भारत में विदेशी निवेश-भारतीय कंपनियों में कुल विदेशी निवेश, भारतीय कंपनियों के स्वामित्व के अंतरण और नियंत्रण एवं भारतीय कंपनियों द्वारा डाउनस्ट्रीम निवेश की गणना के लिए दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में विदेशी निवेश-भारतीय कंपनियों में कुल विदेशी निवेश, भारतीय कंपनियों के स्वामित्व के अंतरण और नियंत्रण एवं भारतीय कंपनियों द्वारा डाउनस्ट्रीम निवेश की गणना के लिए दिशानिर्देश
भारिबैंक/2013-14/117 4 जुलाई 2013 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, भारत में विदेशी निवेश-भारतीय कंपनियों में कुल विदेशी निवेश, भारतीय कंपनियों के स्वामित्व के प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी के जरिये भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध ( भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 13 फरवरी 2009 के प्रेस नोट 2 तथा 3 (2009 सीरीज) के जरिये, उच्चतम निवेश सीमा वाले क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों में और भारतीय कंपनियों की स्थापना के लिए/ भारतीय कंपनियों के निवासी भारतीय नागरिकों से अनिवासी संस्थाओं (एंटिटीज) को स्वामित्व के अंतरण अथवा नियंत्रण हेतु कुल विदेशी निवेश अर्थात प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश की गणना के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे। इसके अलावा, औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग द्वारा 31 जुलाई 2012 के अपने प्रेस नोट 2 (2012 सीरीज) के जरिये कतिपय अन्य परिवर्तन भी किए गए थे। समेकित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति पर वर्ष 2013 का परिपत्र सं. 1, दिनांक 5 अप्रैल 2013 www.dipp.gov.in पर उपलब्ध है, जिसमें प्रेस नोट की विषय-वस्तु व्यापक रूप में दी गयी है। 3. (i) विनियामक ढांचे में निम्नलिखित शामिल हैं: (ई) ऐसी भारतीय कंपनी द्वारा डाउनस्ट्रीम निवेश जो निवासी संस्था/संस्थाओं के स्वामित्व/नियंत्रण में नहीं है। इन दिशानिर्देशों का सारांश संलग्नक में दिया गया है; ये दिशानिर्देश 7 जून 2013 की अधिसूचना सं. फेमा. 278/2013-आरबी में उल्लिखित तारीख (तारीखों) से लागू होंगे तथा ये 21 जून 2013 के जी.एस.आर. 393 (ई) के जरिये अधिसूचित किए गए थे। (ii) 13 फरवरी 2009 से पूर्व लागू दिशानिर्देशों के अनुसार पहले ही किए गए विदेशी निवेश में इन दिशानिर्देशों के अनुरूप संशोधन करने की आवश्यकता नहीं होगी। उक्त तारीख के बाद किए गए सभी अन्य निवेश इन नये दिशानिर्देशों की परिधि में आयेंगे। (iii) 13 फरवरी 2009 और फेमा-अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख के बीच किए गए निवेशों के संबंध में, भारतीय कंपनियों को शेयरों के निर्गम/अंतरण अथवा डाउनस्ट्रीम निवेश अब विनिर्दिष्ट किए जा रहे विनियामक ढांचे के अनुसार न होने पर प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक के मार्फत इस परिपत्र की तारीख से 90 दिनों के भीतर विस्तृत ब्योरे रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को सूचित करने आवश्यक होंगे जिसके क्षेत्राधिकार में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय स्थित है। ऐसे मामले में, रिज़र्व बैंक इन दिशानिर्देशों के अनुसार छ: माह की अवधि में अनुपालित होने के संबंध में अथवा भारत सरकार के परामर्श से इससे अधिक समय में यथोचित समझी गयी विस्तारित अवधि के भीतर विचार करेगा। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें। 5. उल्लेखानुसार रिज़र्व बैंक ने अब उक्त विनियमावली में संशोधन किया है और 07 जून 2013 की अधिसूचना सं. फेमा. 