विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. फेमा 19/आरबी-2000 दिनांक :03 मई, 2000 विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उपधारा (3) के खंड (क) तथा धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक भारत में निवास कर रहे किसी व्यक्ति द्वारा किसी विदेशी प्रतिभूति के अंतरण अथवा निर्गम के संबंध में निम्नलिखित विनियम बनाता है , अर्थात् : 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ 2. परिभाषा इन विनियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो - क) "अधिनियम" से अभिप्रेत है विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) होगा ; ख) "प्राधिकृत व्यापारी" से अभिप्रेत है उक्त अधिनियम की धारा 10 की उपधारा (1) के अंतर्गत व्यापारी के रूप में प्राधिकृत किया गया व्यक्ति ; ग) "अमेरिकन डिपोजिटरी रिसीट" (एडीआर) से अभिप्रेत है भारत में निगमित किसी कंपनी के रूपये शेयर पर किसी बैंक अथवा संयुक्त राज्य अमरीका (यू.एस.ए.) में किसी डिपोजिटरी द्वारा जारी की गई प्रतिभूति से होगा ; घ) "स्थायी कार्य" से अभिप्रेत है किसी ऐसी भारतीय संस्था (एंटिटि) द्वारा की गई वह गतिविधि जो उसके पिछले लेखा वर्ष के कुल औसत व्यापार का कम-से-कम 50% हिस्सा हो ; ङ) "भारत के बाहर प्रत्यक्ष निवेश" से अभिप्रेत है किसी विदेशी संस्था की पूंजी अथवा संस्था के संगम ज्ञापन में उल्लिखित अंशदान अथवा अभिदान के रूप में कियं गये निवेश से है, लेकिन इसमें उस संस्था में संविभाग निवेश अथवा शेयर बाजार के जरिये निवेश अथवा निजी निवेश शामिल नहीं होगा ; च) "वित्तीय प्रतिबद्धता" से अभिप्रेत है किसी भारतीय पार्टी द्वारा या उसकी ओर से उसके विदेश स्थित संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में ईक्विटी और ऋण के रूप में सीधे निवेश की राशि और उसके द्वारा जारी गारंटियों के 50 प्रतिशत से हो ; छ)"विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड" से अभिप्रेत है किसी भारतीय कंपनी द्वारा जारी बांड जो विदेशी मुद्रा में अभिव्यक्त हो तथा जिससे संबंधित मुलराशि और ब्याज विदेशी मुद्रा में देय हो ; ज) "फार्म " से अभिप्रेत है इन विनियमों के साथ अनुलग्नक के रूप में दिये गये फार्म ; झ) "ग्लोबल डिपोजिटरी रिसीट" से अभिप्रेत है भारत में निगमित किसी कंपनी केरूपया शेयरों पर भारत से बाहर स्थित किसी बैंक अथवा डिपोजिटरी द्वारा जारी की गई प्रतिभूति ; ध) "मेजबान देश " से अभिप्रेत है वह देश से है, जहां किसी भारतीय पार्टी से सीधा निवेश प्राप्त करने वाली विदेशी संस्था पंजीकृत है ; ट) "भारतीय पार्टी " से अभिप्रेत है भारत में निगमित अथवा संसद के अधिनियम के अंतर्गत गठित निकाय जो विदेश स्थित संयुक्त उपक्रम अथवा पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में निवेश करती है, इसमें रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित कोई अन्य संस्था भी शामिल है, बशर्ते जब ऐसे एक से अधिक ऐसी निगमित कंपनी अथवा संसद के किसी अधिनियम के अंतर्गत निकाय जो विदेशी संस्था में प्रत्यक्ष निवेश करते हैं तो वे सभी निवेशक मिलकर "भारतीय पार्टी " कहलाएंगे ; ठ) "निवेश बैंकर " से अभिप्रेत है यु.एस.ए. में प्रतिभूति और विनियम आयोग अथवायु.