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विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (दूसरा संशोधन) विनियमावली, 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001

अधिसूचना सं.फेमा. 362/2016-आरबी

15 फरवरी 2016

विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम)
(दूसरा संशोधन) विनियमावली, 2016

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उप-धारा (3) के खंड (बी) और धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.20/2000-आरबी) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात:-

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ :-

(i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (दूसरा संशोधन) विनियमावली, 2016 कहलाएंगे।

(ii) वे सरकारी राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से लागू होंगे।

2. विनियम में संशोधन :-

विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.20/2000-आरबी) में,

(ए) विनियम 2 में खंड (vii A) के पश्चात और मौजूदा खंड (vii a) से पहले निम्नलिखित खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात :

"(vii AA) "विनिर्माण" शब्द का, उसकी व्याकरणिक विविधता सहित, तात्पर्य उस निर्जीव भौतिक पदार्थ अथवा चीज़ के स्वरूप में परिवर्तन से है, जो (ए) किसी एक पदार्थ अथवा वस्तु अथवा चीज़ से परिवर्तित होकर किसी नए और विशिष्ट पदार्थ अथवा वस्तु अथवा चीज़ के रूप में रूपांतरित हुआ है और जिसका नाम, स्वरूप और उपयोग अलग हो गया है अथवा (बी) किसी विशिष्ट और नए पदार्थ अथवा वस्तु अथवा चीज़ को भिन्न रसायनिक बनावट अथवा अभिन्न संरचना के रूप में बनाया गया हो।"

(बी) विनियम 14 में,

(ए) उप-विनियम 1 में, खंड (i) और खंड (ia) को निम्नवत रूप में संशोधित किया गया है :

"(i) इस विनियम के उद्देश्य से, ‘स्वामित्व और नियंत्रण' अभिव्यक्ति का अर्थ निम्न प्रकार है और वह निम्नलिखित को अंतर्विष्ट करता है

(ए) किसी कंपनी को तभी निवासी भारतीय नागरिकों के स्वामित्व वाली कंपनी समझा जाएगा जब उसके 50% से अधिक पूंजी का लाभप्रद स्वामित्व निवासी भारतीय नागरिकों और/अथवा ऐसी भारतीय कंपनियों के पास हो, जिनका स्वामित्व और नियंत्रण मूलभूत रूप से निवासी भारतीय नागरिकों के पास हो। सीमित देयता भागीदारियों (LLP) को तभी निवासी भारतीय नागरिकों के स्वामित्व वाली सीमित देयता भागीदारी (LLP) माना जाएगा जब उसमें 50% से अधिक निवेश निवासी भारतीय नागरिकों द्वारा किया जाए और / अथवा ऐसी एंटीटी जिनका 'स्वामित्व और नियंत्रण' मूलभूत रूप से निवासी भारतीय नागरिकों' के पास हो और ऐसे निवासी भारतीय नागरिकों और तथा एंटिटियों के पास अधिकांश प्रॉफ़िट शेयर हों।

(बी) कोई कंपनी जिस पर अनिवासियों का स्वामित्व है अर्थात ऐसी भारतीय कंपनी जिसका स्वामित्व निवासी भारतीय नागरिकों के पास नहीं है।

(i ए) "नियंत्रण" में अधिकतम निदेशकों की नियुक्ति का अधिकार शामिल है अथवा शेयर होल्डिंग अथवा प्रबंध अधिकार अथवा शेयरहोल्डर एग्रीमेंट अथवा वोटिंग एग्रीमेंट से प्राप्त प्रबंधन या नीतिगत निर्णयों का नियंत्रण शामिल है।

स्पष्टीकरण : सीमित देयता भागीदारियों (LLP) के प्रयोजन से, 'नियंत्रण' का तात्पर्य अधिकतम नामित भागीदारों की नियुक्ति के अधिकार से है, जहां उक्त सीमित देयता भागीदारी (LLP) की नीतियों पर ऐसे नामित भागीदारों का, अन्य भागीदारों के विशिष्ट अपवर्जन सहित, समग्र नियंत्रण हो।

(बी) उप-विनियम 3 में, खंड (iv) के मौजूदा उप-खंड (डी) को संशोधित किया गया है, अर्थात :

"डी) सूचना एवं प्रसारण के क्षेत्र में, जहां सेकटोरल कैप 49% है, वहाँ कंपनी का 'स्वामित्व और नियंत्रण' निवासी भारतीय नागरिकों के पास तथा भारतीय कंपनियों, जिनका स्वामित्व और नियंत्रण निवासी भारतीय नागरिकों के पास होना आवश्यक है ।

(ए) इस प्रयोजन के लिए, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 4ए अथवा कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 (72) में यथा परिभाषित लोक वित्त संस्थानों, जैसा भी मामला हों, को छोडकर सर्वाधिक शेयरधारक भारतीय द्वारा धारित शेयर कुल एक्विटी के कम से कम 51% होने चाहिए। इस खंड में उल्लिखित 'सर्वाधिक शेयरधारक भारतीय' में निम्नलिखित में से कोई एक अथवा उनका समुह शामिल है:

(i) किसी एक व्यक्ति के शेयरधारक होने के मामले में,

(एए) व्यक्तिगत शेयरधारक,

(बीबी) कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77) में दिये गए अर्थ के दायरे में शामिल शेयरधारक का रिश्तेदार,

(सीसी) कोई कंपनी / कंपनी-समूह से संबन्धित व्यक्तिगत शेयरधारक / हिन्दू अविभक्त परिवार, जिसमें उसके प्रबंध और नियंत्रण हित शामिल हैं।

(ii) भारतीय कंपनी के मामले में,

(एए) कोई भारतीय कंपनी

(बीबी) एक ही प्रबंधन एवं स्वामित्व नियंत्रण के तहत आने वाली भारतीय कंपनियों का समूह

(बी) इस खंड के प्रयोजन के लिए 'भारतीय कंपनी' वह कंपनी होगी, जिसमें निवासी भारतीय अथवा कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77) में यथा परिभाषित रिश्तेदार / हिन्दू अविभक्त परिवार की एकल अथवा सामूहिक शेयरधारिता कम से कम 51% हो।

(सी) बशर्ते कि उपर्युक्त खंड (i) एवं (ii) में उल्लिखित एक या सभी एंटिटीयों के समूह के मामले में आवेदक कंपनी के मामलों के प्रबंधन हेतु प्रत्येक पार्टी का आपस में विधिक रूप से बाध्यता के संबंध में करारबद्ध होना आवश्यक है।"

(सी) मौजूदा उप-विनियम 5 को निम्नलिखित रूप में संशोधित किया गया है, अर्थात :

"सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत विनिर्दिष्ट क्षेत्रों में, भारतीय कंपनियों की स्थापना / निवासी नागरिकों से अनिवासी एंटिटियों को स्वामित्व अंतरण अथवा भारतीय कंपनी के नियंत्रण के संबंध में दिशानिर्देश

सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत विनिर्दिष्ट क्षेत्रों / गतिविधियों में किए जाने वाले विदेशी निवेश सरकारी अनुमोदन के अधीन होंगे जहां :

  1. कोई भारतीय कंपनी जो विदेशी निवेश के साथ स्थापित हुई है और जिस पर निवासी एंटिटी का स्वामित्व नहीं है, अथवा

  2. कोई भारतीय कंपनी जो विदेशी निवेश के साथ स्थापित हुई है और जो निवासी एंटिटी द्वारा नियंत्रित नहीं है, अथवा

  3. कोई भारतीय कंपनी, जो फिलहाल निवासी भारतीय नागरिकों के स्वामित्व में है / उनके द्वारा नियंत्रित है और ऐसी कंपनियों के स्वामित्व व नियंत्रण में है जिसका स्वामित्व एवं नियंत्रण भारतीय नागरिकों के पास है, के समामेलन, विलयन/विलगाव, अधिग्रहण, आदि के कारण अनिवासी एंटिटियों को शेयरों के अंतरण / नए शेयर जारी करने के परिणामस्वरूप कंपनी का नियंत्रण अनिवासियों को अंतरित हुआ/होता है, अथवा

  4. कोई भारतीय कंपनी, जो फिलहाल निवासी भारतीय नागरिकों के स्वामित्व में है / उनके द्वारा नियंत्रित है और ऐसी कंपनियों के स्वामित्व व नियंत्रण में है जिसका स्वामित्व एवं नियंत्रण भारतीय नागरिकों के पास है, के समामेलन, विलयन/विलगाव, अधिग्रहण, आदि के कारण अनिवासी एंटिटियों को शेयरों के अंतरण / नए शेयर जारी करने के परिणामस्वरूप कंपनी का स्वामित्व अनिवासियों को अंतरित हुआ/होता है, अथवा

  5. यह प्रमाणित किया जाता है कि विदेशी निवेशों में सभी विदेशी निवेश शामिल हैं जसे : प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विदेशी संस्थागत निवेशकों, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों, QFI, अनिवासी भारतीयों द्वारा किए गए निवेश, एडीआर, जीडीआर, विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (FCCB) और पूर्णतः, अनिवार्यतः, और अधिदेशात्मक परिवर्तनीय प्रेफ्रेंस शेयर / डिबेंचर तथा इस प्रकार के सभी निवेश, भले ही वे विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली की धारा 1, 2, 2ए, 3, 6, 8, 9, एवं 10 के अंतर्गत किए गए हो अथवा न हो।

  6. अनिवासी भारतीय नागरिकों द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की धारा 4 के अंतर्गत किए गए निवेशों को निवासियों द्वारा किए गए घरेलू निवेश के समान माना जाएगा।

  7. कोई कंपनी, ट्रस्ट, एवं भागीदारी फ़र्म जो भारत से बाहर निगमित है और जिसका स्वामित्व और नियंत्रण अनिवासी भारतीयों के पास है, वह विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की धारा 4 के अंतर्गत निवेश करने के लिए पात्र होगी और ऐसे निवेश को भी निवासियों द्वारा किए गए घरेलू निवेश के समान माना जाएगा।"

(डी) उप-विनियम 6 में, मौजूदा खंड (ii) को संशोधित किया गया है, अर्थात:

"(ii) भारतीय कंपनियों / सीमित देयता भागीदारियों (LLPs) द्वारा किए गए डाउनस्ट्रीम निवेश निम्नलिखित शर्तों के अधीन होंगे :

ए. ऐसी कंपनियों / सीमित देयता भागीदारियों (LLPs) को अपने नए एवं वर्तमान वेंचरों (विस्तार कार्यक्रम के साथ अथवा उसके अलावा) सहित अपने डाउनस्ट्रीम निवेशों की सूचना विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की वैबसाइट https://fipbindia.com पर उपलब्ध फॉर्म में निवेश के 30 दिनों के भीतर SIA, DIPP और FIPB को देनी होगी, भले ही इसमें पूंजीगत लिखत आवंटित न की गई हो;

बी. वर्तमान भारतीय कंपनी में विदेशी इक्विटी के प्रतिफल के माध्यम से डाउनस्ट्रीम निवेश कंपनी के निदेशक बोर्ड के संकल्प द्वारा समर्थित हों और शेयरधारक-करार, यदि कोई हो, भी होना चाहिए;

सी. शेयरों का निर्गम / अंतरण / कीमत-निर्धारण / मूल्यांकण आदि सेबी / भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों के अंतर्गत हो;

डी. डाउनस्ट्रीम निवेश के उद्देश्य से, भारीय कंपनियों / सीमित देयता भागीदारियों (LLPs), जो डाउनस्ट्रीम निवेश कर रही है, को विदेश से आवश्यक निधियाँ लाना अपेक्षित है, न कि घरेलू बाज़ार से लीवरेज के माध्यम से निधियाँ जुटनी हैं। हालांकि, इसके कारण घरेलू बाज़ार में कर्ज़ जुटाने से डाउनस्ट्रीम कंपनियों / सीमित देयता भागीदारियों (LLPs) को अपने प्रचलनों में बाधा उत्पन्न नहीं होगी। आंतरिक उपचय के माध्यम से डाउनस्ट्रीम निवेशों की अनुमति है (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के उद्देश्य से, आंतरिक उपचय का अर्थ लागू करों के भुगतान के पश्चात प्राप्त लाभ का रिज़र्व फ़ंड में अंतरण करने से है), बशर्ते वह उपर्युक्त खंड (i) के अधीन होगी और उसे नीचे विस्तार से वर्णित किया गया है:

ए. ऐसी भारतीय कंपनी में निवेश, जो केवल अन्य भारतीय कंपनी/यों की पूंजी में निवेश संबंधी गतिविधियों से जुड़ी हैं, को विदेशी निवेश की राशि अथवा सीमा पर ध्यान दिए बगैर सरकार / विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से पूर्वानुमति प्राप्त करना आवश्यक है। ऐसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, जो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हेतु अनुमोदित गतिविधियों को संचालित कर रही हैं, में विदेशी निवेश इस विनियमावली की अनुसूची-I के अनुलग्नक बी में विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन होंगे।

बी. वे सभी कंपनियाँ, जो कोर इनवेस्टमेंट कंपनियाँ (CICs) हैं, को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कोर इनवेस्टमेंट कंपनियों (CICs) हेतु निर्धारित किए गए विनियामक ढांचे का भी अनुपालन करना होगा।

सी. स्वचालित मार्ग के तहत विनिर्दिष्ट गतिविधियों के संचालन के लिए एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की शर्तों के लिए निर्धारित परफॉरमेंस शर्तों को जोड़े बिना, ऐसी भारतीय कंपनियाँ जिनका कोई प्रचालन तथा कोई डाउनस्ट्रीम निवेश नहीं है, को स्वचालित मार्ग के तहत विदेशी निवेश प्राप्त करने हेतु की अनुमति है। हालांकि, ऐसी कंपनियों को सरकारी मार्ग के तहत अंतर्विष्ट गतिविधियों के संचालन हेतु विदेशी निवेश की राशि अथवा सीमा पर ध्यान दिए बगैर विदेशी निवेश प्राप्त करने के लिए सरकार से अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है। आगे, जब भी ऐसी कंपनियां अपना कारोबार शुरू करेंगी तब उन्हें प्रवेश मार्ग पर संबन्धित सेक्टोरल कैप की निर्धारित शर्तों एवं सीमाओं का अनुपालन करना होगा।

नोट : अन्य भारतीय कंपनियों में विदेशी निवेश, प्रवेश मार्ग पर निवेश से संबन्धित सेक्टोरल शर्तों एवं कैप की सीमाओं के अनुपालन के अधीन होगा ।

ई) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त कर्ता भारतीय कंपनी प्रथमतः जिम्मेदार होगी कि वह अपने सांविधिक लेखापरीक्षक से अपने डाउनस्ट्रीम निवेशों के मामले में एफ़डीआई संबंधी दिशानिर्देशों जैसे: प्रतिबंधित क्षेत्रों में अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश न होने दें, प्रवेश मार्ग, सेक्टोरल कैप / शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित कराएं। दूसरे स्तर पर सभी प्रकार के डाउनस्ट्रीम निवेशों के संबंध में अपने संविधिक लेखापरीक्षक से वार्षिक आधार पर फेमा प्रावधानों के अनुपालन संबंधी प्रमाणपत्र प्राप्त करें। भारतीय कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में निदेशकों की रिपोर्ट वाले हिस्से में इस तथ्य का उल्लेख होना चाइए कि डाउनस्ट्रीम निवेशों के मामले में कंपनी ने मौजूदा फेमा प्रावधानों के अनुपालन के संबंध में अपने संविधिक लेखापरीक्षक से प्रमाणपत्र प्राप्त कर लिया है। संविधिक लेखापरीक्षक द्वारा कंपनी को फेमा प्रावधानों के अनुपालन के संबंध में क्वालिफ़ाइड रिपोर्ट दिये जाने पर कंपनी भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय के विदेशी मुद्रा विभाग को इस बारे में तत्काल सूचित करें, जिसके अधिकार-क्षेत्र में उस कंपनी का पंजीकृत कार्यालय स्थित है, और इस सूचना के संबंध में वह रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय से पावती प्राप्त कर लें। संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय इस बारे में कार्यवाही रिपोर्ट फ़ाइल कर के इसे प्रधान मुख्य महाप्रबंधक-प्रभारी, विदेशी मुद्रा विभाग, केंद्रीय कार्यालय, शहीद भगतसिंह रोड, मुंबई – 400001 को भेजेंगे।”

सी. अनुसूची 1 में,

(i) पैराग्राफ 2 में, "बशर्ते यह भी कि शेयर और परिवर्तनीय डिबेंचर ....." शब्दों से शुरू होकर "....विनियम 14 में दी गई सीमा तक अनुमत" शब्दों से खत्म होने वाले पैराग्राफ को हटाया गया है।

(ii) पैराग्राफ 2 में, उप-पैराग्राफ 4 में, खंड (iv) के पश्चात निम्नलिखित को जोड़ा जाएगा, अर्थात :

"(v) स्वाप शेयरों द्वारा, बशर्ते ऐसे निवेश स्वचालित मार्ग वाले क्षेत्रों में पंजीकृत किसी कंपनी में किए गए हों और ऐसे निवेशो से संबद्ध, भले ही इनकी निवेश -राशि कुछ भी क्यों न हो, स्वाप एग्रीमेंट में शामिल शेयरों का मूल्यांकन सेबी के पास पंजीकृत किसी मर्चेंट बैंकर अथवा भारत से बाहर के मामले में मेजबान देश की किसी नियामक संस्था के पास पंजीकृत किसी निवेश बैंकर द्वारा किया जाए।

