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विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2007

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग

केंद्रीय कार्यालय - मुंबई

अधिसूचना सं.फेमा 164 /2007-आरबी

दिनांक अक्तूबर 9, 2007

विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का
अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2007

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (3) के खंड (क) और धारा 47 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2004 (जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं. फेमा.120/आरबी-2004) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्,

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ :-

(i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली 2007 कहलाएंगे।
(ii) इन विनियमों के प्रावधान इसमें नीचे निर्दिष्ट तारीखों से लागू किए गए समझे जाएंगे।

2. विनियम 2 का संशोधन :-

विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 (जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं. फेमा.120/आरबी-2004 इसके बाद मूल विनियमावली के रूप में उल्लिखित) में,
i.विनियम 2 में, खंड(च) में " गारंटी की राशि का 50 प्रतिशत" शब्दों और अंकों के लिए "गारंटी की राशि का 100 प्रतिशत " शब्दों और अंकों को प्रतिस्थापित किया जाएगा तथा जून 2007 के 14 वें दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा।
ii) विनियम 2 में, खंड (थ) के बाद निम्नलिखित नया खंड जोड़ा जाएगा और अप्रैल 2007 के 30 वें दिन से जोड़ा गया समझा जाएगा, अर्थात् :-

"(थक) "उद्यम पूंजी निधि " का तात्पर्य भारतीय प्रतिभूति और
विनियम बोर्ड (उद्यम पूंजी निधि ) विनियमावली, 1996 में यथा परिभाषित निधि है।"

3. विनियम 6 का संशोधन -

मूल विनियमावली में, विनियम 6 में,

(i) उप-विनियम (2) में, खंड (i) के, लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जाएगा तथा जून 2007 के 14 वें दिन से प्रतिस्थापित कियागयासमझाजाएगा, अर्थात्,

"(i) संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्थाओं में भारतीय पार्टी की कुल वित्तीय प्रतिबद्धता अंतिम लेखापरीक्षित तुलनपत्र की तारीख को भारतीय पार्टी के निवल मालियत के 300% से अधिक नहीं होगी,बशर्ते भारतीय पार्टी , जो एक पंजीकृत साझेदारी फर्म है, के लिए कुल वित्तीय प्रतिबद्धता इसके निवल मालियत के 200% से अधिक नहीं होगी।"

(ii) उप-विनियम(2) में, खंड (i )में, स्पष्टीकरण में," निवल मालियत के200%की सीमा के अंदर कुल वित्तीय प्रतिबद्धता के निर्धारण के प्रयोजन के लिए " शब्देंऔर अंके के लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जाएगा तथा जून 2007 के 14 वें दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा, अर्थात् -
"निवल मालियत के 200% अथवा 300% जैसा मामला हो, की सीमा केअंदर
" कुल वित्तीय प्रतिबद्धता " के निर्धारण के प्रयोजन के लिए "

(iii) उप-विनियम 2 में, खंड (i ) में, उप खंड (ग) में "गारंटी के मूल्य का पचास प्रतिशत" शब्दों के लिए "गारंटी के मूल्य का सौ प्रतिशत " शब्दों को प्रतिस्थापित किया जाएगा तथा जून 2007 के 14 वें दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा।

(iv) उप-विनियम (3) में, खंड (ii) में " निवल मालियत के 100% से अधिक नहीं होगा" शब्दों और अंकें के लिए " निवल मालियत के 200% से अधिक नहींहोगा" शब्दों और अंकों को प्रतिस्थापित किया जाएगा और मई 2005 के 12 वें दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा।

(v) उप-विनियम (3) में, इसमें उपर खंड (iv) द्वारा यथासंशोधित खंड (ii) में "निवल मालियत के 200% से अधिक नहीं होगा " शब्दों के लिए " कारपोरट के मामले में 300% से अधिक नहीं होगा तथा पंजीकृत साझेदारी फर्मों के मामले में निवल मालियत के 200% से अधिक नहीं होगा " शब्दों कोप्रतिस्थपित किया जाएगा और जून 2007 के 14 वें दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा।

(vi) उप-विनियम (3) में, खंड (ii) में स्पष्टीकरण में " निवल मालियत के 100% से अधिक नहीं होगा" शब्दों और अंकें के लिए " निवल मालियत के 200% से अधिक नहीं होगा " शब्दों और अंकों को प्रतिस्थापित किया जाएगा और मई 2005 के 12वें दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा।