के. में वित्तीय संवा प्राधिकारी अथवा जर्मनी, फ्रान्स, सिंगापूर अथवा जापान में उचित नियंत्रण प्राधिकारी के साथ निवेश बैंकर के रूप में पंजीकृत बैंकर ; ड) "संयुक्त उद्यम" से अभिप्रेत है उस मेजबान देश के कानूनों और विनियमों के अनुसार गठित, पंजीकृत अथवा निगमित विदेशी संस्था जिसमें भारतीय पार्टी सीधा निवेश करती है ; ड) "पारस्परिक निधि" से अभिप्रेत है आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10 के खंड (23घ) में संदर्भित पारस्परिक निधिध ; ण) "निवल मूल्य" से अभिप्रेत है चुकता पूंजी और निर्बंध आरक्षित निधियाँ ; त) "वास्तविक संपदा कारोबार" से अभिप्रेत है वास्तविक संपदा के क्रय-विक्रय अथवा अंतरणीय विकास अधिकारों के व्यापार, लेकिन, इसमें शहरों का विकास, आवासीय /वाणिज्यिक परिसरों, सड़कों अथवा पुलों का विकास शामिल नहीं है ; थ) "पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी" से अभिप्रेत है ऐसी विदेशी संस्था जो मेजबान देश के कानूनों और विनियमों के अनुसार गठित, पंजीकृत अथवा निगमित हो और जिसकी समस्त पूंजी भारतीय पार्टी द्वारा धारित हो ; द) इन विनियमों में प्रयुक्त लेकिन अपरिभाषित शब्दों और अभिव्यक्तियों का वही अर्थ होगा जो अधिनियम में उनके लिए निर्धारित किया गया है । 3. विदेशी प्रतिभूति के निर्गम अथवा अंतरण पर प्रतिबंध अधिनियम अथवा उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों अथवा विनियमों अथवा जारी किये गये निदेशें में अन्यथा प्राधानित उपबंधों को छाडकर, भारत में निवास कर रहा कोई भी व्यक्ति किसी विदेशी प्रतिभूति का निर्गम अथवा अंतरण नहीं करेगा : - बशर्तें, भारतीय रिज़र्व बैंक, आवेदन प्राप्त होने पर, भारत में निवास कर रहे किसी व्यक्ति को विदेशी प्रतिभूति के निर्गम अथवा अंतरण की अनुमति दे सकता है । 4. भारत में निवास कर रहे किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी प्रतिभूति का क्रय और विक्रय भारत में निवासी कोई व्यक्ति क) विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा खाता) विनियमावली 2000 के अनुसार निवासी विदेशी मुद्रा खाते में धारित निधियों से विदेशी प्रतिभूति खरीद सकता है ; ख) अधिनियम अथवा उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों अथवा विनियमों के उपबंधों के अनुसार धारित विदेशी प्रतिभूतियों पर बोनस शेयर अर्जित कर सकता है ; ग) जब वह स्थायी रूप से भारत में निवास नहीं कर रहा हो, भारत से बाहर अपने विदेशी मुद्रा संसाधनों से विदेशी प्रतिभूति खरीद सकता है ; घ) खंड (क), (ख) अथवा (ग) के अंतर्गत खरीदी ं अथवा अर्जित की गई विदेशी प्रतिभूति को बेच सकता है । स्पष्टीकरण इस खंड के प्रयोजन के लिए, "भारत में स्थायी रूप से निवास नहीं करनेवाले" से अभिप्रेत है ऐसे व्यक्ति से है जो किसी निश्चित अवधि (कितनी भी क्यों नहो) के रोजजार अथवा किसी विनिर्दिष्ट कार्य अथवा नियत कार्य के लिए भारत में निवास कर रही हो, जिसकी अवधि तीन वर्ष से अधिक न हो । भाग I भारत से बाहर प्रत्यक्ष निवेश 5. भारत से बाहर निवेश पर मनाही 1) भारत में निवास कर रहा कोई व्यक्ति भारत से बाहर कोई प्रत्यक्ष निवेश नहीं करेगा ; तथा 6.