सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत में सरकारी प्रतिभूतियों और कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत में सरकारी प्रतिभूतियों और कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों में विदेशी निवेश
भारिबैंक/2012-13/391 24 जनवरी 2013 महोदया/महोदय, सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा भारत में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 20/2000-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूतियों का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची 5 की ओर आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशक प्रत्यावर्तनीय आधार पर सरकारी प्रतिभूतियों और किसी भारतीय कंपनी द्वारा जारी अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/बांडों को, उनमें विनिर्दिष्ट शर्तों तथा भारतीय रिज़र्व बैंक और सेबी द्वारा, समय समय पर, यथा विनिर्दिष्ट सीमाओं के अंतर्गत खरीद सकते हैं। विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने हेतु मौजूदा सीमा 20 बिलियन अमरीकी डॉलर और कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के बांडों हेतु 25 बिलियन अमरीकी डॉलर की उप-सीमा सहित 45 बिलियन अमरीकी डॉलर है। 2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 25 जून 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.135 की ओर भी आकृष्ट किया जाता है, जिसके अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों और सरकारी संपदा निधियों (एसडब्ल्यूएफएस), बहुपक्षीय एजेंसियों, धर्मादा निधियों, बीमा निधियों, पेंशन निधियों और विदेशी केंद्रीय बैंकों, जिन्हें सेबी के पास पंजीकृत होना चाहिए, जैसे दीर्घकालिक निवेशक, पूर्वोक्त शर्तों के अधीन, विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निवेश के लिए विनिर्दिष्ट 20 बिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र सीमा के भीतर 10 बिलियन अमरीकी डॉलर तक उन सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश कर सकते हैं, जिनकी पहली खरीद के समय अवशिष्ट परिपक्वता अवधि कम से कम तीन वर्ष हो। इंफ्रास्ट्रक्चर कर्ज के संबंध में, 3 वर्षों की अवरुद्धता अवधि वाली इंफ्रास्ट्रक्चर कर्ज निधियों (आईडीएफएस) में अनिवासी निवेश के लिए 10 बिलियन अमरीकी डॉलर सहित 22 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा (जो इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में अपरिवर्तनीय डिबेंचरों/ बांडों में निवेश के लिए 25 बिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र सीमा के भीतर है) के लिए अवरुद्धता अवधि (की शर्त) समान रूप से घटा कर एक वर्ष कर दी गयी थी। 3. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि निम्नलिखित परिवर्तन लागू किये जाएं: (ए) सरकारी प्रतिभूतियाँ (ए) विदेशी संस्थागत निवेशकों और दीर्घकालिक निवेशकों द्वारा दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के लिए 10 बिलियन अमरीकी डॉलर की उप-सीमा 5 बिलियन अमरीकी डॉलर और बढ़ायी जाती है, अर्थात जो अब 10 बिलियन अमरीकी डॉलर के बजाए 15 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गई है। तदनुसार, सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश के लिए कुल सीमा 20 बिलियन अमरीकी डॉलर, अब बढ़ कर 25 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गई है। (बी) उल्लिखित उप-सीमा के लिए पहली खरीद के समय सरकारी प्रतिभूतियों की तीन वर्षों की अवशिष्ट परिपक्वता अवधि की शर्त अब लागू नहीं होगी। इस प्रकार, अवशिष्ट परिपक्वता अवधि की शर्त 15 बिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र उप-सीमा के लिए लागू नहीं होगी, किन्तु अब तक की भांति, ऐसे निवेश खजाना बिलों जैसे अल्प-कालिक पेपर में करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। (सी) सरकारी प्रतिभूतियों के लिए पुनरीक्षित/संशोधित स्थिति का सारांश नीचे दिया गया है:
(बी) कार्पोरेट कर्ज (डी) इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र से भिन्न कार्पोरेट कर्ज में विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा निवेश करने के लिए सीमा 5 बिलियन अमरीकी डॉलर और बढ़ायी जाती है, अर्थात 20 बिलियन अमरीकी डॉलर के बजाए, 25 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गई है। तथापि, 5 बिलियन अमरीकी डॉलर की बढ़ायी गयी सीमा जमा प्रमाणपत्र (CD) और वाणिज्यिक पेपर (CP) में निवेश के लिए उपलब्ध नहीं होगी। तदनुसार, इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र से भिन्न क्षेत्र के बांडों, प्रत्येक, के लिए 25 बिलियन अमरीकी डॉलर की उप-सीमाओं सहित कुल कार्पोरेट कर्ज सीमा 45 बिलियन अमरीकी डॉलर अब बढ़कर 50 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गयी है। इसके अतिरिक्त, अब तक की भांति, अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशक (QFIs) 16 जुलाई 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 7 के अनुसार, 1 बिलियन अमरीकी डॉलर की कुल समग्र सीमा की शर्त के अधीन कार्पोरेट कर्ज प्रतिभूतियों (बिना किसी अवरुद्धता अथवा अवशिष्ट परिपक्वता अवधि की शर्त के) और म्युच्युअल फंड कर्ज योजनाओं में निवेश करने के लिए पात्र बने रहेंगे। कार्पोरेट कर्ज में निवेश के लिए 1 बिलियन अमरीकी डॉलर की यह सीमा, 50 बिलियन अमरीकी डॉलर की संशोधित सीमा, के अलावा बनी रहेगी। (ई) इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र से भिन्न कार्पोरेट बांडों हेतु 25 बिलियन अमरीकी डॉलर की पुनरीक्षित/संशोधित सीमा सेबी के पास पंजीकृत विदेशी संस्थागत निवेशकों, सरकारी संपदा निधियों (एसडब्ल्यूएफएस), बहुपक्षीय एजेंसियों, धर्मादा निधियों, बीमा निधियों, पेंशन निधियों तथा विदेशी केंद्रीय बैंकों द्वारा निवेश के लिए उपलब्ध होगी। (एफ) इसके आगे और ढील देने के उपाय के रूप में, यह निर्णय लिया गया है कि इंफ्रास्ट्रक्चर कार्पोरेट बांडों में विदेशी निवेश के लिए विनिर्दिष्ट 25 बिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र सीमा के भीतर 22 बिलियन अमरीकी डॉलर (जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर बांडों हेतु 12 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा और आईडीएफ में अनिवासी निवेश के लिए 10 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा समाविष्ट है) की सीमा के लिए एक वर्ष की अवरुद्धता अवधि संबंधी शर्त हटा दी जाए। इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए 22 बिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र सीमा के लिए अपेक्षित अवशिष्ट परिपक्वता अवधि (प्रथम खरीद के समय) एक समान रूप से 15 महीने रखी गयी है। 3 बिलियन अमरीकी डॉलर की सीमा के भीतर अर्हताप्राप्त विदेशी निवेशकों द्वारा निवेशों हेतु 5 वर्ष की अवशिष्ट परिपक्वता अवधि संबंधी अपेक्षा को संशोधित करके 3 वर्ष की मूल परिपक्वता अवधि कर दिया गया है। 4. कार्पोरेट कर्ज सीमाओं के लिए संशोधित स्थिति का सारांश नीचे दिया गया है:
5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों / घटकों को अवगत करायें । 6. भारतीय रिज़र्व बैंक ने अब संबंधित विनियमों में संशोधन किया है और वे 19 जनवरी 2013 की अधिसूचना सं. फेमा. 255/2013-आरबी के जरिये अधिसूचित किये गए हैं। 7. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीय, (रुद्र नारायण कर) |