नोट : ऐसे क्षेत्र से संबद्ध कोई कंपनी, जिसमें विदेशी निवेश सरकारी अनुमोदन पर ही अनुमत है, सरकारी अनुमोदन प्राप्त कर के अनिवासियों को स्वाप के माध्यम से शेयर जारी कर सकती है।"

(iii) पैराग्राफ 3 में, उप–पैराग्राफ (सी) को हटाया गया है

(iv) 'अनुबंध-बी' मौजूदा टेबल को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात :

विभिन्न क्षेत्रों (सेक्टरों) में विदेशी निवेश की उच्चतम सीमाएं (Caps) एवं प्रवेश (entry) मार्ग

क्र.सं. क्षेत्र / गतिविधि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कैप का प्रतिशत प्रवेश मार्ग
कृषि    
1 कृषि और पशुपालन
  ए) नियंत्रित परिस्थितियों में पुष्‍पोत्‍पादन, बागवानी, मधुमक्‍खी-पालन तथा सब्जियों और मशरूम की खेती;

बी) बीजों और रोपण सामग्री का विकास और उत्‍पादन;

सी) नियंत्रित परिस्थितियों में पशुपालन (श्‍वान प्रजनन सहित), मछली-पालन, जलीय कृषि (क्‍वाकल्‍चर); और

डी) कृषि और संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित सेवाएं ।

टिप्‍पणी: उपर्युक्‍त के अलावा, अन्‍य किसी कृषि क्षेत्र / गतिविधि में एफडीआई की अनुमति नहीं है।
100% स्‍वचालित
1.1

अन्‍य शर्तें:

‘नियंत्रित परिस्थितियों के तहत’ शब्‍दावली निम्‍नलिखित को कवर करती है:

(i) पुष्‍प उत्‍पादन, बागवानी, सब्जियों और मशरूम की खेती वाली श्रेणियों के लिए ‘नियंत्रित परिस्थितियों के तहत खेती’ खेती करने का एक तरीका है जिसमें वर्षा, तापमान, सूर्य विकिरण, वायु-आर्द्रता और खेती की विधियों (culture) को कृत्रिम रूप से नियंत्रित किया जाता है। सुरक्षित खेती के जरिए इन मानदंडों में नियंत्रण ग्रीन हाउस, नेट हाउस, पॉली हाउस से या किसी अन्य परिवर्धित इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर सुविधाओं – जहां सूक्ष्‍म मौसमी परिस्थितियों को मानवीय हस्‍तक्षेप से नियंत्रित किया जाता है।

(ii) पशु पालन के मामले में ‘नियंत्रित परिस्थितियों के तहत’ शब्‍दावली इन्‍हें कवर करती है:

(ए) स्‍टाल-फीडिंग के साथ गहन खेती-बाड़ी प्रणालियों के तहत पशु-पालन। गहन खेती-बाड़ी प्रणालियों के तहत जलवायु प्रणालियां (हवा-रोशनी (वेंटिलेशन), तापमान/आर्द्रता प्रबंधन), स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल और पोषण, झुंड पंजीकरण/वंशावली रिकार्डिंग, मशीनों का उपयोग, अपशिष्‍ट प्रबंधन प्रणालियां अपेक्षित होंगी जैसाकि राष्ट्रीय पशु नीति 2013 में विनिर्दिष्ट है तथा उन्हें मौजूदा "मानक परिचालन प्रणालियों एवं न्यूनतम मानक अपेक्षाओं के अनुरूप होना चाहिए।

(बी) मुर्गी प्रजनन केंद्र और हैचरी, जहां सूक्ष्‍म-जलवायु को इनक्‍यूबेटर, हवा-रोशनी (वेंटिलेशन) प्रणालियों आदि जैसी उन्‍नत प्रौद्योगिकियों से नियंत्रित किया जाता है।


(iii) मत्स्यपालन और जलीय कृषि के मामले में ‘नियंत्रित परिस्थितियों के तहत’ शब्‍द इन्‍हें कवर करता है:

(ए) मछलीघर (अक्वेरियम)

(बी) हैचरी, जहां अंडों को कृत्रिम रूप से निषेचित किया जाता है और मछली के छोटे-छोटे बच्चों को अंडों से बाहर निकाला जाता है और कृत्रिम जलवायु नियंत्रण के साथ एक समावृत्‍त (एनक्‍लोज्‍़ड) वातावरण में उन्‍हें सेया जाता है।

(iv) मधुमक्‍खी पालन के मामले में ‘नियंत्रित परिस्थितियों के तहत’ शब्‍द इन्‍हें कवर करता है:

(ए) कम कामकाज़ के मौसमों के दौरान निर्धारित स्‍थानों पर, जंगल/वनों को छोड़कर, नियंत्रित तापमानों के साथ और जलवायु संबंधी घटकों जैसे आर्द्रता और कृत्रिम फीडिंग द्वारा मधुमक्‍खी पालन से शहद का उत्‍पादन।

2. वृक्षारोपण    
2.1 i. चाय बागान क्षेत्र के तहत चाय की खेती शामिल है
ii. कॉफी का वृक्षारोपण
iii. रबड़ का वृक्षारोपण
iv. इलाइची का वृक्षारोपण
v. पाम-तेल के पेड़ों का वृक्षारोपण
vi. ऑलिव ऑइल के पेड़ों का वृक्षारोपण

नोट : वृक्षारोपण के मामलों में उपर उल्लिखित क्षेत्रों / गतिविधियों के अलावा अन्य किसी भी क्षेत्र में एफ़डीआई की अनुमति नहीं है।

100% स्वचालित मार्ग
2.2 अन्य शर्तें    
  भविष्य में भूमि-उपयोग में किसी भी प्रकार के बदलाव के मामले में संबन्धित राज्य सरकार से पूर्वानुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है।
3. खनन    
3.1 खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनि‍यम, 1957 के तहत धातुओं और गैर-धात्विक अयस्‍कों का, जिनमें हीरा, स्‍वर्ण, चांदी, और मूल्‍यवान अयस्‍क शामिल हैं, खनन और अन्‍वेषण परंतु टाइटेनियम पाए जाने वाले खनिज और इसके अयस्‍कों को इसमें शामिल नहीं किया गया है। 100% स्‍वचालित
3.2 कोयला और लिग्‍नाइट    
  (1) कोयला खान (राष्‍ट्रीयकरण) अधिनियम, 1973 के प्रावधानों के तहत अनुमत और उसमें निहित शर्तों के अधीन ऊर्जा परियोजनाओं, लोहा, इस्‍पात और सीमेंट इकाइयों और अन्‍य पात्र गतिविधियों द्वारा आबद्ध उपयोग के लिए कोयले और लिग्‍नाइट का खनन । 100% स्‍वचालित
  (2) वॉशरीज़ जैसे कोयला प्रसंस्‍करण संयंत्र स्‍थापित करना बशर्ते कंपनी कोयले का खनन नहीं करेगी और धुले हुए कोयले या अपने कोयला प्रसंस्करण संयत्र से प्राप्‍त साइज्‍ड कोयले की खुले बाजार में बिक्री नहीं करेगी तथा धुले हुए या साइज्‍ड कोयले की आपूर्ति उन पक्षों को करेगी जो वॉशिंग या साइजि़ंग के लिए कोयला प्रसंस्करण संयंत्र को कच्‍चे कोयले की आपूर्ति कर रहे हैं। 100% स्‍वचालित
3.3 टाइटेनियम वाले खनिजों और अयस्‍कों का खनन और खनिज पृथक्करण, इसका मूल्‍यवर्धन करना और एकीकृत गतिविधियां
3.3.1 क्षेत्रगत विनियमनों तथा खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 की शर्तों के अधीन टाइटेनियम वाले खनिजों और अयस्‍कों का खनन और खनिज पृथक्करण, इसका मूल्‍यवर्धन करना और एकीकृत गतिविधियां 100% सरकारी
3.3.2 अन्य शर्तें    
 

(i) टाइटेनियम वाले खनिजों और अयस्‍कों को पृथक करने के लिए एफडीआई निम्‍नलिखित अतिरिक्‍त शर्तों के अधीन होगी, नामत:

(ए) प्रौद्यागिकी अंतरण के साथ मूल्‍यवर्धन सुविधाएं भारत के भीतर स्‍थापित की जाएंगी;
(बी) खनिज पृथक्करण के दौरान अवशिष्‍टों का निपटान परमाणु ऊर्जा विनियामक बोर्ड द्वारा बनाए गए विनियमों जैसे : परमाणु ऊर्जा (विकिरण संरक्षण) नियमावली, 2004 और परमाणु ऊर्जा (रेडियोधर्मी अपशिष्‍टों का सुरक्षित निपटान) नियमावली, 1987 के अनुसरण में किया जाएगा।

(ii) परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा 18.1.2006 को जारी की गई अधिसूचना सं. एस.ओ. 61(ई) में सूचीबद्ध ‘निर्धारित पदार्थों’ के खनन में एफडीआई की अनुमति नहीं दी जाएगी।

  स्‍पष्‍टीकरण:

i. इल्‍मेनाइट, रूटाइल और ल्‍यूकोक्‍सीन जैसे टाइटेनियम वाले अयस्‍कों के लिए टाइटेनियम डाईऑक्‍साइड पिगमेंट और टाइटेनियम स्‍पॉन्‍ज के निर्माण से मूल्‍यवर्धन होता है। इल्‍मेनाइट को प्रसंस्‍कृत करके ‘कृत्रिम रूटाइल या टाइटेनियम स्‍लैग’ जैसा मध्‍यवर्ती मूल्‍यवर्धित उत्‍पाद प्राप्‍त किया जा सकता है।

ii. इसका उद्देश्‍य यह सुनिश्चित करना है कि देश में उपलब्‍ध कच्‍चे माल का उपयोग डाउनस्ट्रीम उद्योगों की स्‍थापना में किया जाए और अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर उपलब्‍ध प्रौद्योगिकी भी देश में इस प्रकार के उद्योगों को लगाने के लिए उपलब्‍ध हो सके। इस प्रकार, यदि प्रौद्योगिकी अंतरण से एफडीआई नीति के उद्देश्‍य को प्राप्‍त किया जा सके तो उपर्युक्‍त (i) (ए) में निर्धारित शर्तों को पूरा हुआ माना जाएगा।

4. तेल और प्राकृतिक गैस    
4.1 तेल और प्राकृतिक गैस क्षेत्र की अन्‍वेषण गतिविधियां, पेट्रोलियम उत्‍पादों और प्राकृतिक गैस के विपणन संबंधी इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम उत्‍पादों का विपणन, पेट्रोलियम उत्‍पादों की पाइपलाइन, प्राकृतिक गैस पाइपलाइन, एलएनजी पुन:गैसीकरण इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, बाजार अध्‍ययन और फार्मुलेशन और निजी क्षेत्र में पेट्रोलियम रिफाइनिंग, जो तेल विपणन क्षेत्र में मौजूदा क्षेत्रगत नीति और विनियामक फ्रेमवर्क और तेल की खोज में तथा राष्‍ट्रीय तेल कंपनियों द्वारा खोजे गए क्षेत्रों में निजी सहभागिता के संबंध में सरकार की नीति के अधीन होगी। 100% स्‍वचालित
4.2 मौजूदा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में किसी प्रकार के विनिवेश या उनकी देशी इक्विटी को कम किए बिना सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा पेट्रोलियम परिशोधन। 49% स्‍वचालित
5. विनिर्मान (मैनुफैक्चरिंग) 100% स्‍वचालित
  एफ़डीआई नीति के प्रावधानों की शर्तों के अधीन रहते हुए 'विनिर्मान (मैनुफैक्चरिंग)' क्षेत्र में स्वचालित मार्ग के तहत विदेशी निवेश की अनुमति है। यह भी कि, विनिर्माता सरकारी अनुमोदन के बिना भी अपने उत्पादों को ई-कॉमर्स सहित थोक / रीटेल सेल के माध्यम से बेच सकता है ।
6. रक्षा    
6.1 रक्षा उद्योग, उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 के तहत औद्योगिक लाइसेंस के अधीन है। 49% 49% तक सरकारी मार्ग से। 49% से अधिक सुरक्षा संबंधी कैबिनेट कमिटी द्वारा, मामले–दर-मामले के आधार पर, जहां इससे देश में आधुनिक और आत्यानिक तकनीक तक पहुँच हो संभव हो सकती है।
6.2 अन्य शर्तें    
 
  1. अनुमत स्वचालित मार्ग के स्तर पर ऐसी कंपनी में नया विदेशी निवेश प्राप्त करना, जो औद्योगिक लाइसेन्स नहीं चाहती है, किन्तु उसके स्वामित्व का प्रकार बदलने अथवा मौजूदा निवेशक की कंपनी में हिस्सेदारी नए विदेशी निवेशक को अंतरित करने के परिणाम स्वरूप फ्रेश निवेश के लिए सरकार का अनुमोदन आवश्यक होगा।
  2. लाइसेंस आवेदनों पर विचार किया जाएगा और रक्षा मंत्रालय एवं विदेश मंत्रालय से परामर्श के बाद औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग, वाणिज्य मंत्रालय द्वारा लाइसेंस दिए जाएंगे।
  3. इस क्षेत्र में विदेशी निवेश की अनुमति रक्षा मंत्रालय द्वारा सुरक्षा संबंधी क्लियरेंस तथा उनके दिशानिर्देशों के अधीन होगी ।
  4. निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी का ढांचा इस प्रकार का होना चाहिए कि वह उत्पाद डिजाइन एवं विकास के मामले में आत्मनिर्भर हो। उत्पादन सुविधा सहित निवेश प्राप्तकर्ता/संयुक्त उद्यम कंपनी के पास भारत में निर्मित उत्पादों के मेंटिनेंस एवं लाइफ साइकिल सपोर्ट की भी सुविधा होनी चाहिए।
सेवा क्षेत्र
सूचना सेवाएँ
7 प्रसारण
7.1 प्रसारण वाहक सेवाएं
7.1.1 (1) टेलीपोर्ट (अप-लिंकिग एचयूबी/टेलीपोर्ट की स्थापना)
(2) डायरेक्ट टू होम (डीटीएच)
(3) केबल नेटवर्क (राष्ट्रीय या राज्य या जिला स्तर पर परिचालन करने वाले और डिजिटलाइजेशन एवं अड्रेसबिलिटी के लिए नेटवर्क अपग्रेडशन का काम करनेवाले मल्टीज सिस्ट म ऑपरेटर (एमएसओ)
(4) मोबाइल टीवी
(5) हेड एंड-इन-द-स्काई ब्रॉडकास्टिंग सर्विस (एचआईटीएस)
100% 49% तक स्‍वचालित मार्ग

49% से अधिक के लिए सरकारी मार्ग
7.1.2 केबल नेटवर्क (अन्य एमएसओ, जो डिजिटलाइजेशन और अड्रेसबिलिटी के लिए नेटवर्क अपग्रेडेशन का कार्य नहीं करते हैं और स्था नीय केबल ऑपरेटर (एलसीओ)). 100% 49% तक स्‍वचालित मार्ग ।
49% से अधिक के लिए सरकारी मार्ग
7.2 प्रसारण विषयक सेवाएं    
7.2.1 क्षेत्रीय प्रसारण एफएम (एफएम रेडियो),
एफ एम रेडियो स्टेशन की स्थापना की अनुमति की मंजूरी ऐसे नियम व शर्तों के अधीन होगी जिन्हेंद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट किया गया हो।
49% सरकारी मार्ग
7.2.2 ‘‘समाचार एवं सम -सामयिक मामले दर्शाने वाले’’ टी वी चैनलों की अपलिंकिंग 49% सरकारी मार्ग
7.2.3 ‘‘गैर समाचार एवं सम -सामयिक मामले दर्शाने वाले’’ टीवी चैनलों की अप -लिंकिंग / टीवी चैनलों की डाउन -लिंकिंग 100% स्वचालित मार्ग
7.3 टीवी चैनलों की अप -लिंकिंग /डाउन -लिंकिंग में विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा समय -समय पर अधिसूचित सुसंगत अप -लिंकिंग /डाउन -लिंकिंग नीति के अनुपालन के अधीन होगी।
7.4 उपर्युक्तर वर्णित सभी सेवाओं में संलग्नि कंपनियों में विदेशी निवेश (एफआई) ऐसे सुसंगत विनियमों और नियमों व शर्तों के अधीन होंगे, जो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी किए गए हों।
7.5 उपुर्यक्‍त वर्णित गतिविधियों में संलग्‍न कंपनियों में विदेशी निवेश (FI) की सीमा में विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश के अलावा, विदेशी संस्‍थागत निवेशकों (FII), विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों (FPIs), अनिवासी भारतीयों (NRIs), विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बॉन्ड (FCCB), [इन विनियमों की अनुसूची 10 के अंतर्गत जारी ईक्विटी शेयरों सहित निक्षेपागार रसीदें अथवा अनिवार्यतः और अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय अधिमानी शेयर अथवा अनिवार्यतः और अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर अथवा वारंट अथवा अन्य कोई प्रतिभूति जिसमें मूल विनियमावली की अनुसूची 1 के अनुसार अंतर्लयित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया जा सकता है] ग्लोबल निक्षेपागार रसीदें (GDRs) और विदेशी एंटिटीज द्वारा धारित परिवर्तनीय अधिमानी शेयर शामिल होंगे।]
7.6

