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विदेशी मुद्रा प्रबंध-(भारत से बार के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रति?ाझति का अंतरण अथवा निर्गम) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2008

अधिसूचना सं.फेमा 179/2008-आरबी
दिनांक: अगस्त 22, 2008

विदेशी मुद्रा प्रबंध-(भारत से बार के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रति?ाझति का अंतरण
अथवा निर्गम) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2008

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उप-धारा (3) के खंड (ख) और धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों ं का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रति?ाझति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20 / 2000-आरबी) में निम्नलिखित संशोधन करता है , अर्थात् :-

1. संक्षिप्त नाम और प्रारं?ा :-

(i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाह निवासी व्यक्ति द्वारा प्रति?ाझति का अंतरण अथवा निर्गम) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2008 कहलाएंगे ।

(ii) ये विनियम इन विनियमों के तहत दिए गए पाद टिप्पणियों में अन्यथा विनिर्दिष्ट होने तक सरकारी राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से लागू समझे जाएंगे ।

2. विनियमावली 2 में संशोधन :-

विदेशी मुद्रा प्रबंध(भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000 (दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20 / 2000 आरबी ) में, विनियम 2 में । (hereinafter.. मूल विनियमावली...)

(क) परिभाषा सं. (ii) को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा और दिनांक 1 मई 2007 से प्रतिस्थापित माना जाएगा ।

  "(ii) "पूंजी" से इक्विटी शेयर, अधिमान शेयर और परिवर्तनीय डिबेंचर अभिप्रेत है ",

(ख) खंड (ii क) के बाद निम्नलिखित नया खंड सन्निविष्टित किया जाएगा और दिनांक 1 मई 2007 से सन्निविष्टित माना जाएगा ।

   "(ii ख) "अधिमान शेयरों का तात्पर्य अनिवार्य और बाध्यकर रुप से परिवर्तनीय अधिमान शेयर होगा "

(ग) इस प्रकार सन्निविष्टीत खंड (ii ख) के बाद निम्नलिखित नया खंड सन्निविष्टित किया जाएगा और दिनांक 8 जून 2007 से सन्निविष्टित माना जाएगा ।    
  "(ii ग) डिबेंचर का तात्पर्य अनिवार्य और बाध्यकर रुप से परिवर्तनीय डिबेंचर होगा "

3. विनियमावली 5 में संशोधन - मूल विनियमावली में वर्तमान विनियम 5 के उपविनियम 6 को निम्नलिखित से प्रतिस्थपित किया जाएगा और दिनांक 31 दिसम्बर 2007 से प्रतिस्थापित माना जाएगा;

"6. पंजीकृत संस्थागत निवेशक जिसे विदेशी मुद्रा नियंत्रण अधिनियम 1973 और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 के अनुसार वैध मंजूरी है रिज़र्व बैंक / सेबी द्वारा स्वीकृत सभी exchange traded derivative contract में आर बी आई / सेबी द्वारा नियत सीमा एवं मार्जिन अपेक्षा तथा रिज़र्व बैंक द्वारा समय समय पर निदेशीत समपार्श्व प्रतिभूति (collateral securities) के लिये अनुबंधो के अधिन व्यापार कर सकता है ।

4. विनियमावली 6आ में संशोधन - मूल अवनियमावली में, वर्तमान विनियम 6आ को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा :

"इन विनियमों के अनुसार अधिकार निर्गम शेयर अथवा बोनस शेयर जारी करनेवाली कंपनी मूल विनियमावली की अनुसूची 1 के पैरा 9(1) (आ) में यथानिर्धारित फार्म एफसी-जीपीआर में रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट करेगी।"

5. विनियम 10 में संशोधन - मूल विनियमावली में, विनियम 10 में, उप-विनियम अ मेकं, खण्ड (ख) के बाद, स्पष्टीकरण के पहले निम्नलिखित को सन्निविष्टित किया जाएगा और दिनांक फरवरी 10, 2006 से सन्निविष्टित माना जाएगा, अर्थात् :

