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विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (तीसरा संशोधन) विनियमावली, 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई- 400 001

अधिसूचना सं.फेमा. 363/2016-आरबी

28 अप्रैल 2016

विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा
प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (तीसरा संशोधन) विनियमावली, 2016

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 6 की उप-धारा (3) के खंड (बी) और धारा 47 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा. 20/2000-आरबी) में निम्नलिखित संशोधन करता है, अर्थात:-

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

(i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (तीसरा संशोधन) विनियमावली, 2016 कहलाएंगे।

(ii) वे सरकारी राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से लागू होंगे।

2. विनियम 2 में संशोधन

ए. मौजूदा उप-विनियम (ii) के बाद, एक नया उप-विनियम अंतर्निहित किया जाएगा, अर्थात:-

"(iiA) श्रेणी-I आनुकल्पित निवेश निधि (Cat-I AIF) का अभिप्राय सेबी (आनुकल्पित निवेश निधियाँ) विनियमावली, 2012 के अंतर्गत पंजीकृत आनुकल्पित निवेश निधि से है जो उक्त विनियमावली के अनुसार धन जुटाती है और विनिर्दिष्ट निधियों अथवा सेक्टरों अथवा गतिविधियों अथवा क्षेत्रों में निवेश करती है।"

बी. मौजूदा उप-विनियम (vबी) को हटाया जाएगा।

सी. मौजूदा उप-विनियम (x) के पश्चात, एक नया उप-विनियम अंतर्निहित किया जाएगा, अर्थात:-

"(xA) 'स्टार्टअप' का अभिप्राय ऐसी एंटिटी से होगा जिसका भारत में गठन अथवा पंजीकरण हुए पांच वर्ष से अधिक न हुआ हो, जिसका वार्षिक पण्यावर्त किसी भी विगत वित्तीय वर्ष में 25 करोड़ भारतीय रुपए से अधिक न रहा हो, जो प्रोद्योगिकी अथवा बौद्धिक संपदा द्वारा संचालित नए उत्पादों, प्रक्रियाओं अथवा सेवाओं के नवोन्मेष/अभिनव, विकास, नियोजन/अनुप्रयोग अथवा वाणिज्यीकरण (commercialization) के लिए कार्यरत हो,

बशर्ते कि ऐसी एंटिटी पहले से ही अस्तित्व वाले किसी व्यवसाय (business) के विभाजन या उसके पुनर्निर्माण के माध्यम से न बनाई गई हो।

इस प्रयोजन हेतु,

  1. संस्थान (एंटिटी) का अर्थ किसी निजी क्षेत्र की लिमिटेड कंपनी (कंपनी अधिनियम, 2013 में यथा परिभाषित), अथवा पंजीकृत साझेदारी फ़र्म (साझेदारी अधिनियम, 1932 की धारा 59 के तहत पंजीकृत) या सीमित (लिमिटेड) देयता भागीदारी फर्म (सीमित देयता भागीदारी (साझेदारी) अधिनियम, 2008 के अंतर्गत) से है ।

  2. 'पण्यावर्त' अभिव्यक्ति का अभिप्राय, कंपनी अधिनियम, 2013 में पारिभाषित किए अनुसार है।

  3. किसी संस्थान (एंटिटी) को अभिनवीकरण, प्रौद्योगिकी या बौद्धिक सम्पदा आधारित नए उत्पादों, प्रक्रियाओं या सेवाओं के विकास, अनुप्रयोग या वाणिज्यीकरण के संबंध में कार्यरत माना जाता है, यदि उसका लक्ष्य निम्नलिखित को विकसित करना और उनका वाणिज्यीकरण करना है- (ए) एक नया उत्पाद या सेवा या प्रक्रिया अथवा (बी) महत्वपूर्ण रूप से सुधार किए गए मौजूदा उत्पाद, सेवा या प्रक्रिया, जो ग्राहकों या कार्य के प्रवाह के सृजन या उसके मूल्य संवर्धन में सहायक हो।

बशर्ते कि इसमें केवल (ए) उत्पाद या सेवाएँ या प्रक्रियाएं जिनमें वाणिज्यीकरण की संभावनाएं न हों; अथवा (बी) एक समान (undifferntiated) उत्पाद या सेवाएँ या प्रक्रियाएं अथवा (सी) उत्पाद या सेवा या प्रक्रियाएं जो ग्राहकों या कार्य के प्रवाह के संबंध में मूल्य संवर्धन नहीं करते या सीमित वृद्धि करते हों- के केवल विकास शामिल नहीं होंगे।

3. विनियम 5 में संशोधन

विनियम 5 में, मौजूदा उप-विनियम (5) निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा; अर्थात:-

"(5) भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) के पास पंजीकृत कोई विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक (FVCI) अनुसूची 6 में विनिर्दिष्ट तरीके एवं शर्तों के तहत निवेश कर सकता है।"

4. अनुसूची 6 में संशोधन

मूल विनियमावली में, मौजूदा अनुसूची 6 निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित की जाएगी, अर्थात:-

