विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2002 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2002
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं.फेमा.48/2002-आरबी दिनांक:1 जनवरी , 2002 विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (3) के खंड (क) और धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 19/2000-आरबी के आंशिक संशोधन में भारतीय रिज़र्व बैंक , समय-समय पर यथासंशोधित , विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000, में संशोधन करने के लिए निम्नलिखित विनियम बनाता है, अर्थात्, (1)(क) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर किसी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2002 कहा जाएगा । (ख) ये विनियम सरकारी गजट में प्रकाशन की तारीख से लागू होंगे। 2. विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम)विनियमावली, 2000 में, (अ)विनियम 6 में उप-विनियम(6) के बाद निम्नलिखित उप-विनियम जोड़ा जाएगा । "(7 क) इस विनियम के अंतर्गत भारत से विप्रेषण के जरिये निवेश करने के उद्देश्य हेतु भारत के बाहर कंपनी के शेयरों का मूल्यांकन इनके द्वारा होना चाहिए :- (i) जहाँ निवेश 5(पांच(अमरीकी ड़ॉलर से अधिक हो , वहाँ भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के साथ पंजीकृत किसी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकर अथवा मेजबान देश में उचित विनियामक प्राधिकरण के पास पंजीकृत भारत के बाहर किसी निवेश बैंकर / व्यापारी बैंकर द्वारा और (ii)अन्य सभी मामलों में, किसी सनदी लेखाकार अथवा किसी प्रमाणित लोक लेखाकार द्वारा (ख) इस विनियम के अंतर्गत, निवेश करने के उद्देश्य हेतु भारत के बाहर किसी वर्तमान कंपनी के शेयरों के अर्जन द्वारा जहाँ प्रतिफल भारतीय पार्टी के निर्गम द्वारा पूर्णत: अथवा अंशत: अदा किया जाने वाला है , वहाँ सभी मामलों में भारत के बाहर कंपनी के शेयरों का मूल्यांकन,भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के साथ पंजीकृत किसी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकर अथवा मेजबान देश में उचित विनियामक प्राधिकरण के पास पंजीकृत भारत के बाहर किसी निवेश बैंकर / व्यापारी बैंकर द्वारा किया जाना चाहिए " (आ)विनियम 9 के उप-विनियम (2) के बाद निम्नलिखित उप-विनियम जोड दिया जाये , यथा ; " (2क) उप-विनियम (2) के अंतर्गत, आवेदन फॉर्म ओडीआई में किया जाये । (क) भारत से विप्रेषण जरिये निवेश करने के उद्देश्य हेतु भारत के बाहर कंपनी के शेयरों का इनके द्वारा किया गया मूल्यांकन संलग्न किया जाये। (ii) अन्य सभी मामलों में, किसी सनदी लेखाकार अथवा किसी प्रमाणित लोक लेखाकार द्वारा (ख) भारत के बाहर किसी वर्तमान कंपनी के शेयरों के अर्जन द्वारा निवेश करने के उद्देश्य हेतु जहाँ प्रतिफल भारतीय पार्टी के निर्गम द्वारा पूर्णत: अथवा अंशत: अदा किया जाने वाला है , वहाँ भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के साथ पंजीकृत किसी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकर अथवा मेजबान देश में उचित विनियामक प्राधिकरण के पास पंजीकृत भारत के बाहर किसी निवेश बैंकर / व्यापारी बैंकर द्वारा किया जाना चाहिए सभी मामलों में भारत के बाहर कंपनी के शेयरों का किया गया मूल्यांकन संलग्न किया जाये। (इ)विनियम 17 (ख) के बाद निम्नलिखित विनियम जोड दिया जाये , यथा ; "17 ग भारत में किसी स्वामित्व संस्था को भारत के बाहर किसी कंपनी के शेयर्स उक्त कंपनी को दी गई व्यावसायिक सेवा हेतु उसके लिए दिये शुल्कों के बदले में स्वीकृत करने हेतु एक वर्ष के लिए वैध सामान्य अनुमति प्राप्त करने के लिए फॉर्म ओडीआई में आवेदन करना चाहिए। (ख) पूर्वोक्त के अनुसार , स्वीकृत शेयरों के आधार पर भारत के बाहर किसी कंपनी में भारतीय संस्थाकी शेयर धारिता भारत के बाहर कंपनी के प्रदत्त पूंजी के दस प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए, जिसके शेयर स्वीकृत किए गये हैं। (कि.ज.उदेशी) |