(vii) उप-विनियम (3) में, उपर खंड (vi) द्वारा यथासंशोधित खंड (ii) में " निवल मालियत का 200% " शब्दों और अंकें के लिए " कारपोरट के मामले में निवल मालियत का 300% से अधिक नहीं होगा तथा पंजीकृत साझेदारी फर्म के मामले में निवल मालियत का 200 % से अधिक नहीं होगा " शब्दों और अंको को प्रतिस्थापित किया जाएगा तथा जून 2007 के 14 वें दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा।

(viii)
उप-विनियम (3 )में, खंड (ग ) में, उप खंड (ii) में " गारंटियों की राशि के पचास प्रतिशत " शब्दों के लिए " गारंटियों की राशि के सौ प्रतिशत " शब्दों को प्रतिस्थपित किया जाएगा तथा जून 2007 के 14 वें दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा।

(ix) उप-विनियम (3) में, खंड (ii) में, उप खंड (ग) के बाद निम्नलिखित जोड़ा जाएगा और मार्च 2006 के 27 वें दिन से जोड़ा गया समझा जाएगा, अर्थात् :-

"स्पष्टीकरण:-एक भारतीय पार्टी भारत से बाहर निवासी किसी व्यक्ति को गारंटी का कोई भी रूप प्रस्तावित कर सकती है जो कारपोरेट अथवा वैयक्तिक /प्राथमिक अथवा संपार्श्विक / भारत में प्रवर्तक कंपनी द्वारा गारंटी / भारत मे समूह कंपनी , सहयोगी संस्था अथवा सहयोगी कंपनी है बशर्ते
(क) गारंटियों के सभी प्रकार सहित कुल " वित्तीय प्रतिबद्धता " किसी भारतीय पार्टी द्वारा समुद्रपारीय निवेशें के लिए अनुबद्ध समग्र सीमा के अंदर है तथा
(ख) कोई भी गारंटी "निरंतर स्वरूप" की नहीं है।"

(x) उप-विनियम (3 )में,खंड (ii) में स्पष्टीकरण में , उप खंड (V) के बाद निम्नलिखित नया उप-खंड जोड़ा जाएगा तथा जूल्ठा 2004 के 7 वें दिन से जोड़ा गया समझा जाएगा, अर्थात्:-
"(च) शेयरों की अदला-बदली (स्वैप)

(xi) उप-विनियम (3 )में,खंड (ii) में स्पष्टीकरण में , उपर खंड (x) द्वारा यथासंशोधित उप खंड (च) के बाद निम्नलिखित नया उप-खंड जोड़ा जाएगा तथा अप्रैल 2007 के 20 वें दिन से जोड़ा गया समझा जाएगा, अर्थात्:-
"(छ) मूल्यांकन मानदंडों और क्षेत्रीय सीमा के अधीन ए डी आर / जी डी आर स्टॉक की अदला-बदली (स्वैप)"

4. विनियम 6आ का संशोधन

मूल विनियमावली में, विनियम 6आ में
(i) शब्द "और व्यक्ति अथवा " को हटा दिया जाएगा तथा दिसंबर 2006 के 20 वें दिन से हटा दिया गया समझा जाएगा।
(ii) खंड (ख) में उप-खंड (i) में शब्दों और अंकें " निवल मालियत का 25% " के लिए शब्दों और अंकें " निवल मालियत का 35% " को प्रतिस्थापित किया जाएगा तथा जून 2007 के 14 वें दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा।

5. विनियम 8 का संशोधन

मूल विनियमावली में, विनियम 8 को हटा दिया जाएगा तथा अप्रैल 2007 के 20 वें दिन से हटा दिया गया समझा जाएगा।

6. विनियम 16 का संशोधन

मूल विनियमावली में, विनियम 16 के खंड (1) में "भारत के बाहर " शब्दों के बाद निम्नलिखित शब्दों को जोड़ा जाएगा और मार्च 2006 के 27 वें दिन सेजोड़ा गया समझा जाएगा ।

" नीचे दिए गए संवर्गो में, रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमति के बगैर :
(i) ऐसे मामलों में जहां संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्थाएं समुद्रपारीय स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्व हैं,
(ii) ऐसे मामलों में, जहां भारतीय प्रवर्तक कंपनी भारत में किसी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्व है और जिसकी निवल मालियत 100 करोड़ रुपये से कम नहीं है ;
(iii) जहां भारतीय प्रवर्तक एक असूचीबद्व कंपनी है और समुद्रपारीय उद्यमों में निवेश 10 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक नहीं है ".