"अनुसूची 6
[विनियम 5(5) देखें]
पंजीकृत विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक (FVCI) द्वारा निवेश

1. विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक (FVCI) द्वारा निवेश

(1) सेबी (FVCI) विनियमावली, 2000 के अंतर्गत पंजीकृत कोई विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक निम्नलिखित की खरीद कर सकता है :

(ए) इस अनुसूची के अनुबंध में उल्लिखित किसी क्षेत्र में संलग्न भारतीय कंपनी द्वारा जारी ईक्विटी अथवा ईक्विटी सम्बद्ध लिखत अथवा कर्ज़ लिखत और उक्त प्रतिभूतियों / लिखतों के जारी होने के समय जिसके शेयर किसी मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्स्चेंज में सूचीबद्ध नहीं हैं;

(बी) किसी स्टार्टअप, वह चाहे जिस क्षेत्र में संलग्न हो, द्वारा जारी ईक्विटी अथवा ईक्विटी सम्बद्ध लिखत अथवा कर्ज़ लिखत;

(सी) किसी जोखिम पूंजी निधि (VCF) अथवा श्रेणी-I आनुकल्पिक निधि (AIF) की यूनिटें अथवा किसी जोखिम पूंजी निधि अथवा श्रेणी-I आनुकल्पिक निधि (AIF) द्वारा स्थापित योजना अथवा निधि की यूनिटें;

में उन शर्तों के तहत जिन्हें रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित किया जाए।

नोट: सेबी (FVCI) विनियमावली, 2000 के अंतर्गत पंजीकृत किसी विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक को इस अनुसूची के अंतर्गत निवेश करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने की अपेक्षा नहीं होगी।

(2) पंजीकृत विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक उल्लिखित प्रतिभूतियों / लिखतों को इन प्रतिभूतियों / लिखतों को इनके जारीकर्ता से अथवा प्रतिभूतियों / लिखतों के धारक अथवा किसी मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्स्चेंज से खरीद सकता है।

(3) विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक द्वारा समस्त निवेश की प्रतिफल राशि सामान्य बैंकिंग चैनल के जरिए विदेश से किए गए आवक विप्रेषण से अथवा जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है पूर्व में किए गए निवेश की बिक्रीगत / परिपक्वतागत आगम राशि अथवा हुई आय से अदा की जा सकेगी।

2. पंजीकृत विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक द्वारा खाता रखना

पंजीकृत विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास विदेशी मुद्रा खाता और / अथवा रुपया खाता खोल सकता है बशर्ते ऐसा खाता खास तौर पर इस अनुसूची में वर्णित लेनदेनों के लिए ही उपयोग में लाया जाए।

3. निवेशों का अंतरण (Transfers)

विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक जिन प्रतिभूतियों/लिखतों में निवेश करने के लिए अनुमत है, उन्हें क्रेता और विक्रेता/निर्गमकर्ता से, आपसी स्वीकार्य कीमत पर, किसी निवासी व्यक्ति अथवा अनिवासी व्यक्ति से क्रय करके अथवा अन्य प्रकार से अर्जित कर सकता है अथवा बिक्री के जरिए अंतरण अथवा निपटान कर सकता है। जोखिम पूंजी निवेशक जोखिम पूंजी निधियों अथवा श्रेणी–I आनुकल्पिक निवेश निधियों (AIF) अथवा जोखिम पूंजी निधियों अथवा श्रेणी–I आनुकल्पिक निवेश निधियों (AIF) द्वारा स्थापित योजना / निधियों के समापन पर आगम राशि भी प्राप्त कर सकता है।

4. रिपोर्टिंग

विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक द्वारा किए गए वास्तविक अंतःप्रवाह / बहिर्प्रवाह और किए गए निवेश रिज़र्व बैंक अथवा सेबी द्वारा विनिर्दिष्ट रीति से रिपोर्ट किए जाएंगे।”

अनुबंध

उन क्षेत्रों की सूची जिनमें विदेशी जोखिम पूंजी निवेशकों को निवेश की अनुमति है

  1. जैवप्रौद्योगिकी (बायोटेक्नालाजी)

  2. सूचना प्रौद्योगिकी से संबन्धित हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का विकास

  3. नैनोटेक्नालाजी

  4. बीज अनुसंधान एवं विकास (Seed research and development)

  5. फार्मास्युटिकल क्षेत्र में नए रसायनों / दवा कंपनियों में अनुसंधान एवं विकास

  6. डेरी उद्योग

  7. मुर्गीपालन (पोल्ट्री) उद्योग

  8. जैव-ईंधन (बायो-फ्यूल) का उत्पादन

  9. तीन हज़ार से अधिक सीटों की क्षमता वाले होटल-सह-कन्वेन्शन केन्द्र

  10. इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र: (इसमें बाह्य वाणिज्यिक दिशानिर्देशों/समय समय पर यथासंशोधित मौजूदा फेमा विनियमावलियों में अधिसूचित नीतियों के अंतर्गत इन्फ्रास्ट्रक्चर की परिभाषा में अंतर्विष्ट क्षेत्र में शामिल गतिविधियां शामिल होंगी)।"

