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विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण और निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2009

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई-400001

अधिसूचना सं.फेमा. 184/2009-आरबी

दिनांक: जनवरी 20, 2009

विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण और निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2009

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उप-धारा (3) के खण्ड  (क) और धारा 47 की उपधारा (2) द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद् द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण और निर्गम) विनियमावली,2004 (7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं.फेमा.120/2004-आरबी) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात्,

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ
(क) ये विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण और निर्गम) (संशोधन)विनियम, 2009 कहलाएंगे ।
(ख) ये 19 जुलाई 2007 से लागू समझे जाएंगे ।

2. नये विनियम 27 का अंत:स्थापन
विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण और निर्गम) विनियमावली,2004(7 जुलाई 2004 की अधिसूचना सं.फेमा.120/2004-आरबी) में, विनियम 26 के बाद निम्नलिखित विनियम अंत:स्थापित किया जाएगा, अर्थात्,-

" 27: शेयर बाजारों के समाशोधन निगमों और समाशोधन सदस्यों द्वारा डीमेट खाते खोलना

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के अनुमोदित शेयर बाजारों के समाशोधन निगम और उनके समाशोधन का सदस्य होने पर भारत का निवासी कोई व्यक्ति, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अधीन

i) विदेशी निक्षेपागारों के पास डीमेट खाता खोल सकता है तथा विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा संपार्श्विक के रुप में प्रस्तुत विदेशी सरकारी प्रतिभूतियां अर्जित कर सकता है, अपने पास रख कर सकता है, गिरवी रख सकता है और अंतरित कर सकता है ;

ii)इस प्रकार की विदेशी सरकारी प्रतिभूतियों पर कारपोरेट कार्रवाई से होने वाली आय, यदि कोई हो ,प्रेषित कर सकता है ; और

iii) इस प्रकार की विदेशी सरकारी प्रतिभूतियां का परिसमापन कर सकता है और उसकी आय भारत को प्रत्यावर्तित कर सकता है । "

(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

(i) पाद टिप्पणी :

मूल विनियमावली 19 फरवरी 2004 को जी.एस.आर.सं. 757 (अ) के जरिये सरकारी राजपत्र में प्रकाशित की गयी और तत्पश्चात् निम्नलिखित द्वारा संशोधित की गयी :

07.04.2005 के जी.एस.आर.सं.220(अ)
27.05. 2005 के जी.एस.आर.सं.337(अ)
31.08. 2005 के जी.एस.आर.सं.552(अ)
06.09.2006 के जी.एस.आर.सं.535 (अ)
05.01.2008 के जी.एस.आर.सं.13 (अ)
03.03.2008 के जी.एस.आर.सं.209 (अ)

(ii)यह स्पष्ट किया जाता है कि किसी व्यक्ति पर इन विमियमों के पूर्वव्यापी प्रभाव से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

जी. एस. आर. सं.108(E)/ फरवरी 20,2009

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