7.fवनियम 18 का संशोधन

मूल विनियमावली में, विनियम 18 में शब्द "किसी प्राधिकृत व्यापारी अथवा भारत में किसी सार्वजनिक वित्तीय संस्था से " के बाद अंत में निम्नलिखित को जोड़ा जाएगा तथा अप्रैल 2007 के 20 वें दिन से जोड़ा गया समझा जाएगा, अर्थात् :-

" अथवा किसी समुद्रपारीय उधारकर्ता को, बशर्ते उधारकर्ता का एक बैंक के रूप में विनियमन और पर्यवेक्षण किया जाता है तथा भारतीय पार्टी की कुल वित्तीय प्रतिबद्धताएं संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्थाओं में समुद्रपारीय निवेशों के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा अनुबद्ध सीमा के अंदर हैं।"

8. भ्ााग II में नए विनियम का जोड़ा जाना -

    मूल विनियमावली में, भाग II में, विनियम 19 के बाद , निम्नलिखित विनियम जोड़ा जाएगा तथा मार्च 2006 के 27 वें दिन से जोड़ा गया समझा जाएगा, अर्थात् :-

    "19 अ समुद्रपारीय निवेश - स्वामित्ववाले प्रतिष्ठान -/अपंजीकृत साझेदारी फर्म
    अच्छा कार्य निष्पादन वाले और अधिसूचना की अनुसूची II के अनुसार मानदंड को संतुष्ट करनेवाले अनुकूल उच्च कार्य निष्पादन करनेवाले मान्यता प्राप्त तारांकित निर्यात गृह होने के कारण भारत में स्वामित्व / अपंजीकृत साझेदारी फर्म रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से भारत के बाहर संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्थाओं की स्थापना कर सकते हैं।"
    9.नई अनुसूची जोड़ना -

मूल विनियम में, अनुसूची I के बाद निम्नलिखित नई अनुसूची जोड़ी जाएगीतथा मार्च 2006 के 27 वें दिन से जोड़ी गई समझी जाएगी, अर्थात्:-


"अनुसूची II
(विनियम 19अ देखें)
समुद्रपारीय निवेश - स्वामित्ववाले प्रतिष्ठान/अपंजीकृत साझेदारी फर्म


स्थापित स्वामित्ववाले अथवा अपंजीकृत साझेदारी निर्यातक फर्मों द्वारा भारत के बाहर निवेश करने के प्रस्तावों पर विचार करने के मानदंड --
i) साझेदारी / स्वामित्ववाला फर्म विदेश व्यापार निदेशालय से मान्यताप्राप्त तारांकित निर्यातगृह (निर्यात प्रतिवर्ष 15 करोड़ रुपये से अधिक) है।
ii) प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस बात से संतुष्ट है कि निर्यातक अपने ग्राहकों को जानिए का अनुपालक है, प्रस्तावित कारोबार में लगा हुआ है तथा दर्शाए गए अनुसार उसका पण्यावर्त है।
iii) निर्यातक का अच्छा कार्य निष्पादन रिकार्ड है अर्थात् निर्यात बकाया पिछले तीन वर्षों के औसत निर्यात वसूली के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं है।
iv) निर्यातक प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो जैसी किसी सरकारी एजेंसी के प्रतिकूल सूचना के तहत नहीं आता है तथा रिज़र्व बैंक की निर्यातक सतर्कता सूची अथवा भारत में बैंकिंग प्रणाली के चूककर्ता सूची में नहीं है।
v) भारत के बाहर निवेश राशि तीन वर्षों की निर्यात वसूली के औसत का 10 प्रतिशत अथवा फर्म के निवल स्वाधिकृत निधियों के 200 प्रतिशत, जो भी कम हो, से अधिक नहीं है।"

10. विनियम 22 का संशोधन -

मूल नियमावली में, विनियम 22 में, (i) उप-विनियम (2) के लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जाएगा तथा अप्रैल 2006 के 5 वें दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा, अर्थात् :-