278/2013-आरबी के जरिये अधिसूचित किया है तथा जिसे 21 जून 2013 के जी.एस.आर. 393 (ई) के द्वारा अधिसूचित किया गया है। 6. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय, (रुद्र नारायण कर) भारतीय कंपनियों में कुल विदेशी निवेश, भारतीय कंपनियों के स्वामित्व के अंतरण और ए.परिभाषाएं 1(i) स्वामित्व और नियंत्रण क) 'निवासी भारतीय नागरिकों द्वारा स्वाधिकृत' कंपनी ऐसी भारतीय कंपनी होगी, जिसकी 50% से अधिक पूँजी निवासी भारतीय नागरिकों और / अथवा भारतीय कंपनियों, जो निवासी भारतीय नागरिकों द्वारा अंतत: स्वाधिकृत और नियंत्रित हैं, द्वारा हिताधिकारी के रूप में स्वाधिकृत हो; किसी कंपनी को निवासी भारतीय नागरिकों द्वारा 'नियंत्रित' समझा जाएगा, यदि निवासी भारतीय नागरिकों और भारतीय कंपनियों, जो निवासी भारतीय नागरिकों द्वारा स्वाधिकृत और नियंत्रित हों, को ऐसी कंपनी में अधिसंख्य निदेशकों की नियुक्ति के लिए अधिकार प्राप्त हों; ख) 'अनिवासियों द्वारा स्वाधिकृत' कंपनी का अर्थ ऐसी भारतीय कंपनी से है जहाँ अनिवासियों द्वारा ऐसी कंपनी की 50% से अधिक पूँजी हिताधिकारी के रूप में स्वाधिकृत हो; अनिवासियों द्वारा 'नियंत्रित' कंपनी का अर्थ ऐसी भारतीय कंपनी से है, जहाँ अनिवासियों को ऐसी कंपनी में उसके अधिसंख्य निदेशकों की नियुक्ति के लिए अधिकार प्राप्त हों; (ii) 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश' का अर्थ अनिवासी एंटिटीज से भारतीय कंपनी को प्राप्त निवेश से है, भले ही ऐसा निवेश, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 20/2000-आरबी की अनुसूची 1, 2, 3, 6 और 8 के अंतर्गत किया गया हो; (iii) 'डाउनस्ट्रीम निवेश' का अर्थ ऐसे अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश से है जो किसी भारतीय कंपनी द्वारा किसी अन्य भारतीय कंपनी में अभिदान द्वारा अथवा अर्जन के लिए किया गया हो; (iv) 'होल्डिंग कंपनी' का अर्थ वही है जो कंपनी अधिनियम,1956 में परिभाषित है; (v) 'भारतीय कंपनी' का अर्थ ऐसी कंपनी से है जो कंपनी अधिनियम,1956 के अंतर्गत भारत में निगमित (गठित) की गयी है; (vi)'अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश' का अर्थ विदेशी निवेश प्राप्त किसी भारतीय कंपनी द्वारा किसी अन्य भारतीय कंपनी में किए गए संपूर्ण निवेश से है, बशर्ते भारतीय कंपनी निवासी भारतीय नागरिकों द्वारा स्वाधिकृत और नियंत्रित और/अथवा भारतीय कंपनियाँ जो निवासी भारतीय नागरिकों द्वारा स्वाधिकृत और नियंत्रित न हो अथवा जहाँ भारतीय कंपनी किसी अनिवासी द्वारा स्वाधिकृत अथवा नियंत्रित हो। तथापि, अपवाद के रूप में, किसी कार्यरत-सह-निवेशक / निवेशक कंपनियों की 100% स्वाधिकृत सहायक कंपनियों में अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश कार्यरत-सह-निवेशक/ निवेशक कंपनियों में हुए विदेशी निवेश तक सीमित होगा। (vii) 'निवेशक कंपनी' का अर्थ ऐसी भारतीय कंपनी से है जो किसी अन्य भारतीय कंपनी/ कंपनियों में, ऐसी शेयर धारिता/प्रतिभूतियों की ट्रेडिंग को छोड़कर, केवल प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष निवेश धारण किए हो; (viii) 'अनिवासी इकाई (एंटिटी') का अर्थ भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति से है (जैसाकि फेमा, 1999 की धारा 2 (डब्ल्यू) में परिभाषित है); (ix) 'निवासी इकाई (एंटिटी') ' का अर्थ भारत में निवासी व्यक्ति से है (जैसाकि फेमा, 1999 की धारा 2 (वी) में परिभाषित है), जिसमें व्यक्ति शामिल नहीं हैं; (x) 'निवासी भारतीय नागरिक' का अर्थ उसी रूप में लिया जाएगा जैसाकि भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के साथ, संयुक्त