कतिपय मामलों में प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति 1) उप-विनियम (2) में विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन, कोई भारतीय पार्टी भारत से बाहर के संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी में प्रत्यक्ष निवेश कर सकती है । 2) i) भारतीय पार्टी की कुल वित्तीय प्रतिबद्धता 50 मिलियन अमरीकी डालर अथवा उस वर्ष -सहित जिसमें कि निवेश किया जाता है तीन वित्तीय वर्षों के ब्लॉक में उसके बराबर की राशि से अधिक नहीं होगी । लेकिन, नेपाल और भूटान स्थित संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में किया गया निवेश इसमें शामिल नहीं होगा । ii) नेपाल अथवा भूटान में भारतीय रूपये में प्रत्यक्ष निवेश के संबंध में निवेश के वर्ष सहित तीन वर्षों के ब्लाक में कुल वित्तीय वचन बद्धता 120 करोड़ भारतीय रुपये से अधिक नहीं होगी ; iii) जिस विदेशी संस्था में प्रत्यक्ष निवेश किया गया है वह उसी स्थायी कार्य में लगी है जो कार्य भारतीय पार्टी द्वारा किया जाता है ; iv) भारतीय पार्टी ने पिछले तीन लेखा वर्षों में निवल लाभ अर्जित किया है ; v) भारतीय पार्टी रिज़र्व बैंक की सावधानी बरतने संबंधी सूची में अथवा प्रवर्तन निदेशालय की जांच के अधीन नहीं है ; vi) भारतीय पार्टी किसी संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहयोगी संस्था में किये गये निवेश से संधित सभी लेनदेन प्राधिकृत व्यापारी द्वारा नामित उसकी एक ही शाखा के जरिए करेगी । स्पष्टीकरण भारतीय पार्टी भारत के बाहर विभिन्न संयुक्त उद्यमों / पूर्णत: स्वामित्ववाली सहयोगी संस्थाओं के लिए प्राधिकृत व्यापारियों की विभिन्न शाखाओं को नामित कर सकती है । vii) भारतीय पार्टी विधिवत् भरा गया प्रपत्र (ओडीए) रिज़र्व बैंक को आगे प्रेषित किये जाने हेतु प्राधिकृत व्यापारी की नामित शाखा को प्रस्तुत करती है । 3) इस विनियम के अंतर्गत निवेश का निधीयन निम्नलिखित संसाधनों में से किसी एक या अधिक में से किया जा सकता है , यथा : i) प्राधिकृत व्यापारी के पास विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी करेंसी खाते) विदिनयमावली, 2000 के अनुसार भारतीय पार्टी के निर्यात अर्जक विदेशी करेंसी खाते में रखी शेष राशि में से ; ii) भारत में प्राधिकृत व्यापारी से भारतीय पार्टी की अंतिम लेखा-परीक्षित तुलन-पत्र की तारीख को यथा विद्यमान निवल परिसम्पत्ति के 25 प्रतिशत से अनधिक आहरण ; iii) एडीआर / जीडीआर निर्गमों की आय का भारतीय पार्टी द्वारा इस प्रकार जुटायी गयी राशि की 50 प्रतिशत से अनधिक सीमा तक उपयोग । 4) किसी भारतीय पार्टी की निवल संपत्ति को परिकलित करने के प्रयोजन के लिए, उसकी धारित कंपनी (जो भारतीय पार्टी का कम-से-कम 51 प्रतिशत हिस्सा रखती है) अथवा उसकी सहायक कंपनी (जिसमें भारतीय पार्टी कम-से-कम 51 प्रतिशत हिस्सा रखती है) की निवल संपत्ति को हिसाब में लिया जा सकता है - बशर्मे ऐसी धारित कंपनी अथवा, जहां भी लागू हो, सहायक कंपनी ने तीन वर्षों के संबंधित ब्लॉक के दौरान विदेश में सीधे निवेश की संविधा का लाभ उठाया हो और भारतीय पार्टी के पक्ष में दावा छोड़ देने का पत्र प्रस्तुत किया हो । 5) भारतीय पार्टी विदेश में संयुक्त उद्यम / पूर्णत: स्वामित्ववाली सहयोगी संस्था को अथवा उसकी तरफ से स्वीकार्य वित्तीय प्रतिबद्धता के भीतर ऋण अथवा गारंटी दे सकती है, बशर्ते भारतीय पार्टी ने उक्त संयुक्त उद्यम की ईक्विटी पूंजी में अंशदान के जरिए निवेश किया हो । 