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विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम)(संशोधन) विनियमावली, 2004

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001

अधिसूचना सं.फेमा 120 /आरबी-2004

दिनांक : 7 जुलाई, 2004

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (3) के उप-खंड (क) तथा धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा समय-समय पर यथा संशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 19/आरबी 2000 के अधिक्रमण में भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में निवास कर रहे किसी व्यक्ति द्वारा किसी विदेशी प्रतिभूति के अंतरण अथवा निर्गम के संबंध में निम्नलिखित विनियम बनाता है, अर्थात :

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

(i) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2004 कहा जाएगा।

(ii) ये सरकारी राजपत्र में प्रकाशन होने की तारीख से लागू होंगे।

2. परिभाषा

इन विनियमों में,जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो -

  क) "अधिनियम" से अभिप्रेत विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) होगा:

  ख) "प्राधिकृत व्यापारी" से अभिप्रेत है उक्त अधिनियम की धारा 10 की उपधारा (1) के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी के रूप में प्राधिकृत किया गया व्यक्ति;

  ग) "अमेरिकन डिपोजिटरी रिसीट" (एडीआर) से अभिप्रेत है भारत में निगमित किसी कंपनी के रुपये शेयर परउ किसी बैंक अथवा संयुक्त राज्य अमरीका (यूएसए) में किसी डिपोज़िटरी द्वारा जारी की गई प्रतिभूति से होगा;

  घ) "स्थायी कार्य" से अभिप्रेत है किसी ऐसी भारतीय संस्था (एंटिटी) द्वारा किए गए कार्यो से है जो उसके पिछले लेखा वर्ष के कुल औसत व्यापार का कम-से-कम 50% हिस्सा हो-

  ङ) "भारत के बाहर प्रत्यक्ष निवेश" से अभिप्रेत है किसी विदेशी संस्था की पूंजी में अंशदान अथवा संस्था के बहिर्नियम में उल्लिखित अभिदान अथवा बाज़ार खरीद या निजी नियोजन या स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से किसी विदेशी संस्था के वर्तमान शेयरों की खरीद में किए गए निवेश से है, लेकिन इसमें उस संस्था में संविभ्ांग निवेश अथवा शेयर बाज़ार के जरिए निवेश अथवा निजी निवेश शामिल नहीं होगा;

  च) "वित्तीय प्रतिबद्धता" से अभिप्रेत है किसी भारतीय पार्टी द्वारा या उसकी ओर से उसके विदेश स्थित संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में ईक्विटी और ऋण के रूप में सीधे निवेश की राशि और उसके द्वारा जारी गारंटियों के 50 प्रतिशत से है।

  छ) "विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड" से अभिप्रेत है किसी भारतीय कंपनी द्वारा जारी बांड जो विदेशी मुद्रा में अभिव्यक्त हो तथा जिससे संबंधित मूलराशि और ब्याज विदेशी मुद्रा में देय हो;

  ज) "फार्म" से अभिप्रेत है इन विनियमों के साथ संलग्नक के रूप में दिए गए फार्म;

  झ) "ग्लोबल डिपोजिटरी रिसीट" से अभिप्रेत है भारत में निगमित किसी कंपनी के रुपया शेयरों पर भारत से बाहर स्थित किसी बैंक अथवा डिपोज़िटरी द्वारा जारी की गई प्रतिभूति:

  ञ) "मेजबान देश" से अभिप्रेत वह देश से है, जहां किसी भारतीय पार्टी से सीधा निवेश प्राप्त करने वाली विदेशी संस्था पंजीकृत अथवा निगमित है;

  ट) "भारतीय पार्टी" से अभिप्रेत है भारत में निगमित अथवा संसद के अधिनियम के अंतर्गत गठित निकाय अथवा भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 के अंतर्गत पंजीकृत भागीदारी फर्म जो विदेश स्थित संयुक्त उपक्रम अथवा पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी में निश करती है, इसमें रिज़र्व बैंक द्वारा यथा अधिसूचित कोई अन्य संस्था भी शामिल है-

बशर्ते जब ऐसे एक से अधिक ऐसी निगमित कंपनी, निकाय अथवा संस्था विदेशी संस्था में प्रत्यक्ष निवेश करती हैं तो ऐसी सभी कंपनियां अथवा निकाय अथवा संस्था मिलकर ’भारतीय पार्टी’ कहलाएंगी;

  ठ) "निवेश बैंकर" से अभिप्रेत है यूएसए में सेक्यूरिटीज़ एंड एक्सचज कमीशन अथवा यूके में फिनांसियल सर्विसेज़ अथॉरिटी अथवा यूके में फिनांसियल सर्विसेज़ अथॉरिटी अथवा जर्मनी, फ्रान्स, सिंगापूर अथवा जापान में उचित नियंत्रण प्राधिकारी के साथ पंजीकृत निवेश बैंकर

  ड) "संयुक्त उद्यम" से अभिप्रेत है उस मेजबान देश के कानूनों और विनियमों के अनुसार गठित, पंजीकृत अथवा निगमित विदेशी संस्था ज़िसमें भारतीय पार्टी सीधा निवेश करती है;

  ढ़) "पारस्परिक निधि" से अभिप्रेत है आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 के खंड (23घ) में संदर्भित पारस्परिक निधि;

  ण) "निवल मूल्य" से अभिप्रेत है चुकता पजी और निर्बंध आरक्षित निधियां;

  त) "भूमि भवयन कारोबार" से अभिप्रेत है भूमि भवन के क्रय-विक्रम अथवा अंतरणीय विकास अधिकारों के कारबार, लेकिन इसमें शहरों का विकास, आवासीय/वाणिज्यिक परिसरों, सड़कों अथवा पुलों का निर्माण शामिल नहीं है;

  थ) "पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी" से अभिप्रेत है ऐसी विदेशी संस्था जो मेजबान देश के कानूनों और विनियमों के अनुसार गठित, पंजीकृत अथवा निगमित हो और जिसकी समस्त पूंजी भारतीय पार्टी द्वारा धारित हो;

  द) "कृषि विधियों" से अभिप्रेत है "राष्ट्रीय कृषि और ग्रामिण विकास बैंक अधिनियम, 1981" में यथा परिभाषित कृषि गतिविधियां;

  ध) इन विनियमों में उपयोग किए गए किंतु परिभाषित न किए गए शब्दों और अभिव्यक्तियों का वही अर्थ होगा जो अधिनियम में उनके लिए निर्धारित किए गए हैं।

3. विदेशी प्रतिभूति के निर्गम अथवा अंतरण पर प्रतिबंध

अधिनियम अथवा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों अथवा विनियमों अथवा जारी निदेशों में अन्यथा प्रावधानित उपबंधों को छोड़कर, भारत में निवास कर रहा कोई भी व्यक्ति किसी विदेशी प्रतिभूति का निर्गम अथवा अंतरण नहीं करेगा :-

बशर्ते भारतीय रिज़र्व बैंक, आवेदन प्राप्त होने पर, भारत में निवास कर रहे किसी व्यक्ति को विदेशी प्रतिभूति के निर्गम अथवा अंतरण की अनुमति दे सकता है।

4. भारत में निवास कर रहे किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी प्रतिभूति का क्रय और विक्रय

भारत में निवासी कोई व्यक्ति

क) विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा खाता) विनियमावली, 2000 के अनुसार निवासी विदेशी मुद्रा खाते में धारित निधियों से विदेशी प्रतिभूति खरीद सकता है:

ख) अधिनियम अथवा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों अथवा निनियमों के उपबंधों के अनुसार धारित विदेशी प्रतिभूतियों पर बोनस शेयर आपूर्ति कर सकता है;

ग) जब वह स्थायी रूप से भारत में निवास नहीं कर रहा हो, भारत से बाहर अपने विदेशी मुद्रा संसाधनों से विदेशी प्रतिभूति खरीद सकता है;

घ) खंड (क), (ख) अथवा (ग) के अंतर्गत खरीदी अथवा आपूर्ति की गई विदेशी प्रतिभूति को बेच सकता है।

स्पष्टीकरण:

इस खंड के प्रयोजन के लिए "भारत में स्थायी रूप से निवास नहीं करने वाले" से अभिप्रेत ऐसे व्यक्ति से है जो किसी निश्चित अवधि (किनती भी क्यों न हो) के रोजगार अथवा किसी विनिर्दिष्ट कार्य अथवा नियत कार्य के लिए भारत में निवास कर रहा हो , जिसकी अवधि तीन वर्ष से अधिक न हो।

भाग I

भारत से बाहर प्रत्यक्ष निवेश

5. भारत से बाहर प्रत्यक्ष निवेश पर प्रतिबंध

अधिनियम अथवा उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों अथवा विनियमों अथवा जारी किए गए निदेशों के उपबंधों अथवा रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना,

1) भारत में निवास कर रहा कोई व्यक्ति भारत से बाहर कोई प्रत्यक्ष निवेश नहीं करेगा; तथा

2) कोई भी भारतीय पार्टी भारत से बाहर भूति भवन अथवा बैंकिंग कारोबार में संलग्न किसी विदेशी संस्था में प्रत्यक्ष निवेश नहीं करेगा।

6. कतिपय मामलों में प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति

1) उप-विनियम (2) (वित्तीय सेवा क्षेत्र में निवेश के मामले में विनियम 7) में निनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन, कोई भारतीय पार्टी भारत से बाहर के संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी में प्रत्यक्ष निवेश कर सकती है।

2) i) संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी में पार्टी की कुल वित्तीय प्रतिबद्धता पिछले लेखा परीक्षित तुलन-पत्र की तारीख की स्थिति में भारतीय पार्टी के निवल मूल्य के 100 प्रतिशत से अधिक न हो;

स्पष्टीकरण:

निवल मूल्य के 100 प्रतिशत की सीमा के प्रयोान के लिए निम्नलिखित की गणना की ज़ाएगी, अर्थात :

(क) नेपाल और भूटान के मामले में बाज़ार खरीद और / अथवा समकक्ष रुपया निवेशों द्वारा नकद प्रेषण

(ख) विनियम 11 मे किए गए उल्लेख के अनुसार निर्यात प्राप्यों और अन्य देय राशियों का पूंजीकरण और हकदारी;

(ग) संयुक्त उद्यम कंपनी अथवा पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों को या उनकी ओर से भारतीय पार्टी द्वारा जारी गारंटियों के मूल्य का पचास प्रतिशत;

(घ) विदेशी कंपनियों द्वारा अथवा प्रत्यक्ष रूप से कृषि गतिविधियों में निवेश

(ङ) बाह्य वाणिज्यिक उधार के मार्गदर्शी सिद्धांतों के अन्य मानदंडों के अनुरूप बाह्य वाणिज्यिक उधार

i)इन विनियमों में दिए गए किसी बात के होते हुए भी पाकिस्तान में निवेश की अनुमति नहीं होगी।

ii) प्रत्यक्ष निवेश किसी वास्तविक कारोबार कार्यकलाप में कार्यरत विदेशी संयुक्त उद्यम/ पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में किया गया हो।

iii) भारतीय पार्टी रिज़र्व बैंक के निर्यातक सतर्कता सुचि/ रिज़र्व बैंक द्वारा परिचालित बैंकिंग प्रणाली के लिए चूककर्ताओं की सूची में किसी जाच /प्रवर्तन एजेंसी अथवा विनियामक निकाय की जाच के अधीन नहीं है;

iv) भारतीय पार्टी ने अपने सभी विदेशी निवेशों के संबंध में अद्यतन विवरणी फार्म एपीआर में प्रेषित किया है;

v) भारतीय पार्टी किसी संयुक्त उद्यम/ पूर्णत: स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में किए गए निवेश से संबंधित सभी लेनदेन प्राधिकृत व्यापारी द्वारा नामित उसकी एक ही शाखा के जरिए करती है।

स्पष्टीकरण

भारतीय पार्टी भारत के बाहर विभिन्न संयुक्त उद्यमों /पूर्ण स्वामित्व वाली सहयोगी संस्थाओं के लिए प्राधिकृत व्यापारियों की विभिन्न शाखाओं को नामित कर सकती है।

vi) भारतीय पार्टी विधिवत् भरा गया फार्म ओडीए प्राधिकृत व्यापारी की नामित शाखा को प्रस्तुत करती है।

3) इस विनियम के अंतर्गत निवेश का निधीयन निम्नलिखित स्रोतों में से किसी एक या अधिक में से किया जा सकता है, अर्थात् :

i) विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी करेंसी खाता) विनियमावली, 2000 के विनियम 4 के अनुसार प्राधिकृत व्यापारी के पास रखे गए भारतीय पार्टी के मुद्रा आदक विदेशी करेंसी खाते में रखी शेष राशि में से;

ii) भारत में प्राधिकृत व्यापारी से भारतीय पार्टी की अंतिम लेखा-परीक्षित तुलन-पत्र की तारीख को यथा विद्यमान निवल संपत्ति के 100 प्रतिशत तक आहरण;स्पष्टीकरण: निवल परिसंपत्ति के 100 प्रतिशत की सीमा के लिए निम्नलिखित की गणना की जाएगी, अर्थात:

(क) बाज़ार खरीद द्वारा नकदी विप्रेषण
(ख) नियति प्राप्तियों और अन्य देय राशियों तथा विनियम 11 और 12 में उल्लिखित हकदारी का पूंजीकरण
(ग) भारतीय पार्टी द्वारा संयुक्त उद्यम अथवा पूर्णत:स्वामित्ववाली सहायक कंपनी को अथवा उनकी ओर से जारी गारंटियों के मूल्य का 50 प्रतिशत
(घ) किसी भारतीय कंपनी के शेयरों का निर्गम
(ङ) बाह्य वाणिज्यिक उधार के मार्गदर्शी सिद्धांतों के अन्य मापदंडों के अनुरूप बाह्य वाणिज्यिक उधार

स्पष्टीकरण :

भारतीय पार्टी की निवल संपत्ति की गणना के लिए उसकी धारक कंपनी (जिसका भारतीय पार्टी में कम से कम 51 प्रतिशत स्टेक है) अथवा उसकी धारक कंपनी (जिसमें भारतीय पार्टी का कम-से-कम 51 प्रतिशत स्टेक है) की उतनी ही निवल संपत्ति को हिसाब में लिया जाए, जितनी धारक कंपनी अथवा सहायक कंपनी द्वारा स्वतंत्र रूप से उपयोग में नहीं लाई गई है और संबंधित भारतीय पार्टी के पक्ष में दावा न की गई पार्टी के रूप में पत्र प्रस्तुत किया गया है ।