रूप से, पठित फेमा, 1999 के तहत भारत में निवासी व्यक्ति की परिभाषा में दिया गया है। (xi) किसी भारतीय कंपनी में 'कुल विदेशी निवेश', प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश का योग होगा। बी. भारतीय कंपनियों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश - अर्थ 2. भारतीय कंपनियों में निवेश अनिवासियों के साथ-साथ निवासी भारतीय एंटिटीज, दोनों, द्वारा किया जा सकता है। किसी भारतीय कंपनी में कोई अनिवासी निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है। निवासी भारतीय एंटिटीज द्वारा किए गए निवेश में पुन: निवासी और अनिवासी निवेश, दोनों, शामिल होंगे। इस प्रकार, ऐसी भारतीय कंपनी में अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश होगा, यदि उसमें निवेश करने वाली भारतीय कंपनी में विदेशी निवेश हो। अप्रत्यक्ष निवेश कैस्केडिंग (निर्झर) निवेश अर्थात बहु स्तरीय संरचना वाला (मल्टी लेयर्ड स्ट्रक्चर) निवेश भी हो सकता है। सी. किसी भारतीय कंपनी में कुल विदेशी निवेश अर्थात प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश की गणना के लिए दिशानिर्देश 3.(i) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की गणना : भारतीय कंपनी में अनिवासी इकाई (एंटिटीज') द्वारा किए गए सभी प्रत्यक्ष निवेशों की गणना 'प्रत्यक्ष विदेशी निवेश' के रूप में की जाएगी। (ii) अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश की गणना : किसी अन्य भारतीय कंपनी में निवेशक कंपनी द्वारा किए गए संपूर्ण अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में परिगणित किया जाएगा। तथापि, अपवाद के रूप में, किसी कार्यरत-सह-निवेशक / निवेशक कंपनियों की 100% स्वाधिकृत सहायक कंपनियों में अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश कार्यरत-सह-निवेशक / निवेशक कंपनियों में हुए विदेशी निवेश तक सीमित होगा। यह अपवाद इसलिए रखा गया है क्योंकि कार्यरत-सह-निवेशक / निवेशक कंपनियों की 100% स्वाधिकृत सहायक कंपनियों में डाउनस्ट्रीम निवेश, होल्डिंग कंपनी द्वारा किए गए निवेश के समान होता है और डाउनस्ट्रीम निवेश होल्डिंग कंपनी की प्रतिकृति (mirror image) होना चाहिए। यह अपवाद, हाँलाकि खासकर उन मामलों के लिए है जहाँ डाउनस्ट्रीम सहायक कंपनी की संपूर्ण पूँजी होल्डिंग कंपनी द्वारा स्वाधिकृत है। (iii) कुल विदेशी निवेश की गणना का तरीका भारतीय कंपनियों में प्रत्येक स्तर पर हुए निवेश हेतु और इस प्रकार प्रत्येक भारतीय कंपनी के लिए अमल में लाया जाएगा। (iv) अतिरिक्त अपेक्षाएं (I) संबंधित कंपनी/ कंपनियों द्वारा भारतीय कंपनी/कंपनियों में किए जाने वाले विदेशी निवेश के संपूर्ण ब्योरे, जिनमें स्वामित्व के ब्योरे आदि शामिल हैं और कंपनी/कंपनियों के नियंत्रण के ब्योरे भारत सरकार को अनुमोदन लेते समय प्रस्तुत किए जाएंगे। (II) ऐसे क्षेत्र/गतिविधि, जिनमें विदेशी निवेश हेतु सरकारी अनुमोदन अपेक्षित है, के संबंध में और ऐसे मामलों, जिनमें शेयरधारकों के बीच/में ऐसे परस्पर करार हैं जिनसे निदेशक मंडल की नियुक्ति या मताधिकार के प्रयोग या शेयरधारिता की तुलना में अननुपाती मताधिकार उत्पन्न होते हों या अन्य किसी प्रासंगिक मामले पर असर पड़ता हो, के संबंध में अनुमोदनकर्ता प्राधिकारी को करार की सूचना दी जानी चाहिए। अनुमोदनदाता प्राधिकारी विदेशी निवेश के अनुमोदन से संबंधित मामले पर विचार करते समय स्वामित्व एवं नियंत्रण निर्धारित करने हेतु ऐसे परस्पर करारों पर विचार करेगा। (III) ऐसे सभी क्षेत्रों जहां सेक्टोरल उच्चतम सीमाएं (कैप) लागू हैं, वहां शेष इक्विटी अर्थात सेक्टोरल विदेशी निवेश, सीमा