"(ग) बिक्री के तौर पर, कोई प्रतिभूति अपने अनुमोदन हेतु रिज़र्व बैंक को आवेदन करेगा यदि,

i) भारतीय कंपनी के कार्यकलाप, जिसकी प्रतिभूतियां अंतरित की जा रहीं हैं, स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत नहीं आती हैं और उपर्युक्त अंतरण के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड का अनुमोदन प्राप्त किया गया है;

ii) भारतीय कंपनी के कार्याकलाप, जिसकी प्रतिभूतियां अंतरित की जा रहीं हैं, वित्तीय सेवा क्षेत्र के तहत आती हैं;

iii) अंतरण सेबी (सब्सटेंशियल एक्विज़िशन ऑफ शेयर्स एंड टेकओवर्स) विनियमावली, 1997 के प्रावधानों के अंतर्गत है;

iv) अंतरण, समय-समय पर रिज़व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट मूल्य निर्धारण मार्गदर्शी सिद्धांतों के मूल्य के तहत नहीं आता है।"

6. अनुसूची 1 में संशोधन- मूल विनियमावली की अनुसूची 1 में,

i) पैरा 1 में,

(क) उप-पैरा (2)को निम्नलिखित से प्रस्थापित किया जाएगा, अर्थात्:-

"(2) इस योजना के तहत शेयरों खरीदनेवाला व्यक्ति का सहयोगी होना प्रस्तावित है अथवा एक नई भारतीय कंपनी के संपूर्ण शेयरधारिता को अधिगृहीत करने का प्रस्ताव है, तो वह केंद्र सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त करे, यदि उसका, जनवरी 12, 2005 को, उसी क्षेत्र में, जिसमें भारतीय कंपनी है,वर्तमान में संयुक्त उद्यम अथवा तकनीकी अंतरण / ट्रेडमार्क करार है।"

(ख) उप पैरा (2) के बाद निम्नलिखित परंतुक जोड़ा जाएगा, और यह संशोधन जनवरी 12, 20051 से लागू समझा जाएगा अर्थात्:

" बशर्ते सेबी के पास पंजीकृत उद्यम पूंजी निधियों द्वारा किए जानेवाले निवेशों; बहुराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा निवेशों; अथवा जहां दोनें पार्टियें द्वारा वर्तमान संयुक्त उद्यम में निवेश 3% से कम है; अथवा जहां वर्तमान संयुक्त उद्यम / सहयोग समाप्त अथवा रुग्ण है अथवा सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र अथवा खनन क्षेत्र में लगी किसी भारतीय कंपनी के शेयरों के अंतरण के लिए केंद्र सरकार के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी यदि उस व्यक्ति का, जिसे शेयर अंतरित किया जाना है, उसी क्षेत्र / खनिज के लिए सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र अथवा खनन क्षेत्र में वर्तमान संयुक्त उद्यम अथवा तकनीकी अंतरण / ट्रेडमार्क करार है।7

ii) पैर 2 में,उप पैरा (1) को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा और यह दिनांक फरवरी 10, 2006 से प्रतिस्थापित माना जाएगा अर्थात्:

"(1) संलग्नक अ में उल्लिखित किसी कार्यकलाप / क्षेत्र में नही लगी हुई भारतीय कंपनी, भारत के बाहर निवासी व्यक्ति को संलग्नक आ में विनिर्दिष्ट प्रवेश मार्गों के अनुसार उसमें निर्धारित सीमा और समय-समय पर वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा यथा अधिसूचित विदेश निवेश नीतिके प्रावधानों के अधीन शेयर अथवा परिवर्तनीय डिबेंचर जारी कर सकती है।’ 

" बशर्ते शेयर अथवा परिवर्तनीय डिबेंचर भारतीय कंपनी द्वारा किसी भारतीय कंपनी के वर्तमान शेयरों के अधिग्रहण की दृष्टि से जारी नहीं किए जा रहे हैं।

