विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन तथा सुपुर्दगी) (संशोधन) विनियमावली, 2007 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन तथा सुपुर्दगी) (संशोधन) विनियमावली, 2007
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं.फेमा 169 /2007-आरबी दिनांक 23 अक्तूबर , 2007 विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन तथा सुपुर्दगी) (संशोधन) विनियमावली, 2007 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 47 की धारा 8, धारा 10 की उपधारा (6), उप-धारा (2) के खण्ड (ग) द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन तथा सुपुर्दगी) विनियमावली 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 9/2000-आरबी) में संशोधन करने के लिए निम्नलिखित विनियमावली बनाता है, अर्थात : 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन तथा सुपुर्दगी) (संशोधन) विनियमावली 2007 कहलाएंगे। 2. विनियम 5 में संशोधन विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन तथा सुपुर्दगी) विनियमावली, 2000 (मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 9/2000) (इससे आगे ’मूल विनियमावली’ के नाम से उल्लिखित) में, विनियम 5 में, "कोई व्यक्ति" शब्दों को "कोई व्यक्ति व्यक्ति जो भारत में निवासी व्यक्ति नहीं हैं" शब्दों से प्रतिस्थापित किया जाएगा। 3. विनियम 6 में संशोधन - मूल विनियमावली में, (1) (1) विनियम 6 में, उप-विनियम (1) में, "कोई व्यक्ति" शब्दों को "कोई व्यक्ति जो भारत में निवासी व्यक्ति नहीं हैं" शब्दों से प्रतिस्थापित किया जाएगा। (2) (2) उप-विनियम (2) में "किसी व्यक्ति द्वारा खरीदे गए" शब्दों को "कोई व्यक्ति जो भारत में निवासी व्यक्ति नहीं है, द्वारा खरीदे गए" शब्दों से प्रतिस्थापित किया जाएगा। 4. नया विनियम 6अ जोड़ना - मूल विनियमावली में, विनियम 6 के बाद, निम्नलिखित नया विनियम जोड़ा जाएगा, अर्थात् : "6अ. निवासी व्यक्तियों द्वारा प्राप्त/वसूली गई/खर्च न की गई/उपयोग में न लायी गई विदेशी मुद्रा की सुपुर्दर्गी की अवधि - भारत में निवासी कोई व्यक्ति प्राप्त/वसूली गई/ खर्च न की गई/ उपयोग में न लायी गई विदेशी मुद्रा, चाहे वह करेंसी नोटों, सिक्कों अथवा यात्री चेकों, आदि के रूप में हो, किसी प्राधिकृत व्यक्ति को ऐसी प्राप्ति/वसूली/खरीद/अधिग्रहण अथवा भारत में उसकी वापसी, जैसा भी मामला हो, के 180 दिनों के अंदर सुपुर्द करेगा। (सलीम गंगाधरन) पाद टिप्पणी : (i)@ यह स्पष्ट किया जाता है कि इन विनियमों के पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होने से किसी भी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। |