से अधिक होने पर, निवासी भारतीय नागरिकों और भारतीय कंपनियों, जो भारतीय नागरिकों के स्वामित्व व नियंत्रणाधीन हैं, द्वारा हिताधिकारी के रूप में स्वाधिकृत/धारित/के हाथ में होना चाहिए। (IV) आई एंड बी और रक्षा क्षेत्रों, जिनके लिए सेक्टोरल सीमा 49% से कम निर्धारित है, से संबंधित कंपनी भारतीय नागरिकों और भारतीय नागरिकों के स्वामित्व व नियंत्रण वाली भारतीय कंपनियों द्वारा ‘‘स्वाधिकृत और नियंत्रित’’ होनी आवश्यक है। (क) इस प्रयोजनार्थ, सबसे बड़े शेयरधारक द्वारा धारित इक्विटी कुल इक्विटी के कम-से-कम 51% होनी चाहिए। इस इक्विटी के अंतर्गत कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 4ए में यथा परिभाषित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और सार्वजनिक वित्तीय संस्थाओं द्वारा धारित इक्विटी शामिल नहीं है। इस वाक्यांश में प्रयुक्त ‘‘सबसे बड़े भारतीय शेयरधारक’’ शब्द के अंतर्गत निम्नलिखित मदों में से कोई एक या उससे अधिक मदें शामिल होंगी : (कक) वैयक्तिक शेयरधारक के मामले में, (ख) इस खंड के प्रयोजनार्थ, ‘‘भारतीय कंपनी’’ का तात्पर्य उस कंपनी से है जिसके कुल शेयरों में एक निवासी भारतीय या उसके रिश्तेदार, जिसके संबंध में कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6 में परिभाषा दी गयी है, की शेयरधारिता एकल रूप से या संयुक्त रूप से कम-से-कम 51% हो। (ग) बशर्ते, उपर्युक्त उप-खंडों (कक) और (कख) में उल्लिखित सभी संस्थाओं या किसी संस्था के संयुक्त रूप वाले मामले में प्रत्येक पार्टी ने आवेदक कंपनी के कार्य-संचालन में एकल इकाई के रूप में कार्य करने हेतु विधिक बाध्यकारी करार किया हो। (V) यदि कोई व्यक्ति एक अनिवासी संस्था द्वारा धारित लाभकारी हित के संबंध में भारतीय कंपनी अधिनियम की धारा 187सी के अनुसार घोषणा करता है तो उस स्थिति में उस निवेश को विदेशी निवेश की कोटि में शामिल किया जाएगा, भले ही वह निवेश किसी निवासी भारतीय नागरिक द्वारा किया गया हो। 4. उपर्युक्त नीति व कार्य-पद्धति सभी क्षेत्रों में किए जाने वाले कुल विदेशी निवेश के निर्धारणार्थ लागू होगी, जबकि इनमें वे क्षेत्र शामिल नहीं हैं, जिनके संबंध में किसी संविधि या नियम में अन्यथा विनिर्दिष्ट किया गया हो। अत: प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश की उपर्युक्त कार्य-पद्धति बीमा क्षेत्र पर लागू नहीं होगी, जिसे संबंधित विनियमावली द्वारा विनियमित किया जाना जारी रहेगा। डी. ऐसे क्षेत्रों, जिनके संबंध में उच्चतम सीमा निर्धारित है, के अंतर्गत भारतीय कंपनियों की स्थापना/निवासी भारतीय नागरिकों और भारतीय कंपनियों से अनिवासी इकाइयों (एंटिटीज) को भारतीय कंपनियों के स्वामित्व के अंतरण या नियंत्रण संबंधी दिशा-निर्देश। 5. रक्षा उत्पादन, हवाई परिवहन सेवाओं, ग्राउंड-हैंडलिंग सेवाओं, परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों, प्राइवेट सेक्टर बैंकिंग, प्रसारण, पण्य बाजारों, क्रेडिट सूचना कंपनियों, बीमा, प्रिंट मीडिया, दूरसंचार और उपग्रह सहित कैप वाले क्षेत्र/गतिविधियों के साथ-साथ उन सभी मामलों में सरकार का अनुमोदन/एफआईपीबी का अनुमोदन अपेक्षित होगा जहां: (i) कोई भारतीय कंपनी विदेशी निवेश से स्थापित की जा रही हो और उसका स्वामित्व किसी निवासी इकाई (एंटिटी) का न हो या (ii) कोई भारतीय कंपनी विदेशी निवेश से स्थापित की जा रही हो और उसका नियंत्रण किसी निवासी इकाई (एंटिटी) द्वारा नहीं किया जा रहा हो या (iii) किसी मौजूदा भारतीय कंपनी का नियंत्रण, जिसका वर्तमान स्वामित्व या नियंत्रण निवासी भारतीय नागरिकों और भारतीय कंपनियों जो निवासी भारतीय नागरिकों के स्वामित्व