परंतु आगे शर्त यह है कि उप-खंड (2)(i) में उल्लिखित उच्चतम सीमा, समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के निवासी व्यक्ति के विदेशी मुद्रा खाते) विनियमावली, 2000 के अनुसार रखे गए उसके ईईएफसी खाते में रखी शेष राशियों में से किए गए निवेश को लागू नहीं होगी ।

(4) भारतीय पार्टी विदेश में संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्ववाली सहयोगी कंपनी को अथवा उसकी तरफ से, स्वीकार्य वित्तीय प्रतिबद्धता के भीतर ऋण अथवा गारंटी दे सकती है, बशर्ते भारतीय पार्टी ने उक्त संयुक्त उद्यम की ईक्विटी पूंजी में अंशदान के जरिए निवेश किया हो ।

(5) भारतीय पार्टी किसी भी विदेशी प्रतिभूति में बिना किसी सीमा के एडीआर और/अथवा जीडीआर प्रणाली के माध्यम से अपने शेयरों के अंतरर्राष्ट्रीय ऑफर से होने वाली आय में से सीधी निवेश कर सकती है :-

बशर्ते

क) उक्त एडीआर/ जीडीआर का निर्गम विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड और सामान्य शेयर (निक्षेपागार रसीद प्रणाली द्वारा) योजना, 1993 के निर्गम योजना तथा इनके अधीन केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार हुआ है ;

(ख) भारतीय पार्टी, प्रस्तावित निवेश का पूरा ब्योरा फार्म ओडीए में नामित प्राधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत करेगी ।

(6)(क) भारत से बाहर किसी वर्तमान कंपनी में भारत से विप्रेषण द्वारा इस विनियम के अधीन निवेश के लिए भारत से बाहर की कंपनी के शेयरों का मूल्यांकन निम्नलिखित द्वारा किया जाएगा -

(i) निवेश 5 (पांच) मिलियन अमरीकी डॉलर होने की स्थिति में सेबी के साथ पंजीकृत श्रेणी I मर्चेंट बैंकर द्वारा अथवा मेज़बान देश में उचित नियामक प्राधिकरण के साथ पंजीकृत भारत से बाहर के किसी निवेश बैंकर /मर्चेंट बैंकर द्वारा; और

(ii) अन्य सभी मामलों में,सनदी लेखाकार अथवा प्रमाणित लोक लेखागार द्वारा

(ख) भारत से बाहर किसी वर्तमान कंपनी के शेयरों के अभिग्रहण द्वारा इस विनियम के अधीन निवेश के लिए जहां भारतीय पार्टी के शेयरों के निर्गम द्वारा प्रतिफल का भुगतान पूर्णत: अथवा अंशत: किया ज़ाता है, वहां सभी मामलों में मूल्यांकन, सेबी के साथ पंजीकृत श्रेणी I मर्चेंट बैंकर द्वारा अथवा मेजबान देश में उचित नियामक प्राधिकरण के साथ पंजीकृत भारत से बाहर के किसी निवेश बैंकर / मर्चेंट बैंकर द्वारा किया जाएगा ।

6. अ - कृषि गतिविधियों में विदेशी प्रत्यक्ष अथवा विदेशी कार्यालयों के माध्यम से निवेश की सामान्य अनुमति

भारत में निवासी एक व्यक्ति भारत में निगमित कंपनी अथवा भारतीय भागीदारी अधिनियम, 1932 के अधीन पंजीकृत कोई भागीदारी फर्म होने पर प्रत्यक्ष अथवा अपने विदेशी कार्यालयों के माध्यम से कृषि में प्रासंगिक भूमि की खरीद सहित अन्य कृषि गतिविधियों में भाग ले सकता है ।

बशर्ते

(क) भारतीय पार्टी विनियम 6 के अधीन निवेश करने के अन्यथा पात्र है तथा ऐसे निवेश विनियम 6 में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार समग्र सीमा के अंदर है ।

(ख) विदेश में भूमि अधिग्रहण द्वारा इस विनियम के अधीन निवेश के लिए भूमि के मूल्यांकन को मेजबान देश में उचित मूल्यांकन प्राधिकरण के साथ पंजीकृत मूल्यांकक प्रमाणित करता है ।

6.आ - विदेश में पंजीकृत किसी कंपनी के ईक्विटी में निवेश के लिए सामान्य अनुमति

भारत में निवासी कोई व्यक्ति, व्यक्ति अथवा सूचि में स्थान पायी भारतीय कंपनी अथवा भारत में पंजीकृत म्युचुअल फंड होने के कारण निम्नलिखित में निवेश कर सकता है -

(क) किसी विदेशी कंपनी के शेयरों में जो किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज की सूची में है और जिसके नाम में निवेश के वर्ष में 1 जनवरी की स्थिति में सूची में स्थान पाये किसी भारतीय कंपनी का कम से कम 10- शेयर है ।

(ख) उपर्युक्त (क) की कंपनियों द्वारा जारी निर्धारित बांड / निर्धारित आय प्रतिभूतियों में

बशर्ते

(i) के मामले में निवेश, कंपनी के पिछले लेखापरीक्षित तुलन पत्र की तारीख में निवल संपत्ति के 25% से अधिक न हो ;

(ii) म्युचुअल फंड द्वारा निवेश के मामले में, समय-समय पर सेबी द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक न हो

(iii) विदेशी कंपनी के शेयर अथवा बांड / प्रतिभूतियों की खरीद और बिक्री संबंधी प्रत्येक लेनदेन भारत के किसी प्राधिकृत व्यापारी के नामित शाखा द्वारा किए जाएंगे ।

7. वित्तीय सेवा क्षेत्र में निवेश

(1) भाग I में उल्लिखित विनियमों के अधीन, भारतीय पार्टी भारत के बाहर वित्तीय सेवा कार्यों में लगी कोई कंपनी में निवेश कर सकती है :

बशर्ते भारतीय पार्टी ने

(i) पिछले तीन वर्षों के दौरान वित्तीय सेवा कार्यों से निवल लाभ अर्जित किया हो ;

(ii) भारत स्थित विनियामक प्राधिकरण के पास वित्तीय सेवाओं के कार्य करने हेतु पजीकृत हो

(iii) ऐसे वित्तीय सेवा कार्यों के लिए भारत और विदेश दोनों स्थानों में संबंधित विनियामक प्राधिकरणों से अनुमोदन प्राप्त किया हो

(iv) भारत स्थित संबंधित विनियामक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकशील मानदंडों की पूर्ति की हो।

(2) वित्तीय सेवा क्षेत्र में वर्तमान संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों अथवा इसकी स्टेप डाउन कंपनियों द्वारा किसी प्रकार का अतिरिक्त निवेश उप-खंड (1) में निर्धारित शर्तों के अनुपालन के बाद ही किया जाएगा ।

8. अदला-बदली (स्वैप) अथवा भारतीय कंपनी के शेयरों के विनिमय द्वारा विदेशी प्रतिभूति में निवेश

(1) भारतीय पार्टी वास्तविक कारोबार कार्यकलाप में कार्यरत किसी विदेशी कंपनी को विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों और सामान्य शेयर (निक्षेपागार रसीद प्रणाली के जरिए) योजना 1993 और उसके अधीन केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशानिर्देशों के अनुसार जारी एडीआर /जीडीआर के बदले उस कंपनी के शेयरों का अधिग्रहण कर सकती है :

