", "भारत से बाहर निवासी व्यक्ति" और "विदेशी मुद्रा "अभिव्यक्तियों के वही अर्थ होंगे जो कि विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) में परिभाषित हैं। "विदेशी नागरिकों" का वही अर्थ होगा जो की मई 3, 2000 की फ़ेमा अधिसूचना सं.12/2000 - आरबी के विनियम 4 में परिभाषित है। ‘‘भारतीय मूल के व्यक्ति’’ का अर्थ वही होगा जो मई 3. 2000 की फेमा अधिसूचना सं.5/आरबी-2000 में परिभाषित है। 4. पॉलिसियों का निर्गम और किश्तों की वसूली क) निवासी (i) भारतीय रिष्ट्रीयता अथवा मूल के निवासी व्यक्तियों को विदेशी मुद्रा में पॉलिसियाँ जारी की जा सकती हैं, जो अनिवासी होने के बार भारत लौट आए हैं बशर्ते कि किश्तों का भुगतान उनके द्वारा विदेश में धारित विदेशी मुद्रा निधियों में से प्रेषणों द्वारा अथवा भारत में प्राधिकृत व्यापारी के पास उनकी निवासी विदेशी मुद्रा (आरएफसी) खाते में से किया जाए। (ii) विदेशी मुद्रा अथवा रुपए में नामित पॉलिसियॉं भारत में अस्थाई रूप से निवासी विदेशी नागरिकों को जारी की जा सकती हैं बशर्ते कि किश्तों का भुगतान विदेशी मुद्रा निधियों मे से अथवा भारत में अर्जित उनकी आय में से अथवा भारत में प्रत्यावर्तनीय अधिवर्षता/पेंशन निधियों में से किया जाए। (iii) भारत मे निवासी व्यक्तियों के जीवन के लिए जारी रुपया पॉलिसियों का विदेशी मुद्रा में परिवर्तन अथवा ऐसी पॉलिसियों का भारत से बाहर किसी देश में अंतरण रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना अनुमत नहीं है। ख) अनिवासी (i) बीमाकर्ता विदेशी मुद्रा मे नामित पॉलिसियॉं भारत में अथवा विदेश में अपने कार्यालयों के माध्यम से विदेश में अनिवासियों को जारी कर सकता है बशर्ते कि, प्रीमियम की वसूली विदेशी से विदेशी मुद्रा में अथवा बीमित व्यक्ति के एनआरई/एफसीएनआर खाते में से अथवा भारत में उसके परिवार के सदस्यों से वसूल हो। ii) अनिवासियों को जारी रुपए में नामित पॉलिसियॉं की किश्तें एनआरओ खाते में धारित निधियों में से स्वीकार की जा सकती हैं। (iii) बीमाकर्ता के समुद्रपारीय कार्यालयों द्वारा भारतीय नागरिकों और विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के निवासी व्यक्तियों को जारी पॉलिसियॉं पॉलिसी के लिए रखी गई एक्चूरियल प्रारक्षित निधि समेत, पॉलिसी धारक के भारत लौटने पर भारतीय रजिस्टर में अंतरित की जा सकती है। ऐसी परिस्थितियों मे सिवाय उन मामलों के जहां के पॉलिसी धारक के भारत लौटने के कम से कम 3 साल पहले तक प्रभावी रही हो और पॉलिसी धारक विदेशी मुद्रा पॉलिसी जारी रखने और धारएण करने का इच्छुक हो उनके सिवाय विदेशी मुद्रा पॉलिसियॉं रुपया पॉलिसी में परिवर्तित कर दी जाएंगी। ऐसी पॉलिसियॉं की किश्तों के विदेशी मुद्रा में भुगतान के प्राप्त अनुरोधों को प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा स्वीकार किय जा सकता है बशर्ते कि पॉलिसी धारक परिपक्वता आय को अथवा पॉलिसी पर अन्य कोइर्अ देय रकम को सामान्य ब्ाकिन के रास्ते से भारत में प्रत्यावर्तित करने का वचन देते हैं। 5. दावों का निपटान (i) रुपया जीवन बीमा पॉलिसियॉं के दावों का भारत से बाहर निवासी वादियों के पक्ष में निपटान करने के लिए मुलभूत नियम यह है कि विदेशी मुद्रा में भुगतान की अनुमति केवल विदेशी मुद्रा में भुगतान की गई किश्तों की राशि के कुल देय किश्तों के संबंध में समानुपातिक किया जाएगा। (ii) बीमा दावों/परिपक्वता/अभ्यर्पण मूल्य का अनिवासी हिताधिकारियों को विदेशी मुद्रा में दिए जाने वाले मूल्य को एनआरई/एफसीएनआर खाते में जमा करने करने की अनुमति, यदि वे ऐसा चाहते हों तो, दी जा सकती है। (iii) बीमा दावों/परिपक्वता/अभ्यर्पण मूल्य का निवासी हताधिकारियों को