6) भारतीय पार्टी किसी भी विदेशी प्रतिभूति में बिना किसी सीमा के एडीआर और/अथवा सीडीआर प्रणाली के माध्यम से अपने शेयरों के अंतर्राष्ट्रीय ऑफर से होनेवाली आय में से सीधा निवेश कर सकती है, बशर्ते : क) उक्त एडीआर /जीडीआर निर्गम विदेशी करेंसी परिवर्तनीय बांड निर्गम योजना और सामान्य शेयर (निक्षेपागार रसीद प्रणाली द्वारा) योजना 1993तथा इनके अधीन केद्र सरकार द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार हुआ है ख) उप-विनियम (3) के खंड (iii) के अनुसार पहले ही किये गये निवेशें के साथ प्रस्तावित निवेश जारी किये गये जीडीआर और /अथवा की आय के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं है ; और 7. वित्तीय सेवा क्षेत्र में निवेश भाग I में उल्लिखित विनियमों के अधीन, वित्तीय सेवा कार्यों में लगी कोई भी भारतीय पार्टी भारत के बाहर ऐसे ही कार्यों में लगी संस्था में निवेश कर सकती है , बशर्ते भारतीय पार्टी ने i) पिछले तीन वर्षों के दौरान वित्तीय सेवा कार्यों से निवल लाभ अर्जित किया हो ; iv) भारत स्थित संबंधित विनियामक प्राधिकरण द्वारा यथा निर्धारित पूंजी पर्याप्तता संबंधी विवेकशील मानदंडों की पूर्ति की हो । 8. अदला-बदली (स्वैप) अथवा भारतीय कंपनी के शेयरों के विनिमय द्वारा विदेशी प्रतिभूति में निवेश बशर्ते कि : - क) भारतीय पार्टी ने पहले से ही कोई ए.डी.आर और/अथवा जीडीआर जारी किया गया है और ऐसे एडीआर /जीडीआर हालही में भारत के बाहर किसी स्टाक एक्स्चेंज में सूचीबद्ध है , ख) भारतीय पार्टी द्वारा ऐसा निवेश ग) पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान भारतीय पार्टी के औसत लेनदेन का कम-से-कम 80 प्रतिशत अनुसूची I में शामिल कार्यों/क्षेत्रों से हो अथवा भारतीय पार्टी को अनुसूची I मे शामिल कार्यों/क्षेत्रों से पिछले तीन वित्तीय वर्षों में कम-से-कम 100 करोड़ रूपये की वार्षिक औसत निर्यात आय हुई हो , ङं)विस्तारित पुंजीगत आधार में, नये एडीआर और/जीडीआर निर्गम के बाद भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्तियों द्वारा भारतीय पार्टी में कुल शेयर धारिता ऐसे निवेश के लिए संगत विनियमों के अंतर्गत निर्धारित क्षेत्रीय सीमा से अधिक न हो , च) विदेशी कंपनी के शेयरों का मूल्यांकन निम्नप्रकार किया जाता है : क) निवेश बैंकर की सिफारिशों के अनुसार यदि शेयर किसी शेयर बाजार में सूचीबद्ध नहीं हो, ख) विदेश के किसी शेयर बाजार में उन पिछले तीन महीने के लिए जिसमें अधिग्रहण हुआ हो, मासिक औसत मूल्य के आधार पर हुए वर्तमान बाजार पुंजीकरण पर आधारित और इसके अतिरिक्त प्रीमियम, यदि हो, अन्य मामलों में निवेश बैंकर द्वारा उसकी परिश्रमशीलता रिपोर्ट में अनुशंसंसित हो , 9. कुछ मामलों में रिज़र्व बैंक का अनुमोदन क) भारत के बाहर संयुक्त उद्यम/पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों की प्रथम दृष्टि में अर्थक्षमता ; ख) विदेश व्यापार और अन्य लाभों में अंशदान जो भारत को ऐसे निवेश के माध्यम से प्राप्त होगा ; ग) भारतीय पार्टी और विदेशी संस्था की वित्तीय स्थिति और पिछला कार्य-निष्पादन रिकार्ड , घ) भारत के बाहर संयुक्त उद्यम या पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के क्रियाकलाप या उससे संबंधित कार्यें में भारतीय पार्टी विशेज्ञता और अनुभव । 