बशर्ते

क. भारतीय पार्टी ने पहले से ही कोई एडीआर और /अथवा जीडीआर जारी किया है और ऐसे एडीआर/जीडीआर अब भारत के बाहर किसी स्टॉक एक्सचज में सूचीबद्ध है ,

भारतीय पार्टी द्वारा ऐसा निवेश भारतीय पार्टी के पिछले वित्तीय वर्ष में भाग I में दिए गए विनियमों के अंतर्गत किए गए समस्त निवेशों सहित पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान लेखा-परीक्षित तुलन-पत्र में यथा उल्लिखित निर्यात आय की 10 गुना राशि के समतुल्य राशि से अधिक न हो ।

ख. अधिग्रहण के लिए एडीआर और या ााडीआर का निर्गम भारतीय पार्टी द्वारा जारी पूर्वाधिकार प्राप्त नये ईक्विटी शेयरों द्वारा समर्थित है ।

ग. विस्तारित पूंजीगत आधार में, नये एडीआर एडीआर और या जीडीआर निर्गम के बाद भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्तियों द्वारा भारतीय पार्टी में कुल शेयर धारिता ऐसे निवेश के लिए संगत विनियमों के अंतर्गत निर्धारित क्षेत्रीय सीमा से अधिक न हो,

घ. विदेशी कंपनी के शयरों का मूल्यांकन निम्न प्रकार किया जाता है -

(i) निवेश बैंकर के सिफारियों के अनुसार यदि शेयर किसी शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध हो,

(ii) विदेश में किसी शेयर बाज़ार में उन पिछले महीने के लिए जिसमें अधिग्रहण हुआ हो, मासिक औसत मूल्य के आधार पर हुए वर्तमान बाज़ार पूंजीकरण पर आधारित और इसके अतिरिक्त प्रीमियम, यदि हो, अन्य मामलों में निवेश बैंकर द्वारा उसकी डिलिजेंस रिपोर्ट में सिफारिश की गई हो,

(2) उप-विनियम (1) के अंतर्गत विदेशी कंपनी के शेयरों के अभिग्रहण के बदले एडीआर एडीआर और या जीडीआर जारी करने के दिनांक से 30 दिन के भीतर भारतीय पार्टी ओडीजी फार्म में रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी ।

9. कतिमय मामलों में रिज़र्व बैंक का अनुमोदन

(1) विनियम 6 अथवा 7 अथवा 8 के अंतर्गत पात्रता मानदंडों को पूरा न करने वाली भारतीय पार्टी अनुमोदन के लिए रिज़र्व बैंक को आवेदन करें ।

(2) भारत के बाहर संयुक्त उद्यम /पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में अथवा विदेशी कंपनी के शेयरों के बदले में प्रत्यक्ष निवेश करने के लिए आवेदन यथा लागू फार्म ओडीआइ अथवा फार्म ओडीबी में किए जाएंगे ।

(2-अ) उप-विनियम (2) के अंतर्गत फार्म ओडीआइ में किया गया आवेदन

(क) भारत से बाहर वर्तमान किसी कंपनी में भारत से विप्रेषण के माध्यम से निवेश के लिए भारत से बाहर की कंपनी के शेयरों का मूल्यांकन निम्न प्रकार से किया जाएगा -

(i) 5 (पांच) मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक के निवेश के मामले में सेबी के साथ पंजीकृत किसी श्रेणी I मर्चेंट बैंकर अथवा मेजबान देश में उचित विनियामक प्राधिकरण के साथ पंजीकृत किसी निवेश बैंकर /मर्चेंट बैंकर द्वारा; अथवा

(ii) अन्य सभी मामलों में , किसी सनदी लेखाकार अथवा किसी प्रमाणिक लोक लेखाकार द्वारा

(ख) जहां भारतीय पार्टी के शेयरों के निर्गम द्वारा राशि का भुगतान पूर्णत: अथवा अंशत: किया जाना है वहां भारत के बाहर की वर्तमान कंपनी के शयरों के अधिग्रहण द्वारा निवेश के लिए मूल्यांकन सेबी के साथ पंजीकृत श्रेणी I मर्चेंट बैंकर अथवा मेजबान देश में उचित विनियामक प्राधिकरण के साथ पंजीकृत किसी निवेश बैंकर/ मर्चेंट बैंकर द्वारा किया जाएगा ।

(3) उप विनियम (2) के अंतर्गत किए गए आवेदन पर विर्ाारिं करते समय रिज़र्व बैंक अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित को भी ध्यान में रखें :

(क) प्रथम दृष्ट्या भारत के बाहर के संयुक्त उद्यम /पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी की कार्य सक्षमता

(ख) बाह्य व्यापार में अंशदान और अन्य लाभ जो ऐसे निवेश्ं के माध्यम से भारत अर्जित करेगा

(ग) भारतीय पार्टी और विदेशी कंपनी की वित्तीय स्थिति और व्यापार ट्रैक रिकार्ड

(घ) भारत के बाहर संयुक्त उद्यम या पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी की उसी या संबंधित प्रकार की गतिविधियों में भारतीय पार्टी की विशेषज्ञता और अनुभव

10. विशिष्ट पहचान संख्या

रिज़र्व बैंक भारत से बाहर के प्रत्येक संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी को एक विशिष्ट पहर्ाानिं संख्या आबंटित करेगा तथा भारतीय पार्टी रिज़र्व बैंक और प्राधिकृत व्यापारी के साथ किए जानेवाले प्रत्येक पत्रार्ाारिं और रिपोर्ट में ऐसी संख्या को उद्धृत (कोट) करेगी ।

11. पूंजीकरण द्वारा निवेश

(1) भारतीय पार्टी भाग I के विनियमों के अनुसार विदेशी कंपनी से भारतीय पार्टी की देय राशि के पूर्ण अथवा आंशिक पूंजीकरण के द्वारा भारत के बाहर निम्नलिखित के लिए प्रत्यक्ष निवेश कर सकती है :-

(i) विदेशी कंपनी को संयंत्र मशीनरी, उपकरण तथा अन्य माल/सॉफ्टवेयर के निर्यात के लिए भुगतान

(ii) तकनीकी ज्ञान, परामर्श, प्रबंधकीय अथवा अन्य सेवाओं की आपूर्ति के लिए विदेशी कंपनी की ओर से भारतीय कंपनी को देय फास, रॉयल्टी, कमीशन अथवा अन्य पात्र देय राशियां

(2) भारतीय सॉफ्टवेयर निर्यातक प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से रिज़र्व बैंक के पास आवेदन दाखिल करके संयुक्त उद्यम से करार किए बगैर किसी विदेशी सॉफ्टवेयर स्टार्ट अप कंपनी को निर्यात के मूल्य के 25- तक शेयर के रूप में प्राप्त कर सकता है ।

12. इक्विटी के लिए माल का निर्यात - प्रक्रिया

(1) भारत से बाहर संयुक्त उद्यम या पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों में इक्विटी अंशदान के लिए भारत से माल/सॉफ्टवेयर / संयंत्र नियात करने वाली भारतीय पार्टी मामले के अनुसार जीआर/एसडीएफ /एसओएफटीईएक्स फार्म में घोषणा करेगी, जिसके उपर ’संयुक्त उद्यम /पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में इक्विटी सहभागिता के संबंध में निर्यात’ लिखा होना चाहिए साथ ही रिज़र्व बैंक द्वारा यदि पहचान संख्या दिया गया हो तो वह नंबर भी कोट किया जाए ,