उपर्युक्त वर्णित प्रसारण वाहक सेवाओं में विदेशी निवेश निम्‍नलिखित सुरक्षा शर्तों /नियमों के अधीन होगा :

कंपनी के प्रमुख कार्यपालकों के लिए अधिदेशात्‍मक अपेक्षा
(i) कंपनी के बोर्ड में अधिकांश निदेशक भारतीय नागरिक होंगे।
(ii) मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ), तकनीकी नेटवर्क परिचालन के प्रभारी मुख्य् अधिकारी और मुख्य सुरक्षा अधिकारी भारतीय नागरिक होने चाहिए।

कर्मचारियों के लिए सुरक्षा अनुमोदन
(iii) कंपनी, निदेशक बोर्ड के सभी निदेशकों और ऐसे किसी प्रमुख कार्यपालकों जैसे प्रबंध निदेशक /मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी, मुख्‍य वित्‍त अधिकारी, मुख्‍य वित्‍त अधिकारी (सीएफओ), मुख्‍य सुरक्षा अधिकारी (CSO) मुख्‍य तकनीकी अधिकारी (सीटीओ), मुख्‍य परिचालन अधिकारी (सीओओ), कंपनी में वैयक्तिक रूप से 10 प्रतिशत या उससे अधिक प्रदत्‍त पूंजी रखने वाले शेयरधारकों या जैसा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा समय-समय पर निर्दिष्‍ट किसी अन्य श्रेणी से अपेक्षित होगा कि वे सुरक्षा अनुमोदन प्राप्त करें।

कंपनी के बोर्ड में निदेशकों की नियुक्ति के मामले में और प्रबंध निदेशक /मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी, मुख्‍य वित्‍त अधिकारी (सीएफओ), मुख्‍य सुरक्षा अधिकारी (सीएसओ), मुख्‍य तकनीकी अधिकारी (सीटीओ), मुख्‍य परिचालन अधिकारी(COO) आदि जैसे प्रमुख कार्यपालकों की नियुक्ति के मामले में, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा समय -समय पर निर्दिष्ट किए गए अनुसार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की पूर्व अनुमति लेनी होगी।

कंपनी के लिए यह बाध्‍यकर होगा कि वह निदेशक बोर्ड में कोई परिवर्तन करने से पहले सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की पूर्व अनुमति भी प्राप्‍त करे।

(iv) कंपनी से यह अपेक्षित होगा कि वह नियुक्ति, संविदा और परामर्शदात्री या प्रतिष्‍ठापन, रख -रखाव, परिचालन या किसी अन्‍य सेवा के प्रयोजन से किसी अन्‍य क्षमता की बाबत कंपनी में एक वर्ष में 60 से अधिक दिन के लिए अभिनियोजित होने वाले सभी विदेशी कर्मचारियों की उनके अभिनियोजन से पहले सुरक्षा अनुमोदन प्राप्‍त करे। यह सुरक्षा अनुमोदन प्रत्‍येक दो वर्ष में लेना अपेक्षित होगा।

अनुमति और सुरक्षा अनुमोदन
(v) यह अनुमति, अनुमति धारक / लाइसेंसी द्वारा अनुमति की वैधता -अवधि के दौरान सुरक्षा अनुमोदन बरकरार रखे जाने के अधीन होगी। सुरक्षा अनुमोदन वापस लिए जाने की स्थिति में दी गई अनुमति तत्‍काल खत्‍म की जा सकती है।

(vi) अनुमति धारक /लाइसेंसी से जुड़े किसी भी व्‍यक्ति या विदेशी कर्मचारी को किसी भी कारण से सुरक्षा अनुमोदन मना किए जाने या वापस लिए जाने पर, अनुमति धारक /लाइसेंसी यह सुनिश्चित करेगा कि सरकार से ऐसा कोई निदेश प्राप्‍त होने के बाद संबंधित व्यक्ति त्‍याग -पत्र दे दे या उसकी सेवा तत्‍काल समाप्‍त कर दी जाए, और ऐसा न किए जाने पर दी गई अनुमति /लाइसेंस का प्रतिसंहरण कर दिया जाएगा और भविष्‍य में अगले पांच वर्ष तक की अवधि के लिए कंपनी को ऐसी कोई अनुमति /लाइसेंस धारण किए जाने हेतु अयोग्य ठहरा दिया जाएगा।

इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर /नेटवर्क /सॉफ्टवेअर संबंधी अपेक्षा

(vii) लाइसेंसी कंपनी के अधिकारी /पदाधिकारी, जो सेवाओं के विधिसम्‍मत अवरोधन से संबंधित हैं, भारतीय नागरिक होंगे।

(viii) इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर/नेटवर्क डायग्राम (नेटवर्क के तकनीकी ब्‍यौरे) से संबंधित विवरण, केवल आवश्‍यक होने पर, उपकरण आपूर्तिकर्ताओं/विनिर्माताओं और लाइसेंसी कंपनी की संबद्ध संस्‍था को उपलब्‍ध कराए जा सकते हैं। यदि ऐसी कोई सूचना किसी अन्‍य को दी जानी हो तो इसके लिए लाइसेंस-प्रदाता का अनुमोदन अपेक्षित होगा।

(ix) जब तक सुसंगत कानून द्वारा अनुमत न हो, कंपनी ग्राहक का डेटाबेस भारत के बाहर किसी व्‍यक्ति /स्‍थान को अंतरित नहीं करेगी।

(x) कंपनी अपने ग्राहकों की ऐसी पहचान अवश्य उपलब्‍ध कराएगी जिसका पता लगाया जा सके।

सूचना की निगरानी, निरीक्षण और प्रस्‍तुतीकरण

(xi) कंपनी सुनिश्चित करेगी कि उनके उपकरण में ऐसे आवश्‍यक प्रावधान (हार्डवेअर /सॉफ्टवेअर) उपलब्‍ध हों जिससे सरकार द्वारा जब कभी अपेक्षित हो किसी केंद्रीकृत स्‍थल से विधिसम्‍मत अवरोधन और निगरानी की जा सके।

(xii) कंपनी सरकार या इसके अधिकृत प्रतिनिधियों की मांग पर सरकार या इसके अधिकृत प्रतिनिधियों के पर्यवेक्षण के तहत या उनके द्वारा प्रसारण सेवा की सतत निगरानी के लिए अपने खर्चे पर निर्दिष्‍ट स्‍थान(नों) पर आवश्‍यक उपकरण, सेवा और सुविधाएं उपलब्‍ध कराएगी।

(xiii) सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार या इसके अधिकृत प्रतिनिधियों को प्रसारण सुविधाओं का निरीक्षण करने का अधिकार होगा। सरकार या इसके अधिकृत प्रतिनिधियों को निरीक्षण करने के अधिकार का प्रयोग किए जाने के लिए किसी पूर्व अनुमति /सूचना की आवश्‍यकता नहीं होगी। सरकार या उसके अधिकृत प्रतिनिधियों से अपेक्षित होने पर कंपनी अपनी गतिविधियों और परिचालनों के किसी विशेष पहलू की सतत निगरानी के लिए सरकार या उसके अधिकृत प्रतिनिधियों को आवश्‍यक सुविधाएं उपलब्‍ध कराएगी। तथापि, सतत निगरानी केवल सुरक्षा से जुड़े पहलुओं तक सीमित होगी जिसमें आपत्तिजनक विषय की स्‍क्रीनिंग शामिल है।

(xiv) ये निरीक्षण सामान्‍यतया सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार या इनके अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा युक्तिसंगत नोटिस दिए जाने के बाद, ऐसी परिस्थितियों को छोड़कर जहां ऐसा नोटिस देना निरीक्षण के वास्तविक उद्देश्‍य को खत्‍म करता हो, किए जाएंगे।

(xv) सरकार या उसके अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा अपेक्षित होने पर कंपनी अपनी सेवाओं से संबंधित ऐसी कोई सूचना समय -समय पर निर्दिष्‍ट किए गए फार्मेट में प्रस्‍तुत करेगी।

(xvi) अनुमतिधारक / लाइसेंसधारी भारत सरकार या उसके प्राधिकृत प्रतिनिधि या ट्राई (TRAI) या उसके प्राधिकृत प्रतिनिधि को रिपोर्टें, खाते, प्राक्‍कलन, विवरणियां या ऐसी अन्य प्रासंगिक जानकारी अपेक्षित आवधिक अंतरालों पर या अपेक्षित समय पर प्रस्तुत करने के लिए उत्‍तरदायी होंगे।

सेवाप्रदाताओं को सरकार के नामित पदाधिकारियों/ट्राई(TRAI) के पदाधिकारियों या उसके प्राधिकृत प्रतिनिधि(यों) को अपनी प्रणालियों के परिचालन/विशेषताओं के संबंध में प्रशिक्षित करना होगा।

राष्ट्रीय सुरक्षा की शर्तें

(xvii) लाइसेंसकर्ता राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से लाइसेंसधारी कंपनी को किसी भी संवेदनशील क्षेत्र में परिचालन से प्रतिबंधित कर सकता है। भारत सरकार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के पास राष्ट्रीय सुरक्षा या जनता के हित में अनुमतिधारक / लाइसेंसधारी की अनुमति को उसके निदेश में दी गई अवधि अथवा अवधियों के लिए निलंबित करने का अधिकार होगा। इस संबंध में जारी किए गए किसी भी निदेश का अनुपालन कंपनी को तुरंत करना होगा, ऐसा न करने पर अनुमति को रद्द किया जा सकता है और कंपनी को आगे पांच साल की अवधि के लिए ऐसी अनुमति प्राप्‍त करने के लिए अनर्ह घोषित कर दिया जाएगा।

(xviii) कंपनी किसी ऐसे उपकरण का आयात /उपयोग नहीं करेगी, जो गैर कानूनी और / या नेटवर्क सुरक्षा को खतरे में डालने वाला हो।

अन्य शर्तें
(xix) लाइसेंसकर्ता के पास राष्ट्रीय सुरक्षा और जनता के हित में या प्रसारण सेवाओं के उचित प्रावधान के लिए इन शर्तों में आशोधन करने या आवश्यक समझी जाने वाली नई शर्तों को शामिल करने का अधिकार होगा।

(xx) लाइसेंसधारी यह सुनिश्चित करेंगे कि उसके द्वारा स्‍थापित किए गए प्रसारण सेवा संबंधी उपकरण सुरक्षा के लिए जोखिम न पैदा करे और यह किसी भी कानून, नियम, या विनियमन और सार्वजनिक नीति का उल्लंघन नहीं करता हो।

8. प्रिंट मीडिया    
8.1 समाचार और समसामयिक मामलों को प्रकाशित करने वाले समाचार पत्र और नियतकालिक पत्रिकाओं का प्रकाशन 26% सरकार
8.2 समाचार और समसामयिक मामलों को प्रकाशित करने वाली विदेशी पत्रिकाओं के भारतीय संस्‍करण का प्रकाशन 26% सरकार
8.2.1 अन्य शर्तें
 

(i) इन दिशा -निदेर्शों के उद्देश्‍य से, 'पत्रिका' को जनता से संबंधित समाचार या सार्वजनिक समाचारों पर टिप्‍पणियों को गैर -दैनिक आधार पर प्रकाशित करने वाले नियतकालिक प्रकाशनों के रूप में परिभाषित किया गया है।

(ii) विदेशी निवेश समाचार और समसामयिक मामलों को प्रकाशित करने वाली विदेशी पत्रिकाओं के भारतीय संस्‍करणों के प्रकाशन के संबंध में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा 4.12.2008 को जारी दिशा -निर्देशों के भी अधीन होगा।

8.3 वैज्ञानिक और तकनी‍की पत्रिका /विशेषज्ञता वाले जर्नल / नियतकालिक पत्रिकाओं का प्रकाशन/मुद्रण लागू वैधानिक ढांचे और इस संबंध में समय -समय पर जारी दिशा -निर्देशों के अनुपालन के अधीन होगा 100% सरकार
8.4 विदेशी समाचार -पत्र के प्रतिकृति संस्‍करण का प्रकाशन 100% सरकार
8.4.1 अन्य शर्तें
 
  1. एफडीआई मूल विदेशी समाचार -पत्र के मालिक द्वारा किया जाना चाहिए जिसका प्रतिकृति संस्‍करण भारत में प्रकाशित किया जाना प्रस्‍तावित है।

  2. विदेशी समाचार -पत्रों के प्रतिकृति संस्‍करण का प्रकाशन कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के तहत भारत में निगमित या पंजीकृत इकाई द्वारा ही किया जा सकता है।

  3. विदेशी समाचार -पत्रों के प्रतिकृति संस्‍करण का प्रकाशन समाचार और समसामयिक मामलों को प्रकाशित करने वाले समाचार -पत्र और नियतकालिक पत्रिकाओं के प्रकाशन तथा विदेशी समाचार -पत्रों के प्रतिकृति संस्‍करण को प्रकाशित करने पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा 31.03.2006 को जारी और समय समय पर यथासंशोधित दिशा -निर्देशों के अधीन होगा।

9. नागरिक उड्डयन    
9.1

नागरिक उड्डयन क्षेत्र में हवाई अड्डे, अनुसूचित और गैर -अनुसूचित घरेलू यात्री सेवाएं, हेलीकॉप्‍टर सेवाएं /समुद्री विमान सेवाएं, ग्राउंड हैं‍डलिंग सेवाएं, रख -रखाव और मरम्‍मत संगठन; उड़ान प्रशिक्षण संस्थाएं और तकनीकी प्रशिक्षण संस्थाएं शामिल हैं।

नागरिक उड्डयन क्षेत्र के प्रयोजनों के लिए :

  1. 'हवाई अड्डा' से तात्‍पर्य है विमान के उतरने और उड़ान भरने का क्षेत्र जहां सामान्‍य तौर पर रनवे और विमान अनुरक्षण और यात्री सुविधाएं होती हैं और एयरक्राफ्ट अधिनियम, 1934 की धारा 2 के खंड (2) में परिभाषित एरोड्रोम भी शामिल है।

  2. ''एरोड्रोम'' का तात्‍पर्य विमान के उतरने और उड़ान भरने के लिए पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से प्रयोग में लायी जा रही तयशुदा या सीमित जमीन या पानी क्षेत्र से है, जिसमें सभी भवन, शेड, जहाज, गोदी और अन्‍य संरचनाएं या संबंधित संरचनाएं भी शामिल हैं।

  3. ''हवाई अड्डा परिवहन सेवा'' का तात्‍पर्य पारिश्रमिक के बदले व्यक्तियों, डाक या अन्‍य ऐसी चेतन या अचेतन के परिवहन की सेवा है चाहे वह एकल उड़ान या श्रृंखला उड़ान की सेवाओं के माध्‍यम से दी जा रही हो।

  4. ''हवाई परिवहन उपक्रम'' का तात्‍पर्य उस उपक्रम से है जिसके कारोबार में किराया या प्रतिफल के एवज में यात्री या माल का हवाई मार्ग से परिवहन भी शामिल है।

  5. ''विमान के घटक'' का तात्‍पर्य कोई हिस्‍सा या उपकरण का कोई भाग है जिसे जब विमान में लगाया जाता है तो उसकी सुदृढ़ता और सही कार्य करने की क्षमता विमान की सुरक्षा या उड़ान योग्‍यता के लिए आवश्यक है।

  6. ''हेलिकॉप्‍टर'' का तात्पर्य वस्‍तुत : ऊर्ध्‍वाधर अक्ष पर एक या एक से अधिक शक्तिचालित रोटर की मदद से उड़ान भरने वाला वायु से भारी विमान से है।

  7. ''अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा'' का तात्‍पर्य दो या अधिक स्‍थानों के बीच चलायी जाने वाली हवाई परिवहन सेवा है जो प्रकाशित समय सारणी के अनुसार या मान्‍यतापूर्वक व्‍यवस्थित श्रृंखला में नियमित रूप से या अक्‍सर उड़ान भरते हों और प्रत्‍येक उड़ान जनता के उपयोग के लिए उपलब्‍ध हो।

  8. ''गैर -अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा'' का तात्‍पर्य ऐसी सेवा से है जो अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा न हो और इसमें कार्गो एयरलाइन शामिल है।

  9. ''कार्गो एयरलाइने'' का तात्पर्य ऐसी एयरलाइन से है जो नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नागरिक उड्डयन की अपेक्षाओं की शर्तों को पूरा करती हो;

  10. ''समुद्री विमान'' का तात्‍पर्य उस विमान से है जो केवल पानी से उड़ने और पानी पर उतरने के लिए सामान्‍य तौर पर सक्षम हो;

  11. ''ग्राउंड हैंडलिंग'' का तात्पर्य है (i) रैंप हैंडलिंग, (ii) ट्राफिक हैंडलिंग, दोनों में नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा समय-समय पर वैमानिकी सूचना परिपत्र के माध्यम से विनिर्दिष्ट गतिविधियां शामिल हैं, और (iii) केंद्र सरकार द्वारा या तो रैंप हैंडलिंग या ट्राफिक हैंडलिंग के हिस्से के तौर पर निर्दिष्‍ट कोई अन्य गतिविधि।