स्पष्टीकरण : कंपनी, जो इस अनुसूची के संलग्क आ में शामिल क्रियाकलाप अथवा मदों का निर्माण करने के लिए योजना विस्तार में लगने का प्रस्ताव करती हैं ,वे इस पैरा के प्रावधानों के अनुपालन के अधीन संलग्नक आ में दर्शाई गई सीमा तक वित्तपोषण विस्तार योजना के प्रयोज्ान हेतु उसके द्वारा जारी किए जाने के लिए प्रस्तावित नई पूंजी में से शेयर अथवा डिबेंचर जारी कर सकती है।8

7 है, इस तारीख को भारत सरकार,वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय , औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग ने अपना प्रेस नोट सं.1(2005 सिरीज़) जारी किया था।

8 यह संशोधन फरवरी 10, 2006 से लागू समझा जाता है,इस तारीख को भारत सरकार,वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय , औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग ने अपना प्रेस नोट सं.4(2006 सिरीज़) जारी किया था।

iii) पैरा 2 में,उप-पैरा (2) को हट दिया जाएगा ।

iv) पैरा 2 में उप-पैरा (3),(4) और (5) को क्रमश: उप-पैरा (2), (3)और (4) के रूप में पुन: संख्या दी जाएगी ।

v) पैरा 3 का निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात

 

"3 .सरकार के अनुमोदन की अपेक्षा रखनेवाली कंपनी द्वारा शेयरों का निर्गम- इन विनियमों के अनुसार भारत के बाहर निवासी व्यक्ति को शेयर जारी करने का इरादा रखनेवाली भारतीय कंपनी भारत सरकार के विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से पूर्वानुमोदन प्राप्त करे, यदि कंपनी
(क) संलग्नक अ(अ) में दी गई किसी कार्यकलाप में लगी है अथवा लगने का प्रस्ताव है; अथवा

(ख)संलग्नक आ में "प्रवेश मार्ग" स्तंभ में निर्धारित विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के तहत आती है; अथवा

(ग) आवक प्रेषणों के अलावा अर्थात् भुगतान के लिए देय रॉयल्टी/एक मुश्त फीस से इतर प्रतिफलों की जमानत पर भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति को शेयर जारी करने का प्रस्ताव ; अथवा

(घ) परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा में प्राप्त बाह्य वाणिज्यिक उधार (माने गए बाह्य वाणिज्यिक उधार को छोड़क र) की जमानत पर भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति को 28 नवम्बर 2003 या उसके बाद शेयर जारी करना प्रस्तावित 9

 
vi) पैरा 4 में,
 
    i) उप पैरा (2) में,"संलग्नक इ में विनिर्दिष्ट फार्म " शब्दों के लिए "फार्म डी आर "शब्दें को प्रतिस्थापित किया जाएगा।

    ii) उप पैरा (3) में," संलग्नक ई में विनिर्दिष्ट फार्म "शब्दों के लिए "फार्म डी आर-क्वार्टरली " को प्रतिस्थापित किया जाएगा।

vii) पैरा 4 आ के लिए निम्नलिखित नए पैरा को प्रतिस्थापित किया जाएगा,अर्थात्:-

"4आ. भारतीय कंपनी,विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड और सामान्य शेयर (निक्षेपागार रसीद व्यवस्था के माध्यम से) योजना,1993 के प्रावधानों के अनुसार निर्धारित किए जानेवाले मूल्य पर और समय-समय पर भारत सरकार द्वारा जारी मार्गदर्शी सिद्धातों के तहत तथा रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्देशित रिपोर्टींग आवश्यकताओं के अनुसार अपने शेयरधारकों द्वारा धारित शेयरों की

 

9 यह संशोधन भारत सरकार,वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय , औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग द्वारा 28 नवम्बर 2003 को जारी प्रेस नोट सं.4(2003) के अनुसार जुलाई 29, 2003 से लागू समझा जाता है।