(2) विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का नियात) विनियमावली, 2000 के विनियम 11 में किसी बात के होते हुए भी, भारतीय पार्टी माल के पोतलदान से 15 दिनों के अंदर प्राधिकृत व्यापारी द्वारा नामित शाखा के माध्यम से इनवायर की कस्टम द्वारा प्रमाणित प्रति रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करेगा ।

(3) विनियम 11 कं अंतर्गत निर्यातों का लाभ उठाने वाली कोई भारतीय पार्टी, निर्यात से छह महीने के भीतर, अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमत उससे अधिक अवधि के भीतर रिज़र्व बैंक को शेयर प्रमाणपत्र/त्रों अथवा संयुक्त उद्यम या संपूर्ण स्वामित्ववाली, भारत के बाहर स्थित सहायक कंपनी द्वारा जारी किसी दस्तावेज़ की प्रति/प्रतियां रिज़र्व बैंक के समाधान के लिए प्रस्तुत करेगी जिससे भारतीय पार्टी से निवेश के संबंध में प्रमाण मिले। इसके साथ-साथ अपने निर्धारित प्राधिकृत व्यापारी की शाखा के माध्यम से जीआर/एसडीएफ/सॉफ्थटेक्स फार्म की अनुलिपि भी प्रस्तुत करें ।

13. मौजूदा संयुक्त उद्यमों / संपूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों में निवेशोत्तर परिवर्तन / अतिरिक्त निवेश

उक्त विनियमावली के अनुसार भारतीय पार्टी द्वारा गठित संयुक्त उद्यम / संपूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी अपनी विदेशी कंपनी के कार्यकलापों में विविधता ला सकती है/ उप सहायक कंपनी गठित कर सकती है/ शेयरधारिता के पैटर्न में परिवर्तन कर सकती है, बशर्ते संबंधित भारतीय पार्टी, संयुक्त उद्यम/ पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी द्वारा लिए गए ऐसे निर्णयों के ब्यौरे मेज़बान देश के स्थानीय कानून के अनुसार ऐसी संयुक्त उद्यम / सुपूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के संबंधित सक्षम प्राधिकारी द्वारा उन निर्णयों के अनुमोदन से 30 दिन के भीतर रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट करती हो और विनियम 15 के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रति वर्ष, जो वार्षिक कार्य निष्पादन रिपोर्ट प्रेषित किया जाना अपेक्षित है उसमें उसका समावेश करती हो।

14. बोली लगाने अथवा निविदा क्रियाविधि के ज़रिए किसी विदेशी कंपनी का अभिग्रहण

(1) किसी ऐसी भारतीय पार्टी की ओर से, जो उक्त विनियमावली के अधीन भारत के बाहर निवेश करने के लिए पात्र है, प्रस्ताव किए जाने पर प्राधिकृत व्यापारी भारत के बाहर निगमित किसी कंपनी के अभिग्रहण के लिए प्रारंभिक धन जमाराशि के प्रति विप्रेषण की अनुमति दे सकता है अथवा बोली या निविदा क्रियाविधि में सहभागी होने के लिए उसकी तरफ से एक बोली बांड गारंटी ज़ारी कर सकता है,

(2) भारतीय पार्टी बोली जीत जाने पर,

(i) प्राधिकृत व्यापारी विदेशी कंपनी के अभिग्रहण के लिए और अधिक विप्रेषण की अनुमति दे सकता है, बशर्ते वह विनियम 6 में विनिर्दिष्ट उच्चतम सीमा तक हो; और

(ii) अंतिम विप्रेषण की तारीख से 30 दिन के भीतर ओडीए फार्म में रिज़र्व बैंक को, संबंधित प्रधिकृत व्यापारी के माध्यम से एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

(3) उप विनियम (1) के उपबंधों के अंतर्गत न आने वाली भारत के बाहर निगमित किसी कंपनी के अभिग्रहण के लिए बोली लगाने अथवा निदा क्रियाविधि में सहभागी होने के लिए ओडीआइ फार्म में आवेदन करने पर, रिज़र्व बैंक प्रारंभिक धन जमाराशि के प्रति विदेशी मुद्रा के विप्रेषण की अनुमति दे सकता है अथवा भारत स्थित प्राधिकृत व्यापारी को ऐसी शर्तों के अधिन एक बोली बांड गारंटी जारी करने की अनुमति देगा, जो रिज़र्व बैंक विनिर्दिष्ट करें।

(4) यदि भारतीय पार्टी बोली में सफल हो जाती है परंतु भारत के बाहर स्थित कंपनी के अभिग्रहण की शर्तें -

(क) भाग I के विनियमों के उपबंधों के अनुरूप नहीं हैं या उनसे अलग हैं जिनके लिए उप-विनियम (3) के अधीन अनुमोदन प्राप्त किया गया है, तो भारतीय पार्टी विनयिम 9 में विनिर्दिष्ट तरीके से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए अनुमोदन प्राप्त करने हेतु रिज़र्व बैंक को ओडीआइ फार्म में आवेदन प्रस्तुत करे, अथवा

(ख) भाग I के विनियमों के उपबंधों के अनुरूप हैं या उप-विनियम (3) के अधीन जिनके लिए अनुमोदन लिया गया है उसी प्रकार की हैं तो भारतीय पार्टी अंतिम विप्रेषण की तारीख से 30 दिन के भीतर रिज़र्व बैंक को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करे जिसमें लिए गए विप्रेषणों के ब्योरे दिए जाए।

15. भारतीय पार्टी का दायित्व

जिस भारतीय पार्टी ने भाग I के विनियमों के अनुसार विदेशी प्रतिभूति प्राप्त की है वह -

(i) शेयर प्रमाणपत्र अथवा विदेशी कंपनी में निवेश के साक्ष्य के रूप में कोई अन्य दस्तावेज विप्रेषण की तारीख से अथवा जिस तारीख को पूंजीकरण की जाने वाली राशि संबंधित भारतीय पार्टी को देय हो गई उस तारीख से या जिस तारीख को देय राशि का पूंजीकरण किया ज़ाना अनुमत था उस तारीख से छह महीने के भीतर अथवा रिज़र्व बैंक इससे अधिक जिस अवधि की अनुमति दे उस अवधि के भीतर, प्राप्त करे जो रिज़र्व बैंक को संतोषजनक लगे।

(ii) विदेशी कंपनी से प्राप्त सभी देय राशियां, जैसे लाभांश, रॉयल्टी, तकनीकी शुल्क आदि उनके देय हो जाने से 60 दिन के भीतर या रिज़र्व बैंक इससे अधिक जिस अवधि की अनुमति दे उस अवधि के भीतर भारत में प्रत्यावर्तित करे;

(iii) संयुक्त उद्यम/ भारत के बाहर स्थित संपूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों के लेखा-परीक्षित लेखों को अंतिम रूप दिए जाने हेतु मेजबान देश के संबंधित कानूनों द्वारा विहित सांविधिक अवधि की समाप्ति की तारीख से 60 दिन के भीतर अथवा रिज़र्व बैंक इससे अधिक जिस अवधि की अनुमति दे उस अवधि के भीतर हर वर्ष रिज़र्व बैंक को एक वार्षिक कार्य निष्पादन रिपोर्ट एपीआर फार्म में प्रस्तुत करे जो भारतीय पार्टी द्वारा गठित या अभिगृहीत, प्रत्येक संयुक्त उद्यम या भारत के बाहर स्थित प्रत्येक पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के संबंध में हो। वह अन्य रिपोर्टे और दस्तावेज जो रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट किए जाए, भी प्रस्तुत करे।

