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सूचीबध्द होने वाली' कर्ज प्रतिभूतियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश

भारिबैंक/2011-12/423
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 89

1 मार्च 2012

सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय,

सूचीबध्द होने वाली' कर्ज प्रतिभूतियों में विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी - । बैंकों का ध्यान समय - समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं फेमा.20/2000-आरबी अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण और निर्गम) विनियमावली, 2000 के विनियम 5(4) और अनुसूची 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों को किसी भारतीय कंपनी द्वारा जारी केवल सूचीबध्द अपरिवर्तनीय डिबेंचरों (NCDs)/ बांडों में निवेश करने की अनुमति दी गयी है ।

2. सेबी ने 26 नवंबर 2010 के अपने परिपत्र सं. CIR/IMD/FIIC/18/2010 में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा की जाने वाली निवेश सीमा के तहत संशोधित विनियोजन के बाबत अनुदेश जारी किए हैं । अपने परिपत्र के पैरा 8 में सेबी ने विदेशी संस्थागत निवेशकों को 'सूचीबध्द होनेवाली' कर्ज प्रतिभूतियों में निवेश की अनुमति दी है । तदनुसार यह निर्णय लिया गया है कि सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक/विदेशी संस्थागत निवेशकों के उप-खाते अब अपरिवर्तनीय डिबेंचरों (NCDs)/बांडों के प्राथमिक निर्गमों में केवल तभी निवेश कर सकते हैं जब ऐसे बांडों/अपरिवर्तनीय डिबेंचरों की सूचीबध्दता निवेश की तारीख से 15 दिनों में पूरी करने का वादा हो । यदि सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक/विदेशी संस्थागत निवेशक के उप-खातों को जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचर/बांड, किसी कारणवश, उन्हें जारी होने से 15 दिनों के भीतर सूचीबध्द नहीं हो पाते हैं तो विदेशी संस्थागत निवेशक/उप-खाता ऐसे बांडों/अपरिवर्तनीय डिबेंचरों को या तो तीसरे पक्ष को या निर्गम जारीकर्ता को बेच कर निवेश को तुरंत समाप्त कर देगा एवं साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशक/उप-खाते को किए गए प्रस्ताव में इस आशय की शर्त शामिल होगी कि ऐसी कर्ज प्रतिभूतियों का जारीकर्ता उक्त परिस्थिति में विदेशी संस्थागत निवेशक/उप-खाते से संदर्भित प्रतिभूतियों को तुरंत चुकता कर देगा/वापस खरीद लेगा ।

3. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं फेमा.20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण और निर्गम) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जाएंगे ।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों/ग्राहकों को अवगत करायें ।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीया,

(मीना हेमचंद्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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