10. विशिष्ट पहचान संख्या रिज़र्व बैंक भारत के बाहर के प्रत्येक संयुक्त उद्यम या पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के लिए एक विशिष्ट पहचान संख्या आबंटित करेगा और भारतीय पार्टी रिज़र्व बैंक और प्राधिकृत व्यापारी को भेजे जानेवाले अपने सभी पत्रों तथा रिपोर्टों में उस संख्या का उल्लेख करेगा । 11. पूंजीकरण द्वारा निवेश की प्रणाली भाग I में उल्लिखित विनियमों के अनुसार कोई भी भारतीय पार्टी भारत के बाहर निम्नानुसार विदेशी पार्टी से भारतीय पार्टी को देय राशि पूर्णत: या अंशत: पूंजीकरण के के रूप में प्रत्यक्ष निवेश कर सकेगा :- बशर्ते यदि निर्यात की तारीख से छह महीने से अधिक अवधि तक निर्यात आगम की वसूली नहीं होगी, तो इस प्रकार के आगमें का रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना पूंजीकरण नहीं किया जाएगा। 11. पूंजीकरण द्वारा निवेश की प्रणाली 13. रिज़र्व बैंक को सूचना प्रस्तुत करना जहाँ विदेशी संस्था की प्रदत्त पूंजी का 50 प्रतिशत या उससे अधिक भारतीय पार्टी द्वारा अभिधारित हो , और ii) भारतीय पार्टी ने विदेशी संस्था से अपने लाभांश, शुल्कों और रॉयल्टियों की राशि का प्रत्यावर्तन नहीं किया हो ; अथवा iv) अतिरिक्त पूंजी अंशदान की भारत से अपेक्षा की गयी हो, अथवा क) जिस कार्यकलाप के साथ विदेशी संस्था जुड़ी हो / जुड़ने का प्रस्ताव हो उस कार्यकलाप को छोडकर अन्य कार्यकलाप में ; ख) अन्य विदेशी संस्था की पूंजी में सहभागिता करना ; अथवा ग) कंपनी के प्रधिकृत या निर्गमित पूंजीगत डांर्ा िंमें, या एसकी शेयर धारिता के स्वरूप में परिवर्तन करना । 2. उप विनियम (i) में अन्तर्विष्ट प्रतिबंध वहॉ लागू नहीं होंगे जहाँ विदेशी संस्था में निवेश भारतीय पार्टी के विनियम अर्जक विदेशी मुद्रा (ईईएफसी) खाता में धारित शेषों ओर अथवा भारतीय पार्टी द्वारा एडीआर / जीडीआर निर्गम के जरिए जुटायी गयी विदेशी करेन्सी संसाधना में से पूर्णत: किया गया हो । 14. बोली लगाने या निविदा प्रक्रिया के जरिये विदेशी कंपनी का अधिग्रहण 2) भारतीय पार्टी बोली जीतने के बाद ii) भारतीय पार्टी अंतिम प्रेषण भेजने के 30 दिनों के भीतर ओडीए फार्म में संबंधित प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। 4) यदि भारतीय पार्टी को बोली लगाने में सफलता प्राप्त होती हो किन्तु भारत के बाहर किसी कंपनी के अधिग्रहण के नियव-व-शर्तें - क) भाग I विनियमों के उपबंधों के अनुरूप नहीं हों, या उनसे भिन्न हों जिसके लिए उप नियम (3) के अधीन अनुमोदन प्राप्त किया गया था, भारतीय पार्टी विनियम 9 में विनिर्दिष्ट रीति से विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए अनुमोदन प्राप्त करने के विभिन्न ओडीआई फार्म में रिज़र्व बैंक को आवेदन पत्र प्रस्तुत करेगी, अथवा ख) भाग I विनियमों के उपबंधों के अनुरूप हों, अथवा उन नियम-व-शर्तों के समान हों जिनके लिए उप नियम (3) के अधीन अनुमोदन प्राप्त किया गया था तो भारतीय पार्टी अंतिम प्रेषण की तारीख से 30 दिनों के भीतर किये गये प्रेषण के ब्यौरे देते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। 