स्पष्टीकरण

यह अलग-अलग भागीदारों के लिए होगा ताकि वे विदेशी संयुक्त उद्यमों/संपूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों में, व्यक्तिगत नाम में, फर्म के लिए और फर्म की ओर से शेयर धारण कर सके, यदि मेजबान देश के विनियमों और परिचालनगत आवश्यकताओं के लिए, ऐसी धारिता अनिवार्य हो, बशर्ते ऐसे निवेश के लिए संपूर्ण निधीयन उस फर्म द्वारा किया हो।

16. भारत के बाहर संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के शेयरों की बिक्री के जरिए अंतरण

(1) कोई भारतीय पार्टी किसी अन्य भारतीय पार्टी को,जो उक्त विनियम 6 के उपबंधों का पालन करती है, अथवा भारत के बाहर निवासी व्यक्ति को संयुक्त उद्यम अथवा भारत के बाहर स्थित पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में उसके द्वारा धारित किसी शेयर या प्रतिभूति की बिक्री के जरिए अंतरण कर सकता है।

बशर्ते -

(i) उक्त बिक्री से, किए गए किसी निवेश को बट्टे खाते न डाला जाए।

(ii) उक्त बिक्री ऐसे किसी शेयर बाजार के माध्यम से की जाए जहाँ संबंधित विदेशी संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के शेयर सूचीबद्ध हो;

(iii) यदि शेयर उस शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध नहीं हैं और उनका किसी निजी व्यवस्था द्वारा विनिवेश किया जाता है तो शेयर मूल्य किसी सनदी लेखाकार/प्रमाणित सरकारी लेखाकार द्वारा प्रमाणित मूल्य से कम नहीं है क्योंकि शेयरों का उचित मूल्य संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के अद्यतन लेखा-परीक्षित वित्तीय विवरणों पर आधारित है;

(iv) संबंधित भारतीय पार्टी की. लाभांश, तकनीकी जानकारी शुल्क, रॉयल्टी, परामर्श सेवा, कमीशन अथवा अन्य अधिकार, और/अथवा संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी से निर्यात प्राप्तियों के रूप में बकाया देय राशियां न हों;

(v) संबंधित विदेशी कंपनी कम-से-कम एक पूर्ण वर्ष के लिए परिचालन में हो और उस वर्ष के लिए वार्षिक कार्य निष्पादन रिपोर्ट तथा लेखा-परीक्षित लेखा भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किए गए हों;

(vi) संबंधित भारतीय पार्टी सीबीआइ/ईडी/सेबी/आइआरडीए अथवा भारत में अन्य किसी विनियामक प्रधिकरण द्वारा जांच के अधीन न हो।

(2) शेयरों/प्रतिभूतियों की बिक्री आय को, उसकी प्राप्ति के बाद तत्काल और किसी भी हालत में शेयरों/प्रतिभूतियों की बिक्री की तारीख से 90 दिन तक की अवधि में भारत में प्रत्यावर्तित किया जाना चाहिए तथा इस आशय का दस्तावेज़ी प्रमाण, नामित प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

(3) जो भारतीय पार्टी उक्त उप-विनियम (1) में विनिर्दिष्ट मानदंड को पूरा नहीं कर पाती, उसे संयुक्त उद्यम/भारत के बाहर स्थित पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के शेयरों की बिक्री द्वारा अंतरण करने की अनुमति प्राप्त करने कें लिए रिज़र्व बैंक को आवेदन करना चाहिए, जिसे रिज़र्व बैंक कुछ ऐसी शर्तों के अधीन स्वीकार कर सकता है, जिसे बैंक समुचित समझें।

17. शेयरों की बिक्री से अंतरण जिसमें बट्टे खाते डालना निहित हो

जहां शेयरों अथवा विनियम 16 के उप विनियम (1) में उल्लिखित प्रतिभूति की, किसी ऐसी भारतीय पार्टी, जो भारत के किसी शेयर बाज़ार में सचीबद्ध है, द्वारा उस शेयर अथवा उस प्रतिभूति में निवेशित राशि से कम मूल्य के लिए बिक्री के माध्यम से अंतरण किया जाता है।

12. जहां उक्त मूल्य और बिक्री मेल्य के बीच  अंतर, भारतीय पार्टी के पिछले वर्ष की वास्तमिक निर्यात वसूली के, रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर अनुमोदित प्रतिशत से अधिक नहीं होती, वहां भारतीय पार्टी, विदेशी संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में निवेश की गई पूंजी को उक्त अंतर राशि की सीमा तक बट्टे खाते डाले ;

13. जहां यह अंतर भारतीय पार्टी के पिछले वर्ष की निर्यात वसूली के रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर अनुमोदित प्रतिशत से अधिक है वहां भारतीय पार्टी को चाहिए कि वह निवेशित पूंजी को बट्टे खाते डाले जाने हेतु रिज़र्व बैंक अनुमति प्राप्त करने के लिए आवेदन करे। ऐसी अनुमति उन शर्तों के अधीन दी जाएगी जिसे रिज़र्व बैंक समुचित समझें।

18. संयुक्त उद्यम और पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के शेयरों को गिरवी रखना।

भारतीय पार्टी, संयुक्त उद्यम अथवा भारत के बाहर स्थित पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में रखे शेयरों को अपने लिए या संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के लिए किसी प्राधिकृत व्यापारी या भारत स्थित सरकारी वित्तीय संस्था से निधि आधारित या निधीतर सुविधाएँ प्राप्त करने के लिए प्रतिभूति के रूप में गिरवी रखकर अंतरित कर सकता है।

भाग II

भारत में व्यक्तियों द्वारा विदेश में निवेश

19. भारत स्थित स्वामित्व प्रतिष्ठान द्वारा प्रत्यक्ष निवेश के लिए रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति

भारत स्थित स्वामित्व प्रतिष्ठान भारत से बाहर की कंपनी को प्रदान की गई व्यावसायिक सेवाओं के लिए प्राप्य फीस के बदले में उस कंपनी के शेयरों को स्वीकार करने की अनुमति प्राप्त करने के लिए फार्म ओडीबी में रिज़र्व बैंक को आवेदन कर सकता है।

बशर्ते

(क) भारत के बाहर प्रत्येक कंपनी से प्राप्त शेयरों का मूल्य उस कंपनी से भारतीय प्रतिष्ठान को प्राप्य फीस के 50% से अधिक नहीं होना चाहिए; और

(ख) पूर्वोक्त स्वीकार किए गए शेयरों के कारण भारत से बाहर की किसी एक कंपनी में भारतीय प्रतिष्ठान की शेयर धारिता भारत के बाहर की कंपनी जिसके शेयर स्वीकार किए गए हैं, की प्रदत्त पूंजी के 10% से अधिक नहीं होगा।

20. व्यक्ति द्वारा निवेश

(1) निवासी व्यक्ति विदेशी संसथा को प्रदत्त व्यावसायिक सेवाओं के लिए प्रतिफल के रूप में प्रस्तावित विदेशी कंपनी कं शेयर के अभिग्रहण की अनुमति के लिए रिज़र्व बैंक को आवेदन करे।