"(2) भारत में निवासी कोई व्यक्ति, एक व्यक्ति होने के नाते, जो भारतीय कंपनी अथवा किसी विदेशी कंपनी की शाखा अथवा किसी विदेशी कंपनी अथवा किसी भारतीय कंपनी की भारत स्थित सहायक कंपनी , जिसमें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से विदेशी विदेशी इक्विटी धारिता प्रभावपूर्ण रूप से 51 प्रतिशत से कम नहीं है, का कर्मचारी अथवा निदेशक है, ऐसी विदेशी कंपनी द्वारा प्रस्तावित शेयर स्वीकार कर सकता है।
बशर्ते
(i) कर्मचारी स्टाक विकल्प योजना के तहत शेयर समान आधार पर वैश्विक रूप सेजारीकर्ता कंपनी द्वारा प्रस्तावित किए जाते हैं तथा (ii) भारतीय कंपनी प्रेषण /हिताधिकारियों / आदि के ब्योरे देते हुए प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से रिज़र्व बैंक को एक वार्षिक विवरणी प्रस्तुत करती है।
"
स्पष्टीकरण- इस उप-विनियम के प्रयोजन के लिए " अप्रत्यक्ष रूप से " का अर्थ ट्रस्ट /स्पेशल परपस वेहिकल अथवा स्टेप डाउन सब्सिडियरी के माध्यम से अप्रत्यक्ष विदेशी इक्विटी धारिता है।
(ii) उप-विनियम (3) और (4) के लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जाएगा अप्रैल 2006 के 5 वें दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा , अर्थात् :-
" (3) एक प्राधिकृत व्यापारी, कर्मचारी स्टाफ विकल्प योजना के तहत, योजना के परिचालनात्मक पद्धति पर ध्यान दिए बगैर शेयरों के अधिग्रहण के लिए उप-विनियम
(2) के अनुसार शेयरों की खरीद के लिए पात्र व्यक्ति द्वारा प्रेषण की अनुमति दे सकता है :-
बशर्ते उप-विनियम में निर्दिष्ट शर्तों को पूरा किया जाता है।
(4) भारत में निवासी व्यक्ति उपर्युक्त उप-विनियम (2) और (3) के अनुसार अधिगृहीत शेयरों को बिक्री द्वारा अंतरित कर सकता है बशर्ते उसकी प्राप्य राशियों को उनकी प्राप्ति के तत्काल बाद और किसी भी स्थिति में ऐसी प्रतिभूतियों की बिक्री की तारीख से 90 दिनों के ही अंदर प्रत्यावर्तित किया जाता है।
(iii) उप-विनियम (4) के बाद निम्नलिखित नया उप-विनियम जोड़ा जाएगा अप्रैल 2006 के 5 वें दिन से प्रतिस्थापित किया गया समझा जाएगा, अर्थात् :-
"(5) एक विदेशी कंपनी, जिसने इस विनियम के उप-विनियम (2) के अनुसार शेयरजारी किया है, उसकी पुनर्खरीद कर सकती है बशर्ते
(i) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के तहत बनाए गए नियमों / विनियमों के अनुसार शेयर जारी किए गए हैं,
(ii) प्रारंभिक प्रस्ताव दस्तावेज़ें के अनुसार शेयरों की पुनर्खरीद की जा रही है और,

11. विनियम 26 का संशोधन - मूल विनियमावली में, विनियम 26 में "म्युच्युअल फंड" शब्दों के बाद "और उद्यम पूंजी फंड" ज़ोड़ा जाएगा और अप्रैल 2007 के 30 वें दिन से जोड़ा गया समझा जाएगा।

(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महा प्रबंधक



पाद टिप्पणी :

(i) विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 राजकीय गजट के दिनांक नवम्बर 19, 2004 के जी.एस.आर सं.757()िं द्वारा प्रकाशित किए गए तथा बाद में निम्नलिखित द्वारा संशोधित किए गए -
दिनांक अप्रैल 7, 2005 का जी.एस.आर.सं. 220(E)
दिनांक मई 27, 2005 का जी.एस.आर.सं. 337(E)
दिनांक अगस्त 31, 2005 का जी.एस.आर.सं. 552(E)
(ii)यह स्पष्ट किया जाता है कि इन विनियमों के पूर्व प्रभावी होने से किसी भी व्यक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव नही पड़ेगा।

 

जी. एस. आर. सं.13(E)/जनवरी 5, 2008

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