या नियंत्रण में हैं, के पास है, और समामेलन, विलयन/विभाजन, अधिग्रहण आदि के जरिए किसी अनिवासी को उसके शेयरों के अंतरित होने/और या नए शेयरों के जारी करने के फलस्वरूप उन्हें किसी अनिवासी इकाई (एंटिटी) को हस्तातंरित किया जाएगा/ दिया जा रहा हो या (iv) किसी मौजूदा भारतीय कंपनी का स्वामित्व, जिसका वर्तमान स्वामित्व या नियंत्रण निवासी भारतीय नागरिकों और भारतीय कंपंनियों जो निवासी भारतीय नागरिकों के स्वामित्व या नियंत्रण में हैं, के पास है, और समामेलन, विलयन/विभाजन, अधिग्रहण आदि के जरिए किसी अनिवासी को उसके शेयरों के अंतरित होने/और या नए शेयरों के जारी करने के फलस्वरूप उन्हें किसी अनिवासी इकाई (एंटिटी) को हस्तातंरित किया जाएगा/ दिया जा रहा हो या (v) यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन क्षेत्रों/ गतिविधियों में विदेशी निवेश की कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है अर्थात् जहां आटोमैटिक रूट से 100% विदेशी निवेश की अनुमति है, वहां ये दिशानिर्देश लागू नहीं होंगें । (vi) अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश की गणना करने के लिए विदेशी निवेश में डाउनस्ट्रीम निवेश करने वाली किसी भारतीय कंपनी में किए गए सभी प्रकार के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश शामिल होंगे। इस प्रयोजन के लिए पिछले वर्ष की 31 मार्च की स्थिति के अनुसार एफआईआई, एनआरआई या क्यूएफआई का पोर्टफोलियो निवेश हिसाब में लिया जाएगा, उदाहरण के लिए, वित्तीय वर्ष 2011-12 के लिए विदेशी निवेश की निगरानी हेतु 31 मार्च 2011 के अनुसार निवेश को हिसाब में लिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, एफडीआई, फारेन वैंचर कैपिटल इन्वेस्टमैंट, एडीआर/जीडीआर, एफसीसीबी में किए गए निवेशों को भी हिसाब में लिया जाएगा। इस प्रकार, भले ही निवेश, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी की अनुसूची 1, 2, 3, 6 तथा 8 के अधीन किए गए हों, वे हिसाब में लिए जाएंगे। ई. ऐसी भारतीय कंपनी द्वारा डाउनस्ट्रीम निवेश जो निवासी संस्था/संस्थाओं के स्वामित्व/नियंत्रण में नहीं है। 6. (i) किसी अन्य भारतीय कंपनी में ऐसी भारतीय कंपनी का डाउनस्ट्रीम निवेश जो निवासी संस्था/संस्थाओं के स्वामित्व/नियंत्रण में नहीं है, इस अन्य भारतीय कंपनी द्वारा कार्यरत क्षेत्रों के संबंध में संगत क्षेत्रीय प्रवेश रूट, शर्तों तथा उच्चतम सीमा के अधीन होगा। टिप्पणी : 31 जुलाई 2012 से, किसी बैंकिंग कंपनी जो बैंककारी विनियमन अधिनियम,1949 की धारा (5) के खंड (सी) में यथा परिभाषित है और जो भारत में निगमित है और जो अनिवासियों/अनिवासी संस्था/अनिवासी संस्थाओं के स्वामित्व में तथा/या नियंत्रण में है, द्वारा सीडीआर के अधीन या किसी अन्य ऋण पुनर्गठन क्रियाविधि के अधीन या व्यापारिक बहियों (trading books) में या ऋण में चूक के कारण शेयरों के अधिग्रहण के लिए किए गए डाउनस्ट्रीम निवेश को अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश नहीं माना जाएगा। तथापि, उनके ‘स्ट्रेटेजिक डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमैंट’ को अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिना जाएगा। इस प्रयोजन के लिए, ‘स्ट्रेटेजिक डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमैंट’ का अभिप्राय होगा इन बैंकिंग कंपनियों द्वारा अपनी सहायक संस्थाओं, संयुक्त उद्यमों तथा एसोसिएट संस्थाओं में निवेश। (ii) भारतीय कंपनियों द्वारा डाउनस्ट्रीम निवेश निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगा:
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