9.2 एयरपोर्ट    
 

(a) ग्रीनफील्‍ड परियोजनाएं

(b) मौजूदा परियोजनाएं

100%

100%

स्वचालित मार्ग

74% तक स्वचालित मार्ग से।

74% तक स्वचालित मार्ग से।

9.3 हवाई परिवहन सेवाएं    
  (1) (ए) अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा/घरेलू अनुसूचित हवाई यात्री सेवा
(बी) क्षेत्रीय हवाई परिवहन सेवाएँ
49% (NRI के लिए100%) स्‍वचालित
  (2) गैर -अनुसूचित हवाई परिवहन सेवा 100% स्‍वचालित
  (3) हेलीकॉप्‍टर सेवा /समुद्री विमान सेवाएँ जिनके लिए नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) का अनुमोदन आवश्‍यक है 100% स्‍वचालित
9.3.1 अन्य शर्तें    
 

ए) हवाई परिवहन सेवाओं में घरेलू अनुसूचित यात्री एयरलाइन; गैर -अनुसूचित हवाई परिवहन सेवाएं, हेलीकॉप्‍टर और समुद्री विमान सेवाएं शामिल हैं।

बी) विदेशी एयरलाइनों को उपर्युक्‍त में दी गई सीमाओं और प्रवेश मार्गों के अनुसार कार्गो एयरलाइन, हेलीकॉप्‍टर और समुद्री विमान को परिचालित करने वाली कंपनी की इक्विटी में भागीदारी करने की अनुमति है।

सी) विदेशी एयरलाइनों को अनुसूचित और गैर -अनुसूचित विमान परिवहन सेवाओं को परिचालित करने वाली भारतीय कंपनियों की पूंजी में उनकी चुकता पूंजी के 49% की सीमा तक निवेश करने की भी अनुमति है। ऐसे निवेश निम्‍नलिखित शर्तों के अधीन होंगे :

(i) यह सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत किया जाएगा।

(ii) 49% की सीमा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी संस्थागत निवेश / एफपीआई निवेश शामिल होंगे।

(iii) किए गए निवेश के लिए सेबी के सुसंगत विनियमों जैसे पूंजी को जारी करना और प्रकटीकरण की अपेक्षाओं संबंधी (आईसीडीआर) विनियमों/शेयरों के पर्याप्त अर्जन और अधिग्रहण (एसएएसटी) संबंधी विनियमों के साथ-साथ अन्य लागू नियमों और विनियमों का पालन करना आवश्यक होगा।

(iv) अनुसूचित ऑपरेटर परमिट केवल उस कंपनी को दिए जा सकते हैं :

ए) जो पंजीकृत है और उसके व्यवसाय का मुख्य स्थान भारत में है;
बी) अध्यक्ष और कम से कम दो तिहाई निदेशक भारत के नागरिक हों, और
सी) भारतीय नागरिकों के पास पर्याप्त स्वामित्व और प्रभावी नियंत्रण हो।

(v) ऐसे निवेशों के परिणामस्‍वरूप भारतीय अनुसूचित और गैर अनूसूचित हवाई परिवहन सेवाओं के साथ जुड़ने वाले सभी विदेशी नागरिकों को तैनाती से पहले सुरक्षा संबंधी क्लियरेंस लेना होगा।

(vi) ऐसे निवेशों के परिणामस्‍वरूप भारत में आयातित होने वाले सभी प्रकार के तकनीकी उपकरणों के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय के संबंधित प्राधिकारियों से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना अपेक्षित होगा।

टिप्‍पणी: (i) उपर्युक्‍त पैरा 9.3.1 और 9.3.2 में वर्णित प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश सीमा /प्रवेश मार्ग, उन स्थितियों में लागू है जहां विदेशी एयरलाइनों द्वारा कोई भी निवेश नहीं किया गया हो।

(ii) 100% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश करने के संबंध में अनिवासी भारतीयों को प्राप्त छूट उपर्युक्त मद 9.3.1(सी) (ii) में विनिर्दिष्ट निवेश क्षेत्र / दायरे पर भी लागू बनी रहेगी।

(iii) उपर्युक्त मद 9.3.1(सी) में उल्लिखित नीति मेसर्स एयर इंडिया लिमिटेड पर लागू नहीं है।

9.3.2 अनुसूचित तथा गैर अनुसूचित हवाई परिवहन सेवाओं के परिचालन करने वाली भारतीय कंपनियों की पूंजी में विदेशी एयरलाइनों द्वारा निवेश 49% (एनआरआई के लिए 100%) सरकारी
9.4 नागरिक उड्डयन क्षेत्र के तहत अन्‍य सेवाएं
  (1) ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं, क्षेत्र विशेष से संबंधित विनियमों और सुरक्षा अनुमोदन के अधीन 100% स्वचालित
  (2) अनुरक्षण और मरम्‍मत संगठन; उड़ान प्रशिक्षण संस्‍थान; और तकनीकी प्रशिक्षण संस्‍थान 100% स्वचालित
10. पैकेज, पार्सल और अन्‍य मदों को ले जाने वाली कूरियर सेवाएं जो भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 के दायरे में नहीं आती हैं, पत्रों के वितरण‍ से संबंधित गतिविधियों को छोड़कर 100% स्वचालित
11. निर्माण विकास : टाउनशिप, आवास, बिल्‍ट -अप बुनियादी संरचना  
11.1 निर्माण विकास परियोजनाएं (जिनमें टाउनशिप का विकास, आवास / वाणिज्यिक परिसर, सड़क अथवा पुलों, होटलों, रिसॉर्ट्स, अस्पतालों, शैक्षिक संस्थानों, मनोरंजन की सुविधाओं का निर्माण, शहर और क्षेत्रीय स्तर की बुनियादी संरचनाएं शामिल हैं) 100% स्वचालित
11.2

निर्माण परियोजनाओं के प्रत्येक फेज़ को एफ़डीआई नीति के अनुसार नयी परियोजना माना जाएगा। जो निम्‍नलिखित शर्तों के अधीन होगा :

(ए) (i) निवेशक को परियोजना पूरी होने अथवा बुनियादी (trunk) इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सड़क, जलापूर्ति, स्ट्रीट लाइटिंग, ड्रेनेज एवं सीवेज के विकास के बाद परियोजना से बाहर जाने की अनुमति दी जाएगी। प्रत्येक परियोजना के तहत न्यूनतम विकसित किया जाने वाला क्षेत्र निम्नवत होगा :

(ii) उपर्युक्त (ए) (i) में उल्लिखित किसी भी बात के होते हुए भी, स्वचालित मार्ग के तहत परियोजना के पूरा होने से पूर्व निवेशक अपने विदेशी निवेश को एक्ज़िट अथवा प्रत्यावर्तित कर सकता है, बशर्ते निवेश के प्रत्येक अंश पर गणना की गई लॉक-इन अवधि पूरी हो गई हो। इसके अलावा निवेश की राशि को प्रत्यावर्तित किए बिना एक अनिवासी से दूसरे अनिवासी को उसके हिस्सेदारी (stake) के अंतरण के लिए न तोलॉक-इन अवधि की शर्तें लागू होंगी और न ही सरकारी अनुमोदन की।

(बी) परियोजना को इमारत नियंत्रण विनियमों, उपविधियों, नियमों और राज्‍य सरकार / नगरपालिका /संबंधित स्‍थानीय निकाय के अन्‍य विनियमों के अनुसार भूमि के उपयोग संबंधी अपेक्षाओं एवं सामुदायिक सुविधाओं और आम सुविधाओं के प्रावधानों सहित मानकों और मानदंडों के अनुरूप होना चाहिए।

(सी) भारतीय निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी को केवल विकसित भूखंड बेचने की अनुमति होगी। इस नीति के प्रयोजनार्थ "विकसित भूखंड" का अभिप्राय ऐसे भूखंड से है जहां बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर अर्थात जैसे सड़क, जलापूर्ति, स्ट्रीट लाइटिंग, ड्रेनेज एवं सीवेज की सुविधाएं उपलब्ध करा दी गई हों।

(डी) भारतीय निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी सभी आवश्यक मंजूरियां प्राप्त करने के लिए जिम्मेदार होगी जिनमें इमारत /ले -आउट योजना(प्लान), आंतरिक और आस -पास के क्षेत्रों (peripherial areas) और अन्‍य बुनियादी सुविधाओं का विकास, विकास, बाह्य विकास और अन्‍य प्रभारों का भुगतान, संबंधित राज्‍य सरकार /नगरपालिका /स्थानीय निकाय के लागू नियमों /उप विधियों / विनियमों में विनिर्दिष्ट सभी अन्‍य अपेक्षाओं का अनुपालन शामिल होगा।

(ई) इमारत /डेवलपमेंट प्लान को अनुमोदन/मंजूरी प्रदान करने वाली संबंधित राज्‍य सरकार / नगरपालिका /स्थानीय निकाय डेवलपर द्वारा उपर्युक्त शर्तों का अनुपालन किए जाने की निगरानी करेगी।

नोट : (i) यह स्पष्ट किया जाता है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किसी ऐसी कंपनी (एंटिटी) में अनुमत नहीं है जो रियल इस्टेट कारोबार, फार्म हाउसों के कंस्ट्रक्शन एवं अंतरणीय विकास स्वत्वाधिकार (TDRs) में संलग्न हो अथवा उसमें संलग्न होने का प्रस्ताव करती हो।

‘रियल इस्टेट कारोबार’ का अभिप्राय वही है जो भारतीय रिज़र्व बैंक के मास्टर परिपत्र के साथ पठित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.1/2000-आरबी में दिया गया है अर्थात भूमि और अचल संपत्ति का सौदा लाभ कमाने अथवा आय के अर्जन के दृष्टिकोण से किया जाता हो एवं इसमें टाउनशिप का विकास, आवासीय/वाणिज्यिक परिसरों, सड़कों अथवा पुलों, शैक्षिक संस्थाओं, मनोरंजन सुविधाओं, नगर और क्षेत्रीय स्तर के इन्फ्रा, टाउनशिप निर्माण शामिल नहीं हैं।

(ii) उपर्युक्त मद (ए) की शर्तें होटल और टूरिस्ट रिज़ॉर्ट; अस्पतालों; विशेष आर्थिक क्षेत्रों; शैक्षिक संस्थाओं; वृद्धाश्रमों और अनिवासी भारतीयों द्वारा किए गए निवेश के संबंध में लागू नहीं होंगी।

(iii) परियोजना की पूर्णता स्थानीय उप-विनियमों / नियमों और राज्य सरकार के अन्य विनियमों के अनुसार परिभाषित होगी ।

(iv) यह स्पष्ट किया जाता है कि टाउनशिप, मॉल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स और बिज़नस सेंटर की पूर्ण परियोजनाओं के परिचालन और प्रबंधन के लिए स्वचालित मार्ग के अंतर्गत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है। विदेशी निवेश के परिणामस्वरूप, निवेशक कंपनी के स्वामित्व और नियंत्रण का अंतरण की भी अनुमति है। तथापि, एफ़डीआई के प्रत्येक अंश के संदर्भ में तीन वर्षों की लॉक-इन अवधि होगी और इस अवधि के दौरान अचल संपत्ति के अंतरण की अनुमति नहीं होगी।

(v) FOI नीति के संबंध में "अंतरण" में निम्नलिखित शामिल हैं, -
ए. संपत्ति की बिक्री, विनिमय अथवा त्याग ; अथवा
बी. उसमें अधिकारों (rights) का विलोपन; अथवा
सी. किसी कानून के तहत संपत्ति का अनिवार्य अधिग्रहण; अथवा
डी. संपत्ति अंतरण अधिनियम, 1882 (1882 का 4) की धारा 53ए के संदर्भ में कांट्रैक्ट के पेरफ़ोर्मेंस के भाग के रूप में किया गया ऐसा कोई लेनदेन जिसमें अचल संपत्ति ली अथवा धारण की गई हो;
ई. ऐसा कोई लेनदेन, जो किसी कंपनी में शेयरों के अर्जन अथवा किसी करार अथवा अन्य किसी व्यवस्था के तहत, जैसी भी हो, के परिणामस्वरूप यदि किसी अचल संपत्ति का लाभ लेने अथवा अंतरण प्राप्त होता हो।

12. औद्योगिक पार्क – नए और मौजूदा 100% स्‍वचालित
12.1

(i) “औद्योगिक पार्क” एक ऐसी परियोजना है जिसमें विकसित की गई भूमि के प्‍लॉटों या इमारतदार क्षेत्र या संयुक्‍त रूप से साझा सुविधाओं से युक्‍त क्षेत्रों के तौर पर उच्‍च कोटि की बुनियादी संरचना का विकास किया जाता है और इन्‍हें सभी आबंटित इका‍इयों को औद्योगिक कार्यकलाप के उद्देश्‍य से उपलब्‍ध कराया जाता है।

(ii) “बुनियादी संरचना” का तात्‍पर्य ऐसी सुविधाओं से है जो औद्योगिक पार्क में स्थित इकाइयों के कार्य-संचालन के लिए अपेक्षित हैं और इनके अंतर्गत सड़कें (पहुंचने के मार्ग सहित), बिजली से चलने वाली रेलवे लाइनों सहित रेलवे लाइनें/साइडिंग्स, मुख्य रेल लाइनों को जोड़ने वाली लाइनें, जल-आपूर्ति और अप-जल निकास, अपगामी जल उपचार की सार्वजनिक सुविधा, दूरसंचार नेटवर्क, बिजली का उत्‍पादन व वितरण, वातानुकूलन आदि शामिल हैं।

(iii) “साझा सुविधाओं” से अभिप्रेत है औद्योगिक पार्क में स्थित सभी इकाइयों को उपलब्‍ध कराई जाने वाली सुविधाएं जिनमें बिजली, सड़कें (पहुंचने के मार्ग सहित), बिजली से चलने वाली रेलवे लाइनों सहित रेलवे लाइनें/साइडिंग्स, मुख्य रेल लाइनों को जोड़ने वाली लाइनें, जल आपूर्ति और अप-जल निकास, अपगामी जल उपचार की सामान्‍य व्‍यवस्‍था, सामान्‍य (common) टेस्टिंग, दूरसंचार सेवाएं, वातानुकूलन, सार्वजनिक सुविधा भवन, औद्योगिक कैंटीन, कन्‍वेन्‍शन/सम्‍मेलन भवन, पार्किंग, यात्रा डेस्‍क, सुरक्षा सेवा, प्रथमोपचार केंद्र, एंबुलेंस और अन्‍य सुरक्षा सेवाएं, प्रशिक्षण सुविधाएं तथा औद्योगिक पार्क में स्थित इकाइयों के सामान्‍य उपयोग हेतु उपलब्‍ध इसी प्रकार की अन्‍य सुविधाएं शामिल हैं।

(iv) औद्योगिक पार्क में ''आबंटनीय क्षेत्र'' का तात्‍पर्य है :

(ए) डेवलप की गई भूमि के प्‍लॉटों के मामले में – इकाइयों को आबंटन हेतु उपलब्‍ध निवल साइट क्षेत्र, जिसमें साझा सुविधाओं वाला क्षेत्र शामिल नहीं है।

(बी) इमारतदार क्षेत्र के मामले में – फर्शी क्षेत्र और सामान्‍य सुविधाएं उपलब्‍ध कराने के लिए प्रयुक्‍त इमारतदार क्षेत्र।

(सी) डेवलप की गई भूमि और इमारतदार क्षेत्र के संयुक्‍त रूप के मामले में – इकाइयों को आबंटन हेतु उपलब्‍ध निवल साइट और फर्शी क्षेत्र, जिसमें सामान्‍य सुविधा के लिए प्रयुक्‍त साइट क्षेत्र और इमारतदार क्षेत्र शामिल नहीं है।

(v) “औद्योगिक कार्यकलाप” से अभिप्रेत है विनिर्माण; बिजली; गैस और जल आपूर्ति; डाक और दूरसंचार; सॉफ्टवेयर पब्लिशिंग, परामर्श और आपूर्ति; डेटा प्रोसेसिंग, डेटाबेस संबंधी गतिविधियां और इलेक्‍ट्रॉनिक विषय-वस्‍तु का संवितरण; कंप्‍यूटर से संबंधित अन्‍य गतिविधियां; जैव-प्रौद्योगिकी, भेषज विज्ञान/जीव-विज्ञान, नैसर्गिक विज्ञान और इंजीनियरी पर आधारभूत और अनुप्रयुक्‍त अनुसंधान व विकास; व्‍यवसाय एवं प्रबंधन संबंधी परामर्शी गतिविधियां; तथा वास्‍तु कला, इंजीनियरी और अन्‍य तकनीकी गतिविधियां।

12.2

औद्योगिक पार्कों में किए जाने वाले एफडीआई को उपर्युक्‍त पैरा 11 में बताई गई निर्माण विकास परियोजनाओं आदि के लिए प्रयोज्‍य शर्तों का पालन करने के लिए बाध्‍य नहीं किया जाएगा, बशर्ते कि औद्योगिक पार्क निम्‍नलिखित शर्तों को पूरा करते हों :

(i) उनमें कम -से -कम 10 इकाइयां शामिल हों और कोई भी एकल इकाई आबंटनीय क्षेत्र का 50% से अधिक क्षेत्र अपने पास नहीं रखेगी ;

(ii) औद्योगिक गतिविधि के लिए आबंटित क्षेत्र का न्‍यूनतम प्रतिशत कुल आबंटनीय क्षेत्र के 66% से कम न हो।

13. उपग्रह – स्‍थापना और परिचालन    
13.1 उपग्रह–स्‍थापना और परिचालन, जो कि अंतरिक्ष विभाग/ इस्रो के क्षेत्र-विशेष संबंधी दिशा-निर्देशों के अधीन है। 100% सरकार
14. निजी सुरक्षा एजेंसियां 49% सरकार
15.

