विदेशी मुद्रा प्रबंध-(भारत से बार के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रति?ाझति का अंतरण अथवा निर्गम) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2008 - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी मुद्रा प्रबंध-(भारत से बार के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रति?ाझति का अंतरण अथवा निर्गम) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2008
अधिसूचना सं.फेमा 179/2008-आरबी
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दिनांक: अगस्त 22, 2008
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विदेशी मुद्रा प्रबंध-(भारत से बार के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रति?ाझति का अंतरण |
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विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उप-धारा (3) के खंड (ख) और धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों ं का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रति?ाझति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20 / 2000-आरबी) में निम्नलिखित संशोधन करता है , अर्थात् :- |
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1. संक्षिप्त नाम और प्रारं?ा :- |
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(i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाह निवासी व्यक्ति द्वारा प्रति?ाझति का अंतरण अथवा निर्गम) (द्वितीय संशोधन) विनियमावली, 2008 कहलाएंगे । |
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2. विनियमावली 2 में संशोधन :- |
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विदेशी मुद्रा प्रबंध(भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000 (दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20 / 2000 आरबी ) में, विनियम 2 में । (hereinafter.. मूल विनियमावली...) |
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(क) परिभाषा सं. (ii) को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा और दिनांक 1 मई 2007 से प्रतिस्थापित माना जाएगा । |
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(ग) इस प्रकार सन्निविष्टीत खंड (ii ख) के बाद निम्नलिखित नया खंड सन्निविष्टित किया जाएगा और दिनांक 8 जून 2007 से सन्निविष्टित माना जाएगा । |
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3. विनियमावली 5 में संशोधन - मूल विनियमावली में वर्तमान विनियम 5 के उपविनियम 6 को निम्नलिखित से प्रतिस्थपित किया जाएगा और दिनांक 31 दिसम्बर 2007 से प्रतिस्थापित माना जाएगा; |
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"6. पंजीकृत संस्थागत निवेशक जिसे विदेशी मुद्रा नियंत्रण अधिनियम 1973 और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 के अनुसार वैध मंजूरी है रिज़र्व बैंक / सेबी द्वारा स्वीकृत सभी exchange traded derivative contract में आर बी आई / सेबी द्वारा नियत सीमा एवं मार्जिन अपेक्षा तथा रिज़र्व बैंक द्वारा समय समय पर निदेशीत समपार्श्व प्रतिभूति (collateral securities) के लिये अनुबंधो के अधिन व्यापार कर सकता है । |
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4. विनियमावली 6आ में संशोधन - मूल अवनियमावली में, वर्तमान विनियम 6आ को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा : |
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5. विनियम 10 में संशोधन - मूल विनियमावली में, विनियम 10 में, उप-विनियम अ मेकं, खण्ड (ख) के बाद, स्पष्टीकरण के पहले निम्नलिखित को सन्निविष्टित किया जाएगा और दिनांक फरवरी 10, 2006 से सन्निविष्टित माना जाएगा, अर्थात् : |
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"(ग) बिक्री के तौर पर, कोई प्रतिभूति अपने अनुमोदन हेतु रिज़र्व बैंक को आवेदन करेगा यदि, |
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6. अनुसूची 1 में संशोधन- मूल विनियमावली की अनुसूची 1 में, |
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i) पैरा 1 में, |
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(क) उप-पैरा (2)को निम्नलिखित से प्रस्थापित किया जाएगा, अर्थात्:- |