 
जमानत पर किसी समुद्रपारीय निक्षेपागार के साथ एडीआर/जीडीआर के निर्गम को प्रायोजित कर सकता है।"
 

viii) पैरा 5अ को हटा दिया जाएगा

ix) पैरा 6 के लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात्:-

"6.एडीआर/जीडीआर का निर्गम मूल्य: भारत के बाहर निवासी व्यक्ति को जारी किए जानेवाले एडीआर/जीडीआर का मूल्य निर्धारण भारतीय कंपनी , विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड और सामान्य शेयर (निक्षेपागार रसीद व्यवस्था के माध्यम से) योजना , 1993 के प्रावधानों के अनुसार और समय - समय पर भारत सरकार द्वारा जारी मार्गदर्शी सिद्धातों के तहत निर्धारित किया जाएगा।"

(x) 6.(ii) पैरा 9 मे (i) उप-पैरा में -

(क) खंड (अ) शब्द ’रिपोर्ट’ को ’इस अनुसूची के अनेक्स सी में निर्दिष्ट फार्म में रिपोर्ट ’ शब्दोंसे प्रतिस्थापित किया जाएगा    

(ख) खंड (आ) उपखंड (घ) शब्द और अंक "पैरा 9 के अनुसार " को शब्द और अंक "पैरा 8 के अनुसार" से प्रतिस्थापित किया जाएगा

                 

(ii) सब पैरा (आ) के बाद, अंत में निम्नलिखित नया पैरा जोड दिया जाएगा, अर्थात :-

(ग) भारतीय कंपनी द्वारा advance against equity के रुप में प्रतिफल राशि की प्राप्ति 30 दिनों के अंदर रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय, जिसके अधिकार क्षेत्र में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय है, अनेक्स सी में विनिर्दिष्ट फार्म में रिपोर्ट की जाएगी ।

(xi) वर्तमान विनियमों के संलग्नक अ और संलग्नक आ को इन विनियमों के क्रमश: "संलग्नक अ " और "संलग्नक आ " के रूप में प्रतिस्थापित किया जाएगा।

(xii) वर्तमान विनियमों के संलग्नक इ और संलग्नक ई को क्रमश: " फार्म डीआर "और "फार्म डीआर- क्वार्टरली " के रूप में पुन: नाम दिया जाएगा।

(xiii) वर्तमान विनियमों के संलग्नक ड. को हटा दिया जाएगा।

(xiv) वर्तमान विनियमों में " फार्म एफसी-जीपीआर " को इन विनियमों के संलग्नक ई में निर्धारित फार्मेट द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा।

7.अनुसूची 4 में संशोधन- मूल विनियमावली में,अनुसूची 4 में, पैरा 2 में ,परंतुकों को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा।

"बशर्ते खंड (i) के अनुसार जिस व्यक्ति को शेयर अंतरित किए जा रहे हैं वह शेयर अधिग्रहण के लिए केंद्र सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त करे,यदि उसका,जनवरी 12, 2005 को,उसी क्षेत्र में,जिसमें उस कंपनी का ,जिसके शेयर अथवा डिबेंचर उसके द्वारा अधिगृहीत किए जाने है,वर्तमान में संयुक्त उद्यम अथवा तकनीकी  ंतरण/ ट्रेडमार्क करार है। बशर्ते इसके अलावा केंद्र सरकार से निम्नलिखित के लिए किसी पूर्वानुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी :

(क) एशियन डेवलेप्मेंट बैंक, अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम, कॉमन वेल्थ विकास निगम, ड्यूइश न्टविक्लुंग्स् गेस्सेल्शाफ्ट (डीईजी) जैसी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं कों शेयरों के अंतरण के लिए:

(ख) सूचना प्रौद्योगिकी अथवा खनन क्षेत्र में कार्यरत किसी भारतीय कंपनी के शेयरों का अंतरण,यदि उस व्यक्ति का,जिसे शेयर अंतरित किए जाने हैं,सूचना प्रौद्योगिकी अथवा खनन क्षेत्र में भी वर्तमान संयुक्त ऊद्यम अथवा तकनीकी अंतरण / ट्रेडमार्क करार है ।