दूरसंचार सेवाएं
(दूर संचार इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता श्रेणी-I सहित)

दूर संचार इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता श्रेणी-I सहित सभी दूर संचार सेवाएं अर्थात- मूलभूत, सेल्‍युलर, युनाइटेड ऐक्‍सेस सेवाएं, युनिफाइड लाइसेंस (ऐक्‍सेस सेवाएं), युनिफाइड लाइसेंस, राष्‍ट्रीय/अंतरराष्‍ट्रीय दूरगामी, कमर्शियल वी-सैट, पब्लिक मोबाइल रेडियो ट्रंक्‍ड सर्विसेज़ (पीएमआरटीएस), ग्‍लोबल मोबाइल पर्सनल कम्‍यूनिकेशंस सर्विसेज़ (जीएमपीसीएस), सभी प्रकार के आईएसपी लाइसेंस, वाइस मेल/आडियोटेक्स/ यूएमएस, आईपीएलसी की पुन: बिक्री, मोबाइल नंबर पोर्टबिलिटी सेवाएं, इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता श्रेणी-I (डार्क फाइबर, राइट आफ वे, डक्ट स्पेस, टावर प्रदाता) प्रदाता, केवल अन्य सेवा प्रदाताओं को छोड़कर

100%

49% तक स्‍वचालित मार्ग


49% से अधिक सरकारी मार्ग

15.1.1 अन्‍य शर्तें :
100% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश जिसमें से 49% स्वचालित मार्ग के अंतर्गत एवं 49% से अधिक सरकारी मार्ग के तहत होगा, बशर्ते दूर संचार विभाग द्वारा, समय-समय पर, अधिसूचित लाइसेंसी के साथ-साथ निवेशक द्वारा लाइसेंसिंग एवं सुरक्षा संबंधी शर्तों का पालन किया जाए, केवल "अन्य सेवाएं प्रदाताओं" को छोड़कर जिन्हें स्वचालित मार्ग के अंतर्गत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है।
16. व्‍यापार (ट्रेड)    
16.1 (i) कैश एंड कैरी थोक व्यापार/थोक व्यापार
(एमएसई से सोर्सिंग सहित)
100% स्वचालित मार्ग
16.1.1 परिभाषा :
कैश एंड कैरी थोक व्‍यापार /थोक व्‍यापार का अभिप्राय है कि खुदरा व्‍यापारियों, औद्योगिक, वाणिज्यिक, संस्‍थागत या अन्‍य व्‍यावसायिक कारोबारी प्रयोक्‍ताओं या अन्‍य थोक व्‍यापारियों तथा सम्‍बद्ध सहायक सेवाप्रदाताओं को वस्‍तुओं / व्‍यापारिक माल की बिक्री करना। तदनुसार, थोक व्‍यापार का अर्थ होगा – व्‍यापार, कारोबार तथा व्‍यवसाय के प्रयोजन के लिए बिक्री, न कि वैयक्तिक उपभोग के लिए बिक्री। बिक्री थोक है या नहीं उसका निर्धारण इस बात पर निर्भर करेगा कि बिक्री किन प्रकार के ग्राहकों को की गई है, न कि बिक्री के आकार और परिमाण पर। थोक व्‍यापार में पुन : बिक्री, प्रसंस्‍करण तथा उसके बाद बिक्री, एक्‍स -पोर्ट के साथ बड़ी मात्रा में आयात /एक्‍स -बॉन्‍डेड गोदाम कारोबारी बिक्री तथा बी- 2 -बी ई -कॉमर्स शामिल होंगे।
   
16.1.2

कैश एंड कैरी थोक व्‍यापार /थोक व्‍यापार के संबंध में दिशा -निर्देश
(ए) थोक व्‍यापार करने के लिए, राज्‍य सरकार /सरकारी निकाय /सरकारी प्राधिकरण /स्‍थानीय स्‍वशासन निकाय के संबंधित अधिनियमों /विनियमों /नियमों /आदेशों के अधीन अपेक्षित लाइसेंस /पंजीकरण /परमिट प्राप्‍त किए जाने चाहिए।

(बी) सरकार को की गई बिक्री के मामलों को छोड़कर, थोक व्यापारी द्वारा ‘कैश एंड कैरी थोक व्यापार/थोक व्यापार’ को वैध कारोबारी ग्राहकों के साथ बिक्री तभी माना जाएगा जब थोक व्या्पार निम्न लिखित के साथ किया जाए:

(i) बिक्री कर/वैट पंजीकरण/सेवा कर/उत्पाद शुल्क पंजीकरण रखने वाली संस्थाएं; अथवा

(ii) सरकारी प्राधिकारी /सरकारी निकाय /स्‍थानीय स्‍वशासन प्राधिकारी द्वारा दुकान तथा स्‍थापना अधिनियम के अधीन जारी व्‍यापार लाइसेंस अर्थात लाइसेंस /पंजीकरण प्रमाणपत्र /सदस्‍यता प्रमाणपत्र /पंजीकरण रखने वाली संस्‍थाएं जिससे यह पता चले कि लाइसेंस /पंजीकरण प्रमाणपत्र /सदस्‍यता प्रमाणपत्र, जैसा भी मामला हो, रखने वाली संस्‍था /व्‍यक्ति स्‍वयं ही वाणिज्यिक गतिविधि से जुड़े कारोबार में लगे हों; अथवा

(iii) सरकारी प्राधिकारियों /स्‍थानीय स्‍वशासन निकायों से खुदरा कारोबार करने के लिए परमिट / लाइसेंस आदि (जैसे कि हॉकर्स के लिए तहबजारी तथा उसी प्रकार के लाइसेंस) रखने वाली संस्‍थाएं; अथवा

(iv) निगमन प्रमाणपत्र रखने वाली संस्‍थाएं या अपने स्‍वयं के उपभोग के लिए सोसाइटी या सार्वजनिक न्‍यास के रूप में पंजीकरण वाली संस्‍थाएं।

टिप्‍पणी : कोई संस्‍था, जिसके साथ थोक व्‍यापार किया गया है, को इन 4 शर्तों में से कोई एक शर्त पूरी करनी होगी ।

(सी) बिक्री का पूरा रिकार्ड जैसे कि संस्‍था का नाम, संस्‍था का स्‍वरूप, पंजीकरण / लाइसेंस / परमिट आदि संख्‍या, बिक्री की राशि, आदि दैनिक आधार पर रखे जाने चाहिए।

(डी) एक ही समूह की कंपनियों के बीच वस्‍तुओं का थोक व्‍यापार करने की अनुमति है। लेकिन, समूह के रूप में ली गई कंपनियों का आपसी थोक व्‍यापार उनके थोक मूल्‍य उद्यम के कुल टर्न-ओवर के 25% से अधिक नहीं होना चाहिए।

(ई) लागू विनियमों के अधीन सामान्‍य कारोबारी प्रथा के रूप में थोक व्‍यापार किया जा सकता है, जिसमें ऋण सुविधाएं उपलब्‍ध कराना भी शामिल है।

(एफ) थोक /कैश एंड कैरी व्‍यापारी पैरा 16.3 की शर्तों के अनुसरण में एकल ब्रांड रीटेल व्यापार कर सकता है। थोक /कैश एंड कैरी तथा रीटेल कारोबार करने वाली संस्थाओं के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे अपने कारोबार के दोनों अंगों के लिए अलग-अलग लेखा बहियाँ बनाएँ एवं सांविधिक ऑडिटर के द्वारा उनका विधिवत रूप से ऑडिट कराएं। थोक /कैश एंड कैरी तथा रीटेल कारोबार नामक कारोबार के दोनों अंगों हेतु उपलब्ध एफ़डीआई शर्तों का संबन्धित कारोबार-अंग के अनुसार अलग-अलग अनुपालन किया जाए।

16.2 बी टू बी ई -कॉमर्स गतिविधियां 100% स्‍वचालित
  ई -कॉमर्स गतिविधियों का अभिप्राय है - ई -कॉमर्स प्‍लैटफार्म के माध्‍यम से किसी कंपनी द्वारा खरीदने और बेचने की गतिविधि करना। ऐसी कंपनियां केवल बी 2बी ई -कॉमर्स करेंगी न कि खुदरा व्‍यापार। अन्‍य बातों के साथ -साथ, इसका यह अभिप्राय होगा कि देशी (घरेलू) व्‍यापार में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश संबंधी वर्तमान प्रतिबंध ई -कॉमर्स पर भी लागू होंगे।
16.3 एकल ब्रांड उत्‍पाद खुदरा व्‍यापार 100% 49% तक स्वचालित मार्ग
49% से अधिक सरकारी मार्ग
 

(1) एकल ब्रांड उत्‍पाद खुदरा व्‍यापार में विदेशी निवेश का उद्देश्‍य है - उत्‍पादन तथा विपणन में निवेश आकर्षित करना, उपभोक्‍ता के लिए ऐसी वस्‍तुओं की उपलब्‍धता में सुधार लाना, भारत से वस्‍तुओं की बढ़ी सोर्सिंग को प्रोत्‍साहन देना, तथा वैश्विक डिजाइनों, प्रौद्योगिकियों और प्रबंधन प्रथाओं तक पहुंच के माध्‍यम से भारतीय उद्यमों की प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता में वृद्धि करना।

2) एकल ब्रांड उत्‍पाद खुदरा व्‍यापार में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश निम्‍नलिखित शर्तों के अधीन किया जाएगा :

(ए) बेचे जाने वाले उत्‍पाद केवल ‘एकल ब्रैंड’ सिंगल ब्रैंड के होंगे।

(बी) एक ही ब्रैंड के अधीन अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर बेचे जाने चाहिए अर्थात भारत से इतर एक या अधिक देशों में उत्‍पाद एक ही ब्रैंड के अधीन बेचे जाने चाहिए।

(सी) ‘एकल ब्रैंड’ उत्‍पाद के खुदरा व्‍यापार में वही उत्‍पाद शामिल होंगे जिनको विनिर्माण के दौरान ब्रैंडेड किया जाता है। किसी अनिवासी संस्‍था / संस्थाओं को, चाहे ब्रैंड का मालिक हो अथवा अन्‍यथा, विशिष्‍ट ब्रैंड के संबंध में सिंगल ब्रांड उत्‍पाद खुदरा व्‍यापार के लिए ब्रैंड के मालिक के साथ किए गए कानूनी तौर पर मान्‍य करार के अधीन, विशिष्‍ट ब्रैंड के लिए देश में सिंगल ब्रैंड उत्‍पाद खुदरा व्‍यापार करने की अनुमति दी जाएगी। इस शर्त के अनुपालन की जिम्‍मेदारी भारत में सिंगल ब्रैंड उत्‍पाद खुदरा व्‍यापार करने वाली भारतीय संस्‍था की होगी। निवेश करने वाली संस्‍था इस आशय का प्रमाण अनुमोदन प्राप्‍त करते समय प्रस्‍तुत करेगी, जिसमें उपर्युक्‍त शर्त के अनुपालन को विशिष्‍ट रूप से दर्शाने वाले लाइसेंस / फ्रैन्‍चाइज़ / उप लाइसेंस करार की प्रति शामिल होगी। स्वचालित मार्ग के लिए अपेक्षित साक्ष्य भारतीय रिज़र्व बैंक के पास और अनुमोदन लेने वाले मामले SIA/FIPB के पास फाइल किए जाने चाहिए।

(डी) 51% से अधिक प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश संबंधी प्रस्‍तावों के लिए, खरीदी गयी वस्‍तुओं के मूल्‍य के 30% की सोर्सिंग भारत से की जाएगी, जिसके लिए सभी क्षेत्रों में सूक्ष्म, लघु एवं माध्यम उद्योग (MSME), ग्रामीण तथा कुटीर उद्योगों, कारीगरों तथा शिल्‍पकारों को वरीयता दी जाएगी। देशी सोर्सिंग की मात्रा का कंपनी द्वारा स्‍व -प्रमाणन किया जाएगा, जिसकी जांच कंपनी द्वारा रखे गए विधिवत प्रमाणित खातों से सांविधिक लेखा -परीक्षकों द्वारा की जाएगी। खरीद की इस अपेक्षा को कंपनी द्वारा कारोबार शुरू करने के समय से अर्थात प्रथम स्टोर की शुरुआत से वार्षिक आधार पर पूरा किया जाएगा। सोर्सिंग की अपेक्षा के निर्धारण के प्रयोजन के लिए, संबंधित संस्‍था भारत में निगमित वह कंपनी होगी, जिसने सिंगल ब्रैंड उत्‍पाद खुदरा व्‍यापार के प्रयोजन के लिए प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश प्राप्‍त किया हो।

(ई) उपर्युक्त पैरा की शर्तों के अधीन, जिन सिंगल ब्रांड रीटेल कंपनियों के स्टोर भौतिक रूप से मौजूद हैं, उन्हें ई -कॉमर्स के माध्‍यम से रीटेल करने की अनुमति होगी।

(3) भारत में ‘सिंगल ब्रैंड’ उत्‍पादों के खुदरा व्‍यापार का प्रस्ताव करने वाली कंपनी में 49% से अधिक प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश के लिए भारत सरकार से अनुमति प्राप्‍त करने हेतु आवेदन औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग में औद्येगिक सहायता सचिवालय (SIA) को प्रस्तुत किए जाएंगे। आवेदन पत्र में उन उत्‍पादों / उत्‍पाद की श्रेणियों का विशिष्‍ट रूप से उल्‍लेख किया जाए जिनका ‘सिंगल ब्रांड’ के अधीन विक्रय प्रस्‍तावित है। ‘सिंगल ब्रैंड’ के अधीन विक्रय किए जाने वाले किसी उत्‍पाद /उत्‍पाद श्रेणियों में कुछ भी जोड़ने के लिए सरकार से नया अनुमोदन प्राप्‍त करना होगा। 49% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में, खाद्य उत्पादों को छोड़कर, उत्‍पादों / उत्‍पाद की श्रेणियों की सूची भारतीय रिज़र्व बैंक को उपलब्ध करायी जाएगी।

(4) आवेदनों पर कार्रवाई औद्योगिक नीति तथा संवर्धन विभाग में की जाएगी, जिसमें यह निर्धारण किया जाएगा कि सरकार से अनुमोदन प्राप्‍त करने के लिए FIPB द्वारा विचार करने से पहले क्‍या प्रस्‍तावित निवेश अधिसूचित दिशा -निर्देशों को पूरा करते हैं।

नोट :

i. भारतीय ब्रांड के सिंगल ब्रांड रीटेल व्यापार संबंध में उपर्युक्त पैरा (2)(बी) एवं (2)(डी) की शर्तें लागू नहीं होंगी।

ii. भारतीय निर्माता को अपने निर्मित उत्पादों को ई-कॉमर्स सहित थोक, खुदरा अथवा किसी भी रूप में बेचने की अनुमति है।

iii. भारतीय निर्माता यदि निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी है, जो भारतीय ब्रांड की मालिक है और जो भारत में निर्माण करती है, को उत्पादों के मूल्य के अनुसार अपने कम से कम 70% उत्पादों का रीटेल घरेलू आधार पर और अधिकतम 30% उत्पादों का रीटेल भारतीय निर्माताओं के माध्यम से कर सकती है।

iv. भारतीय ब्रांड का स्वामित्व और नियंत्रण निवासी भारतीय नागरिकों के पास होना चाहिए और/अथवा ऐसी कंपनियों के पास होना चाहिए जिसका स्वामित्व और नियंत्रण निवासी भारतीय नागरिकों के पास हो।

v. "अत्याधुनिक एवं उच्चतम तकनीक" वाले उत्पादों से संबन्धित एंटीटीयों और जहां स्थानीय सोर्सिंग संभव नहीं है ऐसे मामलों में सिंगल ब्रांड ट्रेड के विषय में सरकार सोर्सिंग नियमों को शिथिल कर सकती है।

16.4 मल्‍टी ब्रांड खुदरा व्‍यापार 51% सरकार
 

(1) सभी उत्‍पादों में मल्‍टी ब्रैंड खुदरा व्‍यापार में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति निम्‍नलिखित शर्तों के अधीन दी जाएगी :

(i) फलों, सब्जियों, फूलों, अनाजों, दालों, ताजे पोल्‍ट्री, मत्‍स्‍यपालन तथा मांस उत्‍पाद सहित ताज़े कृषि उत्‍पाद ब्रैंडरहित हो सकते हैं।

(ii) विदेशी निवेशक द्वारा प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश की लायी जाने वाली न्‍यूनतम राशि 100 मिलियन अमरीकी डालर होगी।

(iii) कुल प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश में से, प्रथम किस्त के रूप में लाए गए 100 मिलियन अमरीकी डालर की कम से कम 50% राशि 3 वर्ष के भीतर ‘बैक -एन्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर’ में निवेश की जाएगी, जहां बैक -एन्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर में सभी गतिविधियों पर पूंजी व्‍यय शामिल होगा, जबकि इसमें फ्रंट-एंड-यूनिटों पर हुआ व्‍यय शामिल नहीं होगा; उदाहरण के लिए, बैक -एन्‍ड-इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर में प्रसंस्‍करण, विनिर्माण, वितरण, डिजाइन सुधार, गुणवत्‍ता नियंत्रण, पैकेजिंग, लॉजेस्टिक्‍स, भंडारण, गोदाम, कृषि बाजार उत्‍पाद, इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर आदि में किए गए निवेश शामिल होंगे। भूमि की लागत तथा किराए पर किए गए व्‍यय, यदि कोई हों, की गणना बैक -एन्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर के प्रयोजन में शामिल नहीं होगी। बैक -एन्‍ड इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर में बाद में किए जाने निवेश कारोबारी अपेक्षाओं के आधार पर मल्‍टी ब्रैंड खुदरा व्‍यापारी द्वारा किए जाएंगे।