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(ख) उप पैरा (2) के बाद निम्नलिखित परंतुक जोड़ा जाएगा, और यह संशोधन जनवरी 12, 20051 से लागू समझा जाएगा अर्थात्: |
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" बशर्ते सेबी के पास पंजीकृत उद्यम पूंजी निधियों द्वारा किए जानेवाले निवेशों; बहुराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा निवेशों; अथवा जहां दोनें पार्टियें द्वारा वर्तमान संयुक्त उद्यम में निवेश 3% से कम है; अथवा जहां वर्तमान संयुक्त उद्यम / सहयोग समाप्त अथवा रुग्ण है अथवा सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र अथवा खनन क्षेत्र में लगी किसी भारतीय कंपनी के शेयरों के अंतरण के लिए केंद्र सरकार के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी यदि उस व्यक्ति का, जिसे शेयर अंतरित किया जाना है, उसी क्षेत्र / खनिज के लिए सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र अथवा खनन क्षेत्र में वर्तमान संयुक्त उद्यम अथवा तकनीकी अंतरण / ट्रेडमार्क करार है।7 |
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ii) पैर 2 में,उप पैरा (1) को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा और यह दिनांक फरवरी 10, 2006 से प्रतिस्थापित माना जाएगा अर्थात्: |
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" बशर्ते शेयर अथवा परिवर्तनीय डिबेंचर भारतीय कंपनी द्वारा किसी भारतीय कंपनी के वर्तमान शेयरों के अधिग्रहण की दृष्टि से जारी नहीं किए जा रहे हैं। |
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स्पष्टीकरण : कंपनी, जो इस अनुसूची के संलग्क आ में शामिल क्रियाकलाप अथवा मदों का निर्माण करने के लिए योजना विस्तार में लगने का प्रस्ताव करती हैं ,वे इस पैरा के प्रावधानों के अनुपालन के अधीन संलग्नक आ में दर्शाई गई सीमा तक वित्तपोषण विस्तार योजना के प्रयोज्ान हेतु उसके द्वारा जारी किए जाने के लिए प्रस्तावित नई पूंजी में से शेयर अथवा डिबेंचर जारी कर सकती है।8 |
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7 है, इस तारीख को भारत सरकार,वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय , औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग ने अपना प्रेस नोट सं.1(2005 सिरीज़) जारी किया था। 8 यह संशोधन फरवरी 10, 2006 से लागू समझा जाता है,इस तारीख को भारत सरकार,वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय , औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग ने अपना प्रेस नोट सं.4(2006 सिरीज़) जारी किया था। |
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iii) पैरा 2 में,उप-पैरा (2) को हट दिया जाएगा । iv) पैरा 2 में उप-पैरा (3),(4) और (5) को क्रमश: उप-पैरा (2), (3)और (4) के रूप में पुन: संख्या दी जाएगी । |
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"3 .सरकार के अनुमोदन की अपेक्षा रखनेवाली कंपनी द्वारा शेयरों का निर्गम- इन विनियमों के अनुसार भारत के बाहर निवासी व्यक्ति को शेयर जारी करने का इरादा रखनेवाली भारतीय कंपनी भारत सरकार के विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से पूर्वानुमोदन प्राप्त करे, यदि कंपनी |
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vi) पैरा 4 में, | |
i) उप पैरा (2) में,"संलग्नक इ में विनिर्दिष्ट फार्म " शब्दों के लिए "फार्म डी आर "शब्दें को प्रतिस्थापित किया जाएगा।
ii) उप पैरा (3) में," संलग्नक ई में विनिर्दिष्ट फार्म "शब्दों के लिए "फार्म डी आर-क्वार्टरली " को प्रतिस्थापित किया जाएगा। |
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vii) पैरा 4 आ के लिए निम्नलिखित नए पैरा को प्रतिस्थापित किया जाएगा,अर्थात्:- |
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9 यह संशोधन भारत सरकार,वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय , औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग द्वारा 28 नवम्बर 2003 को जारी प्रेस नोट सं.4(2003) के अनुसार जुलाई 29, 2003 से लागू समझा जाता है। |
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जमानत पर किसी समुद्रपारीय निक्षेपागार के साथ एडीआर/जीडीआर के निर्गम को प्रायोजित कर सकता है।" | |
viii) पैरा 5अ को हटा दिया जाएगा |