विदेशी मुद्रा में दिए जाने वाले मूल्य को आरएफसी खाते में जमा करने करने की अनुमति, यदि वे ऐसा चाहते हों तो, दी जा सकती है। (iv) अनिवासी भारतीयों को जारी रुपया-जीवन बीमा पॉलिसियों के दावे परिपक्वता आय/अभ्यर्पण मूल्य जिसके लिए अपरिवर्तनीय रुपए के रूप में किश्तों की वसूली की गई थी हिताधिकारी के एनआरओ खाते केवल रुपए में जमा किए जाएं। यह अनावासी समनुदेशिती/नामितों के पक्ष में निपटाए गए मृतक के दावों पर भी लागू होगा। (v) भारत में अस्थाई रूप से रहने वाले विदेशी नागरिकों को जारी रुपया पॉलिसियों के संबंध में दावों/परिपक्वता/अभ्यर्पण मूल्य के रूप मेग किए गए भुगतान रुपये में किए जाए अथवा यदि वादी चाहता है तो उसे विदेश में भेजनेकी अनुमति दी जाए। 6. समुद्रपारीय एजेंटों को कमीशन बीमाकर्ता भारत से बाहर निवासी अपने अस्थायी एजेंटो को कमीशन दे सकता है चाहे उनके द्वारा बुक किया गया व्यापार ऐसे व्यक्तियों के जीवन के लिए हो जो कि भारत में निवासी हों और उनसे संबंधित किश्तें रुपए में भारत में चुकाई गई हों। ऐसे एजेंटों को चालू खाता लेनदेन से संबंधित भारत से कमीशन का प्रेषण समय समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की सरकारी अधिसूचना सं.जीएसआर.381(E) द्वारा नियंत्रित होगा। 7. पुनर्बीमा वर्तमान अनुदेशों के अनुसार, आईआरडीए के पास पंजीकृत बीमा कंपनियों की पुनर्बीमा व्यवस्था के लिए कंपनियों द्वारा स्वयं वार्षिक आधार पर और आईआरडीए के साथ परामर्श करके बीमा कंपनी के बोर्ड के अनुमोदन से निर्णय किया जाएगा। इन बीमा कंपनियों द्वारा नामित प्राधिकृत व्यापारी संबंधित बीमा कंपनियों के बोर्ड द्वारा निर्धारित नियम और शर्तों के अनुसार पुनर्बीमा व्यवस्था के लिए प्रेषण की अनुमति दे सकते हैं। 8. विदेशी मुद्रा खाते बीमाकर्ता ज्ञापन में निर्धारित विनियमावली के अनुसार जीवन बीमा कारोबार और उससे संबंधित प्रांसगिक खर्चोके लिए विदेश में किए गए व्यापार हेतु भारत से बाहर बैंक में विदेशी मुद्रा खाते खोल सकते हैं, धारित कर सकते हैं और अनुरक्षित कर सकते हैं। बीमाकता विदेशी केंद्र पर अधिशेष निधियों को नियमित रूप से भारत में अंतरित करते रहें और प्रयास करें कि सामान्य कारोबार के लिए वांछित न्यूनतम शेष विदेशी मुद्रा खाते में रक्षी जाए। 9. विदेशी में निवेश वर्तमान निवेशों के नवीकरण, वर्तमान निवेशों की परिपक्वता आय का पुनर्निवेश और विदेश में धारित निधियों में सरकारी/अर्ध सरकारी प्रतिभूतियों और बैंक जमा राशि में नया निवेश, रिज़र्व बैंक की बिना किसी पूर्व अनुमोदन बीमाकता द्वारा मुक्त रुप से निवेश किय जा सकता हे बशर्ते कि वे संबंधित देश में सांविधिक आवश्यकतों की पूर्ति के लिए किया जाना आवश्यक हो। अन्य सभी निवेशें के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक होगा। 10. विदेशी मुद्रा निधियों का भुगतान (i) बीमाकर्ता अपने समुद्रपारीय कार्यालय के सामान्य खर्चों के भुगतान हेतु, अपने काराबार के लिए भवन और संपत्ति लेने तथा कार्यालयी उपयोग के लिए कार की खरीद समेत, विदेशी मुद्रा शेषों का उपयोग मुक्त रूप से कर सकते हैं। (ii) बीमाकर्ता अपने समुद्रपारीय कार्यालय में नियुक्त कर्मचारियों के भविष्य निधि के दावों के निपटान, उपदान, सेवा निवृत्ति लाभों के लिए समुद्रपारीय निधियों का उपयोग मुक्त रूप से कर सकते हैं। (iii) बीमाकर्ता अपने समुद्रपारीय कार्यालयों के कर्मचारियों को (भारतीय नागरिक जो भारत से प्रतिनियुक्ति पर हों या नियुक्त हो के सिवाय) संबंधित देश में रखे गए उनके भविष्य निधि शेषों में से रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना ऋण दे सकते हैं बशर्ते कि ऋण की वसूली विदेशी मुद्रा में की जाएगी। |