(2) रिज़र्व बैंक निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखते हुए यथावश्यक शर्तों के अधीन अनुमति प्रदान करे :

(i) व्यक्ति की साख और निवल संपत्ति तथा उसके पेशे का प्रकार;

(ii) उसके इटइटएफसी और/अथवा आरएफसी खातें में विदेशी मुद्रा अर्जन/ शेष की सीमा;

(iii) विदेशी कंपनी की वित्तीय और कारोबारी ट्रैक रिकार्ड;

(iv) देश में विदेशी मुद्रा की आवक संभाव्यता;

(v) देश को संभावित अन्य लाभ।

भाग III

प्रत्यक्ष निवेश से इतर रूप में विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश

21. भारत में निवास करने वाले व्यक्ति द्वारा विदेशी प्रतिभूति ज़ारी करने पर मनाही

(1) अधिनियम अथवा उप-विनियम (2) में दिए गए विनियमों में ज़ाट कुछ कहा गया है उसको छोड़कर, भारत में निवास करने वाला कोई भी व्यक्ति विदेशी प्रतिभूति जारी अथवा उसका अंतरण नहीं कर सकता है;

(2) भारत में निवास करने वाला कोई व्यक्ति, जो भारतीय कंपनी अथवा संसद के अधिनियम द्वारा निर्मित निगमित निकाय है,

(i) अनुसूची I में निर्धारित शर्तों कं अधीनप और उसके अनुसार भारत के बाहर के निवासी को अधिकतम 500 मिलियम अमरीकी डॉलर को विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड जारी कर सकता है।

(ii) रिज़र्व बैंक के विशिष्ट अनुमोदन से 500 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक का विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड जारी कर सकता है।

(3) उप-विनियम (2) में संदर्भित विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड जारी करने वाली कंपनी/ निगमित निकाय बांड जारी करने के 30 दिन कें भीतर रिज़र्व बैंक को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा जिसमें नीचे दिए गए ब्योरे और दस्तावेज दिए जांएगे:

(क) कुल राशि, जिसके लिए विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड जारी किए गए हैं,

(ख) भारत के बाहर निवास करने वाले निवेशकों के नाम और उनमें से प्रत्येक को जारी किए गए विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों की संख्या।

(ग) सामान्य बैंकिंग चठनलों के माध्यम से भारत को प्रत्यावर्तित राशि और/अथवा निवेशकों के भारत में एनआरई/ एफसीएनआर खातों के नामे द्वारा प्राप्त राशि (बैंक प्रमाणपत्र द्वारा विधिवत् समर्थित)

22. कुछ मामलों में विदेशी प्रतिभूतियों की खरीद/अभिग्रहण की अनुमति

(1) भारत में निवास करने वाला कोई भी व्यक्ति निम्नलिखित रूप में विदेशी प्रतिभूतियां प्राप्त कर सकहा है : -

i) भारत से बाहर निवास करने वाले व्यक्ति से उपहार के रूप में; अथवा
ii) भारत से बाहर निकमित कंपनी द्वारा नकदरहित कर्मचारी शेयर विकल्प योजना के तहत जारी प्रतिभूति के रूप में:-
iii) भारत में निवास करने वाले अथवा भारत से बाहर निवास करने वाले व्यक्ति से विरासत के रूप में प्राप्त

(2) भारत में निवास करने वाला ऐसा व्यक्ति जो विदेशी कंपनी के भारतीय कार्यालय अथवा शाखा का अथवा भारत में विदेशी कंपनी अथवा ऐसी भारतीय कंपनी, जिसमें विदेशी ईक्विटी धारिता 51 प्रतिशत से कम न हो, की सहायक कंपनी का कर्मचारी अथवा निदेशक हो वह उक्त विदेशी कंपनी द्वारा ऑफर किए गए ईक्विटी शेयर खरीद सकता हैं ।

(3) कोई प्राधिकृत व्यापारी उप-विनियम (2) के अनुसार शेयर खरीदने के लिए पात्र व्यक्ति को विप्रेषण की अनुमति दे सकता है,
बशर्ते उस उप-विनियम में निर्दिष्ट शर्ते पूरी की जाती हैं ।

(4) भारत में निवासी व्यक्ति उपर्युक्त उप-विनियम (1) और (2) के अनुसार अधिगृहीत शेयरों की बिक्री द्वारा अंतरण कर सकता है

बशर्ते उसकी आय को प्राप्त के तत्काल बाद प्रत्यावर्तित कर दिया जाता है और
किसी भी स्थिति में ऐसी प्रतिभुतियों की बिक्री की तारीख से 90 दिनों के अंदर ।

23. भारत में निवास करने वाले व्यक्ति द्वारा विदेशी प्रतिभूति का अंतरण

भारत में निवास करने वाला ऐसा व्यक्ति ासिने अधिनियम अथवा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों या विनियमों के अनुसार विदेशी प्रतिभूतियां प्राप्त की हों अथवा उनका धारक हो वह भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी से निधि आधारित अथवा गैर-निधि आधारित सुविधाएं प्राप्त करने के लिए उनका गिरवी के रूप में अंतरण कर सकता हैं ।

24. योग्यता (क्वालिफिकेशन) / अधिकार (राइट) शेयरों के रूप में विदेशी प्रतिभूतियों के अधिग्रहण के लिए अनुमति

(1) भारत में निवासी कोई व्यक्ति एक व्यक्ति होने के कारण

(क) कंपनी में निदेशक का पद धारण करने के लिए भारत से बाहर निगमित किसी कंपनी द्वारा जारी योग्यता शेयरों के रूप में विदेशी प्रतिभूति का अधिग्रहण कर सकता है , बशर्ते;

(i) इस प्रकार अधिगृहीत शेयरों की संख्या निदेशक का पद धारण किए जाने के लिए अपेक्षित न्यूनतम संख्या हो तथा कंपनी की प्रदत्त पूंजी के 1% से अधिक न हो, और

(ii) ऐसे शेयरों के अधिग्रहण की राशि समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित अधिकतम सीमा से अधिक न हो ।

(ख) भारत के आहर निगमित कंपनी में अधिकार शेयरों के रूप में विदेशी प्रतिभूति का अधिग्रहण कर सकता है :

बशर्ते अधिकार शेयर वर्तमान में लागू कानून के प्रावधानों के अनुसार शेयर धारण करने के कारण जारी किए जा रहे हों ।

(ग) जहां ऐसा व्यक्ति भारतीय प्रवर्तक कंपनी का कर्मचारी या निदेशक है, वह सॉफटवेयर के क्षेत्र में भारतीय प्रवर्तक की संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्ववाली सहयोगी कंपनी के शेयरों की खरीद के रूप में अधिग्रहण कर सकता है ;ध

(1)(i) खरीद की राशि समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक न हो ।
(ii) इस प्रकार से अधिगृहीत शेयर भारत के बाहर संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी की प्रदत्त पुंजी के 5% से अधिक न हो तथा
(iii) ऐसे निवेशों के आंबटन के बाद, भारतीय प्रवर्तक कंपनी द्वारा धारित शेयरों का प्रतिशत, उसके कर्मचारियों का आंबटित शेयरों सहित, ऐसे आबंटन के पूर्व भारतीय प्रवर्तक कंपनी द्वारा धारित शेयरों के प्रतिशत से कम न हो ।