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ix) पैरा 6 के लिए निम्नलिखित को प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात्:- |
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(x) 6.(ii) पैरा 9 मे (i) उप-पैरा में -
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(क) खंड (अ) शब्द ’रिपोर्ट’ को ’इस अनुसूची के अनेक्स सी में निर्दिष्ट फार्म में रिपोर्ट ’ शब्दोंसे प्रतिस्थापित किया जाएगा |
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(ख) खंड (आ) उपखंड (घ) शब्द और अंक "पैरा 9 के अनुसार " को शब्द और अंक "पैरा 8 के अनुसार" से प्रतिस्थापित किया जाएगा |
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(ii) सब पैरा (आ) के बाद, अंत में निम्नलिखित नया पैरा जोड दिया जाएगा, अर्थात :- |
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(ग) भारतीय कंपनी द्वारा advance against equity के रुप में प्रतिफल राशि की प्राप्ति 30 दिनों के अंदर रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय, जिसके अधिकार क्षेत्र में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय है, अनेक्स सी में विनिर्दिष्ट फार्म में रिपोर्ट की जाएगी । |
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(xi) वर्तमान विनियमों के संलग्नक अ और संलग्नक आ को इन विनियमों के क्रमश: "संलग्नक अ " और "संलग्नक आ " के रूप में प्रतिस्थापित किया जाएगा। |
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(xii) वर्तमान विनियमों के संलग्नक इ और संलग्नक ई को क्रमश: " फार्म डीआर "और "फार्म डीआर- क्वार्टरली " के रूप में पुन: नाम दिया जाएगा। |
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(xiii) वर्तमान विनियमों के संलग्नक ड. को हटा दिया जाएगा। |
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(xiv) वर्तमान विनियमों में " फार्म एफसी-जीपीआर " को इन विनियमों के संलग्नक ई में निर्धारित फार्मेट द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा। |
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7.अनुसूची 4 में संशोधन- मूल विनियमावली में,अनुसूची 4 में, पैरा 2 में ,परंतुकों को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा। |
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"बशर्ते खंड (i) के अनुसार जिस व्यक्ति को शेयर अंतरित किए जा रहे हैं वह शेयर अधिग्रहण के लिए केंद्र सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त करे,यदि उसका,जनवरी 12, 2005 को,उसी क्षेत्र में,जिसमें उस कंपनी का ,जिसके शेयर अथवा डिबेंचर उसके द्वारा अधिगृहीत किए जाने है,वर्तमान में संयुक्त उद्यम अथवा तकनीकी ंतरण/ ट्रेडमार्क करार है। बशर्ते इसके अलावा केंद्र सरकार से निम्नलिखित के लिए किसी पूर्वानुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी : |
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8. अनुसूची 5 में संशोधन - मूल विनियमावली में, अनुसूची 5 में, (i)वर्तमान पैरा 1 को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा: |
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"1. प्रतिभूति खरीदने के लिए विदेशी संस्थागत निवेशकों को अनुमति- |
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(ii) 1(अ) अनिवासी भारतीय, परिसीमा से बिना प्रत्यावर्तन आधारपर खरीद सकता है । |
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1(आ) अनिवासी भारतीय, रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशोंके अनुसार भारत में बैंको द्वारा अपनी पूंजी बढाने के लिये जारी टीयर I पूंजी के रुप शामिल होने के लिये पात्र बेमीयादी ऋण लिखतों और उच्च टीयर II पूंजी के रुप में ऋण पूंजी लिखतों की खरीद प्रत्यावर्तन आधारपर कर सकता है । |
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(सलीम गंगाधरन) |
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प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |
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पाद टिप्पणी : मूल विनियमावली सरकारी राजपत्र में दिनांक मई 3, 2000 के जी.एस.आर. सं.406()िं में ?ााग II, खंड 3, उप-खंड (i) में प्रकाशित किए गए और तत्पश्चात् निम्नानुसार संशोधित किया गया है :-
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