विदेशी मुद्रा विभाग केंद्रीय कार्यालय मुंबई 400 001. अधिसूचना सं.फेमा 62/2002-आरबी दिनांक:13 मई,2002 विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों के विप्रेषण) (संशोधन) विनियमावली, 2002 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 13/2000-आरबी के आंशिक आशोधन में भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों के विप्रेषण) (संशोधन) विनियमावली, 2000, में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्, संक्षिप्त नाम और प्रारंभ 1. (i) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों के विप्रेषण) (संशोधन) विनियमावली, 2002 कहा जायेगा । (ii) ये भारत सरकार के सरकारी गजट में प्रकाशन की तिथि से लागू होंगे । विनियमावली में संशोधन 2. विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों के विप्रेषण) (संशोधन) विनियमावली, 2000 में; (क) विनियम 2 में ; खंड (ii) के बाद निम्नलिखित खंड जोड़ा जाये; " (iii) कोई अनिवासी भारतीय (एनआरआई)भारत के बाहर रहने वाला कोई व्यक्ति जो भारत का नागरिक है ।" (ii) वर्तमान खंड (iii) और (iv) और (v) क्रमश: (iv), (v) और (vi) के रूप में पुन: संख्यांकित करें। (ख) विनियम 4 में ; (i) उप-विनियम (1) के लिए निम्नलिखित उप-विनियम प्रतिस्थापित करें , अर्थात्; " (1) उप-विनियम (2) तथा (3) में विनिर्दिष्ट व्यक्ति किसी प्राधिकृत व्यापारी के जरिये उन उप-विनियमों में उल्लिखित सीमा तक आस्तियों के विप्रेषण कर सकता है । (ii) उप-विनियम (2) में, " प्रति कैलेंडर वर्ष 20 लाख रुपये शब्दों के स्थान पर " प्रति कैलेंडर वर्ष 1,00 000 अमरीकी डॉलर (एक लाख अमरीकी डॉलर मात्र ) " शब्दों को प्रतिस्थापित करें । (iii) उप-विनियम (2) के बाद निम्नलिखित उप-विनियम जोड़ा जाये । " (3) अनिवासी भारतीय/ /भारतीय मूल के व्यक्ति विरासत/पैतृक संपत्ति , निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत करके अपने द्वारा अर्जित आस्तियों में से प्रति कैलेंडर वर्ष अधिकतम् 1,00, 000 अमरीकी डॉलर तक की राशि का विप्रेषण कर सकता है । (क) विरासत/पैतृक संपत्ति के समर्थन में दस्तावेजी साक्ष्य (ख)विप्रेषण के लिए आयकर प्राधिकरण से कर निकासी/अनापप्ति प्रमाणपत्र बशर्ते कि ;जहाँ विप्रेषण एक से अधिक किश्तों में किया गया हो , वहाँ सभी किस्तों का प्रेषण उसी प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से किया जाये । (iv) उप-विनियम (3) के लिए निम्नलिखित उप-विनियम जोड़ा जाये , (v)" भारत में प्राधिकृत व्यापारी , भारतीय रिज़र्व बैंक के बिना अनुमोदन उप-विनियम (2) अथवा उप-विनियम (3) जैसा कोई मामला हो , के तहत पात्र किसी व्यक्ति द्वारा किये गये आस्तियों के विप्रेषण पूरा कर सकता है । (ग) विनियम (6) में ; भारत के बाहर स्थायी रूप से निवासी विदेशी राष्ट्र के राष्ट्रिक के लिए पैतृक संपत्ति, वसीयत अथवा विरासत के कारण प्रति कैलेंडर वर्ष 1,00, 000 अमरीकी डॉलर ( केवल एक मिलियन अमरीकी डॉलर मात्र ) से अधिक प्रेषण । "
(कि.ज. उदेशी)
कार्यपालक निदेशक
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