(ग) सेबी के पास पंजीकृत उद्यम पूंजी निधियों द्वारा निवेश किया जाना है; बहुराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं अथवा जहां वर्तमान संयुक्त उद्यम निवेश दोनों पार्टियों द्वारा 3% से कम है या जहां वर्तमान संयुक्त उद्यम / सहयोग समाप्त अथवा रुग्ण है द्वारा निवेश।"

8. अनुसूची 5 में संशोधन - मूल विनियमावली में, अनुसूची 5 में, (i)वर्तमान पैरा 1 को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा:

"1. प्रतिभूति खरीदने के लिए विदेशी संस्थागत निवेशकों को अनुमति-

पंजीकृत संस्थागत निवेशक समय-समय पर रिज़र्व बैंक तथा सेबी द्वारा निर्देशित परिसीमा के अधीन प्रत्यावर्तन आधार पर दिनांकित सरकारी प्रतिभूति /खज़ाना बिल, किसी भारतीय कंपनी द्वारा जारी सूचीबद्ध अपरिवर्तनीय डिबेंचर/बांड, वाणिज्यिक पत्र और घरेलू म्यूचुअल फंड के यूनिट और परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा जारी प्रतिभूति पावती, और भारत में बैंकों द्वारा अपनी पूंजी को बढाने के लिये जारी टीयर I पूंजी के रूप शामिल होने के लिए पात्र बेमीयादी ऋण लिखतों औरउच्च टीयर II पूंजी के रूप में ऋण पूंजी लिखतों की खरीद आरबीआई, सेबी द्वारा समय-समय पर नियत सिमाओं के अधिन, ऐसे प्रतिभूतियों के जारीकर्त्ता से सीधे अथवा भारत में पंजीकृत स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकृत स्टॉक ब्रोकर के माध्यम से कर सकता है:बशर्ते;

i) विदेशी संस्थागत निवेशक 70:30 के अनुपात में इक्विटी और ऋण लिखतों (भारतीय पूंजी बाजार में दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों और खज़ाना बिलों सहित) के बीच इसके कुल निवेश के आबंटन को सीमित करेगा,
    
ii) यदि विदेशी संस्थागत निवेशक खजाना बिलों,भारतीय कंपनी द्वारा जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचर/बांडों सहित दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों में 100 प्रतिशत तक निवेश करना चाहता है तो, यह 100% ऋण निधि तैयार करेगा और ऐसी निधि को सेबी के पास पंजीकृत करेगा।

iii) प्रतिभूति पावती की योजना की प्रत्येक श्रृंखला में किसी एकल विदेशी संस्थागत निवेशक की धारिता निर्गम के 10% से अधिक नहीं होगी और सभी विदेशी संस्थागत निवेशकों का मिलाकर उनकी कुल धारिता परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी द्वारा जारी प्रतिभूति पावती योजना की प्रत्येक श्रृंखला के चुकता मूल्य के 49% से अधिक नहीं होगी। और

iv) सभी विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा बेमीयादी ऋण लिखतों (टीयर I) में निवेश प्रत्येक निर्गम के 49% से अधिक नही होगा और एकल विदेशी संस्थागत निवेशक द्वारा निवेश प्रत्येक निर्गम के 10% से अधिक नही होगा । विदेशी संस्थागत निवेशकों का ऋण पूंजी लिखतों (टीयर II) मे निवेश सेबी द्वारा विदेशी संस्थागत निवेशकों के निगमित ऋण में निवेश के लिये नियत परिसीमा के अंदर होगा 1

बशर्ते इसके अलावा कि विदेशी संस्थागत निवेशक उप-विनियम 6 में यथाविनिर्दिष्ट एक्सचेंज ट्रेडेड डेरिवेटिव्स संविदा व्यापार में अपने लेनदेनों के लिए भारत में मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों को कोलेटेरल के रूप मेंसमय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा यथानुमत ऐसी प्रतिभूतियां जारी कर सकते हैं । "