(2) भारत का निवासी होने के कारण उपर्युक्त उप-विनियम (क) अथवा (ख) के अनुसार योग्यता / अधिकार शेयरों को धारण करने वाला व्यक्ति इस प्रकार अधिगृहीत शेयरों को पूर्व अनुमोदन के बगैर बेच सकता है, बशर्ते बिक्री आय को बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत में प्रत्यावर्तित किया जाता है तथा प्राधिकृत व्यापारी को दस्तावेजी प्रमाण प्रस्तुत किए जाते हैं ।

(3) भारतीय सॉफटवेयर कंपनी अपने निवासी कर्मचारियों को (कार्यरत निदेशक सहित)धएडीआर / जीडीआर सबद्ध स्टॉक विकल्प योजना के अधीन विदेशी प्रतिभूतियां खरीदने की अनुमति दे सकता है ।

26. कतिपय मामलों में रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति

विनियम 24 के उप-विनियम (1) के खंड (क) के परंतुक में निर्धारित सीमाओं से अधिक भारत के बाहर स्थित किसी कंपनी के योग्यता शेयरों के अधिग्रहण की इच्छा रखने वाले भारत का निवासी कोई व्यक्ति पूर्व अनुमति के लिए रिज़र्व बैंक को आवेदन करे ।

27. म्युचुअल फंडों द्वारा निवेश

सेबी द्वारा समय-समय पर अधिसूचित शर्तों के अधीन म्युचअल फंड विदेशी प्रतिभूतियां खरीद सकते हैं ।

(श्यामला गोपीनाथ)
कार्यपालक निदेशक


अनुसूची I

विनियम 21 (2) (i) देखें

विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बंड (एफ सी सी बी) के निर्गम के लिए स्वत: अनुमोदित मार्ग

(i) जारी किए जानेवाले विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (एफ सी सी बी) को भारत सरकार द्वारा समय - समय पर यथाघोषित विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नीति (जहां विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति है वहां सेक्टोरियल कैप एवं सेक्टर सहित) और समय-समय पर जारी रिज़र्व बैंक के विनियमों /निदेशों के अनुरूप होना होगा ।

(ii) (एफ सी सी बी) के निर्गम किसी एक वित्तीय वर्ष में 500 मिलियन अमरीकी डालर की सीमा के अधीन होंगे ।

(iii) (एफ सी सी बी) का सार्वजनिक निर्गम अंतर्राष्ट्रीय पुजी बाजार में ख्यातिप्राप्त अग्रणी प्रबंधकों के माध्यम से ही होगा । निजी तौर पर शेयर आबंटन के मामले में शेयर आबंटन निर्गमकर्ता कंपनी के प्रदत्त ईक्विटी पूंजी के 5% की न्यूनतम धारितावाले बैंक अथवा बहुदेशीय और द्विदेशीय वित्तीय संस्थाओं अथवा विदेशी सहभागिता अथवा विदेशी ईक्विटी धारक के पास होगा । गैर मान्यताप्राप्त स्त्रोतों के साथ निजी तौर पर शेयर आबंटन की मनाही है ।

(iv) (एफ सी सी बी) की परिपक्वता अवधि कम से कम 5 वर्ष होगी । क्रय-विग्रय विकल्प, यदि कोई हो तो वह 5 वर्ष से पहले क्रियान्वित नहीं किया जाएगा ।

(iv) (एफ सी सी बी) के निर्गम के साथ वारंट को संबद्ध करने की अनुमति नहीं हैं।

(v) "समग्र लागत" मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 3/2000-आर बी की अनुसूची में विनिर्दिष्ट बाहय वाणिज्यिक उधार योजना के लिए किए गए निर्धारण के समकक्ष होगी । समग्र लागत में कूपन दर, शोध (रिडम्शन) प्रीमियम, भुगतान में र्ाझिंक, वायदा शुल्क (कमिटमेंट फीस), प्रंटिंग फीस यदि कोई हो, शामिल होंगे किंतु इसमें कानून शुल्क, अग्रणी प्रबंधक शुल्क, फुटकर खर्च जैसे निर्गम संबंधी खर्च को शामिल नहीं किया जाएगा ।

vii) एफ सी सी बी आय का उपयोग स्टाफ बाजार में निवेश के लिए नहीं किया जाएगा तथा बाहय वाणिज्यिक उधार की आय का उपयोग उन्हीं प्रयोानों के लिए किया जाए जिनके लिए बाहय वाणिज्यिक उधार योजना के अंतर्गत अनुमति दी गई है ।

(viii) औद्योगिक क्षेत्र विशेषकर संरचनात्मक क्षेत्र में एफ सी सी बी को निवेश की अनुमति दी गई है । तंत्र (मेकानिम के माध्यम से जुटाई गई निधियों को वास्तव, में आवश्यकता न होने तक, विदेश में रखा जाए) ।

(ix) स्वत: अनुमोदित मार्ग के अंतर्गत रूपया खचद को पूरा करने के लिए एफ सी सी बी की तब तक प्रतिरक्षा (हेजिंग) की जाए ाब तक प्रतिभूतिरहित विदेशी मुद्रा प्राप्य राशियें के रूप में सामान्य प्रतिरक्षा उपलब्ध न हो, जिसे प्राधिकृत व्यापारी सुनिश्चित करेगा ।

(xii) वित्तीय बिचौलिए (अर्थात बैंक, विकास वित्तीय संस्था अथवा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी) को एफ सी सी बी तक पहुंचने की अनुमति नहीं दी जाएगी सिवाय उन बैंकों और वित्तीय बिचौलियों के, जो सरकार / भारतीय रिज़र्व बैंक के टेक्सटाइल अथवा इस्पात के क्षेत्र के पुनर्सरचना में अपनी सीमा के अधीन सहभागी हुए हैं ।

(xi) एफ सी सी बी निर्गम के लिए बैंक, वित्तीय संस्थाएं, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां गारंटी /लेटर ऑफ कम्फर्ट नहीं देंगी ।

(xiv) निर्गम संबंधी खर्च, निर्गम के आकार के 4% से अधिक नहीं होगा और निजी तौर पर शेयरों के आबंटन के मामलें में निर्गम आकार के 2% से अधिक नहीं होगा ।

(xv) जारीकर्ता कंपनी निर्गम पूर्ण होने के 30 दिन के अंदर प्राधिकृत व्यापारी की नामित शाखा के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को निम्नलिखित के ब्यौरे और दस्तावेज देते हुए एक रिनोर्ट प्रस्तुत करें :

(क) जारी किए गए एफसीसीबी की कुल राशि

(ख) भारत के बाहर के निवासी निवेशकर्ताओं के नाम और उनमें से प्रत्येक को जारी एफसीसीबी की संख्या,

पाद टिप्पणी : मूल विनियम सरकारी राजपत्र में दिनांक मई 8, 2000 के जी.एस.आर. सं.456 (E) में भाग II, धारा 3, उप-धारा (i) में प्रकाशित किए गए हैं और तत्पश्चात निम्नलिखित के अनुसार जी.एस.आर. द्वारा संशेधित किए गए हैं :

क्रम सं.

जी.एस.आर. सं.

दिनांक

1.

157(E)

2.3.2001

2.

258(E)

9.4.2002

3.

259(E)

9..4.2002

4.

263(E)

9.4.2002

5.

265(E)

9.4.2002

6.

475(E)

8.7.2002

7.

34(E)

16.1.2003

8.

629(E)

4.8.2003

9.

399(E)

14.5.2003

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