(iv) खरीद गये विनिर्मित /प्रसंस्‍कृत उत्‍पादों के मूल्‍य का कम -से -कम 30% भारतीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSME) से सोर्स किया जाएगा जिनका संयत्र तथा मशीनरी में कुल निवेश 2.00 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक न हो। यह मूल्‍यन संस्‍थापन के समय का मूल्‍य है, जिसमें मूल्‍यह्रास का प्रावधान (शामिल) नहीं है। ‘लघु उद्योग’ का दर्जा खुदरा व्यापारी के साथ पहली बार जुड़ने के समय का ही है और ऐसा उद्योग इस प्रयोजन के लिए ‘लघु उद्योग’ के रूप में पात्र माना जाता रहेगा, भले ही खुदरा व्यापारी के साथ जुड़ाव के दौरान उसके उक्त 2.00 मिलियन अमरीकी डालर के निवेश के आकार में इजाफा हो जाए। कृषि सहकारी समितियों और कृषक सहकारी समितियों से सोर्सिंग को भी इसी श्रेणी में माना जाएगा। खरीद की यह अपेक्षा पहले 5 वर्ष में खरीदी गयी वस्‍तुओं के औसत मूल्‍य पर की जाएगी; खरीदे गए माल का कुल मूल्‍य उस वर्ष के 1 अप्रैल से शुरू होगा जिसमें प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश की पहली खेप प्राप्‍त हुई है। उसके बाद, इसे वार्षिक आधार पर पूरा किया जाएगा।

(v) कंपनी द्वारा ऊपर क्रम संख्‍या (i), (ii) और (iv) की शर्तों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए स्‍व-प्रमाणन किया जाएगा, जिसकी जब भी आवश्‍यकता होगी, जांच की जाएगी। तदनुसार, निवेशक सांविधिक लेखा -परीक्षकों द्वारा विधिवत प्रमाणित खाते रखेंगे।

(vi) खुदरा बिक्री केंद्र केवल उन्‍हीं नगरों में स्‍थापित किए जाएंगे जिनकी जनसंख्‍या 2011 की जनगणना के अनुसार 10 लाख से अधिक है अथवा संबंधित राज्य सरकारों द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार अन्य नगरों भी स्थापित किए जा सकते हैं जिनमें ऐसे नगरों के म्‍युनिसिपल /शहरी स्‍थानों के 10 किलोमीटर में आने वाले आस-पास के क्षेत्र भी शामिल होंगे; खुदरा स्‍थल संबंधित शहरों के मास्‍टर/जोनल प्‍लान के अनुसार आने वाले क्षेत्रों तक सीमित होंगे तथा परिवहन की कनेक्टिविटी और पार्किंग जैसी अपेक्षित सुविधाओं के लिए प्रावधान किए जाएंगे।

(vii) कृषि उत्‍पादों की खरीद करने का पहला अधिकार सरकार का होगा।

(viii) उपर्युक्‍त नीति केवल योग्‍यकारक (इनेब्लिंग) नीति है तथा नीति के कार्यान्वयन के संबंध में राज्‍य सरकारें /केंद्र शासित प्रदेश अपने निर्णय लेने के लिए स्‍वतंत्र होंगे। इसलिए, खुदरा बिक्री केंद्र उन राज्‍यों / केंद्र शासित प्रदेशों में स्‍थापित किए जाएं जिन्‍होंने इस नीति के अंतर्गत एमबीआरटी में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश करने की सहमति दी है, या भविष्‍य में सहमति देंगे। जिन राज्‍यों /केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी सहमति दी है, उनकी सूची नीचे क्रमांक (2) में दी गयी है। भविष्‍य में इस नीति के अधीन खुदरा केंद्रों की स्‍थापना के लिए अनुमति देने की सूचना औद्योगिक नीति तथा संवर्धन विभाग के माध्‍यम से भारत सरकार को दी जाएगी और तदनुसार, वह क्रमांक (2) में शामिल कर दी जाएगी। खुदरा बिक्री केंद्र की स्‍थापना दुकान तथा स्‍थापना अधिनियम आदि जैसे राज्‍य /केंद्र शासित प्रदेश के कानूनों /विनियमों के अनुपालन में की जाएगी।

(ix) ई -कॉमर्स के माध्‍यम से, किसी भी रूप में, खुदरा व्‍यापार की अनुमति बहु-ब्रैंड उत्‍पाद खुदरा व्‍यापार से जुड़ी प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश वाली कंपनियों को नहीं होगी।

(x) आवेदनों पर कार्रवाई औद्योगिक नीति तथा संवर्धन विभाग में की जाएगी, जिसमें यह निर्धारण किया जाएगा कि सरकार से अनुमोदन प्राप्‍त करने के लिए एफआईपीबी द्वारा विचार करने से पहले क्‍या प्रस्‍तावित निवेश अधिसूचित दिशा -निर्देशों को पूरा करते हैं।

(2) पैराग्राफ 16.4.(1) (viii) में उल्लिखित राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों की सूची

  1. आंध्र प्रदेश
  2. असम
  3. दिल्ली
  4. हरियाणा
  5. हिमाचल प्रदेश
  6. जम्मू और कश्मीर
  7. कर्नाटक
  8. महाराष्ट्र
  9. मणिपुर
  10. राजस्थान
  11. उत्तराखंड
  12. दमन और दीव तथा दादरा और नगर हवेली (केंद्र शासित क्षेत्र)
16.5 शुल्क रहित (ड्यूटी फ्री) दुकाने 100% स्वचालित
 

(i) शुल्क रहित (ड्यूटी फ्री) दुकानों का अर्थ वे दुकाने हें जो सीमाशुल्क क्षेत्र के तहत हैं और अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों / अंतरराष्ट्रीय समुद्री बन्दरगाहों एवं लैंड कस्टम स्टेशनों के क्षेत्र में स्थापित दुकाने हैं, जहां अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की आवाजही होती है।

(ii) शुल्क रहित (ड्यूटी फ्री) दुकानों में विदेशी निवेश कस्टम्स अधिनियम, 1962 तथा अन्य नियमों एवं विनियमों के अधीन होगा।

(iii) शुल्क रहित (ड्यूटी फ्री) दुकानों को देश के घरेलू टेरीफ़ क्षेत्र में किसी भी प्रकार की रीटेल गतिविधि में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी।

 

वित्‍तीय सेवाएं

नीचे उल्लिखित वित्‍तीय सेवाओं के अतिरिक्‍त अन्‍य वित्‍तीय सेवाओं में विदेशी निवेश के लिए सरकार की पूर्वानुमति लेनी होगी :

एफ़.1 परिसंपत्तियों की (आस्ति) पुनर्गठन कंपनियां (एआरसी)    
एफ़. 1.1 आस्ति पुनर्गठन कंपनी से आशय ऐसी कंपनी से है जो वित्‍तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (सरफेसी एक्‍ट) की धारा 3 के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत हो। 100%

49% तक स्वचालित मार्ग से

49% से अधिक सरकारी मार्ग से

एफ़.1.1.2 अन्य शर्तें    
 

(i) भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत आस्ति पुनर्गठन कंपनी की पूंजी में स्वचालित मार्ग के अंतर्गत 49% तक और सरकारी अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत 49% से अधिक निवेश कर सकते हैं।

(ii) कोई भी प्रवर्तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अथवा विदेशी संस्थागत निवेश/विदेशी पोर्टफालियो निवेश के मार्फत एकल प्रवर्तक के रूप में किसी भी आस्ति पुनर्गठन कंपनी के 50% से अधिक शेयरों का धारण नहीं कर सकता है।

(iii) किसी भी एकल विदेशी संस्थागत निवेशक/विदेशी पोर्टफालियो निवेशक की कुल शेयरधारिता प्रदत्त पूंजी के 10% से कम होगी।

(iv) विदेशी संस्थागत निवेशक/विदेशी पोर्टफालियो निवेशक रिज़र्व बैंक के पास पंजीकृत एआरसी द्वारा जारी की गई प्रतिभूति रसीदों (एसआर) में निवेश कर सकते हैं। विदेशी संस्थागत निवेशक/विदेशी पोर्टफालियो निवेशक एसआर योजना की प्रत्‍येक श्रृंखला में 74% तक निवेश कर सकते हैं। ऐसे निवेश समय-समय पर कार्पोरेट बांडों में विदेशी संस्थागत निवेश/विदेशी पोर्टफालियो निवेश के लिए विनिर्दिष्ट सीमा में और मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश विनियमावली के अंतर्गत सेक्टोरल कैप के अनुपालन में होनी चाहिए।

(v) सभी निवेश वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (सरफेसी एक्ट) की धारा 3(3)(एफ) के प्रावधानों के अधीन होंगे।

एफ.2 बैंकिंग -निजी क्षेत्र    
एफ.2.1 बैंकिंग -निजी क्षेत्र 74%

49% तक स्‍वचालित

49% से अधिक और
74% तक सरकारी मार्ग से

एफ.2.2 अन्य शर्तें    
 

1) इस 74% की सीमा में एफआईआई/एफ़पीआई, एनआरआई द्वारा पोर्टफोलियो निवेश योजना (पीआईएस) के अंतर्गत किए गए निवेश और पूर्ववर्ती ओसीबी द्वारा 16 सितंबर 2003 से पहले अर्जित शेयर और आईपीओ, निजी तौर पर आबंटित शेयर, DRs सहित मौजूदा शेयरधारकों द्वारा अर्जित शेयर इसमें शामिल होंगे ।

2) किसी निजी बैंक में सभी स्रोतों से होने वाला समग्र विदेशी निवेश उस बैंक की प्रदत्‍त पूंजी के अधिकतम 74% तक ही अनुमत होगा। किसी विदेशी बैंक की पूर्ण स्‍वामित्‍ववाली सहायक संस्‍था को छोड़कर अन्‍य निजी बैंकों में प्रदत्‍त पूंजी का न्यूनतम 26% हिस्‍सा सदैव निवासियों (भारतीयों) के पास रहेगा।

3) उल्लिखित शर्तें निजी क्षेत्र के मौजूदा बैंकों में किए जाने वाले सभी निवेशों पर भी लागू होंगी।

4) FII / FPI और NRI द्वारा स्‍टॉक एक्‍सचेंज के माध्‍यम से पोर्टफोलियो निवेश योजना के तहत किए जाने वाले निवेश की अनुमत सीमाएं निम्‍नानुसार होंगी :

(i) FII / FPI के मामले में अब तक की भांति किसी एक एफआईआई/ एफ़पीआई की धारिता कुल प्रदत्त पूंजी के 10% से कम रहेगी और सभी FII / FPI/ QFI के लिए समग्र सीमा प्रदत्त पूंजी के 24% से अधिक नहीं होगी। इस सीमा को संबंधित बैंक द्वारा कुल प्रदत्त पूंजी के 74% तक बढ़ाया जा सकता है बशर्ते उस बैंक के निदेशक मंडल ने इस आशय का संकल्प पारित किया हो और तदनंतर आम सभा द्वारा भी इस आशय का विशेष संकल्प पारित किया गया हो ।

(ए) एनआरआई के मामले में, अब तक की भांति, एकल धारिता प्रत्‍यावर्तन और गैर -प्रत्‍यावर्तन दोनों आधार पर कुल प्रदत्‍त पूंजी के 5% तक सीमित है और समग्र सीमा प्रत्‍यावर्तन तथा गैर -प्रत्‍यावर्तन दोनों आधार पर कुल प्रदत्‍त पूंजी के 10% से अधिक नहीं होगी। तथापि, यदि उक्‍त बैंकिंग कंपनी अपनी आम सभा में इस आशय का एक विशेष संकल्‍प पारित कराती है तो उसमें एनआरआई धारिता को प्रत्‍यावर्तन और गैर -प्रत्‍यावर्तन दोनों आधार पर कुल प्रदत्‍त पूंजी के 24% तक रखने की अनुमति दी जा सकती है।

(बी) बीमा क्षेत्र में संयुक्‍त उपक्रम / सहायक संस्‍था रखने वाले निजी बैंकों में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश हेतु आवेदन भारतीय रिज़र्व बैंक को संबोधित किए जाएंगे ताकि वह बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) के परामर्श से यह सुनिश्चित कर सके कि बीमा क्षेत्र में विदेशी शेयरधारिता ने 49% की सीमा को भंग नहीं किया है ।

(सी) FDI के अंतर्गत किसी निवासी से अनिवासी को शेयर अंतरित करने के लिए विनियम 14(5) के अनुसार यथा लागू रिज़र्व बैंक और सरकार का अनुमोदन लेने की अपेक्षा बनी रहेगी।

(डी) इन मामलों में रिज़र्व बैंक और सेबी, कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय एवं इरडा जैसी संस्‍थाओं द्वारा समय -समय पर निर्धारित की गई नीतियां एवं कार्यविधियां लागू बनी रहेंगी।

(ई) यदि किसी व्‍यक्ति द्वारा किसी निजी बैंक के शेयरों की खरीद अथवा अन्‍यथा के मार्फत अर्जन के परिणाम स्वरूप किसी बैंक की प्रदत्‍त पूंजी के 5% या उससे अधिक पर उसका स्‍वामित्‍व अथवा नियंत्रण हासिल होता हो तो ऐसे मामले में निजी बैंक के शेयरों की खरीद अथवा अन्‍यथा के मार्फत अर्जन से संबंधित रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देश अनिवासी निवेशकों पर भी लागू होंगे।

(ii) विदेशी बैंकों द्वारा सहायक संस्‍था/कंपनी की स्‍थापना

(ए) विदेशी बैंकों को शाखा अथवा सहायक संस्‍था, दोनों में से किसी एक को ही रखने की अनुमति दी जाएगी।

(बी) ऐसे विदेशी बैंक जो अपने देश में बैंकिंग पर्यवेक्षण प्राधिकारी द्वारा विनियमित हैं और रिज़र्व बैंक की लाइसेंस प्रदान करने की शर्तों को पूरा करते है, उन्‍हें 100% प्रदत्‍त पूंजी को धारित करने की अनुमति दी जाएगी ताकि वे भारत में पूर्ण स्‍वामित्‍ववाली सहायक संस्‍था स्‍थापित कर सकें।

(सी) कोई विदेशी बैंक भारत में तीन चैनलों, अर्थात (i) शाखाएँ (ii) पूर्ण स्‍वामित्‍ववाली सहायक संस्‍था और (iii) निजी बैंक में अधिकतम 74% समग्र विदेशी निवेश सहित एक सहायक संस्‍था के रूप, में से किसी एक चैनल के द्वारा ही परिचालन कर सकता है।

(डी) किसी विदेशी बैंक को अपनी मौजूदा शाखाओं को सहायक संस्‍था के रूप में परिवर्तित कर अथवा नए बैंकिंग लाइसेंस के द्वारा पूर्ण स्‍वामित्‍ववाली सहायक संस्‍था स्‍थापित करने की अनुमति दी जाएगी। किसी विदेशी बैंक को निजी क्षेत्र के किसी मौजूदा बैंक के शेयरों का अर्जन कर एक सहायक संस्‍था स्‍थापित करने की अनुमति दी जाएगी बशर्ते ऊपर पैरा (i)(बी) में दी गई शर्त के अनुरूप निजी क्षेत्र के संबंधित बैंक की कम से कम 26% प्रदत्‍त पूंजी हमेशा निवासियों की धारिता में रहे।

(ई) किसी विदेशी बैंक की सहायक संस्‍था लाइसेंस प्राप्‍त करने संबंधी सभी अपेक्षाओं और निजी क्षेत्र के नए बैंक के लिए मोटे तौर पर लागू शर्तों के अनुपालन के अधीन होगी।

(एफ) किसी विदेशी बैंक की पूर्ण स्‍वामित्‍ववाली सहायक संस्‍था की स्‍थापना से संबंधित दिशानिर्देश रिज़र्व बैंक द्वारा अलग से जारी किए जाएंगे।

(जी) किसी विदेशी बैंक द्वारा भारत में अपनी सहायक संस्‍था की स्‍थापना करने अथवा अपनी मौजूदा शाखाओं को सहायक संस्‍था के रूप में परिवर्तित करने से संबंधित सभी आवेदन रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत किए जाएंगे।

(iii) इस समय बैंकिंग कंपनियों के मामले में मताधिकार 10% तक सीमित है और इसे संभावित निवेशकों को ध्यान में रखना चाहिए। इसमें कोई भी परिवर्तन, अंतिम नीतिगत निर्णय लिए जाने और संसद का उचित अनुमोदन प्राप्‍त करने के बाद ही किया जा सकता है।

   
एफ़.3 बैंकिंग – सार्वजनिक क्षेत्र    
एफ़.3.1

बैंकिंग - सार्वजनिक क्षेत्र
बैंककारी कंपनी (उपक्रमों का अर्जन और अंतरण) अधिनियम, 1970/80 के अधीन है।