(शेखर भटनागर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


पाद-टिप्पणी :- मूल विनियमावली 8 मई 2000 को जी.एस.आर.सं.406 (ई) भाग-।।, खंड 3, उप-खंड (i) के तहत सरकारी राजपत्र के में प्रकाशित और तत्पश्चात निम्नलिखित द्वारा संशोधित की गयी:-

जी.एस.आर. सं. 158(ई) दिनांक 02.03.2001
जी.एस.आर. सं. 175(ई) दिनांक 13.03.2001
जी.एस.आर. सं. 182(ई) दिनांक 14.03.2001
जी.एस.आर. सं. 4(ई) दिनांक 02.01.2002
जी.एस.आर. सं. 574(ई) दिनांक 19.08.2002
जी.एस.आर. सं. 223(ई) दिनांक 18.03.2003
जी.एस.आर. सं. 225(ई) दिनांक 18.03.2003
जी.एस.आर. सं. 558(ई) दिनांक 22.07.2003
जी.एस.आर. सं. 835(ई) दिनांक 23.10.2003
जी.एस.आर. सं. 899(ई) दिनांक 22.11.2003
जी.एस.आर. सं. 12(ई) दिनांक 07.01.2004
जी.एस.आर. सं. 278(ई) दिनांक 23.04.2004
जी.एस.आर. सं. 454(ई) दिनांक 16.07.2004
जी.एस.आर. सं. 625(ई) दिनांक 21.09.2004
जी.एस.आर. सं. 799(ई) दिनांक 08.12.2004
जी.एस.आर. सं. 201(ई) दिनांक 01.04.2005
जी.एस.आर. सं. 202(ई) दिनांक 01.04.2005
जी.एस.आर. सं. 504(ई) दिनांक 25.07.2005
जी.एस.आर. सं. 505(ई) दिनांक 25.07.2005
जी.एस.आर. सं. 513(ई) दिनांक 29.07.2005
जी.एस.आर. सं. 738(ई) दिनांक 22.12.2005
जी.एस.आर. सं. 29(ई) दिनांक 19.01.2006
जी.एस.आर. सं. 413(ई) दिनांक 11.07.2006
जी.एस.आर. सं. 712(ई) दिनांक 14.11.2007
जी.एस.आर. सं. 713(ई) दिनांक 14.11.2007
जी.एस.आर. सं. 737(ई) दिनांक 29.11.2007
जी.एस.आर. सं. 575(ई) दिनांक 05.08.2008
जी.एस.आर. सं. 896(ई) दिनांक 30.12.2008
जी.एस.आर. सं. 851(ई) दिनांक 01.12.2009
जी.एस.आर. सं. 341(ई) दिनांक 21.04.2010
जी.एस.आर. सं. 821(ई) दिनांक 10.11.2012
जी.एस.आर. सं. 606(ई) दिनांक 03.08.2012
जी.एस.आर. सं. 795(ई) दिनांक 30.10.2012
जी.एस.आर. सं. 796(ई) दिनांक 30.10.2012
जी.एस.आर. सं. 797(ई) दिनांक 30.10.2012
जी.एस.आर. सं. 945(ई) दिनांक 31.12.2012
जी.एस.आर. सं. 946(ई) दिनांक 31.12.2012
जी.एस.आर. सं. 38(ई) दिनांक 22.01.2013
जी.एस.आर. सं. 515(ई) दिनांक 30.07.2013
जी.एस.आर. सं. 532(ई) दिनांक 05.08.2013
जी.एस.आर. सं. 341(ई) दिनांक 28.05.2013
जी.एस.आर. सं. 344(ई) दिनांक 29.05.2013
जी.एस.आर. सं. 195(ई) दिनांक 01.04.2013
जी.एस.आर. सं. 393(ई) दिनांक 21.06.2013
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जी.एस.आर. सं. 914(ई) दिनांक 24.12.2014
जी.एस.आर. सं. 30(ई) दिनांक 14.01.2015
जी.एस.आर. सं. 183(ई) दिनांक 12.03.2015
जी.एस.आर. सं. 284(ई) दिनांक 13.04.2015
जी.एस.आर. सं. 484(ई) दिनांक 11.06.2015
जी.एस.आर. सं. 745(ई) दिनांक 30.09.2015
जी.एस.आर. सं. 759(ई) दिनांक 06.10.2015
जी.एस.आर. सं. 823(ई) दिनांक 30.10.2015
जी.एस.आर. सं. 858(ई) दिनांक 16.11.2015
जी.एस.आर. सं. 165(ई) दिनांक 15.02.2016
जी.एस.आर. सं. 166(ई) दिनांक 15.02.2016
जी.एस.आर. सं. 369(ई) दिनांक 30.03.2016

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