 

(ii) 1(अ) अनिवासी भारतीय, परिसीमा से बिना प्रत्यावर्तन आधारपर खरीद सकता है ।

i) दिनांकीत सरकारी प्रतिभूति (धारक प्रतिभूतियोंके अलावा) या खजाना बिल या घरेलू म्यूचुअल फंड के यूनिट

ii) भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम द्वारा जारी किये गए बांड

iii) भारत सरकार द्वारा विनिवेशीत सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के शेयर बशर्ते की खरीद, बोली आमंत्रीत करने की नोटीस में निर्धारीत नियमों और शर्तों के अनुसार है

1(आ) अनिवासी भारतीय, रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशोंके अनुसार भारत में बैंको द्वारा अपनी पूंजी बढाने के लिये जारी टीयर I पूंजी के रुप शामिल होने के लिये पात्र बेमीयादी ऋण लिखतों और उच्च टीयर II पूंजी के रुप में ऋण पूंजी लिखतों की खरीद प्रत्यावर्तन आधारपर कर सकता है ।

सभी अनिवासी भारतीयों द्वारा बेमीयादी ऋण लिखतो (टीयर I) में निवेश, प्रत्येक निर्गम के 24% से अधिक नही होगा और एकल अनिवासी भारतीय द्वारा निवेश, प्रत्येक निर्गम के 5% से अधिक नही होगा । अनिवासी भारतीयों द्वारा ऋण पूंजी लिखतों (टियर II ) में निवेश, उनके ऋण लिखतों में निवेश के लिये मौजुदा नीति के अनुसार होगा ।

(सलीम गंगाधरन)

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

पाद टिप्पणी : मूल विनियमावली सरकारी राजपत्र में दिनांक मई 3, 2000 के जी.एस.आर. सं.406()िं में ?ााग II, खंड 3, उप-खंड (i) में प्रकाशित किए गए  और तत्पश्चात् निम्नानुसार संशोधित किया गया है :-

दिनांक 02/03/2001 का जीएसआर सं.158(E)
दिनांक 13/03/2001 का जीएसआर सं.175(E)
दिनांक 14/03/2001 का जीएसआर सं.182(E)
दिनांक 02/01/2002 का जीएसआर सं. 4(E)
दिनांक 19/8/ 2002 का जीएसआर सं.574(E)
दिनांक 18/3/2003 का जीएसआर सं.223(E)
दिनांक 18/3/2003 का जीएसआर सं.225(E)
दिनांक 22/7/2003 का जीएसआर सं.558(E)
दिनांक 23/10/2003 का जीएसआर सं.835(E)
दिनांक 22/11/2003 का जीएसआर सं.899(E)
दिनांक 07/01/2004 का जीएसआर सं. 12(E)
दिनांक 23/04/2004 का जीएसआर सं.278(E)
दिनांक 16/07/2004 का जीएसआर सं.454(E)
दिनांक 21/09/2004 का जीएसआर सं.625(E)
दिनांक 08/12/2004 का जीएसआर सं.799(E)
दिनांक 01/04/2005 का जीएसआर सं.201(E)
दिनांक 01/04/2005 का जीएसआर सं. 202(E)
दिनांक 25/07/2005 का जीएसआर सं.504(E)
दिनांक 25/07/2005 का जीएसआर सं.505(E)
दिनांक 29/07/2005 का जीएसआर सं.513(E)
दिनांक 22/12/2005 का जीएसआर सं.738(E)
दिनांक 19/01/2006 का जीएसआर सं. 29(E)
दिनांक 11/07/2006 का जीएसआर सं.413(E)
दिनांक 14/11/2007 का जीएसआर सं.712(E)
दिनांक 14/11/2007 का जीएसआर सं.713(E)
दिनांक 29/11/2007 का जीएसआर सं.737(E)

 

जी. एस. आर. सं. 896(E)/दिसंबर 30, 2008

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