यह सीमा (20%) भारतीय स्टेट बैंक और उसके सहयोगी बैंकों पर भी लागू है।

20% सरकारी मार्ग से
एफ़.4 पण्य बाजार (कमोडिटी एक्सचेंज)    
एफ़.4.1

1. पण्‍यों की फ्यूचर्स ट्रेडिंग को फॉरवर्ड संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1952 के तहत विनियमित किया जाता है। स्‍टॉक एक्‍सचेंज की तरह ही कमोडिटी एक्‍सचेंज पण्‍यों के फ्यूचर्स बाजार की बुनियादी कंपनियां हैं। वैश्विक स्‍तर पर स्‍वीकार्य सर्वोत्‍तम पद्धतियों, आधुनिक प्रबंधन कौशल और नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाने के दृष्टिकोण से यह निर्णय लिया गया कि पण्‍य बाजारों में विदेशी निवेश की अनुमति प्रदान की जाए।

2. इस अध्‍याय के प्रयोजनों के लिए,

(i) ‘’पण्‍य बाजार’’ फॉरवर्ड संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1952, समय-समय पर यथासंशोधित, के प्रावधानों के तहत मान्‍यता प्राप्‍त एक ऐसी संस्‍था है जो पण्‍यों के वायदा संविदा कारोबार के लिए एक एक्‍सचेंज प्‍लेटफार्म उपलब्‍ध कराती है।

(ii) ‘’मान्‍यता प्राप्‍त संस्‍था’’ से अभिप्राय एक ऐसी संस्‍था से है जिसे फॉरवर्ड संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1952 की धारा 6 के तहत केंद्र सरकार द्वारा फिलहाल मान्‍यता प्रदान की गई है।

(iii) ‘’संस्‍था (असोसिएशन)’’ से अभिप्राय व्‍यक्तियों के ऐसे निकाय, निगमित अथवा अनिगमित, से है जो किसी वस्‍तु अथवा कमोडिटी डेरिवेटिव की बिक्री या खरीद के कारोबार को विनियमित और नियंत्रित करने के प्रयोजन से गठित किया गया हो।

(iv) ‘’फॉरवर्ड संविदा’’ से अभिप्राय ऐसी संविदा से है जो वस्‍तुओं की सुपुर्दगी के लिए है और जो एक तत्‍काल सुपुर्दगी संविदा नहीं है।

(v) ‘’कमोडिटी डेरिवेटिव’’ से अभिप्राय है –

  • वस्‍तुओं की सुपुर्दगी की एक संविदा जो तत्‍काल सुपुर्दगी संविदा नहीं है; अथवा
  • मूल्‍यों में अंतर की एक ऐसी संविदा जिसका मूल्यांकन कीमतों अथवा ऐसी अन्‍तर्निहित वस्‍तुओं या गतिविधियों, सेवाओं, अधिकारों, हितों और घटनाक्रमों के मूल्‍य सूचकांकों पर आधारित हो, जो केंद्र सरकार द्वारा सेबी के परामर्श के बाद अधिसूचित किया जाता है लेकिन इसमें प्रतिभूतियां शामिल नहीं होंगी।
एफ़.4.2 पण्य बाजार (कमोडिटी एक्‍सचेंज) 49%

स्वचालित मार्ग से

एफ़.4.3

अन्य शर्तें :

(i) FII/FPI द्वारा की जाने वाली खरीद द्वितीयक बाजार तक ही सीमित होगी ।

(ii) कोई भी अनिवासी निवेशक/संस्था, मिलकर कार्य करने वाले व्यक्तियों सहित, इन कंपनियों की इक्विटी में 5% से अधिक शेयर धारित नहीं कर सकते हैं।

(iii) कमोडिटी एक्स्चेंज में किया जाने वाला विदेशी निवेश केंद्र सरकार / सेबी द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अधीन होगा ।

   
एफ़.5 ऋण आसूचना कंपनियां (सीआईसी)    
एफ़.5.1 ऋण आसूचना कंपनियां 100% स्वचालित मार्ग से
एफ़.5.2

अन्य शर्तें :

(1) ऋण आसूचना कंपनियों में विदेशी निवेश प्रत्‍यय विषयक जानकारी (ऋण आसूचना) कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 के अधीन होगा।

(2) विदेशी निवेश की अनुमति भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियामी मंजूरी के अधीन होगी।

(3) इस प्रकार के एफआईआई/एफ़पीआई निवेश की अनुमति निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगी :

(ए) किसी भी एक संस्‍था की प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष रूप से शेयरधारिता 10% से कम हो;

(बी) किसी भी अधिग्रहण के, 1% से अधिक होने पर इसकी सूचना अनिवार्यतः भारतीय रिज़र्व बैंक को दी जाएगी; और

(सी) सीआईसी में निवेश करने वाले FII, अपनी शेयरधारिता के आधार पर उसके निदेशक बोर्ड में प्रधिनिधित्‍व की मांग नहीं कर सकेंगे।

एफ़. 6 प्रतिभूति बाज़ार में इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी    
एफ़.6.1 सेबी के विनियमन के अनुपालन में प्रतिभूति बाज़ारों की इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर कंपनियां यथा, शेयर बाज़ार, निक्षेपागार और समाशोधन निगम 49% स्वचालित मार्ग से
एफ़.6.2 अन्य शर्तें:    
एफ़.6.2.1 FII / FPI केवल द्वितीयक बाज़ारों में खरीद के माध्यम से ही निवेश कर सकते हैं    
एफ़.7. बीमा    
एफ़.7.1

बीमा

(i) बीमा कंपनी
(ii) बीमा ब्रोकर
(iii) थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर
(iv) सर्वेयर और हानि आकलक (loss assessors)
(v) बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 (1999 का 41) के उपबंधों अंतर्गत नियुक्त अन्य मध्यवर्ती बीमा संस्थाएं

49%

26% तक स्वचालित मार्ग से

 

26% से अधिक और
49% तक सरकारी मार्ग से

एफ़.7.2

अन्य शर्तें:

(ए) किसी भी भारतीय बीमा कंपनी के ईक्विटी शेयरों में पोर्टफोलियो निवेशकों सहित विदेशी निवेशकों द्वारा उसके एक्विटी शेयरों में की जाने वाली विदेशी निवेश की समग्र होल्डिंग उस भारतीय बीमा कंपनी की प्रदत्त ईक्विटी पूंजी के 49% से अधिक नहीं होगी;

(बी) भारतीय बीमा कंपनी में 26% से अधिक एवं 49% की सीमा तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रस्तावों में विदेशी निवेश सरकारी मार्ग के तहत होगा ।

(सी) इस क्षेत्र में होने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बीमा अधिनियम,1938 के प्रावधानों के अनुपालन के अधीन होगा और इस शर्त के अधीन होगा कि एफडीआई लाने वाली कंपनियां बीमा गतिविधियों के लिए बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) से आवश्यक लाइसेंस प्राप्त करेंगी।

(डी) भारतीय बीमा कंपनी यह सुनिश्चित करे कि उसका स्वामित्व एवं नियंत्रण हमेशा निवासी भारतीय एंटिटीयों के हाथ में ही रहे जैसाकि वित्तीय सेवाएँ विभाग द्वारा निर्धारित / अधिसूचित किया गया हो।

(ई) भारतीय बीमा कंपनी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश फेमा विनियमावली, 2000 के विनियम 5 के उप विनियम (2), (2ए), (3) एवं (8) तथा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) विनियमावली के प्रावधानों के अधीन होगा।

(एफ़) भारतीय बीमा कंपनी में विदेशी निवेश में किसी भी प्रकार की बढ़ोत्तरी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा फेमा के तहत जारी कीमत निर्धारण संबंधी दिशा-निर्देशों के अधीन होगी ।

(जी) 49% तक की 'विदेशी ईक्विटी निवेश सीमा' संबंधी उल्लिखित शर्तें बीमा ब्रोकरों, थर्ड पार्टी एड्मिनिस्ट्रेटरों, सर्वेयर एवं हानि आकलकों एवं बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 (1999 का 41) के तहत नियुक्त अन्य मध्यवर्ती बीमा संस्थाओं पर भी लागू होंगी ।

(एच) बशर्ते यह कि बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण द्वारा मध्यवर्ती बीमा संस्था/कंपनी के रूप में अनुमत कोई एंटिटी यदि बैंक है, जिसका प्राथमिक कारोबार बीमा क्षेत्र से भिन्न (अर्थात गैर-बीमा) है, तो उसमें विदेशी ईक्विटी निवेश की उच्चतम सीमा उस क्षेत्र के लिए लागू सीमा होगी और यह भी कि किसी भी वित्त वर्ष में उस एंटिटी का अपने प्राथमिक कारोबार (गैर-बीमा क्षेत्र से) से प्राप्त राजस्व उसके समग्र राजस्व के 50% से अधिक होना चाहिए।

(आई) बैंक प्रवर्तित (promoted) बीमा कंपनियों के लिए “बैंकिंग-निजी क्षेत्र” संबंधी पैराग्राफ सं. एफ़ 2. 2(3)(i) (सी) एवं (डी) के उपबंध लागू होंगे।

(जे) ‘नियंत्रण’, ‘ईक्विटी शेयर पूंजी’, ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई)’, ‘विदेशी निवेशक’, ‘विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक’, ‘भारतीय बीमा कंपनी’, ‘भारतीय कंपनी’, ‘भारतीय बीमा कंपनी पर भारतीय नियंत्रण’, ‘भारतीय स्वामित्व’, ‘अनिवासी एंटिटी’, ‘सार्वजनिक वित्तीय संस्था’, ‘निवासी भारतीय नागरिक’, ‘कुल विदेशी निवेश’ शब्दावली का अर्थ वही होगा जो 19 फरवरी 2015 की अधिसूचना सं.जी.एस.आर.115 (ई) में दिया गया है।

एफ़.8. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी)    
एफ़.8.1

गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में स्वचालित मार्ग के तहत केवल निम्‍नलिखित गतिविधियों के लिए ही विदेशी निवेश की अनुमति होगी:
(i) मर्चेन्ट बैकिंग
(ii) हामीदारी
(iii) पोर्टफोलियो प्रबंध सेवाएं
(iv) निवेश परामर्शदात्री सेवाएं
(v) वित्‍तीय परामर्श
(vi) शेयर ब्रोकिंग
(vii) आस्ति प्रबंधन
(viii) जोखिम पूंजी (वेंचर केपिटल)
(ix) अभिरक्षक सेवाएं
(x) फैक्‍टरिंग
(xi) क्रेडिट रेटिंग एजेंसी
(xii) लीजि़ंग तथा वित्‍त
(xiii) आवास वित्‍त
(xiv) फारेक्स ब्रोकिंग
(xv) क्रेडिट कार्ड कारोबार
(xvi) मुद्रा परिवर्तन कारोबार
(xvii) माइक्रो क्रेडिट
(xviii) ग्रामीण ऋण

100% स्वचालित मार्ग से
एफ़.8.2 अन्य शर्तें    
 

(1) निवेश निम्‍नलिखित न्‍यूनतम पूंजीकरण मानदंडों के अधीन होगा:

(i) 51% तक की विदेशी पूंजी के लिए 0.5 मिलियन अमरीकी डॉलर प्रारंभिक रूप में लाने होंगे।

(ii) 51% से अधिक परंतु 75% तक की विदेशी पूंजी के लिए 5 मिलियन अमरीकी डॉलर प्रारंभिक रूप में लाने होंगे।

(iii) 75% से अधिक की विदेशी पूंजी के लिए 50 मिलियन अमरीकी डॉलर, जिसमें से 7.5 मिलियन अमरीकी डॉलर को प्रारंभिक रूप में लाया जाना होगा और शेष को 24 महीनों के भीतर लाया जाएगा।

(iv) एनबीएफसी जिनमें (i) 75% से अधिक तथा 100% तक का विदेशी निवेश है तथा (ii) जिनका न्‍यूनतम पूंजीकरण 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, वे बिना अतिरिक्‍त पूंजी लाए और कार्यरत अनुषंगी संस्‍थाओं की संख्‍या पर बिना किसी प्रतिबंध के विशिष्‍ट एनबीएफसी गतिविधियों के लिए उप-अनुषंगी संस्‍थाएं स्‍थापित कर सकती हैं। तदनुसार, समेकित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति पर डीआईपीपी के परिपत्र 1 के पैरा 3.10.4.1 में अधिदेशित न्‍यूनतम पूंजीकरण की शर्त निचले स्‍तर की अनुषंगी संस्‍थाओं पर लागू नहीं होगी।

(v) संयुक्‍त उद्यम द्वारा परिचालित होने वाली एनबीएफसी भी, जिनमें विदेशी निवेश 75% या उससे कम हैं, अन्‍य एनबीएफसी गतिविधियां प्रारंभ करने हेतु अनुषंगी संस्‍थाएं गठित कर सकती हैं, बशर्ते अनुषंगी संस्‍थाएं उपर्युक्‍त (i), (ii) और (iii) तथा निम्‍नलिखित (vi) में वर्णित न्‍यूनतम पूंजीकरण मानदंडों को पूरा करती हों।

(vi) गैर निधि आधारित गतिविधियां: विदेशी निवेश के स्‍तर पर विचार किए बिना निम्‍नलिखित शर्तों के अधीन, अनुमति प्राप्‍त सभी गैर निधि आधारित एनबीएफसी को 0.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रारंभिक रूप में लाने होंगे:

ऐसी किसी कंपनी को किसी अन्‍य गतिविधि के लिए कोई अनुषंगी संस्‍था गठित करने और किसी एनबीएफसी होल्‍डिंग/परिचालन कंपनी की ईक्‍विटी में भागीदारी करने की अनुमति नहीं होगी।

टिप्‍पणी: निम्‍नलिखित गतिविधियों को गैर निधि आधारित गतिविधियों के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा:

(ए) निवेश परामर्शदात्री सेवाएं
(बी) वित्‍तीय परामर्श
(सी) फारेक्स ब्रोकिंग
(डी) मुद्रा परिवर्तन कारोबार
(ई) क्रेडिट रेटिंग एजेंसी

(vii) ये सभी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुपालन के अधीन होंगे।

टिप्‍पणी : (i) क्रेडिट कार्ड कारोबार में विविध भुगतान उत्‍पादों यथा - क्रेडिट कार्ड, चार्ज कार्ड, डेबिट कार्ड, स्‍टोर्ड वैल्‍यू कार्ड, स्‍मार्ट कार्ड, मूल्‍य वर्धित कार्ड आदि का निर्गमन, बिक्री, विपणन एवं डिजाईनिंग शामिल है।

(ii) लीजि़ंग तथा वित्‍त में सिर्फ वित्‍तीय लीज़ को ही शामिल किया जाएगा, परिचालन लीज़़ इसमें शामिल नहीं होंगी।

परिचालन लीज़ में स्वचालित मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है।

(2) एनबीएफसी को उनसे संबंधित विनियामक/कों द्वारा जारी दिशानिर्देशों, यथा लागू, का अनुपालन करना होगा।

   
एफ़.8.3 वाईट लेबेल एटीएम परिचालन 100% स्वचालित
 

अन्य शर्तें :

i. कोई भी गैर-बैंकिंग एंटीटी, जो वाईट लेबेल एटीएम का परिचालन करने की इच्छुक है, के पास उसकी पिछले (बीते) वित्त वर्ष की लेखापरीक्षित बैलेन्स-शीट के अनुसार कम से कम 100 करोड़ रुपये की निवल संपत्ति होनी चाहिए और इसे सदैव बनाए रखना चाहिए।

ii. यदि कोई एंटीटी एनबीएफ़सी से जुड़ी 18 गतिविधियों में से किसी कार्य से सम्बद्ध है, तो वाईट लेबेल एटीएम का परिचालन करने की इच्छुक ऐसी कंपनी को उपर्युक्त पैरा एफ़.8.2 में वर्णित एनबीएफ़सी में विदेशी निवेश के लिए निर्धारित न्यूनतम पूंजीकरण मानदंडों का अनुपालन करना होगा ।

iii. वाईट लेबेल एटीएम का परिचालन में किया जाने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) भारतीय रिज़र्व बैंक के समय समय पर यथा शांशोधित परिपत्र सं. DPSS,CO.PD.No. 2298/02.10.002/2011-12 की शर्तों के अधीन होगा।

   
एफ़. 9 पावर एक्सचेंज    
एफ़.9.1 केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग (पावर मार्केट) विनियमावली, 2010 के अधीन पंजीकृत पावर एक्सचेंज 49% स्वचालित मार्ग से
एफ़.9.2 अन्य शर्तें    
 

(i) FII खरीद केवल द्वितीयक बाज़ार तक ही सीमित होगी;

(ii) कोई भी अनिवासी निवेशक/संस्‍था जिनमें मिलकर कार्य कर रहे व्‍यक्ति भी शामिल हैं, इन कंपनियों की 5% से अधिक इक्विटी धारित नहीं कर सकेंगे; और

(iii) विदेशी निवेश सेबी के विनियमावली, अन्य लागू कानूनों/विनियमनों, सुरक्षा एवं अन्य शर्तों के अनुपालन के अधीन होंगे।

एफ़.10 पेंशन क्षेत्र 49%

26% तक स्वचालित मार्ग से;
6% से 49% तक सरकारी मार्ग से

17. फार्मास्यूटिकल
17.1 ग्रीन फील्ड 100% स्वचालित
17.2 ब्राउन फील्ड 100% सरकारी
17.3 अन्य शर्तें    
 