15. भारतीय पार्टी की बाध्यता जिस भारतीय पार्टी ने भाग I में उल्लिखिति विनियमों के अनुसार विदेशी प्रतिभूति प्राप्त की हो - अधिनियम में अथवा उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों अथवा विनियमों अथवा उनके अंतर्गत जारी निदेशों में जो कुछ कहा गया है उसको छोड़कर कोई भी भारतीय पार्टी भारत से बाहर संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में धारित अपने किसी शेयर अथवा प्रतिभूति का भारत में निवास करनेवाले या भारत से बाहर निवास करनेवाले किसी व्यक्ति को बिक्री के रूप में अंतरण नहीं कर सकती है । 17.संयुक्त उद्यमों और पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियों के शेयर गिरवी रखना कोई भी भारतीय पार्टी भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी अथवा वित्तीय संस्था से अपने लिए अथवा भारत से बाहर संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के लिए निधि-आधारित अथवा गैर-निधि आधारित सुविधाएं लेने हेतु भारत से बाहर संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी में धारित अपने शयरों का जमानत के रूप में गिरवी रखकर अन्तरण कर सकती है । भाग II प्रत्यक्ष निवेश के रूप में किये गये निवेश के अलावा 18. भारत में निवास करनेवाले व्यक्ति द्वारा विदेशी प्रतिभूति जारी करने पर मनाही 1) अधिनियम अथवा भाग II में दिये गये विनियमों में जो कुछ कहा गया है उसको छोड़कर, भारत में निवास करनेवाला कोई भी व्यक्ति विदेशी प्रतिभूति को जारी नहीं कर सकता है अथवा उसका अंतरण नहीं कर सकता है ; 2) अधिनियम अथवा भाग II में दिये गये विनियमों में जो कुछ कहा गया है उसको ोड़कर, भारत में निवास करनेवाला कोई भी व्यक्ति विदेशी प्रतिभूति को जारी नहीं कर सकता है अथवा उसका अंतरण नहीं कर सकता है ; निवास करनेवाले किसी व्यक्ति को विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (एफसीसीबी) जारी कर सकता है ; (3) उप विनियम (2) में संदर्भित एफसीसीबी जारी करनेवाली कंपनी/निगमित निकाय बांड जारी करने के 30 दिन के भीतर रिज़र्व बैंक को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा जिसमें नीचे दिये गये ब्यौरे और दस्तावेज दिये जायेंगे : क) विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड जारी करने के लिए सरकार के अनुमोदन की प्रतिलिपि, ख) कुल राशि जिसके लिए विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड जारी किये गये हैं, ग) भारत के बाहर निवास करनेवाले निवेशकों के नाम और उनमें से प्रत्येक को जारी किये गये विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों की संख्या , घ) सामान्य बैंकिंग तंत्र के माध्यम से भारत में प्रत्यावर्तित राशि और / अथवा निवेशकों के भारत में अनिवासी बाहय / विदेशी करेंसी अनिवासी खाते में नामे डालकर प्राप्त की गयी राशि (इसके समर्थन में विधिवत बैंक प्रमाणपत्र लगाया जाय) 19.कुछ मामलें में विदेशी प्रतिभूतियों की खरीद / अभिग्रहण की अनुमति 1) भारत में निवास करनेवाला, कोई भी व्यक्ति निम्नलिखित रूप में विदेशी प्रतिभूतियां प्राप्त कर सकता है i) भारत से बाहर निवास करनेवाले व्यक्ति से उपहार के रूप में, अथवा ii) भारत से बाहर निगमित कंपनी द्वारा नकदरहित कर्मचारी शेयर विकल्प योजना के तहत जारी प्रतिभूति के रूप में बशर्ते इसके लिए भारत से कोई प्रेषण न किया गया हो , अथवा iii) भारत में निवास करनेवाला अथवा भारत से बाहर निवास करनेवाले व्यक्ति से विरासत के रूप में प्राप्त । 