(i) विशिष्ट परिस्थितियों में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड के अनुमोदन को छोड़कर अन्य मामलों में ‘गैर-प्रतिस्पर्धी’ खंड/शर्त की अनुमति नहीं होगी ।

(ii) भावी निवेशक एवं निवेश प्राप्तकर्ता के लिए यह अपेक्षित होगा कि एफ़आईपीबी आवेदन के साथ उक्त आशय का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करें।

(iii) ब्राउनफील्ड मामलों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए अनुमोदन देते समय सरकार उचित शर्तें लगा सकती है।

नोट :

i. चिकित्सा उपकरणों (डिवाइसेज़) के उत्पादन हेतु स्वचालित मार्ग से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है। अतः उल्लिखित शर्तें इस उद्योग के ग्रीनफील्ड तथा ब्राउनफील्ड परियोजनाओं पर लागू नहीं होंगी।

ii. मेडिकल डिवाइस (उपकरण) अर्थात :-

ए) विनिर्माता द्वारा अपेक्षित सॉफ्टवेयर सहित कोई भी यंत्र(instrument), उपकरण(apparatus), औज़ार(appliances), इंप्लांट, सामग्री अथवा अन्य वस्तुएँ, जो अकेले अथवा अन्य उपकरणों के साथ मिलकर विशेषतः मनुष्य अथवा पशुओं के लिए निम्नलिखित एक अथवा बहुविध विशिष्ट उद्देश्यों से उपयोग में लाये जाते हों, जैसे :

(एए) किसी बीमारी अथवा विकार की पहचान, रोकथाम, निगरानी, इलाज अथवा राहत के लिए;

(एबी) किसी जख्म अथवा विकलांगता की पहचान, निगरानी, इलाज, राहत अथवा सहायता के लिए;

(एसी) शारीरिक संरचना अथवा मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत जांच, बदलाव अथवा सुधार अथवा सहायता के लिए

(एडी) जीवन-रक्षा और जान बचाने में सहायक;

(एई) मेडिकल उपकरणों का विसंक्रमण;

(एएफ) गर्भाधान नियंत्रण

एवं ऐसे उपकरण, जो मनुष्य अथवा पशुओं के शरीर पर / में किसी औषधीय अथवा प्रतिरक्षात्मक और चयापचय के माध्यम से अपनी मूल कार्रवाई के उद्देश्य को सीधे प्राप्त नहीं करते हैं, किन्तु इन माध्यमों के कार्य में सहायक होते हैं;

बी) इस प्रकार के यंत्र, उपकरणों, औज़ारों, सामग्री अथवा वस्तुओं के सहायक उप-साधन;

(सी) उपकरण जो अभिकर्मक(regeant), अभिकर्मक-उत्पाद, कैलिब्रेटर (Calibrator), नियंत्रण सामग्री, किट, इन्स्ट्रुमेंट, उपकरण(apparatus), औज़ार(appliances) अथवा सिस्टम जो अकेले अथवा किसी अन्य उपकरण के साथ परीक्षण एवं चिकित्सा अथवा निदान के उद्देश्य से सूचना देने के लिए मनुष्य अथवा पशुओं के शरीर के नमूने (specimens) के विट्रो-परीक्षण के लिए उपयोग में लाए जाते हों;

iii. उपर्युक्त नोट (ii) में दी गई चिकित्सा उपकरण की परिभाषा औषधि और प्रसाधन सामाग्री अधिनियम में संशोधन के अधीन होगी।

18. रेल्वे इन्फ्रास्ट्रक्चर    
  निम्नलिखित का विनिर्माण, रख-रखाव एवं परिचालन: (i) सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के माध्यम से उपनगरीय रेल कोरीडोर, (ii) स्पीड ट्रेन परियोजनाएं, (iii) केवल माल ढुलाई के लिए विशिष्ट लाइनें, (iv) ट्रेन सेटों सहित रोलिंग स्टॉक, और लोकोमोटिव/कोच निर्माण एवं रखरखाव सुविधाएं, (v) रेलवे विद्युतीकरण, (vi) सिग्नलिंग सिस्टम, (vii) फ्रेट टर्मिनल, (vii) यात्री टर्मिनल, (ix) औद्योगिक पार्क में इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबन्धित रेलवे लाइनें/साईडिंग सहित विद्युतीकृत रेलवे लाइनें और मुख्य लाइनों से जोड़ने वाली लाइनें, एवं (x) मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम। 100% स्वचालित मार्ग से
 

नोट :-

(i) उल्लिखित गतिविधियों में निवेश रेल मंत्रालय के सेक्टोरल दिशा-निर्देशों के अधीन प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सहित निजी भागीदारी के लिए खुला होगा।

(ii) संवेदनशील क्षेत्रों में, 49% से अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी प्रस्तावों पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से सुरक्षा संबंधी कैबिनेट कमीटी द्वारा, मामले –दर- मामले के आधार पर, विचार किया जाएगा।

   

डी. अनुसूची 9 में, डी. अनुसूची 9 में,

(i) पैराग्राफ 4 को निम्न प्रकार संशोधित किया गया है, अर्थात पढ़ा जाएगा :

“4. प्रवेश मार्ग

सीमित देयता भागीदारियों (LLP) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगा :

i. स्वचालित मार्ग के तहत जिन क्षेत्रों में 100% एफ़डीआई की अनुमति हैं ऐसे क्षेत्रों / गतिविधियों से जुड़ी सीमित देयता भागीदारियो (LLP) में स्वचालित मार्ग के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति है एवं इसमें एफ़डीआई से संबंधित पेरफ़ोर्मेंस की शर्तें लागू नहीं हैं।

ii. किसी भारतीय कंपनी अथवा सीमित देयता भागीदारी, जिसमें विदेशी निवेश उपलब्ध है, को ऐसी अन्य किसी कंपनी अथवा सीमित देयता भागीदारी में निवेश की अनुमति है जो स्वचालित मार्ग के तहत ऐसे क्षेत्रों से संबद्ध है जिनमें में 100% एफ़डीआई की अनुमति है और इसमें एफ़डीआई संबंधी परफ़ोर्मेंस की शर्तें लागू नहीं होंगी। उपर्युक्त शर्तों का अनुपान सुनिश्चित करने दायित्व डाउनस्ट्रीम निवेश प्राप्त करने वाली भारतीय कंपनी / सीमित देयता भागीदारियों (LLP) पर होगा।

iii. देयता भागीदारियों (LLP) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश LLP अधिनियम, 2008 की शर्तों के अधीन होगा।”

ii) अनुसूची 9 में, पैराग्राफ 8 को हटाया गया है।

ई. मौजूदा अनुसूची 11 को निम्नलिखित से प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात:

" अनुसूची 11
[विनियम 5 (10) देखें]

भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा निवेश संस्था में निवेश

1. अनिवासी भारतीय (NRI) और आर.एफ़.पी.आई (RFPI) सहित भारत से बाहर का निवासी कोई व्यक्ति, इस अनुसूची में निर्धारित शर्तों के अंतर्गत निवेश संस्था की यूनिटों में निवेश कर सकता है ।

2. भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति अथवा पंजीकृत / निगमित संस्था द्वारा निवेश संस्था के अर्जित यूनिटों के लिए भुगतान सामान्य बैंकिंग चैनल के मार्फत किए गए आवक विप्रेषण जिसमें NRE अथवा FCNR खाते को नामे करना शामिल है, द्वारा किए जाएंगे।

3. इस अनुसूची के अनुसार भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा खरीदी गई यूनिटें सेबी द्वारा निर्मित विनियमों अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अनुसार बेची अथवा अंतरित अथवा प्रतिदान (redeem) की जा सकेंगी ।

4. मूल विनियमावली के विनियम 14 में परिभाषित रूप में यदि प्रायोजक (स्पॉन्सर) अथवा मैनेजर अथवा निवेश मैनेजर भारतीय ‘स्वाधिकृत अथवा नियंत्रित’ न हो, तो ऐसी निवेश संस्था द्वारा किए जाने वाले डाउनस्ट्रीम निवेश को विदेशी निवेश माना जाएगा।

बशर्ते कि प्रायोजक (स्पॉन्सर) अथवा मैनेजर अथवा निवेश मैनेजर जो कंपनी अथवा सीमित देयता भागीदारी (LLP) से भिन्न रूप में संगठित हों, के संबंध में सेबी (SEBI) द्वारा यह निर्धारित किया जाएगा कि प्रायोजक (स्पॉन्सर) अथवा मैनेजर अथवा निवेश मैनेजर विदेशी स्वाधिकृत अथवा नियंत्रित है।

स्पष्टीकरण 1 : मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में स्वाधिकरण और नियंत्रण को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। अल्टरनेटिव निवेश निधि (AIF) एक समूहित निवेश संस्था है। अल्टरनेटिव निवेश निधि (AIF) का ‘नियंत्रण’ अन्य सामान्यजनों को छोडकर ‘प्रायोजक (स्पॉन्सर)’ और ‘मैनेजर/निवेश मैनेजर’ के हाथ में होना चाहिए। अल्टरनेटिव निवेश निधि (AIF) के ‘प्रायोजक (स्पॉन्सर)’ और ‘मैनेजर/निवेश मैनेजर’ यदि व्यक्ति हैं, तो ऐसे मामलों में इन अल्टरनेटिव निवेश निधि (AIF) द्वारा किए गए डाउनस्ट्रीम निवशों को घरेलू निवेश मानने के लिए उसके ‘प्रायोजक (स्पॉन्सर)’ और ‘मैनेजर/निवेश मैनेजर’ निवासी भारतीय होने चाहिए।

स्पष्टीकरण 2 : यह स्पष्ट किया जाता है कि निवेश संस्था की आधारभूत निधियों (investment in the corpus) में विदेशी निवेश की सीमा यह निर्धारित करने का कारक नहीं होगी कि संबंधित निवेश संस्था द्वारा किया गया डाउनस्ट्रीम निवेश विदेशी निवेश है अथवा नहीं।

5. किसी निवेश संस्था द्वारा किया गया डाउनस्ट्रीम निवेश, जिसकी गणना विदेशी निवेश के रूप में की जाती है, वह डाउनस्ट्रीम निवेश जिस कंपनी में किया जाता है, उसके संबंध में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति अथवा मूल विनियमावली की अनुसूची 1 के उपबंधों के अनुसार यथा लागू सेक्टोरल कैप और शर्तों/प्रतिबंधों, यदि कोई, हों के अनुरूप होना ही चाहिए।

6. किसी निवेश संस्था द्वारा किसी सीमित देयता भागीदारी (LLP) में किया गया डाउनस्ट्रीम निवेश जिसकी गणना विदेशी निवेश के रूप में की जाती है, उसे सीमित देयता भागीदारी (LLP) में विदेशी निवेश से संबंधित मूल विनियमावली की अनुसूची 9 में दिए गए उपबंधों के अनुरूप होना चाहिए।

7. अल्टरनेटिव निवेश निधियां श्रेणी III केवल उन प्रतिभूतियों अथवा लिखतों में ही पोर्टफोलियो निवेश कर सकती हैं जिनमें मूल विनियमावली के अनुसार कोई पंजीकृत पोर्टफोलियो निवेशक निवेश कर सकता है।

8. विदेशी निवेश प्राप्त करने वाली निवेश संस्था से अपेक्षित होगा कि वह भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा सेबी द्वारा विनिर्दिष्ट फार्मेट में ऐसी रिपोर्टें, समय-समय पर प्रस्तुत करे जैसी कि उनके द्वारा अपेक्षा की जाती है।

(बी. पी. कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक

पाद-टिप्पणी :- मूल विनियमावली 8 मई 2000 को जी.एस.आर.सं.406 (ई) भाग-।।, खंड 3, उप-खंड (i) के तहत सरकारी राजपत्र के में प्रकाशित और तत्पश्चात निम्नलिखित द्वारा संशोधित की गयी:-

जी.एस.आर. सं. 158(ई) दिनांक 02.03.2001
जी.एस.आर. सं. 175(ई) दिनांक 13.03.2001
जी.एस.आर. सं. 182(ई) दिनांक 14.03.2001
जी.एस.आर. सं. 4(ई) दिनांक 02.01.2002
जी.एस.आर. सं. 574(ई) दिनांक 19.08.2002
जी.एस.आर. सं. 223(ई) दिनांक 18.03.2003
जी.एस.आर. सं. 225(ई) दिनांक 18.03.2003
जी.एस.आर. सं. 558(ई) दिनांक 22.07.2003
जी.एस.आर. सं. 835(ई) दिनांक 23.10.2003
जी.एस.आर. सं. 899(ई) दिनांक 22.11.2003
जी.एस.आर. सं. 12(ई) दिनांक 07.01.2004
जी.एस.आर. सं. 278(ई) दिनांक 23.04.2004
जी.एस.आर. सं. 454(ई) दिनांक 16.07.2004
जी.एस.आर. सं. 625(ई) दिनांक 21.09.2004
जी.एस.आर. सं. 799(ई) दिनांक 08.12.2004
जी.एस.आर. सं. 201(ई) दिनांक 01.04.2005
जी.एस.आर. सं. 202(ई) दिनांक 01.04.2005
जी.एस.आर. सं. 504(ई) दिनांक 25.07.2005
जी.एस.आर. सं. 505(ई) दिनांक 25.07.2005
जी.एस.आर. सं. 513(ई) दिनांक 29.07.2005
जी.एस.आर. सं. 738(ई) दिनांक 22.12.2005
जी.एस.आर. सं. 29(ई) दिनांक 19.01.2006
जी.एस.आर. सं. 413(ई) दिनांक 11.07.2006
जी.एस.आर. सं. 712(ई) दिनांक 14.11.2007
जी.एस.आर. सं. 713(ई) दिनांक 14.11.2007
जी.एस.आर. सं. 737(ई) दिनांक 29.11.2007
जी.एस.आर. सं. 575(ई) दिनांक 05.08.2008
जी.एस.आर. सं. 896(ई) दिनांक 30.12.2008
जी.एस.आर. सं. 851(ई) दिनांक 01.12.2009
जी.एस.आर. सं. 341(ई) दिनांक 21.04.2010
जी.एस.आर. सं. 821(ई) दिनांक 10.11.2012
जी.एस.आर. सं. 606(ई) दिनांक 03.08.2012
जी.एस.आर. सं. 795(ई) दिनांक 30.10.2012
जी.एस.आर. सं. 796(ई) दिनांक 30.10.2012
जी.एस.आर. सं. 797(ई) दिनांक 30.10.2012
जी.एस.आर. सं. 945(ई) दिनांक 31.12.2012
जी.एस.आर. सं. 946(ई) दिनांक 31.12.2012
जी.एस.आर. सं. 38(ई) दिनांक 22.01.2013
जी.एस.आर. सं. 515(ई) दिनांक 30.07.2013
जी.एस.आर. सं. 532(ई) दिनांक 05.08.2013
जी.एस.आर. सं. 341(ई) दिनांक 28.05.2013
जी.एस.आर. सं. 344(ई) दिनांक 29.05.2013
जी.एस.आर. सं. 195(ई) दिनांक 01.04.2013
जी.एस.आर. सं. 393(ई) दिनांक 21.06.2013
जी.एस.आर. सं. 591(ई) दिनांक 04.09.2013
जी.एस.आर. सं. 596(ई) दिनांक 06.09.2013
जी.एस.आर. सं. 597(ई) दिनांक 06.09.2013
जी.एस.आर. सं. 681(ई) दिनांक 11.10.2013
जी.एस.आर. सं. 682(ई) दिनांक 11.10.2013
जी.एस.आर. सं. 818(ई) दिनांक 31.12.2013
जी.एस.आर. सं. 805(ई) दिनांक 30.12.2013
जी.एस.आर. सं. 683(ई) दिनांक 11.10.2013
जी.एस.आर. सं. 189(ई) दिनांक 19.03.2014
जी.एस.आर. सं. 190(ई) दिनांक 19.03.2014
जी.एस.आर. सं. 270(ई) दिनांक 07.04.2014
जी.एस.आर. सं. 361(ई) दिनांक 27.05.2014
जी.एस.आर. सं. 370(ई) दिनांक 30.05.2014
जी.एस.आर. सं. 371(ई) दिनांक 30.05.2014
जी.एस.आर. सं. 435(ई) दिनांक 08.07.2014
जी.एस.आर. सं. 400(ई) दिनांक 12.06.2014
जी.एस.आर. सं. 436(ई) दिनांक 08.07.2014
जी.एस.आर. सं. 487(ई) दिनांक 11.07.2014
जी.एस.आर. सं. 632(ई) दिनांक 02.09.2014
जी.एस.आर. सं. 798(ई) दिनांक 13.11.2014
जी.एस.आर. सं. 799(ई) दिनांक 13.11.2014
जी.एस.आर. सं. 800(ई) दिनांक 13.11.2014
जी.एस.आर. सं. 829(ई) दिनांक 21.11.2014
जी.एस.आर. सं. 906(ई) दिनांक 22.12.2014
जी.एस.आर. सं. 914(ई) दिनांक 24.12.2014
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जी.एस.आर. सं. 759(ई) दिनांक 06.10.2015
जी.एस.आर. सं. 823(ई) दिनांक 30.10.2015
जी.एस.आर. सं. 858(ई) दिनांक 16.11.2015

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