2) भारत में निवास करनेवाला ऐसा व्यक्ति जो विदेशी कंपनी के भारतीय कार्यालय का शाखा का अथवा भारत में विदेशी कंपनी अथवा ऐसी भारतीय कंपनी, जिसमें विदेशी ईक्विटी धारिता 51 प्रतिशत से कम न हो, की सहायक कंपनी क) शेयर रियायती कीमत पर ऑफर किये गये हों, और ख) शेयर खरीदने के लिए पांच कैलेंडर वर्षों के ब्लॉक में 10,000 अमरीकी डालर अथवा उसकी समतुल्य राशि का भुगतान न किया गया हो । बशर्ते उस उप-विनियम में निर्दिष्ट शर्ते पूरी की गयी हों । 20. भारत में निवास करनेवाले व्यक्ति द्वारा विदेशी प्रतिभूति का अंतरण भारत में निवास करनेवाला ऐसा व्यक्ति जिसने अधिनियम अथवा उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों या विनियमों के अनुसार विदेशी प्रतिभूतियां प्राप्त की हों अथवा उनका धारक हो वह भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी से निधि आधारित अथवा गैर-निधि आधारित सुविधाएं प्राप्त करने के लिए उनका गिरवी के रूप में अंतरण कर सकता है । 21. कुछ मामलों में रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति क) भारत से बाहर निगमित कंपनी का निदेशक की हैसियत से कंपनी द्वारा जारी किये गये न्यूनतम अर्हता शेयरों के रूप में ; ख) भारत से बाहर निगमित कंपनी द्वारा जारी अधिकार शेयरों के रूप में, बशर्ते ऐसे शेयर प्राप्त करने के लिए पांच वर्ष के एक ब्लाक में 10,000 अमरीकी डालर से अधिक राशि का भुगतान न किया गया हो ।इसके अतिरिक्त यह शर्त भी है कि जिन शेयरों पर अधिकार शेयर जारी किये जा रहे हो वे फिलहाल प्रचलित कानून के प्रावधानों के अनुसार धारित किये गये थे ; ग) भारतीय प्रवर्तक कंपनी के कर्मचारियों/ निदेशकों द्वारा साफटवेयर के क्षेत्र में भारतीय प्रवर्तक कंपनी द्वारा भारत से बाहर संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी के शयरों की खरीद के रूप में बशर्ते (क) पांच कैलेंडर वर्ष के एक ब्लाक में प्रति कर्मचारी शेयर खरीदने के लिए 10,000 अमरीकी डालर या इसकी समतुल्य राशि से अधिक राशि का भुगतान न किया गया हो, (ख) इस प्रकार प्राप्त शेयर भारत से बाहर संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी की चुकता पूंजी के 5 प्रतिशत से अधिक न हों, और (ग) इस प्रकार शेयरों के आंबटन के पश्चात् , भारतीय प्रवर्तक कंपनी द्वारा धारित शेयरों के प्रतिशत से कम न हो । 2) रिज़र्व बैंक किसी भारतीय सॉफटवेयर कंपनी द्वारा आवेदन करने पर इसके निवासी कर्मचारियों (कार्यकारी निदेशकों सहित) को एडीआर/ज़ीडीआर संबद्ध शेयर विकल्प योजनाओं के तहत विदेशी प्रतिभूतियां खरीदने की अनुमति देगा , बशर्ते पांच कैलेण्डर वर्ष के ब्लाक में इस प्रकार की खरीद के लिए 50,000 अमरीकी डालर अथवा इसकी समतुल्य राशि से अधिक राशि का भुगतान न किया गया हो । 22.म्युच्युअल फंडों द्वारा निवेश रिज़र्व बैंक आवेदन प्राप्त होने पर किसी म्युच्युअल फंड को ऐसी शर्तों पर विदेशी प्रतिभूतियां खरीदने की अनुमति देगा जिन्हें लगाना वह उचित समझें। (पी.आर. गोपाल राव)
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